लोकसभा में शुक्रवार को कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने तीन प्राइवेट मेंबर बिल पेश किए। एक बिल में मैरिटल रेप को अपराध घोषित करने की मांग की गई है। वहीं दो अन्य बिल राज्यों के पुनर्गठन, कामकाजी लोगों के काम के घंटे और मानसिक सेहत से जुड़ा है। थरूर ने मैरिटल रेप को लेकर कहा कि “शादी किसी भी तरह हिंसा का लाइसेंस नहीं है। पत्नी की सहमति हर स्थिति में जरूरी है।” वहीं, राज्यसभा में बीजेपी सांसद भीम सिंह ने संविधान की प्रस्तावना से धर्मनिरपेक्ष और समाजवादी शब्द हटाने का बिल पेश किया। उन्होंने कहा कि ये शब्द संविधान में आपातकाल के समय बिना चर्चा के जोड़े गए। जबरन सेक्स हिंसा है, चाहे रिश्ता पति-पत्नी का ही क्यों न हो। थरूर ने भारतीय न्याय संहिता (BNS) की उस धारा को हटाने की मांग की है, जिसमें यह अपवाद है कि यदि पत्नी 18 साल से ऊपर है तो पति का बिना सहमति सेक्स करना अपराध नहीं माना जाएगा। थरूर ने इसे “पुरानी और पितृ सत्तात्मक सोच” बताते हुए कहा कि यह कानून शादीशुदा महिलाओं के अधिकारों को कमजोर करता है। शशि थरूर ने X पर लिखा “नहीं का मतलब नहीं ही होता है। शादी किसी महिला की आजादी या उसकी नहीं सुरक्षा छीन सकती। जबरन यौन संबंध हिंसा है, चाहे रिश्ता कोई भी हो।” सहमति किसी महिला के कपड़ों, उसके पेशे, जाति, या पिछली किसी भी बात के आधार पर मान लेना न सिर्फ गलत है, बल्कि उसके बुनियादी अधिकारों का उल्लंघन भी है। राज्यों के पुनर्गठन पर आयोग बने थरूर ने दूसरा बिल राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के गठन और पुनर्गठन के लिए स्थायी आयोग बनाने को लेकर पेश किया। उन्होंने कहा कि भारत जैसे बड़े और विविध देश में नए राज्यों की मांगें और सीमाओं के विवाद समय-समय पर उठते रहते हैं। इसलिए फैसले किसी राजनीतिक दबाव से नहीं, बल्कि डेटा, जनसंख्या, प्रशासनिक क्षमता, सांस्कृतिक पहचान और स्थानीय लोगों की इच्छा जैसे मानकों के आधार पर होने चाहिए। यह आयोग इन पहलुओं पर अध्ययन करके सरकार को सुझाव देगा ताकि भविष्य में ऐसे फैसले ज्यादा पारदर्शी और टिकाऊ हो सकें। काम के घंटे तय हों थरूर का तीसरा बिल कामकाजी लोगों की बढ़ती थकान और तनाव पर केंद्रित है। उन्होंने बताया कि देश में आधे से ज्यादा कर्मचारी हफ्ते में 49 घंटे से अधिक काम करते हैं, और ज्यादातर युवा प्रोफेशनल्स मानसिक थकावट और अत्यधिक काम का दबाव का सामना कर रहे हैं। बिल में ये सुझाव दिए गए हैं- थरूर ने कहा कि इससे कर्मचारियों की सेहत बेहतर होगी और कार्यस्थल का माहौल भी स्वस्थ बनेगा। प्राइवेट मेंबर बिल क्या होता है? जब कोई सांसद, जो मंत्री नहीं है, अपनी तरफ से नया कानून प्रस्तावित करता है या किसी कानून में बदलाव की मांग रखता है, उसे प्राइवेट मेंबर बिल कहा जाता है। जबकि सरकार की ओर से लाए गए बिल को सरकारी बिल कहा जाता है। प्राइवेट मेंबर बिल कम ही पास होते हैं, लेकिन कई बार ये महत्वपूर्ण मुद्दों पर सार्वजनिक और संसदीय बहस की शुरुआत करते हैं और आगे चलकर कानूनों के निर्माण को दिशा देते हैं। बीजेपी सांसद ने राज्यसभा में संविधान प्रस्तावना से धर्मनिरपेक्ष, समाजवादी शब्द हटाने का बिल पेश किया राज्यसभा में शुक्रवार को बीजेपी सांसद भीम सिंह ने ‘संविधान संशोधन बिल 2025’ पेश किया। यह प्रस्तावना से ‘सेक्युलर’ और ‘सोशलिस्ट’ शब्द हटाने की मांग करता