प्रवर्तन निदेशालय ने (ED) गुरुवार को ड्रग तस्करी से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में मिजोरम में भारत-म्यांमार बॉर्डर पर पहली बार छापेमारी की। एजेंसी ने मिजोरम के चंफाई, आइजोल में तलाशी ली। इसके अलावा असम के करीमगंज जिले के श्रीभूमि और गुजरात के अहमदाबाद में भी छापा मारा। एजेंसी ने पूर्वोत्तर राज्यों में ड्रग कॉरिडोर और उससे जुड़े हवाला नेटवर्क का खुलासा किया। इसी नेटवर्क को चलाने के लिए असम, मिजोरम, नगालैंड, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा और दिल्ली में फैले हवाला ऑपरेटरों के खातों में 52.8 करोड़ रुपए पाए गए। छापेमारी में 35 लाख नकद, कई डिजिटल डिवाइस और दस्तावेज बरामद हुए हैं। ED के मुताबिक, गुजरात पूरे ड्रग सिंडिकेट का शुरुआती बिंदु था, जहां से मेथाम्फेटामाइन बनाने में इस्तेमाल होने वाला कच्चा माल मिजोरम भेजा जाता था। मिजोरम का चंफाई ड्रग सिंडिकेट का सबसे अहम केंद्र था, क्योंकि गुजरात से आए प्रीकर्सर रसायन चंफाई पहुंचाए जाते थे। इसके बाद प्रीकर्सर रसायन छोटे पार्सलों, वाहनों और कैरियर्स के सहारे म्यांमार के चिन राज्य तक तस्करी होते थे। वहां मौजूद अवैध लैब्स में इन रसायनों से सिंथेटिक ड्रग्स तैयार की जाती थीं। तैयार ड्रग्स फिर उसी चंफाई रूट से वापस भारत में घुसाई जाती थीं और देशभर में सप्लाई होती थी। असम: हवाला के रूप में इकट्ठा होता था पैसा असम के करीमगंज का श्रीभूमि इलाका सिंडिकेट का सबसे महत्वपूर्ण कैश कलेक्शन और हवाला केंद्र था। नकदी जमा करने, नकली इनवॉयस बनाने और मल्टी-लेयर बैंकिंग के जरिए ड्रग्स की बिक्री से निकला पैसा वैध लेनदेन जैसा दिखाया जाता था। यह साफ हुआ कि म्यांमार में बनने वाली ड्रग्स की कमाई भारत में असम के हवाला चैनलों के जरिए घूमती थी, और फिर तस्करों तक लौटाई जाती थी। गुजरात: फर्जी पेपर पर ड्रग्स का कच्चा माल भेजा गया गुजरात से मेथाम्फेटामाइन बनाने में इस्तेमाल होने वाला कच्चा माल मिजोरम भेजा जाता था। कागजों पर यह सब वैध व्यापार जैसा दिखाया जाता, लेकिन इनका असली खरीदार मिजोरम की वे फर्में थीं, जिनके नाम पहले भी ड्रग तस्करी मामलों में सामने आ चुके हैं। ED को पता चला कि इस कच्चे माल का पेपरवर्क कोलकाता स्थित शेल कंपनियों के सहारे साफ किया जाता था। 6 आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद नेटवर्क का खुलासा यह ऑपरेशन मिजोरम पुलिस की उस FIR से जुड़ा है, जिसमें 4.724 किग्रा हेरोइन जब्त की गई थी, जिसकी कीमत 1.41 करोड़ रुपए आंकी गई थी और 6 लोगों की गिरफ्तारी हुई। गिरफ्तार आरोपियों के पैसों की जांच से पता चला कि मिजोरम की कंपनियों और गुजरात की कंपनियों के बीच वित्तीय संबंध हैं। अधिकारियों ने बताया कि एजेंसी ने गिरफ्तार आरोपियों के वित्तीय लेनदेन की जांच की। इस दौरान मिजोरम और गुजरात स्थित कुछ कंपनियों के बीच वित्तीय लेनदेन पाए गए। गुजरात की कंपनियों ने मिजोरम स्थित कंपनियों को स्यूडोएफेड्रिन टैबलेट और कैफीन एनहाइड्रस (मेथैम्फेटामाइन टैबलेट के निर्माण में इस्तेमाल होने वाला प्री-प्रीकर्सर) सप्लाई की थी। मिजोरम स्थित कंपनियों का ड्रग तस्करों से संबंध था, जो चम्फाई में सक्रिय आदतन अपराधियों के माध्यम से तस्करी और हवाला लेनदेन करते हैं। मिजोरम की कंपनियों के कुछ वित्तीय लेनदेन कोलकाता स्थित कुछ फर्जी (डमी) कंपनियों के साथ भी पाए गए। कोलकाता की इन कंपनियों ने कैफीन एनहाइड्रस की खेप खरीदी थी।
