हरियाणा के बहुचर्चित पूर्व विधायक रेलूराम हत्याकांड के आरोपी दामाद संजीव की रिहाई हो गई है। शनिवार को यमुनानगर में व्यासपुर कोर्ट में परिवार ने 50 हजार का बेल बॉन्ड भरा। संजीव 2018 में फरलो पर आकर फरार हो गया था। शाम 4 बजे संजीव की करनाल जेल से रिहाई हो गई। संजीव ने मीडिया से बातचीत करने से मना कर दिया। उसने कहा कि वह तीन दिन बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस करेगा। बता दें कि संजीव करनाल जिला जेल के बैरक नंबर 17A में बंद था। करनाल जिला जेल के SP लखबीर सिंह ने बताया कि कोर्ट के आदेश पर संजीव को रिहा किया गया। यहां पर एक गाड़ी आई थी, जिसमें परिवार के तीन-चार लोग थे, वे संजीव को लेकर गए। सोनिया के संबंध में कोई आदेश नहीं आए हैं। कल शुक्रवार को हिसार कोर्ट ने संजीव की रिहाई के आदेश दिए थे। उत्तर प्रदेश के सहारनपुर निवासी संजीव की मां राजबीरी देवी और चाचा राजेंद्र ने मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी राजीव कुमार की अदालत में जमानतनामा (बेल बॉन्ड) जमा करवाया था। दोनों ने एक-एक लाख रुपए का बेल बॉन्ड भरा था। बता दें कि 23 अगस्त 2001 में हिसार के लितानी गांव में फॉर्म हाउस में छोटी बेटी सोनिया ने पति संजीव के साथ मिलकर प्रॉपर्टी के लालच में पिता रेलूराम पूनिया (50), उनकी पत्नी कृष्णा देवी (41), बच्चे प्रियंका (14), सुनील (23), बहू शकुंतला (20), पोता लोकेश (4) और दो पोतियों शिवानी (2) तथा 45 दिन की प्रीति की हत्या कर दी थी। संजीव की एडवोकेट दीपमाला उर्फ महक ने कहा कि संजीव बहुत समय बाद बाहर आया है। सोनिया के बारे में उन्होंने बताया कि वे सोमवार या फिर मंगलवार को बाहर आ सकती है। उसकी प्रोसेस भी शुरू हो चुकी है। उन्होंने बताया कि इस केस को मैंने अच्छे से स्टडी किया है। यह केस मेरे लिए भी बहुत हार्ड था। 11 दिसंबर को मिली थी अंतरिम जमानत
साल 2004 में हिसार की अदालत ने संजीव और सोनिया को फांसी की सजा सुनाई थी, जिसे 2007 में सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा। 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने दया याचिका में देरी का हवाला देते हुए सजा को उम्रकैद में बदल दिया था। इसके बाद पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने राहत देते हुए बीते गुरुवार को ही दोनों को अंतरिम जमानत दे दी थी। उधर, सोनिया और संजीव की रिहाई से रेलूराम का परिवार परेशान है। उनकी अपनी जान का खतरा सता रहा है। परिवार ने SP से मिलकर सुरक्षा की गुहार लगाई है, वहीं प्राइवेट सिक्योरिटी के लिए भी एजेंसियों से संपर्क किया है। इससे पहले संजीव के फरार होने पर परिवार ने पूरी कोठी में सीसीटीवी कैमरे लगवाए थे। यहां जानिए यमुनानगर का वह मामला, जिसमें संजीव आरोपी… फरलो पर आकर फरार हुआ था संजीव