है। सिंह का कहना है कि ये शब्द मूल संविधान में नहीं थे और इन्हें 1976 के आपातकाल में बिना बहस जोड़ा गया। सिंह ने कहा कि आपातकाल में अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी जैसे विपक्षी नेता जेल में थे। लोकतंत्र की हत्या हो रही थी, तब इंदिरा गांधी ने 42वें संशोधन से ये शब्द डाले। उन्होंने आगे कहा कि डॉ. बीआर अंबेडकर ने संविधान सभा में कहा था कि भारत का ढांचा खुद धर्मनिरपेक्ष है, इन शब्दों की जरूरत नहीं। समाजवाद पर भी बहस हुई, अंबेडकर ने कहा कि आने वाली पीढ़ियों को आर्थिक नीति थोपना ठीक नहीं। सिंह ने आरोप लगाया कि सोशलिस्ट शब्द सोवियत संघ को खुश करने और सेक्युलर मुसलमानों को लुभाने के लिए डाला गया। ये शब्द भ्रम पैदा करते हैं। 1976 से पहले नेहरू, शास्त्री या इंदिरा की सरकार सांप्रदायिक तो नहीं थी, फिर जरूरत क्यों? बिल मौलिक अधिकारों पर असर नहीं डालेगा। शिवसेना सांसद श्रीकांत शिंदे ने डीपफेक कंटेंट पर लगाम लगाने के लिए बिल पेश किया शिवसेना सांसद श्रीकांत शिंदे ने लोकसभा में शुक्रवार को डीपफेक कंटेंट पर लगाम लगाने के लिए प्राइवेट मेंबर बिल पेश किया। यह ‘रेगुलेशन ऑफ डीपफेक बिल 2024’ लोगों की छवि इस्तेमाल करने से पहले सहमति जरूरी बनाता है। गलत इरादे से डीपफेक बनाने या फैलाने वालों के लिए सजा का प्रावधान है। शिंदे ने कहा कि AI और डीप लर्निंग से डीपफेक तकनीक तेजी से बढ़ रही है, जो परेशानी, धोखा और गलत जानकारी फैला रही है। बिल में नेशनल डीपफेक टास्क फोर्स बनाने का प्रस्ताव है, जो गोपनीयता, चुनाव और सुरक्षा पर असर की जांच करेगी। यह प्राइवेट और शैक्षणिक संस्थानों से मिलकर फर्जी कंटेंट पकड़ने की तकनीक विकसित करेगी। NCP सांसद सुप्रिया सुले का राइट टू डिस्कनेक्ट बिल, महिलाओं के लिए मासिक धर्म लाभ बिल भी लोकसभा में शुक्रवार को एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले ने ‘राइट टू डिस्कनेक्ट बिल 2025’ पेश किया। यह बिल कर्मचारियों को ऑफिस टाइम के बाद काम की कॉल, ईमेल और मैसेज से दूर रहने का अधिकार देगा। अवमानना पर कंपनियों पर कर्मचारियों की सैलरी का 1 फीसदी जुर्माना लगेगा। कांग्रेस सांसद कडियाम काव्या ने ‘मासिक धर्म लाभ बिल 2024’ पेश किया, जो महिलाओं को पीरियड्स के दौरान काम पर सुविधाएं देगा। एलजेपी सांसद शंबवी चौधरी ने भी ऐसा ही बिल पेश किया, जिसमें कामकाजी महिलाओं और छात्राओं को पेड पीरियड्स लीव की सुविधा मिलेगी। कांग्रेस सांसद मणिक्कम टैगोर ने तमिलनाडु को मेडिकल प्रवेश के लिए नीट से छूट देने वाला बिल पेश किया। डीएमके सांसद कनिमोझी करुणानिधि ने फांसी की सजा खत्म करने का बिल लाया। सांसद विशालदादा प्रकाशबापू पाटिल ने पत्रकारों को हिंसा से बचाने वाला बिल पेश किया। ———— ये खबर भी पढ़ें… केस से बचने के लिए की रेप के बाद शादी:लखनऊ में तीन साल तक करता रहा शारीरिक शोषण, चार दिन बाद दहेज मांगकर छोड़ा लखनऊ के गोमती नगर थाना क्षेत्र में युवती को शादी का झांसा देकर युवक ने दुष्कर्म किया। विरोध करने पर पीड़िता की पिटाई की और तीन साल तक धमकाकर उसका यौन शोषण करता रहा। आरोप है कि युवक ने पीड़िता से 50 हजार रुपए भी जबरन छीन लिए। पुलिस कार्रवाई के डर से आरोपित ने कोर्ट मैरिज तो कर ली। फिर चार दिन बाद दहेज में 10 लाख रुपए, कार और अंगूठी की मांग कर पीड़िता को घर से निकाल दिया। पूरी खबर पढ़ें…
