शुजालपुर में तीसरी क्लास की बच्ची की मासूमियत और पढ़ाई के प्रति लगन ने पुलिस का दिल जीत लिया। उसका गुमा हुआ बैग ढूंढने के लिए खास टीम बनाई गई। पुलिसकर्मियों ने पूरी मुस्तैदी से ड्यूटी निभाई और उसका बैग ढूंढ़ निकाला। मामला शुजालपुर मंडी इलाके का है। यहां सरस्वती शिशु मंदिर में पढ़ने वाली चेरी नायक गुरुवार को मम्मी पूजा, दादी कृष्णा और बुआ रंजना के साथ स्कूल गई थी। लौटते वक्त उसका बैग ऑटो में ही छूट गया। घर पहुंचने पर जब उसे बैग नहीं मिला तो वह फूट-फूटकर रोने लगी। उसे इस बात की चिंता सताने लगी कि उसकी सारी किताबें और वर्कबुक बैग में ही हैं। बैग नहीं मिला तो वह अपनी पढ़ाई कैसे करेगी। उसने ये परेशानी घरवालों से शेयर की। परिवार ने उसे नया बैग और किताबें-कॉपियां खरीदकर देने का दिलासा दिया। चेरी नहीं मानी। उसने बैग ढूंढ़ने के लिए पुलिस से मदद मांगने की बात कही। पुलिस ने शहरभर के सीसीटीवी कैमरे खंगाले
चेरी की जिद पर पिता संदीप नायक और दादा अशोक नायक, उसे लेकर शुजालपुर मंडी थाने पहुंचे। यहां चेरी ने खुद अपनी परेशानी एसडीओपी निमिष देशमुख को बताई। बच्ची के आंसू देखकर उन्होंने तुरंत मदद करने का फैसला किया। एसडीओपी देशमुख ने बैग ढूंढ़ने के लिए ट्रैफिक पुलिस की मदद लेने का फैसला किया। ट्रैफिक ASI धर्मेंद्र परस्ते और हेड कॉन्स्टेबल सुनील गुर्जर को शहरभर के सीसीटीवी कैमरे खंगालने के काम में लगाया गया। बिना नंबर के ऑटो को तलाशना बना चुनौती
सीसीटीवी फुटेज में चेरी एक ऑटो में बैठती तो दिखी, लेकिन उस पर नंबर प्लेट नहीं लगी थी। पुलिस ने हार नहीं मानी। ऑटो के आगे लिखे नाम और ऊपर लगे लोहे के स्टैंड की पहचान के आधार पर उसकी तलाश शुरू कर दी। ऑटो ड्राइवर का नंबर ढूंढ़कर लगाया फोन
पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज से मिले इस इनपुट को लेकर इलाके के ऑटो स्टैंड पर पूछताछ की। यहां ऑटो ड्राइवर की पहचान परवेज के रूप में हुई। पुलिस ने साथी ड्राइवरों से परवेज का फोन नंबर लिया। उसे कॉल करके सारा मामला बताया। परवेज ने कहा कि उसे ऑटो में स्कूल बैग मिला था लेकिन यात्री की पहचान नहीं कर पाने की वजह से बैग घर पर संभालकर रख लिया। इस पूरी कवायद में रात हो गई तो पुलिस ने परवेज को सुबह बैग के साथ थाने आने के लिए कहा। कंधों पर बैग टांगकर बच्ची को विदा किया
शुक्रवार सुबह परवेज बैग लेकर थाने पहुंचा। पुलिस ने चेरी के पिता संदीप नायक को फोन लगाया। चेरी को थाने बुलाकर प्यार से उसका बैग वापस सौंपा गया। बैग दोबारा हाथ में पाकर चेरी के चेहरे पर मुस्कान लौट आई। उसने पुलिस अंकल को थैंक यू भी कहा। एसडीओपी निमिष देशमुख ने बताया कि बच्ची की पढ़ाई के प्रति लगन देखकर हमने बैग ढूंढ़ने में पूरी ताकत लगा दी थी। ट्रैफिक पुलिस की मदद से बैग खोज निकाला। बच्ची के कंधों पर बैग टांगकर उसे विदा किया। परिवार की गुजारिश पर ऑटो चालक परवेज को समझा-बुझाकर छोड़ दिया कि आगे से कोई भी सामान मिले तो उसे तुरंत पुलिस के पास जमा करे। ये खबर भी पढ़ें… इंदौर में मासूम को बचाने सड़क पर जुटे लोग इंदौर में 3 साल की मासूम कनिका एक गंभीर बीमारी से जूझ रही है। बीमारी भी ऐसी कि जिसका इलाज दुनिया में सबसे महंगा है। बच्ची को स्पाइन मस्कुलर एट्रफी (SMA) टाइप-2 नाम की बीमारी है। जिसके इलाज में लगने वाले इंजेक्शन की कीमत करीब 9 करोड़ रुपए है। पढ़ें पूरी खबर…