पुलिस के मुताबिक, वर्ष 2004 में हत्यारे संजीव को कोर्ट ने सजा सुना दी थी। इसके बाद से ही वह अलग-अलग जेलों में रहा। हालांकि बीच-बीच में वह पैरोल पर बाहर आता रहा। कई बार वह पैरोल पर आया और फिर वापस लौट जाता था। मई 2018 में वह 28 दिन की फरलो पर बाहर आया था। इस बार उसने बिलासपुर के चांगनौली का पता दिया। यहां पर उसे मकान की मरम्मत कराने के नाम पर फरलो ली थी। 31 मई को उसे लौटना था, लेकिन वह वापस नहीं गया। बिलासपुर थाने में जेल अधिनियम सहित 420, 467, 468, 471, 120-बी के तहत मामला दर्ज किया गया था। बाद में यह केस STF को दिया गया। उस समय डिटेक्टिव यूनिट (अब सीआईटू) को इसकी जांच दी गई। टीम जांच में लगी रही, लेकिन संजीव का कोई पता नहीं लग सका। टीम ने बिलासपुर से लेकर उसके पैतृक घर उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले के लक्ष्मणपुरी में भी दबिश दी थी। परिवार से भी पूछताछ की, लेकिन कोई पता नहीं लग सका। 3 साल बाद मेरठ से किया गया था अरेस्ट
संजीव को मोस्ट वांटेड अपराधियों की सूची में शामिल करते हुए एक लाख रुपए का इनाम भी घोषित किया गया था। तीन साल बाद उसे मेरठ से गिरफ्तार किया गया था पूछताछ में संजीव ने बताया था कि उसका जेल में दम घुटने लगा था। वह खुली हवा में रहना चाहता था। इसलिए उसने फरलो मिलने पर यहां से भाग जाने की योजना बनाई थी। उसने पहले ही सोचा हुआ था कि फरार होने पर वह नेपाल में छिपकर रहेगा। वहां पर वह आठ दिन तक रहा, लेकिन उसके पास कोई आईडी नहीं थी। इसलिए उसे किसी ने अपने पास न तो नौकरी पर रखा और न ही रहने दिया। इसके बाद उसने नर्मदा नदी के किनारे-किनारे भ्रमण किया। वह किसी को अपनी पहचान नहीं बताता था। तीन साल तक जंगलों, सड़कों पर भटकने के बाद वह यूपी के मेरठ आया था, जहां से उसे गिरफ्तार किया था। संजीव ने जेल में रहते हुए 5 अपराध किए
संजीव पर जेल में रहते हुए भी अपराध करने के आरोप हैं। 7 फरवरी 2005 को संजीव ने जेल में नाइट वॉचमैन के साथ दुर्व्यवहार किया। 18 अक्टूबर 2008 को संजीव ने अपने अन्य साथी कैदियों के साथ मिलकर सेंट्रल जेल, अंबाला से सुरंग खोदकर बाहर निकलने की योजना बनाई। इसके संबंध में 24 अक्टूबर 2008 अंबाला के बलदेव नगर थाने में एफआईआर दर्ज की गई थी। 19 अगस्त 2012 और 4 अप्रैल 2018 को उसने अन्य कैदियों के साथ झगड़ा किया। 31 मई 2018 को वह 2 साल, 8 महीने और 4 दिनों के लिए फरलो से फरार हो गया। इसका यमुनानगर के बिलासपुर थाने में केस दर्ज है। यह मामला लंबित है, जिसमें उसे जमानत नहीं मिली है। —————– ये खबर भी पढ़ें…
रेलूराम परिवार हत्याकांड में संजीव के रिलीज ऑर्डर जारी:सोनिया की रिहाई बाकी, हिसार कोर्ट में मां व चाचा ने एक-एक लाख बेल बॉन्ड भरा हरियाणा में करीब 24 साल पुराने पूर्व MLA रेलूराम पूनिया परिवार हत्याकांड मामले में आज शुक्रवार को दामाद संजीव की रिहाई के आदेश हिसार कोर्ट से हो गए हैं। संजीव के चाचा और मां ने मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी राजीव कुमार की अदालत में जमानतनामा (बेल बॉन्ड) जमा करवा दिया है। दोनों ने एक-एक लाख रुपए का बेल बॉन्ड भरा। (पूरी खबर पढ़ें) रेलूराम पूनिया फैमिली हत्याकांड, बेटी-दामाद जेल से बाहर आएंगे:हाईकोर्ट ने दी अंतरिम जमानत; 24 साल पहले की थी 8 लोगों की निर्मम हत्या हरियाणा में बरवाला से पूर्व विधायक रेलूराम पूनिया और उनके परिवार की सामूहिक हत्या में गुरुवार को पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया। हाईकोर्ट ने अपने अहम फैसले में हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रही उनकी बेटी सोनिया और दामाद संजीव की समयपूर्व रिहाई से जुड़े विवादित सरकारी आदेश को रद्द कर दिया। (पूरी खबर पढ़ें)
