पहले हरियाणा और फिर दिल्ली विधानसभा चुनाव में मिली असफलता के बाद पंजाब कांग्रेस ने दो साल बाद यानी 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए आज दिल्ली में रणनीति बनाई गई। मिशन-2027 के लिए पार्टी के नए प्रभारी और छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अगुआई में पंजाब कांग्रेस के नेताओं की पांच घंटे तक मीटिंग हुई। मीटिंग में सभी नेताओं ने अपना-अपना पक्ष रखा। खासकर यूथ, स्टूडेंट्स और महिला विंग की नेताओं को भी मीटिंग में शामिल किया गया। मीटिंग के बाद बघेल ने कहा कि कांग्रेस एकजुट हैं। अब ग्राउंड पर कांग्रेस पार्टी उतरेगी। लोगों के सुख दुख में सीधे पार्टी शामिल होगी। वहीं, जब उनसे सवाल किया गया कि, कांग्रेस नेता बयान देते हैं कि आम आदमी पार्टी AAP के कई नेता उनके संपर्क में हैं। इस पर उन्होंने कहा कि पंजाब में AAP नेताओं में भगदड़ मची हुई है। AAP की नाब डूबने वाली है। मुझे यह नहीं पता नहीं कि यह कब डूब जाए। जहां भी जाता हूं, छापे मारे जाते है बघेल से जब मीडिया ने सवा किया कि पहले आपके यहां ईडी की रेड हुई, उसके बाद सुखपाल सिंह खैहरा पर कांग्रेस ने कार्रवाई करते हुए उनकी संपत्ति अटैच की। इस पर उन्होंने कहा कि यह सिलसिला 2020 से चल रहा है। वह जहां भी जाते हैं, यह सब शुरू हो जाता है। मैं ED या CBI से डरने वाला नहीं हूं। वहीं, उन्होंने उस चीज को भी अफवाह बताया, जिसमें कहा गया था कि उन्होंने कोई इंटरनल रिपोर्ट पार्टी हाईकमान को सौंपी है। उन्होंने कहा कि 18 मार्च को विधायकों की मीटिंग होगी। जबकि अप्रैल में भी मीटिंगों का दौर जारी रहेगा। जिसमें सभी नेताओं की ड्यूटी लगाई जाएगी। बजट सेशन की कम समय अवधि पर जताई आपत्ति बघेल ने पंजाब सरकार द्वारा घोषित बजट सेशन की समय अवधि पर भी सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि छह दिन में सारे मुद्दों पर चर्चा कैसे होगी। उन्होंने कहा कि AAP वालों को प्रजातंत्र में विश्वास नहीं रहा है। यह पूरी तरह गलत है। सारे नेता दिखे एकजुट यह पहला मौका था जब सारे नेता एक छत के नीचे दिखे। मीटिंग में पूर्व सीएम व सांसद चरणजीत सिंह चन्नी, पूर्व डिप्टी सीएम व सांसद सुखविंदर सिंह रंधावा, पंजाब कांग्रेस प्रधान अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग, सीएलपी नेता प्रताप सिंह बाजवा, भारत भूषण आशु, राणा केपी सिंह, अरूणा चौधरी, राणा गुरजीत सिंह, डॉ अमर सिंह, शमशेर सिंह दूलो, राजिंदर कौर भट्टल, मोहम्मद सादिक, विजय इंद्र सिगला, सुखपाल सिंह खैहरा, सभी सांसद व पूर्व विधायक व मंत्री मौजूद है। कोशिश यही रही कि नेताओं के गिले-शिकवे दूर किए जाए। साथ ही एक दूसरे खिलाफ बयान बाजी रोकी जाए। लोकसभा चुनाव के नतीजों ने जगाई उम्मीदें कांग्रेस के लिए पंजाब राज्य काफी अहम है, क्योंकि यहां पार्टी का मजबूत आधार है। भले ही 2022 में पार्टी राज्य की सत्ता से बाहर हो गई। लेकिन 2024 