आतंकी मॉड्यूल से जुड़े डॉ. मुजम्मिल शकील और डॉ. शाहीन सईद की गिरफ्तारी के बाद से फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी संदेह के घेरे में है। कहा जा रहा है कि 45 वर्षीय डॉ. शाहीन यूनिवर्सिटी में गाइड करने के बहाने जूनियर डॉक्टर्स का ब्रेन वॉश करती रही। इन्हीं में से एक डॉ. मुजम्मिल शकील है। मुजम्मिल, शाहीन से 9 साल छोटा है, लेकिन डॉ. शाहीन को उसकी गर्ल फ्रेंड बताया जा रहा है। जांच में यह भी पता चला है कि डॉ. मुजम्मिल को शाहीन ने कार दी थी। दोनों अक्सर साथ में लंच करते थे। इधर, संदेह और जांच के दायरे में आने के बाद 12 नवंबर को अल-फलाह यूनिवर्सिटी प्रबंधन ने चुप्पी तोड़ी। यूनिवर्सिटी की वाइसचांसलर प्रो. भूपिंदर कौर आनंद की तरफ से बयान जारी किया गया। जिसमें कहा- हमारे 2 डॉक्टरों को हिरासत में लिया गया है। ड्यूटी के अलावा उनसे यूनिवर्सिटी का कोई संबंध नहीं है। फैकल्टी कॉमन रूम, लैब व स्टाफ क्वार्टरों की जांच
जांच से जुड़े एक सूत्र ने बताया कि यूनिवर्सिटी के फैकल्टी कॉमन रूम, लैब व स्टाफ क्वार्टर जांच के दायरे में आए हैं। इस दौरान कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कमरा नंबर-13 सुर्खियों में है। इसे साजिश का केंद्र बताया जा रहा है। हालांकि इसकी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं है। यूनिवर्सिटी में एंट्री करते ही एक चेक पॉइंट आता है। उसके मेन एडमिन ब्लॉक है। यहां फैकल्टी के बैठने की जगह है। इसके सामने दाएं तरफ बहुमंजिला 2 बिल्डिंग हैं, जिनमें बॉयज व गर्ल्स हॉस्टल हैं। इसी के पास से क्वार्टर को रास्ता जाता है। दैनिक भास्कर एप ने यूनिवर्सिटी के एडमिन ब्लॉक में बने फैकल्टी कॉमन रूम को देखा। हालांकि क्वार्टर्स की तरफ जाने से रोक दिया गया। इसी बीच यूनिवर्सिटी में डॉक्टरों की नई नेम प्लेट लगी दिखीं। यूनिवर्सिटी के 13 डॉक्टर्स-स्टूडेंट्स से पूछताछ
फरीदाबाद के धौज व फतेहपुरा तगा के दो घरों से मिले 2900 किलो विस्फोटक व दिल्ली में लाल किले के बाहर हुए आत्मघाती विस्फोट केस में यूनिवर्सिटी के 13 डॉक्टर्स व स्टूडेंट्स से पूछताछ हुई है। हालांकि आधिकारिक तौर पर अभी 2 ही डॉक्टरों की गिरफ्तारी की पुष्टि हुई है। वहीं दिल्ली में आत्मघाती विस्फोट में मरने वाला डॉ. मोहम्मद नबी उमर भी इसी यूनिवर्सिटी से जुड़ा था। 15 दिन की छुट्टी लेकर पुलवामा गया था मुजम्मिल
डॉ. शकील मूलरूप से जम्मू-कश्मीर के पुलवामा का रहने वाला है। अरेस्ट होने से पहले 15 दिन पुलवामा लगाकर आया था। अंदेशा है कि वहां उसने अपने संपर्कों से मुलाकात की और बड़ी मात्रा में विस्फोटक सामग्री एकत्रित की। वहां से आने के बाद वह एक रात फतेहपुर तगा में मस्जिद के इमाम इश्तियाक के घर रुका था। इस इमाम की भी गिरफ्तारी हो चुकी है। फतेहपुरा तगा में इसी इमाम के पुराने घर को डॉ. शकील ने किराये पर ले रखा था। डॉ. शकील व डॉ. उमर पुलवामा के एक ही गांव के
