
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के महासचिव दत्तात्रेय होसबाले ने बुधवार को कहा कि देश में अलग-अलग तरीकों से पश्चिमी उदारवादी विचारों का प्रभाव बढ़ रहा है। इससे देश की सांस्कृतिक पहचान को खतरा पैदा हो रहा है। उन्होंने लोगों से जागरूक होकर इस खतरे को रोकने की अपील की। उन्होंने कहा कि मैं बहुत गंभीर बात कह रहा हूं। एक बार नई जेनरेशन के दिमाग में पश्चिमी विचारधारा घर कर गया, तो वो जेनरेशन बर्बाद हो जाएगी। हमारी सांस्कृतिक पहचान खत्म हो जाएगी। यह बहुत ही गंभीर बात है जिसे लेकर हमें सचेत रहने की जरूरत है। हमें ये भी देखना होगा कि इन्हें यहीं रोक दिया जाए। दत्तात्रेय होसबाले ने ये बातें ‘हू इज रेजिंग यॉर चिल्ड्रन: ब्रेकिंग इंडिया विद यूथ वॉरियर्स’ किताब के लॉन्च पर कहीं। इस किताब को राजीव मल्होत्रा और विजया विश्वनाथन ने लिखा है। होसबाले बोले- वोकिज्म समाज को गुलाम बनाने की नई रणनीति होसबाले ने कहा कि ‘वोकिज्म’ (wokeism) अब कई तरीकों से हमारे समाज में प्रवेश कर चुका है। उन्होंने कहा कि यह गुलाम बनाने की नई रणनीति है, जिसके तहत लिबरेलाइजेशन और ग्लोबलाइजेशन के नाम पर सभी सांस्कृतिक पहचान और सभ्यताओं को एक जैसे रंग में रंगने और एक ही ढांचे में बांधने की कोशिश की जा रही है। होसबाले ने कहा कि देश की सामाजिक और सांस्कृतिक सीमाएं अब कमजोर हो रही हैं। हमारी सीमाओं की सुरक्षा के लिए सेना है, लेकिन हमें अपनी सांस्कृतिक सीमाओं को भी सुरक्षित रखना होगा। अगर इसमें सेंध लगी, तो यह बहुत बड़ा संकट खड़ा कर सकता है। होसबाले ने कहा- जो बातें हमारे समाज में एंट्री कर रहीं, उन पर ध्यान देना जरूरी उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय समाज हमेशा दूसरी संस्कृतियों और विचारों के प्रति खुला रहा है। लेकिन जो भी नया विचार आ रहा है, वह अच्छा है या नहीं, यह सवाल पर ध्यान देने की जरूरत है। होसबाले ने इस किताब में उठाए गए सवालों पर कहा कि शिक्षा के पश्चिमी मॉडल और सेक्शुअलिटी से जुड़े आइडिया को अपनाना चिंताजनक है। उन्होंने कहा कि यह ध्यान देने की बात है कि जो चीजें हमारे घरों, स्कूलों और नई पीढ़ियों के दिमाग में घर बना रही हैं, वे कितनी अच्छी हैं, मूल्यों से जुड़ी हैं, सभ्यता के मुताबिक हैं और सांस्कृतिक रूप से मजबूत हैं। ————————– RSS से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… RSS मुखपत्र में लिखा-स्वार्थ के लिए मंदिर का प्रचार गलत:इसे राजनीति का हथियार न बनाएं; भागवत ने कहा था- मंदिर-मस्जिद विवाद सही नहीं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के मुखपत्र पांचजन्य ने मंदिर-मस्जिद विवाद पर RSS प्रमुख मोहन भागवत के बयान का समर्थन किया है। पांचजन्य ने संपादकीय में लिखा कि कुछ लोग अपने राजनीतिक स्वार्थों के लिए मंदिरों का प्रचार कर रहे हैं और खुद को हिंदू विचारक के रूप में पेश कर रहे हैं। पांचजन्य के संपादक हितेश शंकर ने संपादकीय ‘मंदिरों पर यह कैसा दंगल’ में लिखा- मंदिरों का राजनीतिक फायदे के लिए इस्तेमाल स्वीकार्य नहीं है। इसे राजनीति का हथियार नहीं बनाना चाहिए। भागवत का बयान गहरी दृष्टि और सामाजिक विवेक का आह्वान है। पूरी खबर यहां पढ़ें…