शुजालपुर में तीसरी क्लास की बच्ची की मासूमियत और पढ़ाई के प्रति लगन ने पुलिस का दिल जीत लिया। उसका गुमा हुआ बैग ढूंढने के लिए खास टीम बनाई गई। पुलिसकर्मियों ने पूरी मुस्तैदी से ड्यूटी निभाई और उसका बैग ढूंढ़ निकाला। मामला शुजालपुर मंडी इलाके का है। यहां सरस्वती शिशु मंदिर में पढ़ने वाली चेरी नायक गुरुवार को मम्मी पूजा, दादी कृष्णा और बुआ रंजना के साथ स्कूल गई थी। लौटते वक्त उसका बैग ऑटो में ही छूट गया। घर पहुंचने पर जब उसे बैग नहीं मिला तो वह फूट-फूटकर रोने लगी। उसे इस बात की चिंता सताने लगी कि उसकी सारी किताबें और वर्कबुक बैग में ही हैं। बैग नहीं मिला तो वह अपनी पढ़ाई कैसे करेगी। उसने ये परेशानी घरवालों से शेयर की। परिवार ने उसे नया बैग और किताबें-कॉपियां खरीदकर देने का दिलासा दिया। चेरी नहीं मानी। उसने बैग ढूंढ़ने के लिए पुलिस से मदद मांगने की बात कही। पुलिस ने शहरभर के सीसीटीवी कैमरे खंगाले
चेरी की जिद पर पिता संदीप नायक और दादा अशोक नायक, उसे लेकर शुजालपुर मंडी थाने पहुंचे। यहां चेरी ने खुद अपनी परेशानी एसडीओपी निमिष देशमुख को बताई। बच्ची के आंसू देखकर उन्होंने तुरंत मदद करने का फैसला किया। एसडीओपी देशमुख ने बैग ढूंढ़ने के लिए ट्रैफिक पुलिस की मदद लेने का फैसला किया। ट्रैफिक ASI धर्मेंद्र परस्ते और हेड कॉन्स्टेबल सुनील गुर्जर को शहरभर के सीसीटीवी कैमरे खंगालने के काम में लगाया गया। बिना नंबर के ऑटो को तलाशना बना चुनौती
सीसीटीवी फुटेज में चेरी एक ऑटो में बैठती तो दिखी, लेकिन उस पर नंबर प्लेट नहीं लगी थी। पुलिस ने हार नहीं मानी। ऑटो के आगे लिखे नाम और ऊपर लगे लोहे के स्टैंड की पहचान के आधार पर उसकी तलाश शुरू कर दी। ऑटो ड्राइवर का नंबर ढूंढ़कर लगाया फोन
पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज से मिले इस इनपुट को लेकर इलाके के ऑटो स्टैंड पर पूछताछ की। यहां ऑटो ड्राइवर की पहचान परवेज के रूप में हुई। पुलिस ने साथी ड्राइवरों से परवेज का फोन नंबर लिया। उसे कॉल करके सारा मामला बताया। परवेज ने कहा कि उसे ऑटो में स्कूल बैग मिला था लेकिन यात्री की पहचान नहीं कर पाने की वजह से बैग घर पर संभालकर रख लिया। इस पूरी कवायद में रात हो गई तो पुलिस ने परवेज को सुबह बैग के साथ थाने आने के लिए कहा। कंधों पर बैग टांगकर बच्ची को विदा किया
शुक्रवार सुबह परवेज बैग लेकर थाने पहुंचा। पुलिस ने चेरी के पिता संदीप नायक को फोन लगाया। चेरी को थाने बुलाकर प्यार से उसका बैग वापस सौंपा गया। बैग दोबारा हाथ में पाकर चेरी के चेहरे पर मुस्कान लौट आई। उसने पुलिस अंकल को थैंक यू भी कहा। एसडीओपी निमिष देशमुख ने बताया कि बच्ची की पढ़ाई के प्रति लगन देखकर हमने बैग ढूंढ़ने में पूरी ताकत लगा दी थी। ट्रैफिक पुलिस की मदद से बैग खोज निकाला। बच्ची के कंधों पर बैग टांगकर उसे विदा किया। परिवार की गुजारिश पर ऑटो चालक परवेज को समझा-बुझाकर छोड़ दिया कि आगे से कोई भी सामान मिले तो उसे तुरंत पुलिस के पास जमा करे। ये खबर भी पढ़ें… इंदौर में मासूम को बचाने सड़क पर जुटे लोग इंदौर में 3 साल की मासूम कनिका एक गंभीर बीमारी से जूझ रही है। बीमारी भी ऐसी कि जिसका इलाज दुनिया में सबसे महंगा है। बच्ची को स्पाइन मस्कुलर एट्रफी (SMA) टाइप-2 नाम की बीमारी है। जिसके इलाज में लगने वाले इंजेक्शन की कीमत करीब 9 करोड़ रुपए है। पढ़ें पूरी खबर…