भोपाल की यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री के रासायनिक कचरे को पीथमपुर में जलाने से रोकने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट में आज (27 फरवरी) इस मामले की सुनवाई हुई। कोर्ट ने कहा की याचिकाकर्ताओं के सभी पक्षों को हाईकोर्ट ने सुन लिया है। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट इस मामले में कोई सुनवाई नहीं करेगा। कोर्ट के इस रुख के बाद पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड के रासायनिक कचरे के निष्पादन का ट्रायल आज से शुरू होगा। सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की टीम रामकी एनवायरो कंपनी में मौजूद है। फैक्ट्री में कचरा जलाने का दूसरा ट्रायल 4 मार्च और तीसरा 12 मार्च से शुरू होगा। इधर, कचरा जलाने के ट्रायल को लेकर प्रशासन सतर्क है। 3 जनवरी को हुए विरोध को देखते हुए प्रशासन कोई कोताही नहीं बरतना चाहता है। लिहाजा, इंदौर देहात और धार जिले के 24 थानों से 500 से ज्यादा पुलिसकर्मी पीथमपुर में रामकी एनवायरो फैक्ट्री के पास तैनात किए गए हैं। 3 तस्वीरों में देखिए पुलिस की तैयारी- डबल बेंच ने पहले नंबर इस केस की सुनवाई की
गैस राहत विभाग के डायरेक्टर स्वतंत्र कुमार सिंह ने भास्कर को बताया कि यूका के रासायनिक कचरे को लेकर सुप्रीम कोर्ट में पिटिशन लगी थी। जस्टिस गवई और जस्टिस मसीह की डबल बेंच ने पहले नंबर इस केस की सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए इस मामले को डिस्पोज ऑफ किया कि मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में पहले ही यह मामला विचाराधीन है। उसमें एक्सपर्ट्स और कमेटी के इन्वॉल्वमेंट के होने के बाद इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि इसके डिस्पोजल का आज 27 तारीख को ट्रायल रन होने वाला है। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह की डबल बेंच के सामने सीनियर एडवोकेट देवदत्त कामत ने बताया कि हाईकोर्ट ने कचरा निपटान के पूरे मुद्दे पर विचार करने के लिए 15 तकनीकी सदस्यों वाली एक टास्क फोर्स समिति गठित की है। 2013 और 2015 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद दो परीक्षण किए गए जो सफल रहे। भोपाल गैस कांड पीड़ितों के लिए काम करने वाले एक संगठन की ओर से पेश हुए एक अन्य वकील ने कहा कि विचाराधीन प्लांट में जहरीली गैसों को ध्यान में नहीं रखा गया है। संगठन के पास बेहतर वैकल्पिक उपाय है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें एमपी हाईकोर्ट और मध्य प्रदेश सरकार के सामने रखने की भी स्वतंत्रता दी। HC मामले में बेहतर ढंग से निपट रहा: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट द्वारा गठित टास्क फोर्स समिति में NEERI (राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान) NGRI और CPCB जैसे उच्च स्तरीय तकनीकी विशेषज्ञ निकाय शामिल थे। इनकी रिपोर्ट के आधार पर हाईकोर्ट इस मामले से बेहतर ढंग से निपट रहा है। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा कचरा निपटान से निपटने के सुस्त तरीके को गंभीरता से लिया। हाईकोर्ट मामले की निगरानी कर रहा है। इसलिए हमें इस विवादित आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं दिखता। सुप्रीम कोर्ट ने 2 ट्रायल रन का भी संज्ञान लिया
