हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी भजनलाल के बेटे कुलदीप बिश्नोई ने एक बार फिर सियासी सक्रियता बढ़ाई है। कुलदीप प्रदेश की राजनीति में कुछ बड़ा करने जा रहे हैं। इसके संकेत उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट करके दिए। दरअसल, 2 दिसंबर को उनकी पुरानी पार्टी हरियाणा जनहित कांग्रेस (हजकां) का स्थापना दिवस होता है। कुलदीप बिश्नोई ने पोस्ट शेयर कर लिखा, “2 दिसंबर मेरे जीवन का वह दिन है जिसे शब्दों में बांध पाना आसान नहीं। यह तारीख मेरे दिल में हमेशा एक भावुक स्मृति बनकर रहती है।” कुलदीप बिश्नोई अभी भाजपा में है और प्रदेश में बड़ी रैली की तैयारी कर रहे हैं। रैली की तारीख की घोषणा हालांकि नहीं की है, मगर उन्होंने संकेत दिए हैं कि नए साल की शुरुआती महीनों में यह रैली कर सकते हैं। ऐसे में रैली से पहले उन्होंने इमोशनल पोस्ट कर समर्थकों को एकजुट करने का प्रयास किया है। 9 अप्रैल 2026 को हरियाणा से भाजपा के राज्यसभा सांसद रामचंद्र जांगड़ा का कार्यकाल खत्म हो रहा है। सियासी हलकों में चर्चा है कि उससे पहले कुलदीप बिश्नोई शक्ति प्रदर्शन करने के मूड में हैं। बिश्नोई के बाद भाजपा में आईं किरण चौधरी को पहले ही पार्टी राज्यसभा में भेज चुकी है। कुलदीप बिश्नोई ने पोस्ट कर पुरानी रैलियों में उमड़ी भीड़ दिखाई… पूर्व सीएम भजनलाल ने बनाई थी हजकां
कुलदीप ने 6 साल पहले, 28 अप्रैल 2016 को गांधी परिवार के नेतृत्व में आस्था जताते हुए अपनी हरियाणा जनहित कांग्रेस (हजकां)पार्टी का विलय कांग्रेस में किया था। कुलदीप के पिता और पूर्व मुख्यमंत्री भजन लाल ने 2 दिसंबर 2007 में कांग्रेस से अलग होने के बाद हजकां का गठन किया था। 3 जून 2011 में भजनलाल के देहांत के बाद कुलदीप ने पार्टी की कमान संभाली। इसके बाद बिश्नोई परिवार 2014 में भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ा, मगर गठबंधन ज्यादा दिन नहीं चला। इसके बाद 2016 में कांग्रेस पार्टी में हजकां का विलय कर दिया। कांग्रेस से पटरी न खाने के बाद कुलदीप ने अगस्त 2022 को भाजपा का दामन थामा था। कुलदीप बिश्नोई ने पोस्ट में क्या-क्या लिखा… हुड्डा ने तोड़ लिए थे कुलदीप के 5 MLA
2009 में हजकां ने 6 सीटें जीतीं। पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में लड़े इस चुनाव में कांग्रेस को बहुमत नहीं मिला और उनके पास 40 विधायक थे। सरकार बनाने के लिए 46 विधायक चाहिए थे, लेकिन हजकां के 5 विधायक कांग्रेस में शामिल हो गए। कुलदीप बिश्नोई ने सदस्यता रद्द करवाने के लिए हरियाणा विधानसभा में स्पीकर के पास याचिका दायर की, लेकिन स्पीकर ने यह मामला काफी समय तक लंबित रखा और बाद में खारिज कर दिया। इसके बाद कुलदीप पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में गए। कोर्ट ने अक्टूबर 2014 को पांचों विधायकों की सदस्यता दलबदल कानून के तहत रद्द कर दी। सरकार में 16 साल से पद से दूर बिश्नोई परिवार