दिल्ली में विस्फोट वाली कार में खुद को उड़ाने वाला डॉ. मोहम्मद नबी उमर और डॉ. मुजम्मिल शकील दोनों की पुलवामा के गांव कोइल के रहने वाले हैं। दोनों के घर के बीच करीब 800 मीटर की दूरी है। दोनों की गिनती होशियार स्टूडेंट्स में होती थी। नबी ने आखिरी बार 8 नवंबर को घर पर फोन किया था। तब कहा था कि 4 दिन बाद घर लौटेगा। हालांकि 10 नवंबर को दिल्ली में खुद को उड़ा लिया। डॉ. शाहीन जैश-ए-मोहम्मद से जुड़ी
डॉ. शाहीन शाहिद इलाहाबाद मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस, एमडी है। वह फॉर्मकोलॉजी एक्सपर्ट है, यानी दवाओं के असर का अध्ययन करने वाली। मूलरूप से लखनऊ की है। डॉ. जफर से निकाह हुआ था, जो ज्यादा नहीं चला। अब अल-फलहा यूनिवर्सिटी में वह जूनियर डॉक्टरों को गाइड करती थी। वह डॉ. मुजम्मिल की बेहद करीबी रही। शाहीन भारत में जैश-ए-मोहम्मद की महिला विंग ‘जमात-उल-मोमीनात’ की हेड बताई जा रही है। पाकिस्तान में आतंकी अजहर मसूद की बहन सादिया इसकी चीफ है। पिता बोले-बेटी के आतंकी संपर्क का नहीं पता
डॉ. शाहीन शाहिद के पिता सईद अंसारी ने लखनऊ में बताया कि उनके तीन बच्चे हैं। सबसे बड़ा बेटा मोहम्मद शोएब है, जो साथ रहता है। दूसरी नंबर की बेटी डॉ. शाहीन शाहिद और तीसरा बेटा डॉ. परवेज अहमद अंसारी हैं। बेटी डॉ. शाहीन शाहिद के आतंकी होने के बारे में सुन रहे हैं, लेकिन यकीन नहीं है। लखनऊ में यूपी एटीएस ने डॉ. शाहीन शाहिद के घर पर तलाशी ली। 76 एकड़ में फैली यूनिवर्सिटी में MBBS की 260 सीटें
अल-फलाह यूनिवर्सिटी करी 76 एकड़ में फैली है। जिसका संचालक अल-फलाह ट्रस्ट करता है। दैनिक भास्कर एप से बातचीत में यूनिवर्सिटी के कुछ स्टूडेंट्स ने बताया कि वे यहां एडमिशन लेकर अब फंसा हुए महसूस कर रहे हैं। यूनिवर्सिटी के MBBS कोर्स में 260 सीटें हैं, जबकि मेडिकल कॉलेज में करीब 950 छात्र पढ़ाई कर रहे हैं। इनमें कई NRI भी शामिल हैं। छात्रों के अनुसार, अधिकांश को मुजम्मिल नामक डॉक्टर के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी। स्थानीय ग्रामीणों ने भी बताया कि उन्होंने मुजम्मिल को कभी नहीं देखा। अब जानिए…यूनिवर्सिटी के आधारिक बयान की 4 प्रमुख बातें 1997 से चला रहा संस्थानः
यूनिवर्सिटी की वाइस चांसलर प्रो. भुपिंदर कौर की ओर से बयान जारी किया गया जिसमें लिखा-अल-फलाह समूह वर्ष 1997 से विभिन्न संस्थानों का संचालन कर रहा है। वर्ष 2009 में इसे स्वायत्तता प्राप्त हुई। साल 2014 में यूनिवर्सिटी का दर्ज मिला। जिसे विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) से मान्यता मिली है। 2019 से मेडिकल कॉलेज चला रहेः
अलफलाह अस्पताल 2019 से अपनी मेडिकल कॉलेज का संचालन कर रहा है। यूनिवर्सिटी एमबीबीएस छात्रों को प्रशिक्षण दे रहा है। यहां से स्नातक डॉक्टर्स देशभर के प्रतिष्ठित अस्पतालों में सेवा दे रहे हैं। साल 2023 में MD/MS शुरू किए गए हैं। हाल की दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं से गहरा दुख हुआ है। इन घटनाओं की कड़ी निंदा करते हैं। 2 डॉक्टर अरेस्ट हुए, उनसे संबंध नहींः
