दिल्ली में हुए ब्लास्ट का कनेक्शन अब हरियाणा के नूंह (मेवात) जिले के पिनगवां क्षेत्र से जुड़ गया है। विस्फोट से जुड़े केस की जांच कर रही दिल्ली की एजेंसी ने खाद विक्रेता दिनेश सिंगला उर्फ डब्बू को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया है। दिनेश के घर पर जब छापा मारा गया तो उस वक्त वह सो रहा था। अचानक पुलिस को घर में देख वह और उसका परिवार हड़बड़ा गया। टीम ने दिनेश को हिरासत में लेने के बाद उसकी दुकान की भी जांच की। जानकारी के मुताबिक छापे की इस कार्रवाई के दौरान तीन वे लोग भी टीम के साथ थे, जिन्होंने दुकान से सामान खरीदा था। आरोप है कि डब्बू ने अल-फलाह यूनिवर्सिटी के डॉक्टर मुजम्मिल शकील को बिना रिकॉर्ड अमोनियम नाइट्रेट उपलब्ध करवाया। जबकि उसके पास अमोनियम नाइट्रेट रखने का लाइसेंस नहीं था। बताया गया कि यही अमोनियम नाइट्रेट विस्फोट तैयार करने में इस्तेमाल हुआ। उधर, इसका खुलासा होने के बाद अब कृषि विभाग ने जिले के सभी खाद-बीज विक्रेताओं से अमोनियम नाइट्रेट का रिकॉर्ड मंगवाया है। इसके अलावा फिरोजपुर झिरका क्षेत्र के कई गांव में भी जांच के दायरे में हैं। यहां खनन विस्फोट में अमोनियम नाइट्रेट इस्तेमाल होता है। इधर, पुलिस ने सोहना अनाज मंडी स्थित लक्ष्मी बीज भंडार और मदान बीज भंडार एवं केमिकल विक्रेता के संचालकों को हिरासत में लिया है। दोनों की दुकानें बंद करवाई गई हैं। लक्ष्मी बीज भंडार का मालिक राजेश गुप्ता आगरा शादी में गया है। उसकी जगह पुलिस उसके बेटे को अपने साथ लेकर गई है। राजेश गुप्ता ने इसकी पुष्टि की है। उसका कहना है कि वे पुलिस के संपर्क में हैं। बड़ा होलसेल कारोबारी है डब्बू
दिनेश सिंगला मूलरूप से गांव शिकारवा का रहने वाला है। वह करीब 30 साल से पिनगवां कस्बे में अपने परिवार के साथ रहता है। कस्बे में मुख्य मार्ग पर दिनेश की अग्रवाल एजेंसी के नाम से खाद बीज की दुकान है। दिनेश जहां होलसेल का बड़ा व्यापारी है, वहीं रिटेल में भी किसानों को सामान उपलब्ध करवाता है। प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि अधिक मुनाफे के लालच में डब्बू ने अब तक डॉक्टर मुजम्मिल को करीब 300 किलोग्राम अमोनियम नाइट्रेट की सप्लाई की है, जो विस्फोटक बनाने में इस्तेमाल होने वाली प्रमुख सामग्री है। पुलिस आतंकी डॉक्टर मुजम्मिल की निशानदेही पर यहां तक पहुंची थी। खाद विक्रेता को रजिस्टर में रिकॉर्ड रखना जरूरी
खंड कृषि अधिकारी सुनील कुमार ने बताया कि एनपीके सहित कोई भी खाद या केमिकल बिना लाइसेंस रजिस्ट्रेशन के खरीदी-बेची नहीं जा सकती। दुकानदारों को निर्देश हैं कि वह किसानों से आधार कार्ड समेत अन्य पहचान पत्र लेकर रजिस्टर एंट्री करें, तभी उसे सामान दें। खाद विक्रेताओं के यहां ऑडिट की जाती है। फसल में जब नाइट्रोजन की कमी हो जाती है तो अमोनियम नाइट्रेट डाला जाता है। इसे किसान डीएपी की साथ खेतों में डालते है। सूत्रों का मानना है कि इतनी बड़ी मात्रा में अमोनियम नाइट्रेट किसी लोकल की मदद बिना नहीं खरीदा जा सकता है। नूंह में कई लोगों की भूमिका जांच के दायरे में