लोकसभा में शुक्रवार को कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने तीन प्राइवेट मेंबर बिल पेश किए। एक बिल में मैरिटल रेप को अपराध घोषित करने की मांग की गई है। वहीं दो अन्य बिल राज्यों के पुनर्गठन, कामकाजी लोगों के काम के घंटे और मानसिक सेहत से जुड़ा है। थरूर ने मैरिटल रेप को लेकर कहा कि “शादी किसी भी तरह हिंसा का लाइसेंस नहीं है। पत्नी की सहमति हर स्थिति में जरूरी है।” वहीं, राज्यसभा में बीजेपी सांसद भीम सिंह ने संविधान की प्रस्तावना से धर्मनिरपेक्ष और समाजवादी शब्द हटाने का बिल पेश किया। उन्होंने कहा कि ये शब्द संविधान में आपातकाल के समय बिना चर्चा के जोड़े गए। जबरन सेक्स हिंसा है, चाहे रिश्ता पति-पत्नी का ही क्यों न हो। थरूर ने भारतीय न्याय संहिता (BNS) की उस धारा को हटाने की मांग की है, जिसमें यह अपवाद है कि यदि पत्नी 18 साल से ऊपर है तो पति का बिना सहमति सेक्स करना अपराध नहीं माना जाएगा। थरूर ने इसे “पुरानी और पितृ सत्तात्मक सोच” बताते हुए कहा कि यह कानून शादीशुदा महिलाओं के अधिकारों को कमजोर करता है। शशि थरूर ने X पर लिखा “नहीं का मतलब नहीं ही होता है। शादी किसी महिला की आजादी या उसकी नहीं सुरक्षा छीन सकती। जबरन यौन संबंध हिंसा है, चाहे रिश्ता कोई भी हो।” सहमति किसी महिला के कपड़ों, उसके पेशे, जाति, या पिछली किसी भी बात के आधार पर मान लेना न सिर्फ गलत है, बल्कि उसके बुनियादी अधिकारों का उल्लंघन भी है। राज्यों के पुनर्गठन पर आयोग बने थरूर ने दूसरा बिल राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के गठन और पुनर्गठन के लिए स्थायी आयोग बनाने को लेकर पेश किया। उन्होंने कहा कि भारत जैसे बड़े और विविध देश में नए राज्यों की मांगें और सीमाओं के विवाद समय-समय पर उठते रहते हैं। इसलिए फैसले किसी राजनीतिक दबाव से नहीं, बल्कि डेटा, जनसंख्या, प्रशासनिक क्षमता, सांस्कृतिक पहचान और स्थानीय लोगों की इच्छा जैसे मानकों के आधार पर होने चाहिए। यह आयोग इन पहलुओं पर अध्ययन करके सरकार को सुझाव देगा ताकि भविष्य में ऐसे फैसले ज्यादा पारदर्शी और टिकाऊ हो सकें। काम के घंटे तय हों थरूर का तीसरा बिल कामकाजी लोगों की बढ़ती थकान और तनाव पर केंद्रित है। उन्होंने बताया कि देश में आधे से ज्यादा कर्मचारी हफ्ते में 49 घंटे से अधिक काम करते हैं, और ज्यादातर युवा प्रोफेशनल्स मानसिक थकावट और अत्यधिक काम का दबाव का सामना कर रहे हैं। बिल में ये सुझाव दिए गए हैं- थरूर ने कहा कि इससे कर्मचारियों की सेहत बेहतर होगी और कार्यस्थल का माहौल भी स्वस्थ बनेगा। प्राइवेट मेंबर बिल क्या होता है? जब कोई सांसद, जो मंत्री नहीं है, अपनी तरफ से नया कानून प्रस्तावित करता है या किसी कानून में बदलाव की मांग रखता है, उसे प्राइवेट मेंबर बिल कहा जाता है। जबकि सरकार की ओर से लाए गए बिल को सरकारी बिल कहा जाता है। प्राइवेट मेंबर बिल कम ही पास होते हैं, लेकिन कई बार ये महत्वपूर्ण मुद्दों पर सार्वजनिक और संसदीय बहस की शुरुआत करते हैं और आगे चलकर कानूनों के निर्माण को दिशा देते हैं। बीजेपी सांसद ने राज्यसभा में संविधान प्रस्तावना से धर्मनिरपेक्ष, समाजवादी शब्द हटाने का बिल पेश किया राज्यसभा में शुक्रवार को बीजेपी सांसद भीम सिंह ने ‘संविधान संशोधन बिल 2025’ पेश किया। यह प्रस्तावना से ‘सेक्युलर’ और ‘सोशलिस्ट’ शब्द हटाने की मांग करता