पंजाब में जिला परिषद और ब्लॉक समिति चुनाव के नतीजों ने 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी को चेता दिया है। आम आदमी ने ब्लॉक समिति की एक हजार से ज्यादा सीटें जीती और जिला परिषद की भी 160 से ज्यादा सीटें जीत लीं लेकिन असली खतरा दिग्गजों के गढ़ में पार्टी की हार का है।
AAP सरकार में पहले मंत्री और अब लोकसभा के सांसद गुरमीत सिंह मीत हेयर के गांव कुरड़, संगरूर MLA नरिंदर भराज के गांव भराज, कोटकपूरा से MLA स्पीकर कुलतार संधवां के गांव संधवां, पूर्व मंत्री व MLA कुलदीप धालीवाल के गांव जगदेव कलां से उनके उम्मीदवार हार गए। पॉलिटिकल एक्सपर्ट डॉ भूपिंदर सिंह मानते हैं कि AAP की जीत जरूर हुई है लेकिन अगले विधानसभा चुनाव के लिए निश्चिंत होने जैसी स्थिति नहीं है। हो सकता है कि सरकार का काम लोगों को पसंद आया हो लेकिन इनके विधायकों-सांसदों की कारगुजारी और बयान लोगों को नागवार गुजरे हैं।
फिरोजपुर में जिस पूर्व गैंगस्टर गुरप्रीत सेखों को पुलिस ने बीच चुनाव प्रचार में गिरफ्तार किया था, उसके आजाद ग्रुप के भी 2 उम्मीदवार जिला परिषद चुनाव जीत गए। इसे भी AAP के प्रति लोगों की नाराजगी मानी जा रही है।
ऐसे में AAP को अब नए सिरे से चुनाव की रणनीति बनानी होगी। जिसमें विधायकों की जुबान पर लगाम लगाने के साथ छवि सुधारने की चेतावनी दी जा सकती है। अगर सर्वे में हालत बिगड़ी मिली तो चेहरे भी बदले जा सकते हैं। कांग्रेस की हालत बदतर, प्रधान वड़िंग फिर विलेन
कांग्रेस 2027 में खुद को प्रमुख विपक्षी दल क्लेम कर रही है लेकिन वोटरों के बीच हालात बदतर हैं। ब्लॉक समिति में कांग्रेस करीब 350 और जिला परिषद में 20 के आसपास सिमट गई। ऐसे में साफ है कि वह कहीं भी AAP का मुकाबला करते हुए नजर नहीं आती।
तरनतारन उपचुनाव में कांग्रेस की जमानत जब्त कराने वाले प्रधान राजा वड़िंग फिर विलेन नजर आए हैं। उनके गृह जिले श्री मुक्तसर साहिब से तो कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत पाई। यह हालत तब है, जबकि वड़िंग ने तरनतारन हार के बाद यहां जमकर प्रचार किया था। ऐसे में उनको लेकर अब कांग्रेस हाईकमान सीरियसली जरूर सोचेगा। खास तौर पर वह पहले ही अमृतसर से कांग्रेस नेता डॉ. नवजोत कौर सिद्धू के निशाने पर हैं।
इससे कांग्रेस की हालत को लेकर अंदरूनी तौर पर वड़िंग का विरोध बढ़ेगा। वहीं पूर्व सीएम चरणजीत चन्नी समेत दूसरे नेताओं का प्रधानगी की कुर्सी से लेकर सीएम चेहरे तक दावेदारी मजबूत होगी। चन्नी ने ये भी दावा किया कि चमकौर साहिब की सभी 15 ब्लॉक समिति सीटों पर कांग्रेस ने क्लीन स्वीप किया है।
हालांकि वड़िंग कह रहे कि ये नतीजे मनगढ़ंत हैं। एक साल बचा हुआ है, लोग AAP को सत्ता से बाहर निकाल देंगे। इनकी उलटी गिनती शुरू हो चुकी है। उम्मीदवार हार गए लेकिन वड़िंग का कहना है कि वह इनके प्रदर्शन से संतुष्ट हैं। अकाली दल लगातार कमबैक की ओर
