दिल्ली ब्लास्ट के आतंकी मॉड्यूल का सेंटर पॉइंट बनी फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी की मुसीबत खत्म होने नाम नही ले रही है। अब हरियाणा सरकार शिकंजा कसने की तैयारी कर रही है। विधानसभा में शिक्षा मंत्री द्वारा पेश किया हरियाणा निजी विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक (Haryana Private Universities Amendment Bill) 2025 पास हो चुका है। इस बिल के पास होने से सरकार यूनिवर्सिटी पर कार्रवाई कर सकती है। दिल्ली के लाल किला ब्लास्ट का सुसाइड बॉम्बर डॉक्टर उमर नबी इसी अल-फलाह यूनिवर्सिटी में काम करता था। आतंक के इस नेटवर्क में यूनिवर्सिटी के दूसरे डॉ. मुजम्मिल शकील, डॉ शाहीन सईद जांच एजेंसी एनआईए की गिरफ्त में है। आयोग ने दिया था यूनिवर्सिटी को नोटिस वहीं दूसरी तरफ राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान आयोग की तरफ से माइनॉरिटी कोटा को लेकर सुनवाई की तारीख आगामी 28 जनवरी तय कर दी है। इससे पहले NCMEI के दिल्ली मुख्यालय में 4 दिसंबर को अल-फलाह यूनिवर्सिटी का माइनॉरिटी कोटा को लेकर सुनवाई हुई थी। ये सुनवाई आयोग द्वारा 24 नवंबर को यूनिवर्सिटी को जारी किए उस नोटिस को लेकर हुई थी। जिसमें पूछा गया था कि जब उसके डॉक्टरों की दिल्ली में 10 नवंबर को हुए विस्फोट में भूमिका को लेकर जांच चल रही है, जिसमें 15 लोग मारे गए थे, तो ऐसे में उसका अल्पसंख्यक दर्जा क्यों न रद्द कर दिया जाए। आयोग में 28 जनवरी को सुनवाई 4 दिसंबर को अल-फलाह यूनिवर्सिटी के माइनॉरिटी कोटा को लेकर हुई सुनवाई में यूनिवर्सिटी की तरफ से वकील मोहम्मद आरिफ मौजूद हुए थे। आयोग ने उनको यूनिवर्सिटी की तरफ से जबाव दाखिल करने को कहा, आयोग ने इस दौरान यूनिवर्सिटी संचालित करने वाले ट्रस्ट, उसके कर्मचारियों और प्रशासकों की नियुक्ति प्रक्रिया के साक्ष्य सहित अन्य जरूरी दस्तावेज जमा कराने के आदेश दिए। इसके अलावा आयोग ने नोटिस में ट्रस्ट डीड के मूल दस्तावेज, प्रवेश और स्टाफ भर्ती संबंधी आंकड़े, यूनिवर्सिटी के अंदर प्रशासकों की हुई बैठकों के विवरण और तीन वर्षों के दौरान बैंक खातों से हुए लेन देन की जानकारी भी मांगी थी । वकील मोहम्मद आरिफ की तरफ से सभी रिकार्ड जमा कराने को लेकर वक्त मांगा गया है। शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव नही पहुंचे NCMEI में 4 दिसंबर को हुई सुनवाई में हरियाणा विभाग के प्रमुख सचिव नही पहुंचे थे। जिसको लेकर आयोग ने अगली सुनवाई की डेट तक या इससे पहले जबाव दाखिल करने के लिए नोटिस जारी किया है। आयोग ने इस मामले में अगली सुनवाई को लेकर 28 जनवरी 2026 का समय दिया है। शिकंजा कसने की तैयारी में सरकार हरियाणा विधानसभा में शुक्रवार को उच्च शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा द्वारा पेश किया गया (Haryana Private Universities (Amendment) Bill पास हो चुका है। इसके पास होने के बाद सरकार का अल-फलाह यूनिवर्सिटी पर कार्रवाई करने का रास्ता साफ हो गया है। बिल में सरकार ने की बदलाव किए है, जिसके बाद सरकार कुछ विशेष परिस्थितियों में इन विशेष शक्तियों का प्रयोग करेगी। बिल में किए गए बदलावों का प्रभाव यूनिवर्सिटी पर सीधे तौर पर पड़ेगा। बिल में सरकार के पास शक्तियां बिल में कहा गया है कि अगर किसी भी यूनिवर्सिटी में नेशनल सिक्योरिटी, देश की अखंडता तथा सार्वजनिक सुरक्षा से जुड़े मामलों में चूक होती है, तो सरकार किसी भी यूनिवर्सिटी के खिलाफ कार्रवाई कर सकती है। ऐसे