ज्ञात हुआ है कि हमारे दो डॉक्टरों को जांच एजेंसियों द्वारा हिरासत में लिया गया है। हम यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि विश्वविद्यालय का इन व्यक्तियों से कोई संबंध नहीं है, सिवाय इसके कि वे विश्वविद्यालय में अपनी आधिकारिक भूमिकाओं में कार्यरत थे। यूनिवर्सिटी से कोई रसायन या सामग्री नहीं मिलीः
यूनिवर्सिटी कुछ ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर फैलाई जा रही भ्रामक खबरों पर गहरी चिंता व्यक्त करता है। यूनिवर्सिटी परिसर में किसी भी प्रकार का रासायनिक पदार्थ या सामग्री का उपयोग, भंडारण या हैंडलिंग नहीं की जा रही है। लैब एमबीबीएस छात्रों के लिए अकादमिक और प्रशिक्षण आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उपयोग की जाती हैं। ———————– ये खबर भी पढ़ें :- कई महीने से चल रही थी मुंबई हमले जैसी प्लानिंग, दिल्ली-NCR में मूवमेंट को गुरुग्राम नंबर कार खरीदी, मोबाइल लैब बनाई; यूनिवर्सिटी साजिश का केंद्र दिल्ली में लाल किले के पास सोमवार शाम हुए ब्लास्ट के मामले में नया खुलासा हुआ है। आतंकी माड्यूल कई महीनों से मुंबई के 26/11 हमले जैसे बड़े धमाकों की प्लानिंग कर रहा था। आतंकियों ने दिल्ली-एनसीआर में आसानी से मूवमेंट करने के लिए जानबूझ कर गुरुग्राम नंबर की आई-20 कार खरीदी। जिसे आरोपियों ने साजिश की ‘मोबाइल लैब’ बना लिया और इसी से विस्फोटक दिल्ली लाया गया। पढ़ें पूरी खबर…
आतंकी मॉड्यूल से जुड़े डॉ. मुजम्मिल शकील और डॉ. शाहीन सईद की गिरफ्तारी के बाद से फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी संदेह के घेरे में है। कहा जा रहा है कि 45 वर्षीय डॉ. शाहीन यूनिवर्सिटी में गाइड करने के बहाने जूनियर डॉक्टर्स का ब्रेन वॉश करती रही। इन्हीं में से एक डॉ. मुजम्मिल शकील है। मुजम्मिल, शाहीन से 9 साल छोटा है, लेकिन डॉ. शाहीन को उसकी गर्ल फ्रेंड बताया जा रहा है। जांच में यह भी पता चला है कि डॉ. मुजम्मिल को शाहीन ने कार दी थी। दोनों अक्सर साथ में लंच करते थे। इधर, संदेह और जांच के दायरे में आने के बाद 12 नवंबर को अल-फलाह यूनिवर्सिटी प्रबंधन ने चुप्पी तोड़ी। यूनिवर्सिटी की वाइसचांसलर प्रो. भूपिंदर कौर आनंद की तरफ से बयान जारी किया गया। जिसमें कहा- हमारे 2 डॉक्टरों को हिरासत में लिया गया है। ड्यूटी के अलावा उनसे यूनिवर्सिटी का कोई संबंध नहीं है। फैकल्टी कॉमन रूम, लैब व स्टाफ क्वार्टरों की जांच
जांच से जुड़े एक सूत्र ने बताया कि यूनिवर्सिटी के फैकल्टी कॉमन रूम, लैब व स्टाफ क्वार्टर जांच के दायरे में आए हैं। इस दौरान कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कमरा नंबर-13 सुर्खियों में है। इसे साजिश का केंद्र बताया जा रहा है। हालांकि इसकी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं है। यूनिवर्सिटी में एंट्री करते ही एक चेक पॉइंट आता है। उसके मेन एडमिन ब्लॉक है। यहां फैकल्टी के बैठने की जगह है। इसके सामने दाएं तरफ बहुमंजिला 2 बिल्डिंग हैं, जिनमें बॉयज व गर्ल्स हॉस्टल हैं। इसी के पास से क्वार्टर को रास्ता जाता है। दैनिक भास्कर एप ने यूनिवर्सिटी के एडमिन ब्लॉक में बने फैकल्टी कॉमन रूम को देखा। हालांकि क्वार्टर्स की तरफ जाने से रोक दिया गया। इसी बीच यूनिवर्सिटी में डॉक्टरों की नई नेम प्लेट लगी दिखीं। यूनिवर्सिटी के 13 डॉक्टर्स-स्टूडेंट्स से पूछताछ