में हुए लोकसभा चुनाव के नतीजों ने पार्टी में नया जोश भर दिया है। कांग्रेस ने राज्य की 13 में से 7 सीटों पर जीत दर्ज की, जबकि राज्य की सत्ता पर काबिज आम आदमी पार्टी को तीन सीटें मिलीं। वहीं, अकाली दल को एक सीट, निर्दलीयों को दो सीटें मिलीं। भाजपा अपना खाता भी नहीं खोल पाई। हालांकि, वोट प्रतिशत के मामले में भाजपा तीसरे स्थान पर जरूर पहुंच गई। जबकि पड़ोसी राज्य हरियाणा में कांग्रेस को पांच और भाजपा को पांच सीटें मिलीं। अब तो गुटबाजी पर वर्कर पूछ रहे सवाल पंजाब कांग्रेस में गुटबाजी कोई नया मुद्दा नहीं है। लेकिन यह सवाल जब कार्यकर्ता ही पार्टी नेताओं से करने लगे तो यह चीज और भी अहम हो जाती है। दरअसल ‘जुड़ेगा ब्लॉक- जीतेगी कांग्रेस’ मुहिम कांग्रेस ने इन दिनों शुरू की गई है। डेराबस्सी में एक कार्यकर्ता ने सीनियर नेताओं की मौजूदगी में गुटबाजी को लेकर उठा दिया। इस पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग ने कहा कि गुट हमेशा बनते आए हैं और आगे भी बनते रहेंगे। लेकिन इसी गुटबाजी और आपसी लड़ाई ने पिछले चुनाव में कांग्रेस की सीटें 58 से घटाकर 18 कर दी थीं। उन्होंने कहा कि पंजाब कांग्रेस ही एकमात्र राज्य इकाई है जहां प्रदेश अध्यक्ष और सीएलपी नेता के बीच कोई मतभेद नहीं है। दिल्ली चुनाव हारते ही बदले प्रभारी पंजाब कांग्रेस ने जनवरी 2024 में दिल्ली के नेता देवेंद्र यादव को पंजाब का प्रभारी बनाया गया था। भले ही पार्टी लोकसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन कर पाई है। लेकिन पार्टी के सीनियर नेताओं को इकट्ठे करने में वह भी विफल रहे । उनके कार्यकाल में नवजोत सिंह सिद्धू समेत कई बड़े नेता पार्टी आफिस या मंच पर साथ नहीं दिखे। जबकि दिल्ली चुनाव में देवेंद्र यादव खुद ही चुनाव हार गए थे। इसके तुरंत बाद पंजाब के प्रभारी बदले गए। वहीं, इस बार पार्टी के सीनियर नेता भूपेश बघेल को कमान सौंपी गई है। उन्होंने 24 फरवरी को अमृतसर में गोल्डन टैंपल समेत सभी धार्मिक स्थानों पर माथा टेककर अपना कार्यभार संभाला था। इसके बाद उन्होंने 25 फरवरी को चंडीगढ़ में पार्टी नेताओं से मीटिंग की। इसके बाद आज मीटिंग होने जा रही है। ED के एक्शन में कांग्रेस दिखी एकजुट हालांकि कांग्रेस के भीतर गुटबाजी है, लेकिन प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की कार्रवाई के बाद पार्टी सोशल मीडिया पर एकजुट नजर आई। जब ईडी ने भूपेश बघेल के घर पर छापा मारा, तो कांग्रेस के तमाम नेताओं ने उनके समर्थन में बयान जारी किए। वरिष्ठ नेता शमशेर सिंह दूलो ने भी वीडियो जारी कर इस कार्रवाई की निंदा की। इसके अलावा, जब ईडी ने चंडीगढ़ में नशा तस्करी से जुड़े एक मामले में सुखपाल सिंह खैहरा की संपत्ति जब्त की, तब भी कांग्रेस एकजुट दिखी। इससे पहले भूपेश बघेल ने सोशल मीडिया पर लिखा कि पंजाब कांग्रेस पूरी तरह एकजुट है और इसकी एकता अन्य राज्यों के लिए मिसाल बनेगी