हरियाणा के बहुचर्चित पूर्व विधायक रेलूराम हत्याकांड के आरोपी दामाद संजीव की रिहाई हो गई है। शनिवार को यमुनानगर में व्यासपुर कोर्ट में परिवार ने 50 हजार का बेल बॉन्ड भरा। संजीव 2018 में फरलो पर आकर फरार हो गया था। शाम 4 बजे संजीव की करनाल जेल से रिहाई हो गई। संजीव ने मीडिया से बातचीत करने से मना कर दिया। उसने कहा कि वह तीन दिन बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस करेगा। बता दें कि संजीव करनाल जिला जेल के बैरक नंबर 17A में बंद था। करनाल जिला जेल के SP लखबीर सिंह ने बताया कि कोर्ट के आदेश पर संजीव को रिहा किया गया। यहां पर एक गाड़ी आई थी, जिसमें परिवार के तीन-चार लोग थे, वे संजीव को लेकर गए। सोनिया के संबंध में कोई आदेश नहीं आए हैं। कल शुक्रवार को हिसार कोर्ट ने संजीव की रिहाई के आदेश दिए थे। उत्तर प्रदेश के सहारनपुर निवासी संजीव की मां राजबीरी देवी और चाचा राजेंद्र ने मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी राजीव कुमार की अदालत में जमानतनामा (बेल बॉन्ड) जमा करवाया था। दोनों ने एक-एक लाख रुपए का बेल बॉन्ड भरा था। बता दें कि 23 अगस्त 2001 में हिसार के लितानी गांव में फॉर्म हाउस में छोटी बेटी सोनिया ने पति संजीव के साथ मिलकर प्रॉपर्टी के लालच में पिता रेलूराम पूनिया (50), उनकी पत्नी कृष्णा देवी (41), बच्चे प्रियंका (14), सुनील (23), बहू शकुंतला (20), पोता लोकेश (4) और दो पोतियों शिवानी (2) तथा 45 दिन की प्रीति की हत्या कर दी थी। संजीव की एडवोकेट दीपमाला उर्फ महक ने कहा कि संजीव बहुत समय बाद बाहर आया है। सोनिया के बारे में उन्होंने बताया कि वे सोमवार या फिर मंगलवार को बाहर आ सकती है। उसकी प्रोसेस भी शुरू हो चुकी है। उन्होंने बताया कि इस केस को मैंने अच्छे से स्टडी किया है। यह केस मेरे लिए भी बहुत हार्ड था। 11 दिसंबर को मिली थी अंतरिम जमानत
साल 2004 में हिसार की अदालत ने संजीव और सोनिया को फांसी की सजा सुनाई थी, जिसे 2007 में सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा। 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने दया याचिका में देरी का हवाला देते हुए सजा को उम्रकैद में बदल दिया था। इसके बाद पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने राहत देते हुए बीते गुरुवार को ही दोनों को अंतरिम जमानत दे दी थी। उधर, सोनिया और संजीव की रिहाई से रेलूराम का परिवार परेशान है। उनकी अपनी जान का खतरा सता रहा है। परिवार ने SP से मिलकर सुरक्षा की गुहार लगाई है, वहीं प्राइवेट सिक्योरिटी के लिए भी एजेंसियों से संपर्क किया है। इससे पहले संजीव के फरार होने पर परिवार ने पूरी कोठी में सीसीटीवी कैमरे लगवाए थे। यहां जानिए यमुनानगर का वह मामला, जिसमें संजीव आरोपी… फरलो पर आकर फरार हुआ था संजीव
