प. बंगाल की राजधानी कोलकाता स्थित सीएसआईआर (सेंट्रल ग्लास एंड सिरेमिक रिसर्च इंस्टीट्यूट) के वैज्ञानिक देश का पहला बुलेट प्रूफ ग्लास सिरेमिक पैनल बना रहे हैं। इसे एके-47 राइफल की गोली भी नहीं भेद पाएगी। देश में इस तकनीक को विकसित करने वाले स्पेशियलिटी ग्लास डिवीजन के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ अतियार रहमान बताते हैं- हम 2-3 साल से इस टेक्नोलॉजी पर काम कर रहे हैं। वे बताते हैं- ग्लास सिरेमिक पैनल ने चंडीगढ़ डीआरडीओ के टर्मिनल बैलिस्टिक्स रिसर्च लैबोरेटरी में 10 मीटर की दूरी से एके-47 के सिंगल शॉट गोली का टेस्ट पास कर लिया है। अभी हमें मल्टीपल गोलियों से टेस्ट करना है। हमने इसके पेटेंट के लिए भी आवेदन कर दिया है। इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर विक्रमजीत बसु बताते हैं- इसका इस्तेमाल डिफेन्स से लेकर अंतरिक्ष अभियानों में किया जा सकेगा। खास बात यह है कि ग्लास सिरेमिक दुनिया में सिर्फ हम ही बनाते हैं। इसलिए दूसरे देशों को इसे निर्यात किया जा सकता है। फायदे… कम ईंधन में गाड़ियों की गति बढ़ेगी डॉ अतियार बताते हैं, विंडो ग्लास से हम ऐसा मैटेरियल बना रहे हैं, जिससे ग्लास में नैनो क्रिस्टल (10-15 एमएम) जनरेट हो रहा है। साधारण ग्लास की हार्डनेस 5 जीपीए होती है। इसकी 10 जीपीए होगी। इससे गाड़ियों का वजन नहीं बढ़ेगा, जिससे गति बढ़ेगी। ईंधन की खपत घटेगी। कीमत भी बराबर ही होगी।
प. बंगाल की राजधानी कोलकाता स्थित सीएसआईआर (सेंट्रल ग्लास एंड सिरेमिक रिसर्च इंस्टीट्यूट) के वैज्ञानिक देश का पहला बुलेट प्रूफ ग्लास सिरेमिक पैनल बना रहे हैं। इसे एके-47 राइफल की गोली भी नहीं भेद पाएगी। देश में इस तकनीक को विकसित करने वाले स्पेशियलिटी ग्लास डिवीजन के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ अतियार रहमान बताते हैं- हम 2-3 साल से इस टेक्नोलॉजी पर काम कर रहे हैं। वे बताते हैं- ग्लास सिरेमिक पैनल ने चंडीगढ़ डीआरडीओ के टर्मिनल बैलिस्टिक्स रिसर्च लैबोरेटरी में 10 मीटर की दूरी से एके-47 के सिंगल शॉट गोली का टेस्ट पास कर लिया है। अभी हमें मल्टीपल गोलियों से टेस्ट करना है। हमने इसके पेटेंट के लिए भी आवेदन कर दिया है। इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर विक्रमजीत बसु बताते हैं- इसका इस्तेमाल डिफेन्स से लेकर अंतरिक्ष अभियानों में किया जा सकेगा। खास बात यह है कि ग्लास सिरेमिक दुनिया में सिर्फ हम ही बनाते हैं। इसलिए दूसरे देशों को इसे निर्यात किया जा सकता है। फायदे… कम ईंधन में गाड़ियों की गति बढ़ेगी डॉ अतियार बताते हैं, विंडो ग्लास से हम ऐसा मैटेरियल बना रहे हैं, जिससे ग्लास में नैनो क्रिस्टल (10-15 एमएम) जनरेट हो रहा है। साधारण ग्लास की हार्डनेस 5 जीपीए होती है। इसकी 10 जीपीए होगी। इससे गाड़ियों का वजन नहीं बढ़ेगा, जिससे गति बढ़ेगी। ईंधन की खपत घटेगी। कीमत भी बराबर ही होगी।