उत्तराखंड के चमोली जिले में चीन सीमा से सटा टिम्मरसैंण महादेव एक रहस्यमय और अद्भुत स्थल है। यहां प्राकृतिक रूप से बर्फ से बने शिवलिंग के रूप में महादेव विराजमान हैं, जो अमरनाथ की गुफा में बर्फीले बाबा के समान दिखाई देते हैं। दिसंबर से मार्च तक यहां बर्फ से शिवलिंग का निर्माण होता है, जिस पर पहाड़ से लगातार जलधारा गिरती रहती है। यह दृश्य श्रद्धालुओं को अमरनाथ की याद दिलाता है और एक अनूठा आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करता है। दुर्गम क्षेत्र में स्थित है गुफा
यह मंदिर जोशीमठ से लगभग 100 किलोमीटर दूर, भारत-चीन सीमा पर स्थित अंतिम गांव नीति में स्थित है। दुर्गम क्षेत्र होने के बावजूद, स्थानीय लोगों के साथ-साथ सेना और आईटीबीपी के जवानों के लिए भी इस गुफा का विशेष महत्व है। कैसे पहुंचे टिम्मरसैंण महादेव मंदिर?
जोशीमठ-मलारी हाईवे से तीन किलोमीटर की पैदल यात्रा करके गुफा तक पहुंचा जा सकता है। दिल्ली से हरिद्वार या ऋषिकेश तक ट्रेन से यात्रा करें, फिर हरिद्वार या ऋषिकेश से बस या टैक्सी द्वारा जोशीमठ पहुंचे। जोशीमठ से नीती गांव की दूरी लगभग 75 किलोमीटर है, जहां परिवहन सुविधाएं उपलब्ध हैं। शीतकालीन पर्यटन का केंद्र
बर्फ की सफेद चादर से ढकी नीती घाटी और टिम्मरसैंण महादेव गुफा क्रिसमस और नए साल के अवसर पर शीतकालीन पर्यटन के लिए एक आदर्श स्थल है। यहां पर्यटक प्राकृतिक सुंदरता के साथ-साथ आध्यात्मिक अनुभव भी प्राप्त कर सकते हैं। इस सीजन की पहली बर्फबारी के बाद नीती घाटी का मौसम सुहावना बना हुआ है, जिससे पर्यटकों की संख्या में वृद्धि हुई है। स्थानीय लोगों की आस्था का केंद्र
स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां बाबा बर्फानी सदियों से विराजमान हैं। सर्दियों में बर्फबारी के बाद यहां 10 फीट ऊंचा शिवलिंग बन जाता है, जो बर्फ पिघलने पर अपने मूल आकार में आ जाता है। पर्यटन विभाग को कराना चाहिए सौन्दर्यीकरण
हैदराबाद से बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए पहुंचे अभिषेक ने बताया कि बाबा बर्फानी के दर्शन कर बहुत अच्छा लगा। बहुत सुंदर मौसम है। यहां के बारे में सुना था, इस बार यहां आकर दर्शन करने का मौका मिला। यहां आकर मन को सुकून मिल रहा है। नैनीताल से पहुंचे मोहित ने कहा कि हर कोई यहां आकर आसानी से दर्शन कर सकता है। पर्यटन विभाग को इस स्थान में सौन्दर्यीकरण कराना चाहिए। 26.85 करोड़ की लागत से हो रहे विकास कार्य
जिला पर्यटन अधिकारी अरविंद गौड़ ने बताया कि 26.85 करोड़ की लागत से टिम्मरसैंण गुफा तक जाने के लिए डेढ़ किमी ट्रेक, टिन शेड और पार्किंग निर्माण का कार्य हो रहा है। इसके अलावा गुफा के आस-पास सौन्दर्यीकरण का कार्य भी हो रहा है, ताकि श्रद्धालुओं को किसी तरह की परेशानी न हो।
उत्तराखंड के चमोली जिले में चीन सीमा से सटा टिम्मरसैंण महादेव एक रहस्यमय और अद्भुत स्थल है। यहां प्राकृतिक रूप से बर्फ से बने शिवलिंग के रूप में महादेव विराजमान हैं, जो अमरनाथ की गुफा में बर्फीले बाबा के समान दिखाई देते हैं। दिसंबर से मार्च तक यहां बर्फ से शिवलिंग का निर्माण होता है, जिस पर पहाड़ से लगातार जलधारा गिरती रहती है। यह दृश्य श्रद्धालुओं को अमरनाथ की याद दिलाता है और एक अनूठा आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करता है। दुर्गम क्षेत्र में स्थित है गुफा
यह मंदिर जोशीमठ से लगभग 100 किलोमीटर दूर, भारत-चीन सीमा पर स्थित अंतिम गांव नीति में स्थित है। दुर्गम क्षेत्र होने के बावजूद, स्थानीय लोगों के साथ-साथ सेना और आईटीबीपी के जवानों के लिए भी इस गुफा का विशेष महत्व है। कैसे पहुंचे टिम्मरसैंण महादेव मंदिर?
जोशीमठ-मलारी हाईवे से तीन किलोमीटर की पैदल यात्रा करके गुफा तक पहुंचा जा सकता है। दिल्ली से हरिद्वार या ऋषिकेश तक ट्रेन से यात्रा करें, फिर हरिद्वार या ऋषिकेश से बस या टैक्सी द्वारा जोशीमठ पहुंचे। जोशीमठ से नीती गांव की दूरी लगभग 75 किलोमीटर है, जहां परिवहन सुविधाएं उपलब्ध हैं। शीतकालीन पर्यटन का केंद्र
बर्फ की सफेद चादर से ढकी नीती घाटी और टिम्मरसैंण महादेव गुफा क्रिसमस और नए साल के अवसर पर शीतकालीन पर्यटन के लिए एक आदर्श स्थल है। यहां पर्यटक प्राकृतिक सुंदरता के साथ-साथ आध्यात्मिक अनुभव भी प्राप्त कर सकते हैं। इस सीजन की पहली बर्फबारी के बाद नीती घाटी का मौसम सुहावना बना हुआ है, जिससे पर्यटकों की संख्या में वृद्धि हुई है। स्थानीय लोगों की आस्था का केंद्र
स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां बाबा बर्फानी सदियों से विराजमान हैं। सर्दियों में बर्फबारी के बाद यहां 10 फीट ऊंचा शिवलिंग बन जाता है, जो बर्फ पिघलने पर अपने मूल आकार में आ जाता है। पर्यटन विभाग को कराना चाहिए सौन्दर्यीकरण
हैदराबाद से बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए पहुंचे अभिषेक ने बताया कि बाबा बर्फानी के दर्शन कर बहुत अच्छा लगा। बहुत सुंदर मौसम है। यहां के बारे में सुना था, इस बार यहां आकर दर्शन करने का मौका मिला। यहां आकर मन को सुकून मिल रहा है। नैनीताल से पहुंचे मोहित ने कहा कि हर कोई यहां आकर आसानी से दर्शन कर सकता है। पर्यटन विभाग को इस स्थान में सौन्दर्यीकरण कराना चाहिए। 26.85 करोड़ की लागत से हो रहे विकास कार्य
जिला पर्यटन अधिकारी अरविंद गौड़ ने बताया कि 26.85 करोड़ की लागत से टिम्मरसैंण गुफा तक जाने के लिए डेढ़ किमी ट्रेक, टिन शेड और पार्किंग निर्माण का कार्य हो रहा है। इसके अलावा गुफा के आस-पास सौन्दर्यीकरण का कार्य भी हो रहा है, ताकि श्रद्धालुओं को किसी तरह की परेशानी न हो।