फरीदाबाद के धौज व फतेहपुरा तगा के दो घरों से मिले 2900 किलो विस्फोटक व दिल्ली में लाल किले के बाहर हुए आत्मघाती विस्फोट केस में यूनिवर्सिटी के 13 डॉक्टर्स व स्टूडेंट्स से पूछताछ हुई है। हालांकि आधिकारिक तौर पर अभी 2 ही डॉक्टरों की गिरफ्तारी की पुष्टि हुई है। वहीं दिल्ली में आत्मघाती विस्फोट में मरने वाला डॉ. मोहम्मद नबी उमर भी इसी यूनिवर्सिटी से जुड़ा था। 15 दिन की छुट्टी लेकर पुलवामा गया था मुजम्मिल
डॉ. शकील मूलरूप से जम्मू-कश्मीर के पुलवामा का रहने वाला है। अरेस्ट होने से पहले 15 दिन पुलवामा लगाकर आया था। अंदेशा है कि वहां उसने अपने संपर्कों से मुलाकात की और बड़ी मात्रा में विस्फोटक सामग्री एकत्रित की। वहां से आने के बाद वह एक रात फतेहपुर तगा में मस्जिद के इमाम इश्तियाक के घर रुका था। इस इमाम की भी गिरफ्तारी हो चुकी है। फतेहपुरा तगा में इसी इमाम के पुराने घर को डॉ. शकील ने किराये पर ले रखा था। डॉ. शकील व डॉ. उमर पुलवामा के एक ही गांव के
दिल्ली में विस्फोट वाली कार में खुद को उड़ाने वाला डॉ. मोहम्मद नबी उमर और डॉ. मुजम्मिल शकील दोनों की पुलवामा के गांव कोइल के रहने वाले हैं। दोनों के घर के बीच करीब 800 मीटर की दूरी है। दोनों की गिनती होशियार स्टूडेंट्स में होती थी। नबी ने आखिरी बार 8 नवंबर को घर पर फोन किया था। तब कहा था कि 4 दिन बाद घर लौटेगा। हालांकि 10 नवंबर को दिल्ली में खुद को उड़ा लिया। डॉ. शाहीन जैश-ए-मोहम्मद से जुड़ी
डॉ. शाहीन शाहिद इलाहाबाद मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस, एमडी है। वह फॉर्मकोलॉजी एक्सपर्ट है, यानी दवाओं के असर का अध्ययन करने वाली। मूलरूप से लखनऊ की है। डॉ. जफर से निकाह हुआ था, जो ज्यादा नहीं चला। अब अल-फलहा यूनिवर्सिटी में वह जूनियर डॉक्टरों को गाइड करती थी। वह डॉ. मुजम्मिल की बेहद करीबी रही। शाहीन भारत में जैश-ए-मोहम्मद की महिला विंग ‘जमात-उल-मोमीनात’ की हेड बताई जा रही है। पाकिस्तान में आतंकी अजहर मसूद की बहन सादिया इसकी चीफ है। पिता बोले-बेटी के आतंकी संपर्क का नहीं पता
डॉ. शाहीन शाहिद के पिता सईद अंसारी ने लखनऊ में बताया कि उनके तीन बच्चे हैं। सबसे बड़ा बेटा मोहम्मद शोएब है, जो साथ रहता है। दूसरी नंबर की बेटी डॉ. शाहीन शाहिद और तीसरा बेटा डॉ. परवेज अहमद अंसारी हैं। बेटी डॉ. शाहीन शाहिद के आतंकी होने के बारे में सुन रहे हैं, लेकिन यकीन नहीं है। लखनऊ में यूपी एटीएस ने डॉ. शाहीन शाहिद के घर पर तलाशी ली। 76 एकड़ में फैली यूनिवर्सिटी में MBBS की 260 सीटें