सुप्रीम कोर्ट ने 2013 और 2015 में हुए दो ट्रायल रन का भी संज्ञान लिया। CPCB के टेस्ट रिपोर्ट्स का अवलोकन भी किया। उसके आधार पर डबल बेंच ने पिटिशन को डिस्पोज किया। अगर याचिकाकर्ता को किसी तरीके से कोई भी तथ्य या आपत्ति रखना है तो एमपी हाईकोर्ट में दे सकते हैं। याचिकाकर्ता बोले- विधि विशेषज्ञों की राय लेंगे
सुप्रीम कोर्ट में पीथमपुर में कचरा जलाने से रोक लगाने की याचिका दायर करने वाले चिन्मय मिश्रा ने दैनिक भास्कर से कहा- हमें और उस क्षेत्र के लोगों के मन में जो शंकाएं और डर है, उसी को लेकर हम हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गए थे। 30 मीट्रिक टन कचरा जलाने के लिए 3 ट्रायल रन
दरअसल, मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे के निपटान के ट्रायल रन की मंजूरी दी है। इसके तहत 30 मीट्रिक टन कचरा जलाने के लिए तीन ट्रायल रन किए जाएंगे। पहले चरण में 135 किलो वेस्ट प्रति घंटा, दूसरे में 180 किलो और तीसरे चरण में 270 किलो कचरा प्रति घंटा नष्ट किया जाएगा। पीथमपुर में तीन दिन चला था हिंसक प्रदर्शन
एक जनवरी की रात को भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री परिसर से करीब 358 मीट्रिक टन जहरीला कचरा 10 कंटेनर में भरकर पीथमपुर भेजा गया था। इसे रामकी एनवायरो इंडस्ट्रीज में जलाया जाना है। जहरीले कचरे के निष्पादन के खिलाफ पीथमपुर में लगातार तीन दिन विरोध प्रदर्शन हुए थे। आत्मदाह की कोशिश में दो युवक झुलस गए थे। 4 जनवरी को तारपुरा गांव से लगी रामकी एनवायरो इंडस्ट्रीज की फैक्ट्री पर पथराव किया गया। इसमें कुछ वाहनों के कांच टूट गए। इसके बाद पुलिस ने लोगों को फैक्ट्री के पास से खदेड़ा था। प्रदर्शन के सिलसिले में पुलिस ने तीन मुकदमे दर्ज किए हैं। भोपाल गैस त्रासदी या गैस कांड क्या था? भोपाल में अमेरिका की यूनियन कार्बाइड कॉरपोरेशन ने 1969 में यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड का प्लांट शुरू किया था। इस फैक्ट्री में मिथाइल आइसोसाइनेट (MIC) और अल्फा नेफ्थॉल के फॉर्मूलेशन से सेविन ब्रांड का कीटनाशक बनाया जाता था। MIC इतना खतरनाक था कि अमेरिका इसे एक-एक लीटर की स्टील की बोतलों में दूसरे देशों को सप्लाई करता था लेकिन नियमों को ताक पर रखकर भारत में इसे स्टील के कंटेनरों में अमेरिका से मंगाया जाता था। 1978 में भोपाल के फैक्ट्री परिसर में अल्फा नेफ्थॉल और 1979 में MIC बनाने की यूनिट लगाई गई थी। एमआईसी का स्टोरेज टैंक 610 अपनी क्षमता से अधिक भरा हुआ था। 2 दिसंबर की रात 8.30 बजे ठोस अपशिष्ट से भरे पाइपों को पानी से साफ किया जा रहा था। यह पानी लीक वाल्वों के कारण एमआईसी टैंक में घुसने से टेंक में ‘रन अवे रिएक्शन’ शुरू हो गया, जिस कारण टैंक 610 फट गया और उसमें मौजूद एमआईसी गैस हवा में लीक हो गई। रातभर में ही गैस के रिसाव से 3828 लोग मारे गए। 