प्रवर्तन निदेशालय ने (ED) गुरुवार को ड्रग तस्करी से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में मिजोरम में भारत-म्यांमार बॉर्डर पर पहली बार छापेमारी की। एजेंसी ने मिजोरम के चंफाई, आइजोल में तलाशी ली। इसके अलावा असम के करीमगंज जिले के श्रीभूमि और गुजरात के अहमदाबाद में भी छापा मारा। एजेंसी ने पूर्वोत्तर राज्यों में ड्रग कॉरिडोर और उससे जुड़े हवाला नेटवर्क का खुलासा किया। इसी नेटवर्क को चलाने के लिए असम, मिजोरम, नगालैंड, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा और दिल्ली में फैले हवाला ऑपरेटरों के खातों में 52.8 करोड़ रुपए पाए गए। छापेमारी में 35 लाख नकद, कई डिजिटल डिवाइस और दस्तावेज बरामद हुए हैं। ED के मुताबिक, गुजरात पूरे ड्रग सिंडिकेट का शुरुआती बिंदु था, जहां से मेथाम्फेटामाइन बनाने में इस्तेमाल होने वाला कच्चा माल मिजोरम भेजा जाता था। मिजोरम का चंफाई ड्रग सिंडिकेट का सबसे अहम केंद्र था, क्योंकि गुजरात से आए प्रीकर्सर रसायन चंफाई पहुंचाए जाते थे। इसके बाद प्रीकर्सर रसायन छोटे पार्सलों, वाहनों और कैरियर्स के सहारे म्यांमार के चिन राज्य तक तस्करी होते थे। वहां मौजूद अवैध लैब्स में इन रसायनों से सिंथेटिक ड्रग्स तैयार की जाती थीं। तैयार ड्रग्स फिर उसी चंफाई रूट से वापस भारत में घुसाई जाती थीं और देशभर में सप्लाई होती थी। असम: हवाला के रूप में इकट्ठा होता था पैसा असम के करीमगंज का श्रीभूमि इलाका सिंडिकेट का सबसे महत्वपूर्ण कैश कलेक्शन और हवाला केंद्र था। नकदी जमा करने, नकली इनवॉयस बनाने और मल्टी-लेयर बैंकिंग के जरिए ड्रग्स की बिक्री से निकला पैसा वैध लेनदेन जैसा दिखाया जाता था। यह साफ हुआ कि म्यांमार में बनने वाली ड्रग्स की कमाई भारत में असम के हवाला चैनलों के जरिए घूमती थी, और फिर तस्करों तक लौटाई जाती थी। गुजरात: फर्जी पेपर पर ड्रग्स का कच्चा माल भेजा गया गुजरात से मेथाम्फेटामाइन बनाने में इस्तेमाल होने वाला कच्चा माल मिजोरम भेजा जाता था। कागजों पर यह सब वैध व्यापार जैसा दिखाया जाता, लेकिन इनका असली खरीदार मिजोरम की वे फर्में थीं, जिनके नाम पहले भी ड्रग तस्करी मामलों में सामने आ चुके हैं। ED को पता चला कि इस कच्चे माल का पेपरवर्क कोलकाता स्थित शेल कंपनियों के सहारे साफ किया जाता था। 6 आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद नेटवर्क का खुलासा यह ऑपरेशन मिजोरम पुलिस की उस FIR से जुड़ा है, जिसमें 4.724 किग्रा हेरोइन जब्त की गई थी, जिसकी कीमत 1.41 करोड़ रुपए आंकी गई थी और 6 लोगों की गिरफ्तारी हुई। गिरफ्तार आरोपियों के पैसों की जांच से पता चला कि मिजोरम की कंपनियों और गुजरात की कंपनियों के बीच वित्तीय संबंध हैं। अधिकारियों ने बताया कि एजेंसी ने गिरफ्तार आरोपियों के वित्तीय लेनदेन की जांच की। इस दौरान मिजोरम और गुजरात स्थित कुछ कंपनियों के बीच वित्तीय लेनदेन पाए गए। गुजरात की कंपनियों ने मिजोरम स्थित कंपनियों को स्यूडोएफेड्रिन टैबलेट और कैफीन एनहाइड्रस (मेथैम्फेटामाइन टैबलेट के निर्माण में इस्तेमाल होने वाला प्री-प्रीकर्सर) सप्लाई की थी। मिजोरम स्थित कंपनियों का ड्रग तस्करों से संबंध था, जो चम्फाई में सक्रिय आदतन अपराधियों के माध्यम से तस्करी और हवाला लेनदेन करते हैं। मिजोरम की कंपनियों के कुछ वित्तीय लेनदेन कोलकाता स्थित कुछ फर्जी (डमी) कंपनियों के साथ भी पाए गए। कोलकाता की इन कंपनियों ने कैफीन एनहाइड्रस की खेप खरीदी थी।