म्यांमार से साइबर माफिया के चंगुल से छुड़ाकर लखनऊ लाए गए 21 युवकों ने चौंकाने वाले खुलासे किए। पुलिस से पूछताछ में उन्होंने बताया कि कंबोडिया और चीन में बैठे साइबर ठग उन पर बिग बॉस की तरह नजर रखते थे। उनकी सिर्फ आवाज सुनाई देती थी। वे किसी की गलती पर सजा और अच्छे काम पर इनाम की घोषणा करते थे। उन्होंने बताया कि ठगों ने लोगों को फंसाने के लिए पहले ट्रेनिंग दी, फिर 18 घंटे तक काम कराया जाता था। विरोध करने पर बाल और नाखून नोचते थे। तीसरी बार टॉयलेट जाने पर पानी देना बंद कर देते थे और प्राइवेट पार्ट काटने की धमकी देते थे। सोशल मीडिया पर लड़कियों के नाम से अकाउंट बनाकर लोगों को फंसवाते थे। पीड़ित युवकों ने म्यांमार-थाईलैंड ले जाने वाले एजेंट जावेद के खिलाफ लखनऊ के मदेयगंज थाने में FIR दर्ज कराई है। म्यांमार से लाए गए 540 युवाओं में 64 लोग यूपी के हैं, जिनमें से 21 लोग लखनऊ और आसपास के जिलों के हैं। मंगलवार को पुलिस लाइन में पूछताछ के बाद 13 जिलों के 21 युवकों को उनके घर भेज दिया गया। लाखों के पैकेज का ऑफर देकर भेजते थे म्यांमार पीड़ितों के मुताबिक, फेसबुक और इंस्टाग्राम पर उनके विज्ञापन पर अपना डेटा देते ही एजेंट फोन पर संपर्क करता था। इसके बाद लाखों के पैकेज का झांसा देकर वीजा और पासपोर्ट के नाम पर पहले हजारों रुपए लेता था। रुपए देने के 15 दिन के अंदर वीजा और एयर टिकट दिया जाता था। दिल्ली से बैंकॉक की फ्लाइट से ले जाया जाता था, फिर वहां से सड़क या जहाज के जरिए म्यांमार पहुंचाया जाता था। करीब 500 किलोमीटर दूर कार से माईशॉट शहर ले जाकर एक होटल में ठहराया जाता था। बाद में उन्हें ट्रेनिंग सेंटर भेज दिया जाता था। वहां उनका पासपोर्ट और डिग्री जब्त कर ली जाती थी। इसके बाद उन्हें एक बिल्डिंग में कैद कर दिया जाता था। गेट के बाहर जाना तो दूर, छत तक जाने की इजाजत नहीं थी। सूरज और चांद की रोशनी तक देखना नसीब नहीं होता था। 18 घंटे तक काम कराते, विरोध करने पर पीटते लखनऊ के सुल्तान सलाउद्दीन रब्बानी ने कहा- ट्रेनिंग के दौरान कोई भी विरोध करता तो उसे पीटा जाता था और सोने नहीं दिया जाता था। चीन और पाकिस्तान के हैकर ऑनलाइन ट्रेनिंग देते थे। इस दौरान कंबोडिया में बैठा सरगना सीसीटीवी के जरिए मॉनिटरिंग करता था। उनसे 18 घंटे तक काम कराया जाता था। विरोध करने या ट्रेनिंग में लापरवाही करने वालों के बाल नोच लिए जाते थे। अगर हम लोग एकजुट होकर हंगामा करने की कोशिश करते तो नाखून उखाड़ दिए जाते थे। दो से तीन बार टॉयलेट जाने पर पानी देना बंद कर दिया जाता था और प्राइवेट पार्ट काटने की धमकी दी जाती थी। ट्रेनिंग पूरी होने के बाद करवाते थे ठगी वाराणसी के आकिब ने बताया कि ट्रेनिंग के बाद उन्हें एक कॉल सेंटर में भेजा जाता था। वहां उन्हें एक स्क्रिप्ट दी जाती थी, जिसमें बताया जाता था कि उन्हें क्या बोलना है। एक सॉफ्टवेयर की मदद से महिलाओं की आवाज में बात कर लोगों का बैंक डेटा जुटाया जाता था। फिर डेटा कंबोडिया और चीन में बैठे सरगना के जरिए अन्य लोगों को भेजा जाता था। औरेया के अतुल यादव ने बताया- युवतियों के नाम पर सोशल मीडिया अकाउंट बनाए जाते थे। प्रोफाइल पर सुंदर तस्वीरें लगाई जाती थीं और बायो में नंबर दिया जाता था। फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजने के बाद, सॉफ्टवेयर की मदद से महिलाओं की आवाज में बात कर लोगों को फंसाया जाता था। ———————————————– ये खबर भी पढ़िए… म्यांमार से छूटकर लखनऊ आए युवाओं की आपबीती : गैराज में बंदकर 18 घंटे ठगी करवाते, एक बार खाना देते, नींद आने पर करंट लगाते म्यांमार में डिजिटल अरेस्ट गैंग के चंगुल से छुड़ाकर लाए गए 21 युवक मंगलवार की रात लखनऊ पहुंचे। यहां LIU टीम ने पुलिस लाइन में उनसे 5 घंटे पूछताछ की। फॉर्म पर उनकी जानकारी, म्यांमार में रहने वाले परिचित भारतीयों की डिटेल भरवाई। 24 सवालों के जवाब भी लिखवाए। युवक बस से उतरने के बाद चेहरा छिपाते दिखे। कैमरे पर कोई बात नहीं की, लेकिन ऑफ कैमरा जो बताया, वो काफी हैरान करने वाला है। पढ़िए पूरी खबर…