2003 तक 15,000 से ज्यादा मौत होने के दावे किए गए। 30,000 से अधिक लोग हादसे से प्रभावित हुए थे। यह आंकड़ा अब 5.5 लाख हो गया है। यूनियन कार्बाइड का जहरीला कचरा क्या है? गैस के रिसाव के बाद फैक्ट्री में प्रोडक्शन बंद कर दिया गया। इस समय फैक्ट्री में सेविन बनाने के लिए अल्फा नेफ्थॉल और सेमी प्रोसेस्ड कीटनाशक रखे थे। एमआईसी का ठोस अपशिष्ट भी था। कैमिकल के रिसाव से परिसर की सैकड़ों टन मिट्टी संक्रमित हो गई। दावा- 347 टन के अलावा भी 1 लाख टन से ज्यादा कचरा साल 2005 में फैक्ट्री परिसर में फैले 95 टन सेविन और अल्फा नेफ्थॉल, 56.4 टन सेमी प्रोसेस्ड कीटनाशक, रिएक्टर का अवशेष और साथ ही 165 टन संक्रमित मिट्टी सहित 347 मीट्रिक टन कचरे को स्टील के ड्रम और प्लास्टिक के बोरों में भरकर आरसीसी की फर्श वाले गोदामों में रख दिया गया था। यही खतरनाक केमिकल भोपाल गैस त्रासदी का कचरा है। दावा किया जाता है कि इस 347 टन के अलावा भी 1 लाख टन से ज्यादा संक्रमित मिट्टी और केमिकल तालाब और फैक्ट्री में मौजूद है। कचरे के निपटान की प्रक्रिया कितनी सुरक्षित? 358 मीट्रिक टन कचरे को पीथमपुर के रामकी एनवायरो के इंसीनरेटर में 1200 डिग्री तापमान पर जलाया जाएगा। कचरे में 60 प्रतिशत मिट्टी होने का दावा किया गया है। यह संक्रमित मिट्टी है। इस कचरे को जलाने के लिए चूना, एक्टिवेटेड कार्बन और सल्फर का इस्तेमाल किया जाएगा। कचरा जलाने के लिए करीब 505 मीट्रिक टन चूना, 252.75 टन एक्टिवेटेड कार्बन के साथ 2250 किग्रा सल्फर पाउडर की आवश्यकता होगी। इंसीनेटर में ग्रिप गैस उपचार प्रणाली यानी स्प्रे ड्रायर (बुझाने वाला), धूल को इकट्ठा करने वाला यंत्र, ड्राई पाउडर केमिकल ऑब्जर्वर सिस्टम, फिल्टर बैग हाउस, धुंध एलिमिनेटर और एलईडी पंखे के साथ अमोनिया, क्लोरीन या सल्फर जैसे कैमिकल को गैस में से हटाने के लिए क्षार स्क्रबर और उसके बाद 35 मीटर की चिमनी लगाई गई है। मर्करी और भारी धातुओं को अवशोषित करने के लिए कचरे और चूने के साथ सल्फर पाउडर डाला जाएगा। इससे वातावरण में न तो धुआं जाएगा और न ही पानी। कचरा बर्न होने के बाद उससे 4 गुना ज्यादा राख बचेगी। कचरे के निपटान से जुड़ी ये खबरें भी पढ़ें… रामकी ग्रुप के चेयरमैन बोले-यूका के कचरे से डर नहीं रामकी ग्रुप के चेयरमैन अल्ला अयोध्या रामी रेड्डी का कहना है कि पब्लिक की सोच और डर बिल्कुल गलत नहीं है। लेकिन उन्हें डरने की जरूरत नहीं है, क्योंकि हमारे लोग तो 40 दिन से उसी साइट पर हैं। वहीं सोते हैं। जो प्लानिंग और एसओपी है, उसी के ग्लोबल स्टैंडर्ड के तहत कचरे को डिस्पोज किया जाएगा। पढ़ें पूरी खबर… यूका कचरा जलाने के ट्रायल रन को हाईकोर्ट की मंजूरी मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे के निपटान के ट्रायल रन की मंजूरी दे दी है। इसके तहत 30 मीट्रिक टन कचरा जलाने के लिए तीन ट्रायल रन किए जाएंगे। पहले चरण में 135 किलो वेस्ट प्रति घंटा, दूसरे में 180 किलो और तीसरे चरण में 270 किलो कचरा प्रति घंटा नष्ट किया जाएगा। पढ़ें पूरी खबर…