सूत्रों के मुताबिक अमोनियम नाइट्रेट की जांच करती हुई पुलिस की एक टीम फिरोजपुर झिरका के बसई मेव और बीवा गांव भी पहुंची थी। क्योंकि इस इलाके में पहाड़ हैं और यहां अक्सर अवैध माइनिंग होती है। पहाड़ में विस्फोट करने के लिए अमोनियम नाइट्रेट का इस्तेमाल किया जाता है। ऐसे में संभावना है कि इस जगह से आसानी से अमोनियम नाइट्रेट मिल सकता था। जांच एजेंसी इसी एंगल को खंगालते हुए फिरोजपुर झिरका में पहाड़ से लगते हुए गांवों में भी जांच कर रही है। नूंह में 400 लाइसेंसी खाद विक्रेता
कृषि विभाग के टेक्निकल असिस्टेंट मनीष ने बताया कि नूंह जिले में करीब 400 लाइसेंस खाद विक्रेता हैं। अमोनियम नाइट्रेट खाद बेचने के लिए लाइसेंस धारक को अपने लाइसेंस पर कंपनी से अनुमति लेनी होती है। लाइसेंस धारक अपने यहां कितना भी स्टॉक कर सकता है। एक किसान को करीब 20 किलोग्राम तक अमोनियम नाइट्रेट खाद उपलब्ध करवाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि इस मामले के बाद अब सभी डीलरों से अमोनियम नाइट्रेट खाद का स्टॉक और रिकॉर्ड रजिस्टर मंगवाया गया है। करीब 50 खाद विक्रेताओं का रिकॉर्ड आ चुका है, जो बिल्कुल खाली हैं। यहां जानिए क्या होता है अमोनियम नाइट्रेट और कैसे बनता है इसे विस्फोटक… अमोनियम नाइट्रेट यानी AN का केमिकल फॉर्मूला NH4NO3 है। ये एक गंधहीन, सफेद दानेदार केमिकल होता है। जर्मन केमिस्ट जोहन रुडॉल्फ ग्लॉबर ने 17वीं सदी में इसे सबसे पहले तैयार किया था। सिंथेटिक अमोनियम नाइट्रेट बनाने के लिए अमोनिया और नाइट्रिक एसिड का रिएक्शन करवाया जाता है। 20वीं सदी में इसका औद्योगिक स्तर पर उत्पादन होने लगा। आज दुनियाभर के कई देशों में इंडस्ट्रियल यूज के लिए इसे बनाया जाता है। चोट वगैरह लगने पर सिंकाई के काम में आने वाले इंस्टेंट आइस पैक, केमिकल इंडस्ट्री और सबसे ज्यादा फर्टिलाइजर यानी खाद बनाने में इसका यूज होता है। दुनिया भर में नाइट्रेट बेस्ड फर्टिलाइजर का इस्तेमाल सबसे आम है। AN खुद में कोई विस्फोटक नहीं है, लेकिन अगर इसे डीजल या किसी दूसरे फ्यूल से मिला दिया जाए, तो ये खतरनाक बम में बदल जाता है। इंडस्ट्रियल यूज के तहत ANFO का इस्तेमाल खदानों में ब्लास्ट करने, कोई इमारत गिराने यानी सिविल डिमोलिशन जैसे कामों में इसका इस्तेमाल करते हैं। इसके विस्फोट से बड़ा गड्ढा हो जाता है। विस्फोट की स्पीड 14 हजार किमी प्रति घंटा तक होती है। इससे जो वेव्स पैदा होती हैं, वो साउंड वेव से करीब 5 गुना ज्यादा तेज होती हैं।