पुलिस के मुताबिक, वर्ष 2004 में हत्यारे संजीव को कोर्ट ने सजा सुना दी थी। इसके बाद से ही वह अलग-अलग जेलों में रहा। हालांकि बीच-बीच में वह पैरोल पर बाहर आता रहा। कई बार वह पैरोल पर आया और फिर वापस लौट जाता था। मई 2018 में वह 28 दिन की फरलो पर बाहर आया था। इस बार उसने बिलासपुर के चांगनौली का पता दिया। यहां पर उसे मकान की मरम्मत कराने के नाम पर फरलो ली थी। 31 मई को उसे लौटना था, लेकिन वह वापस नहीं गया। बिलासपुर थाने में जेल अधिनियम सहित 420, 467, 468, 471, 120-बी के तहत मामला दर्ज किया गया था। बाद में यह केस STF को दिया गया। उस समय डिटेक्टिव यूनिट (अब सीआईटू) को इसकी जांच दी गई। टीम जांच में लगी रही, लेकिन संजीव का कोई पता नहीं लग सका। टीम ने बिलासपुर से लेकर उसके पैतृक घर उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले के लक्ष्मणपुरी में भी दबिश दी थी। परिवार से भी पूछताछ की, लेकिन कोई पता नहीं लग सका। 3 साल बाद मेरठ से किया गया था अरेस्ट
संजीव को मोस्ट वांटेड अपराधियों की सूची में शामिल करते हुए एक लाख रुपए का इनाम भी घोषित किया गया था। तीन साल बाद उसे मेरठ से गिरफ्तार किया गया था पूछताछ में संजीव ने बताया था कि उसका जेल में दम घुटने लगा था। वह खुली हवा में रहना चाहता था। इसलिए उसने फरलो मिलने पर यहां से भाग जाने की योजना बनाई थी। उसने पहले ही सोचा हुआ था कि फरार होने पर वह नेपाल में छिपकर रहेगा। वहां पर वह आठ दिन तक रहा, लेकिन उसके पास कोई आईडी नहीं थी। इसलिए उसे किसी ने अपने पास न तो नौकरी पर रखा और न ही रहने दिया। इसके बाद उसने नर्मदा नदी के किनारे-किनारे भ्रमण किया। वह किसी को अपनी पहचान नहीं बताता था। तीन साल तक जंगलों, सड़कों पर भटकने के बाद वह यूपी के मेरठ आया था, जहां से उसे गिरफ्तार किया था। संजीव ने जेल में रहते हुए 5 अपराध किए
संजीव पर जेल में रहते हुए भी अपराध करने के आरोप हैं। 7 फरवरी 2005 को संजीव ने जेल में नाइट वॉचमैन के साथ दुर्व्यवहार किया। 18 अक्टूबर 2008 को संजीव ने अपने अन्य साथी कैदियों के साथ मिलकर सेंट्रल जेल, अंबाला से सुरंग खोदकर बाहर निकलने की योजना बनाई। इसके संबंध में 24 अक्टूबर 2008 अंबाला के बलदेव नगर थाने में एफआईआर दर्ज की गई थी। 19 अगस्त 2012 और 4 अप्रैल 2018 को उसने अन्य कैदियों के साथ झगड़ा किया। 31 मई 2018 को वह 2 साल, 8 महीने और 4 दिनों के लिए फरलो से फरार हो गया। इसका यमुनानगर के बिलासपुर थाने में केस दर्ज है। यह मामला लंबित है, जिसमें उसे जमानत नहीं मिली है। —————– ये खबर भी पढ़ें…
रेलूराम परिवार हत्याकांड में संजीव के रिलीज ऑर्डर जारी:सोनिया की रिहाई बाकी, हिसार कोर्ट में मां व चाचा ने एक-एक लाख बेल बॉन्ड भरा हरियाणा में करीब 24 साल पुराने पूर्व MLA रेलूराम पूनिया परिवार हत्याकांड मामले में आज शुक्रवार को दामाद संजीव की रिहाई के आदेश हिसार कोर्ट से हो गए हैं। संजीव के चाचा और मां ने मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी राजीव कुमार की अदालत में जमानतनामा (बेल बॉन्ड) जमा करवा दिया है। दोनों ने एक-एक लाख रुपए का बेल बॉन्ड भरा। (पूरी खबर पढ़ें) रेलूराम पूनिया फैमिली हत्याकांड, बेटी-दामाद जेल से बाहर आएंगे:हाईकोर्ट ने दी अंतरिम जमानत; 24 साल पहले की थी 8 लोगों की निर्मम हत्या हरियाणा में बरवाला से पूर्व विधायक रेलूराम पूनिया और उनके परिवार की सामूहिक हत्या में गुरुवार को पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया। हाईकोर्ट ने अपने अहम फैसले में हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रही उनकी बेटी सोनिया और दामाद संजीव की समयपूर्व रिहाई से जुड़े विवादित सरकारी आदेश को रद्द कर दिया। (पूरी खबर पढ़ें)