भोपाल की यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री के रासायनिक कचरे को पीथमपुर में जलाने से रोकने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट में आज (27 फरवरी) इस मामले की सुनवाई हुई। कोर्ट ने कहा की याचिकाकर्ताओं के सभी पक्षों को हाईकोर्ट ने सुन लिया है। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट इस मामले में कोई सुनवाई नहीं करेगा। कोर्ट के इस रुख के बाद पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड के रासायनिक कचरे के निष्पादन का ट्रायल आज से शुरू होगा। सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की टीम रामकी एनवायरो कंपनी में मौजूद है। फैक्ट्री में कचरा जलाने का दूसरा ट्रायल 4 मार्च और तीसरा 12 मार्च से शुरू होगा। इधर, कचरा जलाने के ट्रायल को लेकर प्रशासन सतर्क है। 3 जनवरी को हुए विरोध को देखते हुए प्रशासन कोई कोताही नहीं बरतना चाहता है। लिहाजा, इंदौर देहात और धार जिले के 24 थानों से 500 से ज्यादा पुलिसकर्मी पीथमपुर में रामकी एनवायरो फैक्ट्री के पास तैनात किए गए हैं। 3 तस्वीरों में देखिए पुलिस की तैयारी- डबल बेंच ने पहले नंबर इस केस की सुनवाई की
गैस राहत विभाग के डायरेक्टर स्वतंत्र कुमार सिंह ने भास्कर को बताया कि यूका के रासायनिक कचरे को लेकर सुप्रीम कोर्ट में पिटिशन लगी थी। जस्टिस गवई और जस्टिस मसीह की डबल बेंच ने पहले नंबर इस केस की सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए इस मामले को डिस्पोज ऑफ किया कि मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में पहले ही यह मामला विचाराधीन है। उसमें एक्सपर्ट्स और कमेटी के इन्वॉल्वमेंट के होने के बाद इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि इसके डिस्पोजल का आज 27 तारीख को ट्रायल रन होने वाला है। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह की डबल बेंच के सामने सीनियर एडवोकेट देवदत्त कामत ने बताया कि हाईकोर्ट ने कचरा निपटान के पूरे मुद्दे पर विचार करने के लिए 15 तकनीकी सदस्यों वाली एक टास्क फोर्स समिति गठित की है। 2013 और 2015 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद दो परीक्षण किए गए जो सफल रहे। भोपाल गैस कांड पीड़ितों के लिए काम करने वाले एक संगठन की ओर से पेश हुए एक अन्य वकील ने कहा कि विचाराधीन प्लांट में जहरीली गैसों को ध्यान में नहीं रखा गया है। संगठन के पास बेहतर वैकल्पिक उपाय है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें एमपी हाईकोर्ट और मध्य प्रदेश सरकार के सामने रखने की भी स्वतंत्रता दी। HC मामले में बेहतर ढंग से निपट रहा: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट द्वारा गठित टास्क फोर्स समिति में NEERI (राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान) NGRI और CPCB जैसे उच्च स्तरीय तकनीकी विशेषज्ञ निकाय शामिल थे। इनकी रिपोर्ट के आधार पर हाईकोर्ट इस मामले से बेहतर ढंग से निपट रहा है। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा कचरा निपटान से निपटने के सुस्त तरीके को गंभीरता से लिया। हाईकोर्ट मामले की निगरानी कर रहा है। इसलिए हमें इस विवादित आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं दिखता। सुप्रीम कोर्ट ने 2 ट्रायल रन का भी संज्ञान लिया