है। सिंह का कहना है कि ये शब्द मूल संविधान में नहीं थे और इन्हें 1976 के आपातकाल में बिना बहस जोड़ा गया। सिंह ने कहा कि आपातकाल में अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी जैसे विपक्षी नेता जेल में थे। लोकतंत्र की हत्या हो रही थी, तब इंदिरा गांधी ने 42वें संशोधन से ये शब्द डाले। उन्होंने आगे कहा कि डॉ. बीआर अंबेडकर ने संविधान सभा में कहा था कि भारत का ढांचा खुद धर्मनिरपेक्ष है, इन शब्दों की जरूरत नहीं। समाजवाद पर भी बहस हुई, अंबेडकर ने कहा कि आने वाली पीढ़ियों को आर्थिक नीति थोपना ठीक नहीं। सिंह ने आरोप लगाया कि सोशलिस्ट शब्द सोवियत संघ को खुश करने और सेक्युलर मुसलमानों को लुभाने के लिए डाला गया। ये शब्द भ्रम पैदा करते हैं। 1976 से पहले नेहरू, शास्त्री या इंदिरा की सरकार सांप्रदायिक तो नहीं थी, फिर जरूरत क्यों? बिल मौलिक अधिकारों पर असर नहीं डालेगा। शिवसेना सांसद श्रीकांत शिंदे ने डीपफेक कंटेंट पर लगाम लगाने के लिए बिल पेश किया शिवसेना सांसद श्रीकांत शिंदे ने लोकसभा में शुक्रवार को डीपफेक कंटेंट पर लगाम लगाने के लिए प्राइवेट मेंबर बिल पेश किया। यह ‘रेगुलेशन ऑफ डीपफेक बिल 2024’ लोगों की छवि इस्तेमाल करने से पहले सहमति जरूरी बनाता है। गलत इरादे से डीपफेक बनाने या फैलाने वालों के लिए सजा का प्रावधान है। शिंदे ने कहा कि AI और डीप लर्निंग से डीपफेक तकनीक तेजी से बढ़ रही है, जो परेशानी, धोखा और गलत जानकारी फैला रही है। बिल में नेशनल डीपफेक टास्क फोर्स बनाने का प्रस्ताव है, जो गोपनीयता, चुनाव और सुरक्षा पर असर की जांच करेगी। यह प्राइवेट और शैक्षणिक संस्थानों से मिलकर फर्जी कंटेंट पकड़ने की तकनीक विकसित करेगी। NCP सांसद सुप्रिया सुले का राइट टू डिस्कनेक्ट बिल, महिलाओं के लिए मासिक धर्म लाभ बिल भी लोकसभा में शुक्रवार को एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले ने ‘राइट टू डिस्कनेक्ट बिल 2025’ पेश किया। यह बिल कर्मचारियों को ऑफिस टाइम के बाद काम की कॉल, ईमेल और मैसेज से दूर रहने का अधिकार देगा। अवमानना पर कंपनियों पर कर्मचारियों की सैलरी का 1 फीसदी जुर्माना लगेगा। कांग्रेस सांसद कडियाम काव्या ने ‘मासिक धर्म लाभ बिल 2024’ पेश किया, जो महिलाओं को पीरियड्स के दौरान काम पर सुविधाएं देगा। एलजेपी सांसद शंबवी चौधरी ने भी ऐसा ही बिल पेश किया, जिसमें कामकाजी महिलाओं और छात्राओं को पेड पीरियड्स लीव की सुविधा मिलेगी। कांग्रेस सांसद मणिक्कम टैगोर ने तमिलनाडु को मेडिकल प्रवेश के लिए नीट से छूट देने वाला बिल पेश किया। डीएमके सांसद कनिमोझी करुणानिधि ने फांसी की सजा खत्म करने का बिल लाया। सांसद विशालदादा प्रकाशबापू पाटिल ने पत्रकारों को हिंसा से बचाने वाला बिल पेश किया। ———— ये खबर भी पढ़ें… केस से बचने के लिए की रेप के बाद शादी:लखनऊ में तीन साल तक करता रहा शारीरिक शोषण, चार दिन बाद दहेज मांगकर छोड़ा लखनऊ के गोमती नगर थाना क्षेत्र में युवती को शादी का झांसा देकर युवक ने दुष्कर्म किया। विरोध करने पर पीड़िता की पिटाई की और तीन साल तक धमकाकर उसका यौन शोषण करता रहा। आरोप है कि युवक ने पीड़िता से 50 हजार रुपए भी जबरन छीन लिए। पुलिस कार्रवाई के डर से आरोपित ने कोर्ट मैरिज तो कर ली। फिर चार दिन बाद दहेज में 10 लाख रुपए, कार और अंगूठी की मांग कर पीड़िता को घर से निकाल दिया। पूरी खबर पढ़ें…