दिल्ली में हुए ब्लास्ट का कनेक्शन अब हरियाणा के नूंह (मेवात) जिले के पिनगवां क्षेत्र से जुड़ गया है। विस्फोट से जुड़े केस की जांच कर रही दिल्ली की एजेंसी ने खाद विक्रेता दिनेश सिंगला उर्फ डब्बू को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया है। दिनेश के घर पर जब छापा मारा गया तो उस वक्त वह सो रहा था। अचानक पुलिस को घर में देख वह और उसका परिवार हड़बड़ा गया। टीम ने दिनेश को हिरासत में लेने के बाद उसकी दुकान की भी जांच की। जानकारी के मुताबिक छापे की इस कार्रवाई के दौरान तीन वे लोग भी टीम के साथ थे, जिन्होंने दुकान से सामान खरीदा था। आरोप है कि डब्बू ने अल-फलाह यूनिवर्सिटी के डॉक्टर मुजम्मिल शकील को बिना रिकॉर्ड अमोनियम नाइट्रेट उपलब्ध करवाया। जबकि उसके पास अमोनियम नाइट्रेट रखने का लाइसेंस नहीं था। बताया गया कि यही अमोनियम नाइट्रेट विस्फोट तैयार करने में इस्तेमाल हुआ। उधर, इसका खुलासा होने के बाद अब कृषि विभाग ने जिले के सभी खाद-बीज विक्रेताओं से अमोनियम नाइट्रेट का रिकॉर्ड मंगवाया है। इसके अलावा फिरोजपुर झिरका क्षेत्र के कई गांव में भी जांच के दायरे में हैं। यहां खनन विस्फोट में अमोनियम नाइट्रेट इस्तेमाल होता है। इधर, पुलिस ने सोहना अनाज मंडी स्थित लक्ष्मी बीज भंडार और मदान बीज भंडार एवं केमिकल विक्रेता के संचालकों को हिरासत में लिया है। दोनों की दुकानें बंद करवाई गई हैं। लक्ष्मी बीज भंडार का मालिक राजेश गुप्ता आगरा शादी में गया है। उसकी जगह पुलिस उसके बेटे को अपने साथ लेकर गई है। राजेश गुप्ता ने इसकी पुष्टि की है। उसका कहना है कि वे पुलिस के संपर्क में हैं। बड़ा होलसेल कारोबारी है डब्बू
दिनेश सिंगला मूलरूप से गांव शिकारवा का रहने वाला है। वह करीब 30 साल से पिनगवां कस्बे में अपने परिवार के साथ रहता है। कस्बे में मुख्य मार्ग पर दिनेश की अग्रवाल एजेंसी के नाम से खाद बीज की दुकान है। दिनेश जहां होलसेल का बड़ा व्यापारी है, वहीं रिटेल में भी किसानों को सामान उपलब्ध करवाता है। प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि अधिक मुनाफे के लालच में डब्बू ने अब तक डॉक्टर मुजम्मिल को करीब 300 किलोग्राम अमोनियम नाइट्रेट की सप्लाई की है, जो विस्फोटक बनाने में इस्तेमाल होने वाली प्रमुख सामग्री है। पुलिस आतंकी डॉक्टर मुजम्मिल की निशानदेही पर यहां तक पहुंची थी। खाद विक्रेता को रजिस्टर में रिकॉर्ड रखना जरूरी
खंड कृषि अधिकारी सुनील कुमार ने बताया कि एनपीके सहित कोई भी खाद या केमिकल बिना लाइसेंस रजिस्ट्रेशन के खरीदी-बेची नहीं जा सकती। दुकानदारों को निर्देश हैं कि वह किसानों से आधार कार्ड समेत अन्य पहचान पत्र लेकर रजिस्टर एंट्री करें, तभी उसे सामान दें। खाद विक्रेताओं के यहां ऑडिट की जाती है। फसल में जब नाइट्रोजन की कमी हो जाती है तो अमोनियम नाइट्रेट डाला जाता है। इसे किसान डीएपी की साथ खेतों में डालते है। सूत्रों का मानना है कि इतनी बड़ी मात्रा में अमोनियम नाइट्रेट किसी लोकल की मदद बिना नहीं खरीदा जा सकता है। नूंह में कई लोगों की भूमिका जांच के दायरे में
