हरियाणा के फरीदाबाद में 2900kg विस्फोटक मिलने के मामले में 40 साल का इमाम इश्तियाक जांच एजेंसियों की हिरासत में है। इमाम मूलरूप से नूंह के गांव सिंगार का रहने वाला है। वर्तमान में वह फरीदाबाद के धौज में रह रहा है। 20 साल पहले अल-फलाह यूनिवर्सिटी कैंपस से सटी मस्जिद में इमाम को नौकरी मिली। उसे मस्जिद में ही रहने को घर मिला। इसी दौरान डॉ. मुजम्मिल शकील के संपर्क में आया। डॉ. शकील पांचों वक्त का नमाजी था। इमाम से रिश्ता इतना गहरा हुआ कि कई बार उसके घर दावत पर भी आया। पुलिस सोर्सेज के मुताबिक डॉ. शकील जब पुलवामा में 15 दिन की छुट्टी बिताकर लौटा तो एक रात इमाम के घर पर ही बिताई। विस्फोटक छिपाने के लिए डॉ. शकील ने इमाम के फतेहपुरा तगा स्थित घर को चुना। इस घर से विस्फोटक बरामदगी के बाद ही इमाम को हिरासत में लिया गया। इमाम ने विस्फोटक को खाद की बोरियां बताकर यहां रखवाया था। जांच कर रही एजेंसियों ने अभी यह सार्वजनिक नहीं किया है कि क्या यह सिर्फ इसलिए कस्टडी में लिया है कि जहां से विस्फोटक मिला, वह घर इमाम का था। या फिर इस पूरे आतंकी मॉड्यूल में भी इमाम की कोई भी भूमिका मिली है? इमाम की नूंह से शिफ्ट होने से लेकर आतंकी कनेक्शन तक की कहानी… इस्लामिक पढ़ाई की, कभी स्कूल नहीं गया
इमाम इश्तियाक मूलरूप से नूंह जिले के गांव सिंगार का है। इश्तियाक ने झिमरावट के मदरसे से इस्लामिक पढ़ाई की थी। स्कूल वह कभी नहीं गया। उसके 3 और भाई हैं। इन तीनों भाइयों ने हज यात्रा नहीं की है। इश्तियाक का झुकाव शुरू से ही धर्म की तरफ रहा। वह कट्टर भी है। गांव के सरपंच साकित खान ने दैनिक भास्कर एप को बताया इश्तियाक पहले गांव में तीनों भाइयों के साथ ही रहता था। परिवार दिहाड़ी-मजदूरी करने वाला ही है। करीब 2 दशक पहले इश्तियाक बीवी के साथ फरीदाबाद के धौज में शिफ्ट हो गया। धौज में ही अल-फलाह यूनिवर्सिटी है। यूनिवर्सिटी कैंपस से सटी बड़ी मस्जिद, उसी में इमाम लगा
अल-फलाह यूनिवर्सिटी कैंपस से सटी बड़ी मस्जिद है। इश्तियाक को इसी में इमाम की नौकरी मिली। इमाम के भाई मुबीन ने बताया कि इश्तियाक 2005 में अल-फलाह यूनिवर्सिटी की मस्जिद में पढ़ाने के लिए गया था। इसके बाद पूरे परिवार को अपने साथ ले गया। वह मस्जिद में बने एक छोटे से कमरे में रहता था। उसके 4 बच्चे हैं, जिनमें दो बेटियां हैं। पत्नी मूलरूप से राजस्थान की है। वह भैंस भी पालता था, जिनका दूध वह यूनिवर्सिटी में डॉक्टरों को सप्लाई करता था। 9 हजार रुपए पगार, सरपंच बोले- गांव कम ही आता था
वर्तमान में इमाम की पगार करीब 9000 महीना थी। हालांकि, उसे मस्जिद के पास ही रहने के लिए छोटा सा मकान मिला, जिसमें वह बीवी व 4 बच्चों के साथ रहता है। सरपंच साकित खान बताते हैं कि फरीदाबाद शिफ्ट होने के बाद इश्तियाक कभी-कभार ही गांव में दिखा। उसका चेहरा भी ठीक से याद नहीं। अब जब पुलिस ने उसे हिरासत में लिया, तब उसके गांव में चर्चे छिड़े। भाई मुबीन ने बताया कि इश्तियाक करीब 15 दिन पहले नूंह में हुए इस्लामिक जलसे में आया था। इसके अलावा वह बीच-बीच में मां को देखने के लिए आता रहता है। पिता का इंतकाल हो चुका है। परिवार के लोगों को नहीं पता कि उसका संपर्क किससे था। इमाम की डॉ. मुजम्मिल से ऐसे बढ़ी करीबी…
