
जम्मू/राजौरी, इंडियन सोसायटी फार बुद्धिस्ट स्टडीज (आई.एस.बी.एस.) के 25वें राष्ट्रीय अधिवेशन के अवसर पर नव नालंदा महाविहार, नालंदा, बिहार के बौद्ध अध्ययन विभाग में सहायक आचार्य के रूप में कार्यरत एवं बौद्ध पर्यटन विभाग के विभागाध्यक्ष डा. सुरेश कुमार को उनकी उत्कृष्ट शैक्षणिक सेवाओं और अकादमिक उपलब्धियों के लिए सम्मानित किया गया। यह सम्मान उन्हें उनके दीर्घकालिक योगदान एवं अकादमिक उत्कृष्टता को दृष्टिगत रखते हुए प्रशस्ति-पत्र प्रदान कर दिया गया।
उल्लेखनीय है कि डा. सुरेश कुमार आतंक ग्रस्त जम्मू-कश्मीर के राजौरी सीमावर्ती जिला के एक दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्र से संबंध रखते हैं। माटी के सपूत के रूप में अपनी पहचान बनाए रखने वाले डा. सुरेश कुमार ने सीमित संसाधनों और विषम परिस्थितियों के बावजूद शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय मुकाम हासिल कर यह सम्मान प्राप्त किया, जो न केवल उनके लिए बल्कि उनके क्षेत्र के लिए भी गौरव का विषय है।
विदित हो कि डा. सुरेश कुमार विगत 16 वर्षों से बौद्ध अध्ययन के क्षेत्र में राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निरंतर सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। उन्होंने शोध, शिक्षण एवं अकादमिक गतिविधियों के माध्यम से बौद्ध अध्ययन के विभिन्न आयामों को समृद्ध करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। वर्तमान में वे राष्ट्रीय स्तर के एक उभरते हुए युवा विद्वान के रूप में अपनी विशिष्ट पहचान स्थापित कर रहे हैं।
डा. सुरेश कुमार ने देश-विदेश में आयोजित 60 से अधिक राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठियों और सम्मेलनों में सहभागिता की है तथा बौद्ध अध्ययन के विविध विषयों पर शोधपत्र प्रस्तुत किए हैं। उनके लगभग 30 शोधपत्र प्रतिष्ठित राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय शोध पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं। इसके अतिरिक्त उनके द्वारा अब तक दो पुस्तकों का संपादन किया जा चुका है तथा बौद्ध शिष्टाचार विषय पर एक मौलिक पुस्तक का लेखन भी किया गया है।
अधिवेशन में उपस्थित विद्वानों एवं प्रतिनिधियों ने डा. सुरेश कुमार के इस सम्मान को उनके अकादमिक जीवन की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि बताते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की।