सबसे दिलचस्प अकाली दल की परफॉर्मेंस है, जिसे 2017 के बाद से वोटर नकारते हुए नजर आ रहे थे। अकाली दल ने पहले तरनतारन उपचुनाव में AAP को टक्कर देकर सबको चौंकाया। इसके अब जिला परिषद में 9 और ब्लॉक समिति में 244 सीटें जीतकर कमबैक के फिर संकेत दिए हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों में अकाली दल की छोटी जीत भी बड़ा पॉलिटिकल मैसेज देती है। इसकी वजह ये है कि अकाली दल का आधार ही गांवों में है। उनकी 2007 से 2017 की सरकार में श्री गुरू ग्रंथ साहिब की बेअदबी, गोलीकांड और डेरा सच्चा सौदा मुखी राम रहीम को माफी से सबसे बड़ी नाराजगी ग्रामीण तबके में ही थी।
अब उनके उम्मीदवारों का जीतना ये संकेत है कि अकाली दल के प्रति लोगों की नाराजगी कम होती नजर आ रही है। हालांकि यह AAP के प्रति वोटर्स का गुस्सा भी हो सकता है लेकिन फिलहाल अकाली दल कांग्रेस के बराबर अपनी मौजूदगी को संजीवनी मान रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में भाजपा पूरी तरह फेल
पंजाब के गांवों में वोट बैंक बढ़ाने की कोशिश में जुटी भाजपा को बड़ा झटका लगा है। भाजपा ब्लॉक समिति की करीब 28 और जिला परिषद की एक ही सीट जीत पाई। ऐसे में साफ है कि भाजपा का ग्रामीण क्षेत्रों में आधार नहीं है और इसे बनाने के लिए लंबा टाइम लगेगा। 2027 में अगर वह अपनी मजबूत स्थिति करना चाहें तो उनकी पार्टी के नेता व पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह के कहे मुताबिक उन्हें अकाली दल से गठजोड़ करना होगा। ऐसा न करें तो फिर शहरों में ही अपने आधार को और मजबूत करना होगा ताकि गठबंधन करें भी तो मोलभाव करने जैसी किसी स्थिति में आ सकें। आगे क्या… निगम चुनाव से AAP का शहरों में टेस्ट होगा
पंजाब में अभी निगमों के चुनाव होने हैं, जिनमें मोहाली प्रमुख है। ग्रामीण क्षेत्रों से AAP को जीत जरूर मिली लेकिन दिग्गजों के गांवों में झटका लगा है। ऐसी सूरत में शहरों में चुनाव AAP के लिए महत्वपूर्ण होंगे। खास तौर पर शहरों में कांग्रेस के साथ भाजपा अपना दमखम दिखाएगी। ऐसे में AAP को इन चुनावों में भी ऐसी हालत न हो, इसके लिए अभी से रणनीति बनानी होगी। …………… पंजाब में जिला परिषद-ब्लॉक समिति रिजल्ट:लुधियाना में अकाली कार्यकर्ताओं ने NH जाम किया, पुलिस ने लाठीचार्ज कर खदेड़ा पंजाब में 17 दिसंबर को ब्लॉक समिति व जिला परिषद के नतीजे आए। रिजल्ट के आधार पर आम आदमी पार्टी अभी तक ब्लॉक समिति की एक हजार से अधिक सीटें जीत चुकी हैं। वहीं दूसरे नंबर पर कांग्रेस और तीसरे नंबर पर अकाली दल (ब) है। ये दोनों दल आप से आधी सीट भी जीतने में नाकाम रहे हैं। देर रात तक काउंटिंग चलती रही। पूरी खबर यहां क्लिक कर पढ़ें…