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के महासचिव दत्तात्रेय होसबाले ने बुधवार को कहा कि देश में अलग-अलग तरीकों से पश्चिमी उदारवादी विचारों का प्रभाव बढ़ रहा है। इससे देश की सांस्कृतिक पहचान को खतरा पैदा हो रहा है। उन्होंने लोगों से जागरूक होकर इस खतरे को रोकने की अपील की। उन्होंने कहा कि मैं बहुत गंभीर बात कह रहा हूं। एक बार नई जेनरेशन के दिमाग में पश्चिमी विचारधारा घर कर गया, तो वो जेनरेशन बर्बाद हो जाएगी। हमारी सांस्कृतिक पहचान खत्म हो जाएगी। यह बहुत ही गंभीर बात है जिसे लेकर हमें सचेत रहने की जरूरत है। हमें ये भी देखना होगा कि इन्हें यहीं रोक दिया जाए। दत्तात्रेय होसबाले ने ये बातें ‘हू इज रेजिंग यॉर चिल्ड्रन: ब्रेकिंग इंडिया विद यूथ वॉरियर्स’ किताब के लॉन्च पर कहीं। इस किताब को राजीव मल्होत्रा और विजया विश्वनाथन ने लिखा है। होसबाले बोले- वोकिज्म समाज को गुलाम बनाने की नई रणनीति होसबाले ने कहा कि ‘वोकिज्म’ (wokeism) अब कई तरीकों से हमारे समाज में प्रवेश कर चुका है। उन्होंने कहा कि यह गुलाम बनाने की नई रणनीति है, जिसके तहत लिबरेलाइजेशन और ग्लोबलाइजेशन के नाम पर सभी सांस्कृतिक पहचान और सभ्यताओं को एक जैसे रंग में रंगने और एक ही ढांचे में बांधने की कोशिश की जा रही है। होसबाले ने कहा कि देश की सामाजिक और सांस्कृतिक सीमाएं अब कमजोर हो रही हैं। हमारी सीमाओं की सुरक्षा के लिए सेना है, लेकिन हमें अपनी सांस्कृतिक सीमाओं को भी सुरक्षित रखना होगा। अगर इसमें सेंध लगी, तो यह बहुत बड़ा संकट खड़ा कर सकता है। होसबाले ने कहा- जो बातें हमारे समाज में एंट्री कर रहीं, उन पर ध्यान देना जरूरी उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय समाज हमेशा दूसरी संस्कृतियों और विचारों के प्रति खुला रहा है। लेकिन जो भी नया विचार आ रहा है, वह अच्छा है या नहीं, यह सवाल पर ध्यान देने की जरूरत है। होसबाले ने इस किताब में उठाए गए सवालों पर कहा कि शिक्षा के पश्चिमी मॉडल और सेक्शुअलिटी से जुड़े आइडिया को अपनाना चिंताजनक है। उन्होंने कहा कि यह ध्यान देने की बात है कि जो चीजें हमारे घरों, स्कूलों और नई पीढ़ियों के दिमाग में घर बना रही हैं, वे कितनी अच्छी हैं, मूल्यों से जुड़ी हैं, सभ्यता के मुताबिक हैं और सांस्कृतिक रूप से मजबूत हैं। ————————– RSS से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… RSS मुखपत्र में लिखा-स्वार्थ के लिए मंदिर का प्रचार गलत:इसे राजनीति का हथियार न बनाएं; भागवत ने कहा था- मंदिर-मस्जिद विवाद सही नहीं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के मुखपत्र पांचजन्य ने मंदिर-मस्जिद विवाद पर RSS प्रमुख मोहन भागवत के बयान का समर्थन किया है। पांचजन्य ने संपादकीय में लिखा कि कुछ लोग अपने राजनीतिक स्वार्थों के लिए मंदिरों का प्रचार कर रहे हैं और खुद को हिंदू विचारक के रूप में पेश कर रहे हैं। पांचजन्य के संपादक हितेश शंकर ने संपादकीय ‘मंदिरों पर यह कैसा दंगल’ में लिखा- मंदिरों का राजनीतिक फायदे के लिए इस्तेमाल स्वीकार्य नहीं है। इसे राजनीति का हथियार नहीं बनाना चाहिए। भागवत का बयान गहरी दृष्टि और सामाजिक विवेक का आह्वान है। पूरी खबर यहां पढ़ें…