विधानसभा चुनाव में आदमपुर में मिली हार से बिश्नोई परिवार एक बार फिर सत्ता सुख से दूर हो गया। अगर उनके बेटे भव्य और भाई दुड़ाराम चुनाव जीतते तो भव्य को मंत्री पद मिल सकता था, लेकिन आदमपुर से हार ने उन्हें मंत्रिपद से दूर कर दिया। हरियाणा में बिश्नोई परिवार 16 साल से सरकार में पद से बाहर है। 2005 से 2008 तक भजनलाल के बड़े बेटे चंद्रमोहन बिश्नोई हरियाणा के डिप्टी CM पद पर रहे। इसके बाद निजी कारणों से उन्होंने त्यागपत्र दे दिया। इसके बाद आज तक बिश्नोई परिवार को सरकार में कोई पद नहीं मिला है। अब बिश्नोई परिवार के लिए आगे की क्या है राह… MLA चंद्रप्रकाश को कमजोर कर रहे
कुलदीप बिश्नोई के विरोधी अब उनके गुट में वापसी कर रहे हैं। इनमें एक पूर्व चेयरमैन और एक चेयरमैन बनाकर हटाए गए दोनों लोग शामिल हैं। इन दोनों नेताओं ने कांग्रेस के लिए प्रचार कर भव्य बिश्नोई को हराने का काम किया। कांग्रेस की सत्ता में वापसी न होने के बाद से ही पूर्व चेयरमैन दोबारा भाजपा में शामिल होना चाहते हैं। इसके लिए उन्होंने कुलदीप बिश्नोई का साथ दोबारा पकड़ लिया है। पूर्व चेयरमैन नरेश जांगड़ा और सुरेंद्र बेदी अब दोनों कुलदीप बिश्नोई गुट में दिखाई दे रहे हैं। वहीं, चंद्रप्रकाश ने हाल ही आदमपुर में जनता दरबार लगातार अधिकारियों पर काम न करने के आरोप लगाए हैं। रैली कर भाजपा को अपनी अहमियत बताएंगे
दरअसल, आने वाले दिनों में भाजपा को अपनी ताकत दिखाने व विरोधियों को संदेश देने के लिए कुलदीप बिश्नोई एक बड़ी रैली की योजना बना रहे हैं। यह रैली ऐसे समय में होगी जब भाजपा के 2 बड़े पदों पर चयन होगा। इसमें प्रदेशाध्यक्ष और राज्यसभा की खाली सीट है। अप्रैल में राज्यसभा सांसद रामचंद्र जांगड़ा की सीट खाली हो रही है। वहीं, प्रदेशाध्यक्ष पद के लिए भी किसी बड़े चेहरे की भाजपा को तलाश है। कुलदीप बिश्नोई समर्थकों के बीच इशारा कर चुके हैं कि सरकार उनके लिए कुछ बड़ा करेगी।
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी भजनलाल के बेटे कुलदीप बिश्नोई ने एक बार फिर सियासी सक्रियता बढ़ाई है। कुलदीप प्रदेश की राजनीति में कुछ बड़ा करने जा रहे हैं। इसके संकेत उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट करके दिए। दरअसल, 2 दिसंबर को उनकी पुरानी पार्टी हरियाणा जनहित कांग्रेस (हजकां) का स्थापना दिवस होता है। कुलदीप बिश्नोई ने पोस्ट शेयर कर लिखा, “2 दिसंबर मेरे जीवन का वह दिन है जिसे शब्दों में बांध पाना आसान नहीं। यह तारीख मेरे दिल में हमेशा एक भावुक स्मृति बनकर रहती है।” कुलदीप बिश्नोई अभी भाजपा में है और प्रदेश में बड़ी रैली की तैयारी कर रहे हैं। रैली की तारीख की घोषणा हालांकि नहीं की है, मगर उन्होंने संकेत दिए हैं कि नए साल की शुरुआती महीनों में यह रैली कर सकते हैं। ऐसे में रैली से पहले उन्होंने इमोशनल पोस्ट कर समर्थकों को एकजुट करने का प्रयास किया है। 9 अप्रैल 2026 को हरियाणा से भाजपा के राज्यसभा सांसद रामचंद्र जांगड़ा का कार्यकाल खत्म हो रहा है। सियासी हलकों में चर्चा है कि उससे पहले कुलदीप बिश्नोई शक्ति प्रदर्शन करने के मूड में हैं। बिश्नोई के बाद भाजपा में आईं किरण चौधरी को पहले ही पार्टी राज्यसभा में भेज चुकी है। कुलदीप बिश्नोई ने पोस्ट कर पुरानी रैलियों में उमड़ी भीड़ दिखाई… पूर्व सीएम भजनलाल ने बनाई थी हजकां