किसी भी हालात के दौरान सरकार यूनिवर्सिटी के प्रशासन को भंग करके सरकार अपने प्रशासन को नियुक्त कर सकती है। इस दौरान सरकार उसका कामकाज पूरी तरह से अपने हाथ में ले सकती है। कमेटी का गठन कर सकती है सरकार पिछले बिल में इस तरह का कोई प्रावधान नही था, इसलिए सुरक्षा को लेकर ये नए प्रावधान किए गए है। राज्य सरकार को लगता है कि अगर किसी यूनिवर्सिटी की तरफ से कानून का उल्लंघन किया गया है, तो सरकार एक जांच अधिकारी या पांच से अधिक व्यक्तियों की एक कमेटी नियुक्त कर सकती है। कमेटी को 30 दिनों के भीतर सरकार को रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी। नोटिस जारी कर सकती है सरकार इस बिल के पास होने के बाद सरकार 7 दिन का कारण बताओं नोटिस जारी कर सकती है। कारण बताओ नोटिस के जवाब पर विचार करने के बाद, यदि सरकार संतुष्ट नहीं होती है, तो वह तीन साल की अवधि के लिए एक प्रशासक नियुक्त कर सकती है। इस बिल के तहत गलती करने वाले शिक्षण संस्थान पर 10 लाख रूपए का जुर्माना भी किया जा सकता है। नए प्रावधान में सरकार उच्च शिक्षा विभाग को शिक्षण, परीक्षा और अनुसंधान के मानकों का पता लगाने के लिए यूनिवर्सिटी का वार्षिक शैक्षणिक और प्रशासनिक लेखा परीक्षा करने का अधिकार दिया गया है। कई विभागों से मिलती है परमिशन Haryana Private Universities (Amendment) Bill को लेकर वक्फ के मामलों के वकील रईस ने बताया कि सरकार जमीन की खरीद-बेच, हायर एजुकेशन सहित राज्य सरकार के जिन विभागों के परमिशन मिलती है, उन पर सरकार कार्रवाई कर सकती है। माइनॉरिटी के शिक्षण संस्थानों में कई सारे विभाग ऐसे होते है, जिसमें राज्य सरकार से परमिशन ली जाती है, इसलिए सरकार कुछ मामलों में कार्रवाई कर सकती है।
दिल्ली ब्लास्ट के आतंकी मॉड्यूल का सेंटर पॉइंट बनी फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी की मुसीबत खत्म होने नाम नही ले रही है। अब हरियाणा सरकार शिकंजा कसने की तैयारी कर रही है। विधानसभा में शिक्षा मंत्री द्वारा पेश किया हरियाणा निजी विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक (Haryana Private Universities Amendment Bill) 2025 पास हो चुका है। इस बिल के पास होने से सरकार यूनिवर्सिटी पर कार्रवाई कर सकती है। दिल्ली के लाल किला ब्लास्ट का सुसाइड बॉम्बर डॉक्टर उमर नबी इसी अल-फलाह यूनिवर्सिटी में काम करता था। आतंक के इस नेटवर्क में यूनिवर्सिटी के दूसरे डॉ. मुजम्मिल शकील, डॉ शाहीन सईद जांच एजेंसी एनआईए की गिरफ्त में है। आयोग ने दिया था यूनिवर्सिटी को नोटिस वहीं दूसरी तरफ राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान आयोग की तरफ से माइनॉरिटी कोटा को लेकर सुनवाई की तारीख आगामी 28 जनवरी तय कर दी है। इससे पहले NCMEI के दिल्ली मुख्यालय में 4 दिसंबर को अल-फलाह यूनिवर्सिटी का माइनॉरिटी कोटा को लेकर सुनवाई हुई थी। ये सुनवाई आयोग द्वारा 24 नवंबर को यूनिवर्सिटी को जारी किए उस नोटिस को लेकर हुई थी। जिसमें पूछा गया था कि जब उसके डॉक्टरों की दिल्ली में 10 नवंबर को हुए विस्फोट में भूमिका को लेकर जांच चल रही है, जिसमें 15 लोग मारे गए थे, तो ऐसे में उसका अल्पसंख्यक दर्जा क्यों न रद्द कर दिया जाए। आयोग में 28 जनवरी को सुनवाई 4 दिसंबर को अल-फलाह यूनिवर्सिटी के माइनॉरिटी कोटा को लेकर हुई सुनवाई में यूनिवर्सिटी की तरफ से वकील मोहम्मद आरिफ मौजूद हुए थे। आयोग ने उनको यूनिवर्सिटी की तरफ से जबाव दाखिल करने को कहा, आयोग ने इस दौरान