म्यांमार से साइबर माफिया के चंगुल से छुड़ाकर लखनऊ लाए गए 21 युवकों ने चौंकाने वाले खुलासे किए। पुलिस से पूछताछ में उन्होंने बताया कि कंबोडिया और चीन में बैठे साइबर ठग उन पर बिग बॉस की तरह नजर रखते थे। उनकी सिर्फ आवाज सुनाई देती थी। वे किसी की गलती पर सजा और अच्छे काम पर इनाम की घोषणा करते थे। उन्होंने बताया कि ठगों ने लोगों को फंसाने के लिए पहले ट्रेनिंग दी, फिर 18 घंटे तक काम कराया जाता था। विरोध करने पर बाल और नाखून नोचते थे। तीसरी बार टॉयलेट जाने पर पानी देना बंद कर देते थे और प्राइवेट पार्ट काटने की धमकी देते थे। सोशल मीडिया पर लड़कियों के नाम से अकाउंट बनाकर लोगों को फंसवाते थे। पीड़ित युवकों ने म्यांमार-थाईलैंड ले जाने वाले एजेंट जावेद के खिलाफ लखनऊ के मदेयगंज थाने में FIR दर्ज कराई है। म्यांमार से लाए गए 540 युवाओं में 64 लोग यूपी के हैं, जिनमें से 21 लोग लखनऊ और आसपास के जिलों के हैं। मंगलवार को पुलिस लाइन में पूछताछ के बाद 13 जिलों के 21 युवकों को उनके घर भेज दिया गया। लाखों के पैकेज का ऑफर देकर भेजते थे म्यांमार पीड़ितों के मुताबिक, फेसबुक और इंस्टाग्राम पर उनके विज्ञापन पर अपना डेटा देते ही एजेंट फोन पर संपर्क करता था। इसके बाद लाखों के पैकेज का झांसा देकर वीजा और पासपोर्ट के नाम पर पहले हजारों रुपए लेता था। रुपए देने के 15 दिन के अंदर वीजा और एयर टिकट दिया जाता था। दिल्ली से बैंकॉक की फ्लाइट से ले जाया जाता था, फिर वहां से सड़क या जहाज के जरिए म्यांमार पहुंचाया जाता था। करीब 500 किलोमीटर दूर कार से माईशॉट शहर ले जाकर एक होटल में ठहराया जाता था। बाद में उन्हें ट्रेनिंग सेंटर भेज दिया जाता था। वहां उनका पासपोर्ट और डिग्री जब्त कर ली जाती थी। इसके बाद उन्हें एक बिल्डिंग में कैद कर दिया जाता था। गेट के बाहर जाना तो दूर, छत तक जाने की इजाजत नहीं थी। सूरज और चांद की रोशनी तक देखना नसीब नहीं होता था। 18 घंटे तक काम कराते, विरोध करने पर पीटते लखनऊ के सुल्तान सलाउद्दीन रब्बानी ने कहा- ट्रेनिंग के दौरान कोई भी विरोध करता तो उसे पीटा जाता था और सोने नहीं दिया जाता था। चीन और पाकिस्तान के हैकर ऑनलाइन ट्रेनिंग देते थे। इस दौरान कंबोडिया में बैठा सरगना सीसीटीवी के जरिए मॉनिटरिंग करता था। उनसे 18 घंटे तक काम कराया जाता था। विरोध करने या ट्रेनिंग में लापरवाही करने वालों के बाल नोच लिए जाते थे। अगर हम लोग एकजुट होकर हंगामा करने की कोशिश करते तो नाखून उखाड़ दिए जाते थे। दो से तीन बार टॉयलेट जाने पर पानी देना बंद कर दिया जाता था और प्राइवेट पार्ट काटने की धमकी दी जाती थी। ट्रेनिंग पूरी होने के बाद करवाते थे ठगी वाराणसी के आकिब ने बताया कि ट्रेनिंग के बाद उन्हें एक कॉल सेंटर में भेजा जाता था। वहां उन्हें एक स्क्रिप्ट दी जाती थी, जिसमें बताया जाता था कि उन्हें क्या बोलना है। एक सॉफ्टवेयर की मदद से महिलाओं की आवाज में बात कर लोगों का बैंक डेटा जुटाया जाता था। फिर डेटा कंबोडिया और चीन में बैठे सरगना के जरिए अन्य लोगों को भेजा जाता था। औरेया के अतुल यादव ने बताया- युवतियों के नाम पर सोशल मीडिया अकाउंट बनाए जाते थे। प्रोफाइल पर सुंदर तस्वीरें लगाई जाती थीं और बायो में नंबर दिया जाता था। फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजने के बाद, सॉफ्टवेयर की मदद से महिलाओं की आवाज में बात कर लोगों को फंसाया जाता था। ———————————————– ये खबर भी पढ़िए… म्यांमार से छूटकर लखनऊ आए युवाओं की आपबीती : गैराज में बंदकर 18 घंटे ठगी करवाते, एक बार खाना देते, नींद आने पर करंट लगाते म्यांमार में डिजिटल अरेस्ट गैंग के चंगुल से छुड़ाकर लाए गए 21 युवक मंगलवार की रात लखनऊ पहुंचे। यहां LIU टीम ने पुलिस लाइन में उनसे 5 घंटे पूछताछ की। फॉर्म पर उनकी जानकारी, म्यांमार में रहने वाले परिचित भारतीयों की डिटेल भरवाई। 24 सवालों के जवाब भी लिखवाए। युवक बस से उतरने के बाद चेहरा छिपाते दिखे। कैमरे पर कोई बात नहीं की, लेकिन ऑफ कैमरा जो बताया, वो काफी हैरान करने वाला है। पढ़िए पूरी खबर…