पंजाब में जिला परिषद और ब्लॉक समिति चुनाव के नतीजों ने 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी को चेता दिया है। आम आदमी ने ब्लॉक समिति की एक हजार से ज्यादा सीटें जीती और जिला परिषद की भी 160 से ज्यादा सीटें जीत लीं लेकिन असली खतरा दिग्गजों के गढ़ में पार्टी की हार का है।
AAP सरकार में पहले मंत्री और अब लोकसभा के सांसद गुरमीत सिंह मीत हेयर के गांव कुरड़, संगरूर MLA नरिंदर भराज के गांव भराज, कोटकपूरा से MLA स्पीकर कुलतार संधवां के गांव संधवां, पूर्व मंत्री व MLA कुलदीप धालीवाल के गांव जगदेव कलां से उनके उम्मीदवार हार गए। पॉलिटिकल एक्सपर्ट डॉ भूपिंदर सिंह मानते हैं कि AAP की जीत जरूर हुई है लेकिन अगले विधानसभा चुनाव के लिए निश्चिंत होने जैसी स्थिति नहीं है। हो सकता है कि सरकार का काम लोगों को पसंद आया हो लेकिन इनके विधायकों-सांसदों की कारगुजारी और बयान लोगों को नागवार गुजरे हैं।
फिरोजपुर में जिस पूर्व गैंगस्टर गुरप्रीत सेखों को पुलिस ने बीच चुनाव प्रचार में गिरफ्तार किया था, उसके आजाद ग्रुप के भी 2 उम्मीदवार जिला परिषद चुनाव जीत गए। इसे भी AAP के प्रति लोगों की नाराजगी मानी जा रही है।
ऐसे में AAP को अब नए सिरे से चुनाव की रणनीति बनानी होगी। जिसमें विधायकों की जुबान पर लगाम लगाने के साथ छवि सुधारने की चेतावनी दी जा सकती है। अगर सर्वे में हालत बिगड़ी मिली तो चेहरे भी बदले जा सकते हैं। कांग्रेस की हालत बदतर, प्रधान वड़िंग फिर विलेन
कांग्रेस 2027 में खुद को प्रमुख विपक्षी दल क्लेम कर रही है लेकिन वोटरों के बीच हालात बदतर हैं। ब्लॉक समिति में कांग्रेस करीब 350 और जिला परिषद में 20 के आसपास सिमट गई। ऐसे में साफ है कि वह कहीं भी AAP का मुकाबला करते हुए नजर नहीं आती।
तरनतारन उपचुनाव में कांग्रेस की जमानत जब्त कराने वाले प्रधान राजा वड़िंग फिर विलेन नजर आए हैं। उनके गृह जिले श्री मुक्तसर साहिब से तो कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत पाई। यह हालत तब है, जबकि वड़िंग ने तरनतारन हार के बाद यहां जमकर प्रचार किया था। ऐसे में उनको लेकर अब कांग्रेस हाईकमान सीरियसली जरूर सोचेगा। खास तौर पर वह पहले ही अमृतसर से कांग्रेस नेता डॉ. नवजोत कौर सिद्धू के निशाने पर हैं।
इससे कांग्रेस की हालत को लेकर अंदरूनी तौर पर वड़िंग का विरोध बढ़ेगा। वहीं पूर्व सीएम चरणजीत चन्नी समेत दूसरे नेताओं का प्रधानगी की कुर्सी से लेकर सीएम चेहरे तक दावेदारी मजबूत होगी। चन्नी ने ये भी दावा किया कि चमकौर साहिब की सभी 15 ब्लॉक समिति सीटों पर कांग्रेस ने क्लीन स्वीप किया है।
हालांकि वड़िंग कह रहे कि ये नतीजे मनगढ़ंत हैं। एक साल बचा हुआ है, लोग AAP को सत्ता से बाहर निकाल देंगे। इनकी उलटी गिनती शुरू हो चुकी है। उम्मीदवार हार गए लेकिन वड़िंग का कहना है कि वह इनके प्रदर्शन से संतुष्ट हैं। अकाली दल लगातार कमबैक की ओर