अल-फलाह यूनिवर्सिटी करी 76 एकड़ में फैली है। जिसका संचालक अल-फलाह ट्रस्ट करता है। दैनिक भास्कर एप से बातचीत में यूनिवर्सिटी के कुछ स्टूडेंट्स ने बताया कि वे यहां एडमिशन लेकर अब फंसा हुए महसूस कर रहे हैं। यूनिवर्सिटी के MBBS कोर्स में 260 सीटें हैं, जबकि मेडिकल कॉलेज में करीब 950 छात्र पढ़ाई कर रहे हैं। इनमें कई NRI भी शामिल हैं। छात्रों के अनुसार, अधिकांश को मुजम्मिल नामक डॉक्टर के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी। स्थानीय ग्रामीणों ने भी बताया कि उन्होंने मुजम्मिल को कभी नहीं देखा। अब जानिए…यूनिवर्सिटी के आधारिक बयान की 4 प्रमुख बातें 1997 से चला रहा संस्थानः
यूनिवर्सिटी की वाइस चांसलर प्रो. भुपिंदर कौर की ओर से बयान जारी किया गया जिसमें लिखा-अल-फलाह समूह वर्ष 1997 से विभिन्न संस्थानों का संचालन कर रहा है। वर्ष 2009 में इसे स्वायत्तता प्राप्त हुई। साल 2014 में यूनिवर्सिटी का दर्ज मिला। जिसे विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) से मान्यता मिली है। 2019 से मेडिकल कॉलेज चला रहेः
अलफलाह अस्पताल 2019 से अपनी मेडिकल कॉलेज का संचालन कर रहा है। यूनिवर्सिटी एमबीबीएस छात्रों को प्रशिक्षण दे रहा है। यहां से स्नातक डॉक्टर्स देशभर के प्रतिष्ठित अस्पतालों में सेवा दे रहे हैं। साल 2023 में MD/MS शुरू किए गए हैं। हाल की दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं से गहरा दुख हुआ है। इन घटनाओं की कड़ी निंदा करते हैं। 2 डॉक्टर अरेस्ट हुए, उनसे संबंध नहींः
ज्ञात हुआ है कि हमारे दो डॉक्टरों को जांच एजेंसियों द्वारा हिरासत में लिया गया है। हम यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि विश्वविद्यालय का इन व्यक्तियों से कोई संबंध नहीं है, सिवाय इसके कि वे विश्वविद्यालय में अपनी आधिकारिक भूमिकाओं में कार्यरत थे। यूनिवर्सिटी से कोई रसायन या सामग्री नहीं मिलीः
यूनिवर्सिटी कुछ ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर फैलाई जा रही भ्रामक खबरों पर गहरी चिंता व्यक्त करता है। यूनिवर्सिटी परिसर में किसी भी प्रकार का रासायनिक पदार्थ या सामग्री का उपयोग, भंडारण या हैंडलिंग नहीं की जा रही है। लैब एमबीबीएस छात्रों के लिए अकादमिक और प्रशिक्षण आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उपयोग की जाती हैं। ———————– ये खबर भी पढ़ें :- कई महीने से चल रही थी मुंबई हमले जैसी प्लानिंग, दिल्ली-NCR में मूवमेंट को गुरुग्राम नंबर कार खरीदी, मोबाइल लैब बनाई; यूनिवर्सिटी साजिश का केंद्र दिल्ली में लाल किले के पास सोमवार शाम हुए ब्लास्ट के मामले में नया खुलासा हुआ है। आतंकी माड्यूल कई महीनों से मुंबई के 26/11 हमले जैसे बड़े धमाकों की प्लानिंग कर रहा था। आतंकियों ने दिल्ली-एनसीआर में आसानी से मूवमेंट करने के लिए जानबूझ कर गुरुग्राम नंबर की आई-20 कार खरीदी। जिसे आरोपियों ने साजिश की ‘मोबाइल लैब’ बना लिया और इसी से विस्फोटक दिल्ली लाया गया। पढ़ें पूरी खबर…