सूत्रों के मुताबिक अमोनियम नाइट्रेट की जांच करती हुई पुलिस की एक टीम फिरोजपुर झिरका के बसई मेव और बीवा गांव भी पहुंची थी। क्योंकि इस इलाके में पहाड़ हैं और यहां अक्सर अवैध माइनिंग होती है। पहाड़ में विस्फोट करने के लिए अमोनियम नाइट्रेट का इस्तेमाल किया जाता है। ऐसे में संभावना है कि इस जगह से आसानी से अमोनियम नाइट्रेट मिल सकता था। जांच एजेंसी इसी एंगल को खंगालते हुए फिरोजपुर झिरका में पहाड़ से लगते हुए गांवों में भी जांच कर रही है। नूंह में 400 लाइसेंसी खाद विक्रेता
कृषि विभाग के टेक्निकल असिस्टेंट मनीष ने बताया कि नूंह जिले में करीब 400 लाइसेंस खाद विक्रेता हैं। अमोनियम नाइट्रेट खाद बेचने के लिए लाइसेंस धारक को अपने लाइसेंस पर कंपनी से अनुमति लेनी होती है। लाइसेंस धारक अपने यहां कितना भी स्टॉक कर सकता है। एक किसान को करीब 20 किलोग्राम तक अमोनियम नाइट्रेट खाद उपलब्ध करवाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि इस मामले के बाद अब सभी डीलरों से अमोनियम नाइट्रेट खाद का स्टॉक और रिकॉर्ड रजिस्टर मंगवाया गया है। करीब 50 खाद विक्रेताओं का रिकॉर्ड आ चुका है, जो बिल्कुल खाली हैं। यहां जानिए क्या होता है अमोनियम नाइट्रेट और कैसे बनता है इसे विस्फोटक… अमोनियम नाइट्रेट यानी AN का केमिकल फॉर्मूला NH4NO3 है। ये एक गंधहीन, सफेद दानेदार केमिकल होता है। जर्मन केमिस्ट जोहन रुडॉल्फ ग्लॉबर ने 17वीं सदी में इसे सबसे पहले तैयार किया था। सिंथेटिक अमोनियम नाइट्रेट बनाने के लिए अमोनिया और नाइट्रिक एसिड का रिएक्शन करवाया जाता है। 20वीं सदी में इसका औद्योगिक स्तर पर उत्पादन होने लगा। आज दुनियाभर के कई देशों में इंडस्ट्रियल यूज के लिए इसे बनाया जाता है। चोट वगैरह लगने पर सिंकाई के काम में आने वाले इंस्टेंट आइस पैक, केमिकल इंडस्ट्री और सबसे ज्यादा फर्टिलाइजर यानी खाद बनाने में इसका यूज होता है। दुनिया भर में नाइट्रेट बेस्ड फर्टिलाइजर का इस्तेमाल सबसे आम है। AN खुद में कोई विस्फोटक नहीं है, लेकिन अगर इसे डीजल या किसी दूसरे फ्यूल से मिला दिया जाए, तो ये खतरनाक बम में बदल जाता है। इंडस्ट्रियल यूज के तहत ANFO का इस्तेमाल खदानों में ब्लास्ट करने, कोई इमारत गिराने यानी सिविल डिमोलिशन जैसे कामों में इसका इस्तेमाल करते हैं। इसके विस्फोट से बड़ा गड्ढा हो जाता है। विस्फोट की स्पीड 14 हजार किमी प्रति घंटा तक होती है। इससे जो वेव्स पैदा होती हैं, वो साउंड वेव से करीब 5 गुना ज्यादा तेज होती हैं।