यूनिवर्सिटी संचालित करने वाले ट्रस्ट, उसके कर्मचारियों और प्रशासकों की नियुक्ति प्रक्रिया के साक्ष्य सहित अन्य जरूरी दस्तावेज जमा कराने के आदेश दिए। इसके अलावा आयोग ने नोटिस में ट्रस्ट डीड के मूल दस्तावेज, प्रवेश और स्टाफ भर्ती संबंधी आंकड़े, यूनिवर्सिटी के अंदर प्रशासकों की हुई बैठकों के विवरण और तीन वर्षों के दौरान बैंक खातों से हुए लेन देन की जानकारी भी मांगी थी । वकील मोहम्मद आरिफ की तरफ से सभी रिकार्ड जमा कराने को लेकर वक्त मांगा गया है। शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव नही पहुंचे NCMEI में 4 दिसंबर को हुई सुनवाई में हरियाणा विभाग के प्रमुख सचिव नही पहुंचे थे। जिसको लेकर आयोग ने अगली सुनवाई की डेट तक या इससे पहले जबाव दाखिल करने के लिए नोटिस जारी किया है। आयोग ने इस मामले में अगली सुनवाई को लेकर 28 जनवरी 2026 का समय दिया है। शिकंजा कसने की तैयारी में सरकार हरियाणा विधानसभा में शुक्रवार को उच्च शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा द्वारा पेश किया गया (Haryana Private Universities (Amendment) Bill पास हो चुका है। इसके पास होने के बाद सरकार का अल-फलाह यूनिवर्सिटी पर कार्रवाई करने का रास्ता साफ हो गया है। बिल में सरकार ने की बदलाव किए है, जिसके बाद सरकार कुछ विशेष परिस्थितियों में इन विशेष शक्तियों का प्रयोग करेगी। बिल में किए गए बदलावों का प्रभाव यूनिवर्सिटी पर सीधे तौर पर पड़ेगा। बिल में सरकार के पास शक्तियां बिल में कहा गया है कि अगर किसी भी यूनिवर्सिटी में नेशनल सिक्योरिटी, देश की अखंडता तथा सार्वजनिक सुरक्षा से जुड़े मामलों में चूक होती है, तो सरकार किसी भी यूनिवर्सिटी के खिलाफ कार्रवाई कर सकती है। ऐसे किसी भी हालात के दौरान सरकार यूनिवर्सिटी के प्रशासन को भंग करके सरकार अपने प्रशासन को नियुक्त कर सकती है। इस दौरान सरकार उसका कामकाज पूरी तरह से अपने हाथ में ले सकती है। कमेटी का गठन कर सकती है सरकार पिछले बिल में इस तरह का कोई प्रावधान नही था, इसलिए सुरक्षा को लेकर ये नए प्रावधान किए गए है। राज्य सरकार को लगता है कि अगर किसी यूनिवर्सिटी की तरफ से कानून का उल्लंघन किया गया है, तो सरकार एक जांच अधिकारी या पांच से अधिक व्यक्तियों की एक कमेटी नियुक्त कर सकती है। कमेटी को 30 दिनों के भीतर सरकार को रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी। नोटिस जारी कर सकती है सरकार इस बिल के पास होने के बाद सरकार 7 दिन का कारण बताओं नोटिस जारी कर सकती है। कारण बताओ नोटिस के जवाब पर विचार करने के बाद, यदि सरकार संतुष्ट नहीं होती है, तो वह तीन साल की अवधि के लिए एक प्रशासक नियुक्त कर सकती है। इस बिल के तहत गलती करने वाले शिक्षण संस्थान पर 10 लाख रूपए का जुर्माना भी किया जा सकता है। नए प्रावधान में सरकार उच्च शिक्षा विभाग को शिक्षण, परीक्षा और अनुसंधान के मानकों का पता लगाने के लिए यूनिवर्सिटी का वार्षिक शैक्षणिक और प्रशासनिक लेखा परीक्षा करने का अधिकार दिया गया है। कई विभागों से मिलती है परमिशन Haryana Private Universities (Amendment) Bill को लेकर वक्फ के मामलों के वकील रईस ने बताया कि सरकार जमीन की खरीद-बेच, हायर एजुकेशन सहित राज्य सरकार के जिन विभागों के परमिशन मिलती है, उन पर सरकार कार्रवाई कर सकती है। माइनॉरिटी के शिक्षण संस्थानों में कई सारे विभाग ऐसे होते है, जिसमें राज्य सरकार से परमिशन ली जाती है, इसलिए सरकार कुछ मामलों में कार्रवाई कर सकती है।