पहले हरियाणा और फिर दिल्ली विधानसभा चुनाव में मिली असफलता के बाद पंजाब कांग्रेस ने दो साल बाद यानी 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए आज दिल्ली में रणनीति बनाई गई। मिशन-2027 के लिए पार्टी के नए प्रभारी और छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अगुआई में पंजाब कांग्रेस के नेताओं की पांच घंटे तक मीटिंग हुई। मीटिंग में सभी नेताओं ने अपना-अपना पक्ष रखा। खासकर यूथ, स्टूडेंट्स और महिला विंग की नेताओं को भी मीटिंग में शामिल किया गया। मीटिंग के बाद बघेल ने कहा कि कांग्रेस एकजुट हैं। अब ग्राउंड पर कांग्रेस पार्टी उतरेगी। लोगों के सुख दुख में सीधे पार्टी शामिल होगी। वहीं, जब उनसे सवाल किया गया कि, कांग्रेस नेता बयान देते हैं कि आम आदमी पार्टी AAP के कई नेता उनके संपर्क में हैं। इस पर उन्होंने कहा कि पंजाब में AAP नेताओं में भगदड़ मची हुई है। AAP की नाब डूबने वाली है। मुझे यह नहीं पता नहीं कि यह कब डूब जाए। जहां भी जाता हूं, छापे मारे जाते है बघेल से जब मीडिया ने सवा किया कि पहले आपके यहां ईडी की रेड हुई, उसके बाद सुखपाल सिंह खैहरा पर कांग्रेस ने कार्रवाई करते हुए उनकी संपत्ति अटैच की। इस पर उन्होंने कहा कि यह सिलसिला 2020 से चल रहा है। वह जहां भी जाते हैं, यह सब शुरू हो जाता है। मैं ED या CBI से डरने वाला नहीं हूं। वहीं, उन्होंने उस चीज को भी अफवाह बताया, जिसमें कहा गया था कि उन्होंने कोई इंटरनल रिपोर्ट पार्टी हाईकमान को सौंपी है। उन्होंने कहा कि 18 मार्च को विधायकों की मीटिंग होगी। जबकि अप्रैल में भी मीटिंगों का दौर जारी रहेगा। जिसमें सभी नेताओं की ड्यूटी लगाई जाएगी। बजट सेशन की कम समय अवधि पर जताई आपत्ति बघेल ने पंजाब सरकार द्वारा घोषित बजट सेशन की समय अवधि पर भी सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि छह दिन में सारे मुद्दों पर चर्चा कैसे होगी। उन्होंने कहा कि AAP वालों को प्रजातंत्र में विश्वास नहीं रहा है। यह पूरी तरह गलत है। सारे नेता दिखे एकजुट यह पहला मौका था जब सारे नेता एक छत के नीचे दिखे। मीटिंग में पूर्व सीएम व सांसद चरणजीत सिंह चन्नी, पूर्व डिप्टी सीएम व सांसद सुखविंदर सिंह रंधावा, पंजाब कांग्रेस प्रधान अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग, सीएलपी नेता प्रताप सिंह बाजवा, भारत भूषण आशु, राणा केपी सिंह, अरूणा चौधरी, राणा गुरजीत सिंह, डॉ अमर सिंह, शमशेर सिंह दूलो, राजिंदर कौर भट्टल, मोहम्मद सादिक, विजय इंद्र सिगला, सुखपाल सिंह खैहरा, सभी सांसद व पूर्व विधायक व मंत्री मौजूद है। कोशिश यही रही कि नेताओं के गिले-शिकवे दूर किए जाए। साथ ही एक दूसरे खिलाफ बयान बाजी रोकी जाए। लोकसभा चुनाव के नतीजों ने जगाई उम्मीदें कांग्रेस के लिए पंजाब राज्य काफी अहम है, क्योंकि यहां पार्टी का मजबूत आधार है। भले ही 2022 में पार्टी राज्य की सत्ता से बाहर हो गई। लेकिन 2024 