कुलदीप ने 6 साल पहले, 28 अप्रैल 2016 को गांधी परिवार के नेतृत्व में आस्था जताते हुए अपनी हरियाणा जनहित कांग्रेस (हजकां)पार्टी का विलय कांग्रेस में किया था। कुलदीप के पिता और पूर्व मुख्यमंत्री भजन लाल ने 2 दिसंबर 2007 में कांग्रेस से अलग होने के बाद हजकां का गठन किया था। 3 जून 2011 में भजनलाल के देहांत के बाद कुलदीप ने पार्टी की कमान संभाली। इसके बाद बिश्नोई परिवार 2014 में भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ा, मगर गठबंधन ज्यादा दिन नहीं चला। इसके बाद 2016 में कांग्रेस पार्टी में हजकां का विलय कर दिया। कांग्रेस से पटरी न खाने के बाद कुलदीप ने अगस्त 2022 को भाजपा का दामन थामा था। कुलदीप बिश्नोई ने पोस्ट में क्या-क्या लिखा… हुड्डा ने तोड़ लिए थे कुलदीप के 5 MLA
2009 में हजकां ने 6 सीटें जीतीं। पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में लड़े इस चुनाव में कांग्रेस को बहुमत नहीं मिला और उनके पास 40 विधायक थे। सरकार बनाने के लिए 46 विधायक चाहिए थे, लेकिन हजकां के 5 विधायक कांग्रेस में शामिल हो गए। कुलदीप बिश्नोई ने सदस्यता रद्द करवाने के लिए हरियाणा विधानसभा में स्पीकर के पास याचिका दायर की, लेकिन स्पीकर ने यह मामला काफी समय तक लंबित रखा और बाद में खारिज कर दिया। इसके बाद कुलदीप पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में गए। कोर्ट ने अक्टूबर 2014 को पांचों विधायकों की सदस्यता दलबदल कानून के तहत रद्द कर दी। सरकार में 16 साल से पद से दूर बिश्नोई परिवार
विधानसभा चुनाव में आदमपुर में मिली हार से बिश्नोई परिवार एक बार फिर सत्ता सुख से दूर हो गया। अगर उनके बेटे भव्य और भाई दुड़ाराम चुनाव जीतते तो भव्य को मंत्री पद मिल सकता था, लेकिन आदमपुर से हार ने उन्हें मंत्रिपद से दूर कर दिया। हरियाणा में बिश्नोई परिवार 16 साल से सरकार में पद से बाहर है। 2005 से 2008 तक भजनलाल के बड़े बेटे चंद्रमोहन बिश्नोई हरियाणा के डिप्टी CM पद पर रहे। इसके बाद निजी कारणों से उन्होंने त्यागपत्र दे दिया। इसके बाद आज तक बिश्नोई परिवार को सरकार में कोई पद नहीं मिला है। अब बिश्नोई परिवार के लिए आगे की क्या है राह… MLA चंद्रप्रकाश को कमजोर कर रहे
कुलदीप बिश्नोई के विरोधी अब उनके गुट में वापसी कर रहे हैं। इनमें एक पूर्व चेयरमैन और एक चेयरमैन बनाकर हटाए गए दोनों लोग शामिल हैं। इन दोनों नेताओं ने कांग्रेस के लिए प्रचार कर भव्य बिश्नोई को हराने का काम किया। कांग्रेस की सत्ता में वापसी न होने के बाद से ही पूर्व चेयरमैन दोबारा भाजपा में शामिल होना चाहते हैं। इसके लिए उन्होंने कुलदीप बिश्नोई का साथ दोबारा पकड़ लिया है। पूर्व चेयरमैन नरेश जांगड़ा और सुरेंद्र बेदी अब दोनों कुलदीप बिश्नोई गुट में दिखाई दे रहे हैं। वहीं, चंद्रप्रकाश ने हाल ही आदमपुर में जनता दरबार लगातार अधिकारियों पर काम न करने के आरोप लगाए हैं। रैली कर भाजपा को अपनी अहमियत बताएंगे
दरअसल, आने वाले दिनों में भाजपा को अपनी ताकत दिखाने व विरोधियों को संदेश देने के लिए कुलदीप बिश्नोई एक बड़ी रैली की योजना बना रहे हैं। यह रैली ऐसे समय में होगी जब भाजपा के 2 बड़े पदों पर चयन होगा। इसमें प्रदेशाध्यक्ष और राज्यसभा की खाली सीट है। अप्रैल में राज्यसभा सांसद रामचंद्र जांगड़ा की सीट खाली हो रही है। वहीं, प्रदेशाध्यक्ष पद के लिए भी किसी बड़े चेहरे की भाजपा को तलाश है। कुलदीप बिश्नोई समर्थकों के बीच इशारा कर चुके हैं कि सरकार उनके लिए कुछ बड़ा करेगी।