सुप्रीम कोर्ट ने 2013 और 2015 में हुए दो ट्रायल रन का भी संज्ञान लिया। CPCB के टेस्ट रिपोर्ट्स का अवलोकन भी किया। उसके आधार पर डबल बेंच ने पिटिशन को डिस्पोज किया। अगर याचिकाकर्ता को किसी तरीके से कोई भी तथ्य या आपत्ति रखना है तो एमपी हाईकोर्ट में दे सकते हैं। याचिकाकर्ता बोले- विधि विशेषज्ञों की राय लेंगे
सुप्रीम कोर्ट में पीथमपुर में कचरा जलाने से रोक लगाने की याचिका दायर करने वाले चिन्मय मिश्रा ने दैनिक भास्कर से कहा- हमें और उस क्षेत्र के लोगों के मन में जो शंकाएं और डर है, उसी को लेकर हम हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गए थे। 30 मीट्रिक टन कचरा जलाने के लिए 3 ट्रायल रन
दरअसल, मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे के निपटान के ट्रायल रन की मंजूरी दी है। इसके तहत 30 मीट्रिक टन कचरा जलाने के लिए तीन ट्रायल रन किए जाएंगे। पहले चरण में 135 किलो वेस्ट प्रति घंटा, दूसरे में 180 किलो और तीसरे चरण में 270 किलो कचरा प्रति घंटा नष्ट किया जाएगा। पीथमपुर में तीन दिन चला था हिंसक प्रदर्शन
एक जनवरी की रात को भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री परिसर से करीब 358 मीट्रिक टन जहरीला कचरा 10 कंटेनर में भरकर पीथमपुर भेजा गया था। इसे रामकी एनवायरो इंडस्ट्रीज में जलाया जाना है। जहरीले कचरे के निष्पादन के खिलाफ पीथमपुर में लगातार तीन दिन विरोध प्रदर्शन हुए थे। आत्मदाह की कोशिश में दो युवक झुलस गए थे। 4 जनवरी को तारपुरा गांव से लगी रामकी एनवायरो इंडस्ट्रीज की फैक्ट्री पर पथराव किया गया। इसमें कुछ वाहनों के कांच टूट गए। इसके बाद पुलिस ने लोगों को फैक्ट्री के पास से खदेड़ा था। प्रदर्शन के सिलसिले में पुलिस ने तीन मुकदमे दर्ज किए हैं। भोपाल गैस त्रासदी या गैस कांड क्या था? भोपाल में अमेरिका की यूनियन कार्बाइड कॉरपोरेशन ने 1969 में यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड का प्लांट शुरू किया था। इस फैक्ट्री में मिथाइल आइसोसाइनेट (MIC) और अल्फा नेफ्थॉल के फॉर्मूलेशन से सेविन ब्रांड का कीटनाशक बनाया जाता था। MIC इतना खतरनाक था कि अमेरिका इसे एक-एक लीटर की स्टील की बोतलों में दूसरे देशों को सप्लाई करता था लेकिन नियमों को ताक पर रखकर भारत में इसे स्टील के कंटेनरों में अमेरिका से मंगाया जाता था। 1978 में भोपाल के फैक्ट्री परिसर में अल्फा नेफ्थॉल और 1979 में MIC बनाने की यूनिट लगाई गई थी। एमआईसी का स्टोरेज टैंक 610 अपनी क्षमता से अधिक भरा हुआ था। 2 दिसंबर की रात 8.30 बजे ठोस अपशिष्ट से भरे पाइपों को पानी से साफ किया जा रहा था। यह पानी लीक वाल्वों के कारण एमआईसी टैंक में घुसने से टेंक में ‘रन अवे रिएक्शन’ शुरू हो गया, जिस कारण टैंक 610 फट गया और उसमें मौजूद एमआईसी गैस हवा में लीक हो गई। रातभर में ही गैस के रिसाव से 3828 लोग मारे गए। 