हरियाणा के फरीदाबाद में 2900kg विस्फोटक मिलने के मामले में 40 साल का इमाम इश्तियाक जांच एजेंसियों की हिरासत में है। इमाम मूलरूप से नूंह के गांव सिंगार का रहने वाला है। वर्तमान में वह फरीदाबाद के धौज में रह रहा है। 20 साल पहले अल-फलाह यूनिवर्सिटी कैंपस से सटी मस्जिद में इमाम को नौकरी मिली। उसे मस्जिद में ही रहने को घर मिला। इसी दौरान डॉ. मुजम्मिल शकील के संपर्क में आया। डॉ. शकील पांचों वक्त का नमाजी था। इमाम से रिश्ता इतना गहरा हुआ कि कई बार उसके घर दावत पर भी आया। पुलिस सोर्सेज के मुताबिक डॉ. शकील जब पुलवामा में 15 दिन की छुट्टी बिताकर लौटा तो एक रात इमाम के घर पर ही बिताई। विस्फोटक छिपाने के लिए डॉ. शकील ने इमाम के फतेहपुरा तगा स्थित घर को चुना। इस घर से विस्फोटक बरामदगी के बाद ही इमाम को हिरासत में लिया गया। इमाम ने विस्फोटक को खाद की बोरियां बताकर यहां रखवाया था। जांच कर रही एजेंसियों ने अभी यह सार्वजनिक नहीं किया है कि क्या यह सिर्फ इसलिए कस्टडी में लिया है कि जहां से विस्फोटक मिला, वह घर इमाम का था। या फिर इस पूरे आतंकी मॉड्यूल में भी इमाम की कोई भी भूमिका मिली है? इमाम की नूंह से शिफ्ट होने से लेकर आतंकी कनेक्शन तक की कहानी… इस्लामिक पढ़ाई की, कभी स्कूल नहीं गया
इमाम इश्तियाक मूलरूप से नूंह जिले के गांव सिंगार का है। इश्तियाक ने झिमरावट के मदरसे से इस्लामिक पढ़ाई की थी। स्कूल वह कभी नहीं गया। उसके 3 और भाई हैं। इन तीनों भाइयों ने हज यात्रा नहीं की है। इश्तियाक का झुकाव शुरू से ही धर्म की तरफ रहा। वह कट्टर भी है। गांव के सरपंच साकित खान ने दैनिक भास्कर एप को बताया इश्तियाक पहले गांव में तीनों भाइयों के साथ ही रहता था। परिवार दिहाड़ी-मजदूरी करने वाला ही है। करीब 2 दशक पहले इश्तियाक बीवी के साथ फरीदाबाद के धौज में शिफ्ट हो गया। धौज में ही अल-फलाह यूनिवर्सिटी है। यूनिवर्सिटी कैंपस से सटी बड़ी मस्जिद, उसी में इमाम लगा
अल-फलाह यूनिवर्सिटी कैंपस से सटी बड़ी मस्जिद है। इश्तियाक को इसी में इमाम की नौकरी मिली। इमाम के भाई मुबीन ने बताया कि इश्तियाक 2005 में अल-फलाह यूनिवर्सिटी की मस्जिद में पढ़ाने के लिए गया था। इसके बाद पूरे परिवार को अपने साथ ले गया। वह मस्जिद में बने एक छोटे से कमरे में रहता था। उसके 4 बच्चे हैं, जिनमें दो बेटियां हैं। पत्नी मूलरूप से राजस्थान की है। वह भैंस भी पालता था, जिनका दूध वह यूनिवर्सिटी में डॉक्टरों को सप्लाई करता था। 9 हजार रुपए पगार, सरपंच बोले- गांव कम ही आता था
वर्तमान में इमाम की पगार करीब 9000 महीना थी। हालांकि, उसे मस्जिद के पास ही रहने के लिए छोटा सा मकान मिला, जिसमें वह बीवी व 4 बच्चों के साथ रहता है। सरपंच साकित खान बताते हैं कि फरीदाबाद शिफ्ट होने के बाद इश्तियाक कभी-कभार ही गांव में दिखा। उसका चेहरा भी ठीक से याद नहीं। अब जब पुलिस ने उसे हिरासत में लिया, तब उसके गांव में चर्चे छिड़े। भाई मुबीन ने बताया कि इश्तियाक करीब 15 दिन पहले नूंह में हुए इस्लामिक जलसे में आया था। इसके अलावा वह बीच-बीच में मां को देखने के लिए आता रहता है। पिता का इंतकाल हो चुका है। परिवार के लोगों को नहीं पता कि उसका संपर्क किससे था। इमाम की डॉ. मुजम्मिल से ऐसे बढ़ी करीबी…