सबसे दिलचस्प अकाली दल की परफॉर्मेंस है, जिसे 2017 के बाद से वोटर नकारते हुए नजर आ रहे थे। अकाली दल ने पहले तरनतारन उपचुनाव में AAP को टक्कर देकर सबको चौंकाया। इसके अब जिला परिषद में 9 और ब्लॉक समिति में 244 सीटें जीतकर कमबैक के फिर संकेत दिए हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों में अकाली दल की छोटी जीत भी बड़ा पॉलिटिकल मैसेज देती है। इसकी वजह ये है कि अकाली दल का आधार ही गांवों में है। उनकी 2007 से 2017 की सरकार में श्री गुरू ग्रंथ साहिब की बेअदबी, गोलीकांड और डेरा सच्चा सौदा मुखी राम रहीम को माफी से सबसे बड़ी नाराजगी ग्रामीण तबके में ही थी।
अब उनके उम्मीदवारों का जीतना ये संकेत है कि अकाली दल के प्रति लोगों की नाराजगी कम होती नजर आ रही है। हालांकि यह AAP के प्रति वोटर्स का गुस्सा भी हो सकता है लेकिन फिलहाल अकाली दल कांग्रेस के बराबर अपनी मौजूदगी को संजीवनी मान रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में भाजपा पूरी तरह फेल
पंजाब के गांवों में वोट बैंक बढ़ाने की कोशिश में जुटी भाजपा को बड़ा झटका लगा है। भाजपा ब्लॉक समिति की करीब 28 और जिला परिषद की एक ही सीट जीत पाई। ऐसे में साफ है कि भाजपा का ग्रामीण क्षेत्रों में आधार नहीं है और इसे बनाने के लिए लंबा टाइम लगेगा। 2027 में अगर वह अपनी मजबूत स्थिति करना चाहें तो उनकी पार्टी के नेता व पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह के कहे मुताबिक उन्हें अकाली दल से गठजोड़ करना होगा। ऐसा न करें तो फिर शहरों में ही अपने आधार को और मजबूत करना होगा ताकि गठबंधन करें भी तो मोलभाव करने जैसी किसी स्थिति में आ सकें। आगे क्या… निगम चुनाव से AAP का शहरों में टेस्ट होगा
पंजाब में अभी निगमों के चुनाव होने हैं, जिनमें मोहाली प्रमुख है। ग्रामीण क्षेत्रों से AAP को जीत जरूर मिली लेकिन दिग्गजों के गांवों में झटका लगा है। ऐसी सूरत में शहरों में चुनाव AAP के लिए महत्वपूर्ण होंगे। खास तौर पर शहरों में कांग्रेस के साथ भाजपा अपना दमखम दिखाएगी। ऐसे में AAP को इन चुनावों में भी ऐसी हालत न हो, इसके लिए अभी से रणनीति बनानी होगी। …………… पंजाब में जिला परिषद-ब्लॉक समिति रिजल्ट:लुधियाना में अकाली कार्यकर्ताओं ने NH जाम किया, पुलिस ने लाठीचार्ज कर खदेड़ा पंजाब में 17 दिसंबर को ब्लॉक समिति व जिला परिषद के नतीजे आए। रिजल्ट के आधार पर आम आदमी पार्टी अभी तक ब्लॉक समिति की एक हजार से अधिक सीटें जीत चुकी हैं। वहीं दूसरे नंबर पर कांग्रेस और तीसरे नंबर पर अकाली दल (ब) है। ये दोनों दल आप से आधी सीट भी जीतने में नाकाम रहे हैं। देर रात तक काउंटिंग चलती रही। पूरी खबर यहां क्लिक कर पढ़ें…