2003 तक 15,000 से ज्यादा मौत होने के दावे किए गए। 30,000 से अधिक लोग हादसे से प्रभावित हुए थे। यह आंकड़ा अब 5.5 लाख हो गया है। यूनियन कार्बाइड का जहरीला कचरा क्या है? गैस के रिसाव के बाद फैक्ट्री में प्रोडक्शन बंद कर दिया गया। इस समय फैक्ट्री में सेविन बनाने के लिए अल्फा नेफ्थॉल और सेमी प्रोसेस्ड कीटनाशक रखे थे। एमआईसी का ठोस अपशिष्ट भी था। कैमिकल के रिसाव से परिसर की सैकड़ों टन मिट्टी संक्रमित हो गई। दावा- 347 टन के अलावा भी 1 लाख टन से ज्यादा कचरा साल 2005 में फैक्ट्री परिसर में फैले 95 टन सेविन और अल्फा नेफ्थॉल, 56.4 टन सेमी प्रोसेस्ड कीटनाशक, रिएक्टर का अवशेष और साथ ही 165 टन संक्रमित मिट्टी सहित 347 मीट्रिक टन कचरे को स्टील के ड्रम और प्लास्टिक के बोरों में भरकर आरसीसी की फर्श वाले गोदामों में रख दिया गया था। यही खतरनाक केमिकल भोपाल गैस त्रासदी का कचरा है। दावा किया जाता है कि इस 347 टन के अलावा भी 1 लाख टन से ज्यादा संक्रमित मिट्टी और केमिकल तालाब और फैक्ट्री में मौजूद है। कचरे के निपटान की प्रक्रिया कितनी सुरक्षित? 358 मीट्रिक टन कचरे को पीथमपुर के रामकी एनवायरो के इंसीनरेटर में 1200 डिग्री तापमान पर जलाया जाएगा। कचरे में 60 प्रतिशत मिट्टी होने का दावा किया गया है। यह संक्रमित मिट्टी है। इस कचरे को जलाने के लिए चूना, एक्टिवेटेड कार्बन और सल्फर का इस्तेमाल किया जाएगा। कचरा जलाने के लिए करीब 505 मीट्रिक टन चूना, 252.75 टन एक्टिवेटेड कार्बन के साथ 2250 किग्रा सल्फर पाउडर की आवश्यकता होगी। इंसीनेटर में ग्रिप गैस उपचार प्रणाली यानी स्प्रे ड्रायर (बुझाने वाला), धूल को इकट्ठा करने वाला यंत्र, ड्राई पाउडर केमिकल ऑब्जर्वर सिस्टम, फिल्टर बैग हाउस, धुंध एलिमिनेटर और एलईडी पंखे के साथ अमोनिया, क्लोरीन या सल्फर जैसे कैमिकल को गैस में से हटाने के लिए क्षार स्क्रबर और उसके बाद 35 मीटर की चिमनी लगाई गई है। मर्करी और भारी धातुओं को अवशोषित करने के लिए कचरे और चूने के साथ सल्फर पाउडर डाला जाएगा। इससे वातावरण में न तो धुआं जाएगा और न ही पानी। कचरा बर्न होने के बाद उससे 4 गुना ज्यादा राख बचेगी। कचरे के निपटान से जुड़ी ये खबरें भी पढ़ें… रामकी ग्रुप के चेयरमैन बोले-यूका के कचरे से डर नहीं रामकी ग्रुप के चेयरमैन अल्ला अयोध्या रामी रेड्डी का कहना है कि पब्लिक की सोच और डर बिल्कुल गलत नहीं है। लेकिन उन्हें डरने की जरूरत नहीं है, क्योंकि हमारे लोग तो 40 दिन से उसी साइट पर हैं। वहीं सोते हैं। जो प्लानिंग और एसओपी है, उसी के ग्लोबल स्टैंडर्ड के तहत कचरे को डिस्पोज किया जाएगा। पढ़ें पूरी खबर… यूका कचरा जलाने के ट्रायल रन को हाईकोर्ट की मंजूरी मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे के निपटान के ट्रायल रन की मंजूरी दे दी है। इसके तहत 30 मीट्रिक टन कचरा जलाने के लिए तीन ट्रायल रन किए जाएंगे। पहले चरण में 135 किलो वेस्ट प्रति घंटा, दूसरे में 180 किलो और तीसरे चरण में 270 किलो कचरा प्रति घंटा नष्ट किया जाएगा। पढ़ें पूरी खबर…