में हुए लोकसभा चुनाव के नतीजों ने पार्टी में नया जोश भर दिया है। कांग्रेस ने राज्य की 13 में से 7 सीटों पर जीत दर्ज की, जबकि राज्य की सत्ता पर काबिज आम आदमी पार्टी को तीन सीटें मिलीं। वहीं, अकाली दल को एक सीट, निर्दलीयों को दो सीटें मिलीं। भाजपा अपना खाता भी नहीं खोल पाई। हालांकि, वोट प्रतिशत के मामले में भाजपा तीसरे स्थान पर जरूर पहुंच गई। जबकि पड़ोसी राज्य हरियाणा में कांग्रेस को पांच और भाजपा को पांच सीटें मिलीं। अब तो गुटबाजी पर वर्कर पूछ रहे सवाल पंजाब कांग्रेस में गुटबाजी कोई नया मुद्दा नहीं है। लेकिन यह सवाल जब कार्यकर्ता ही पार्टी नेताओं से करने लगे तो यह चीज और भी अहम हो जाती है। दरअसल ‘जुड़ेगा ब्लॉक- जीतेगी कांग्रेस’ मुहिम कांग्रेस ने इन दिनों शुरू की गई है। डेराबस्सी में एक कार्यकर्ता ने सीनियर नेताओं की मौजूदगी में गुटबाजी को लेकर उठा दिया। इस पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग ने कहा कि गुट हमेशा बनते आए हैं और आगे भी बनते रहेंगे। लेकिन इसी गुटबाजी और आपसी लड़ाई ने पिछले चुनाव में कांग्रेस की सीटें 58 से घटाकर 18 कर दी थीं। उन्होंने कहा कि पंजाब कांग्रेस ही एकमात्र राज्य इकाई है जहां प्रदेश अध्यक्ष और सीएलपी नेता के बीच कोई मतभेद नहीं है। दिल्ली चुनाव हारते ही बदले प्रभारी पंजाब कांग्रेस ने जनवरी 2024 में दिल्ली के नेता देवेंद्र यादव को पंजाब का प्रभारी बनाया गया था। भले ही पार्टी लोकसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन कर पाई है। लेकिन पार्टी के सीनियर नेताओं को इकट्ठे करने में वह भी विफल रहे । उनके कार्यकाल में नवजोत सिंह सिद्धू समेत कई बड़े नेता पार्टी आफिस या मंच पर साथ नहीं दिखे। जबकि दिल्ली चुनाव में देवेंद्र यादव खुद ही चुनाव हार गए थे। इसके तुरंत बाद पंजाब के प्रभारी बदले गए। वहीं, इस बार पार्टी के सीनियर नेता भूपेश बघेल को कमान सौंपी गई है। उन्होंने 24 फरवरी को अमृतसर में गोल्डन टैंपल समेत सभी धार्मिक स्थानों पर माथा टेककर अपना कार्यभार संभाला था। इसके बाद उन्होंने 25 फरवरी को चंडीगढ़ में पार्टी नेताओं से मीटिंग की। इसके बाद आज मीटिंग होने जा रही है। ED के एक्शन में कांग्रेस दिखी एकजुट हालांकि कांग्रेस के भीतर गुटबाजी है, लेकिन प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की कार्रवाई के बाद पार्टी सोशल मीडिया पर एकजुट नजर आई। जब ईडी ने भूपेश बघेल के घर पर छापा मारा, तो कांग्रेस के तमाम नेताओं ने उनके समर्थन में बयान जारी किए। वरिष्ठ नेता शमशेर सिंह दूलो ने भी वीडियो जारी कर इस कार्रवाई की निंदा की। इसके अलावा, जब ईडी ने चंडीगढ़ में नशा तस्करी से जुड़े एक मामले में सुखपाल सिंह खैहरा की संपत्ति जब्त की, तब भी कांग्रेस एकजुट दिखी। इससे पहले भूपेश बघेल ने सोशल मीडिया पर लिखा कि पंजाब कांग्रेस पूरी तरह एकजुट है और इसकी एकता अन्य राज्यों के लिए मिसाल बनेगी