सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि पुलिस हिरासत में होने वाली मौतें सिस्टम पर धब्बा है और अब देश इसे बर्दाश्त नहीं करेगा। साथ ही कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र की ओर से थानों में CCTV को लेकर मांगी गई रिपोर्ट न सौंपने पर नाराजगी जताई। जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने कहा कि अगर 16 दिसंबर तक रिपोर्ट नहीं आई तो संबंधित राज्यों के मुख्य सचिव और केंद्रीय एजेंसियों के निदेशक को कोर्ट में खुद पेश होना पड़ेगा और देरी की वजह बतानी होगी। दरअसल सितंबर 2025 में दैनिक भास्कर की रिपोर्ट में बताया गया था कि राजस्थान के पुलिस स्टेशनों में 8 महीनों में 11 हिरासत मौतें हुई थीं। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सितंबर में खुद नोटिस लिया था और 14 अक्टूबर को सभी राज्यों से थानों में CCTV को लेकर रिपोर्ट मांगी थी। पहले पूरा केस समझें… राजस्थान में पुलिस कस्टडी से जुड़ी दैनिक भास्कर की रिपोर्ट पर 4 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने खुद नोटिस लिया था। इसमें बताया गया था कि पिछले 7–8 महीनों में राजस्थान में 11 लोगों की मौत पुलिस हिरासत में हुई थी। 15 सितंबर को सुनवाई के दौरान देशभर के पुलिस स्टेशनों में खराब या बंद पड़े CCTV कैमरों पर खुद नोटिस लेते हुए एक केस दर्ज करने का आदेश दिया था। 26 सितंबर को कोर्ट ने राजस्थान सरकार से 12 सवाल पूछे थे। फिर 14 अक्टूबर को केंद्र और सभी राज्यों से थानों में CCTV को लेकर रिपोर्ट मांगी थी। इससे पहले दिसंबर 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने परमवीर सिंह सैनी बनाम बलजीत सिंह केस में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को आदेश दिया था कि हर पुलिस स्टेशन में CCTV कैमरे लगाए जाएं और कोई भी हिस्सा निगरानी से बाहर न रहे। लेकिन कोर्ट को बताया गया कि कई जगह कैमरे लगाए ही नहीं गए या फिर खराब पड़े हैं। अब कोर्ट रूम LIVE पढ़ें जज विक्रम नाथ: हिरासत में मौतें व्यवस्था पर दाग हैं। देश अब इसे बर्दाश्त नहीं करेगा। जज नाथ (केंद्र से सवाल): केंद्र सरकार अब तक रिपोर्ट क्यों नहीं दे पाई? क्या केंद्र इस कोर्ट को हल्के में ले रहा है? क्यों? सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (केंद्र की ओर से): माई लॉर्ड, कस्टोडियल डेथ को कोई भी सही नहीं ठहरा सकता। केंद्र तीन हफ्ते में हलफनामा दे देगा। अमिकस क्यूरी सिद्धार्थ दवे: सिर्फ 11 राज्यों ने रिपोर्ट दी है। बाकी राज्यों और केंद्र सरकार ने अभी तक पालन नहीं किया है। कई जगह CCTV लगाने का बजट भी नहीं दिया गया है। कोर्ट की चेतावनी: अगर अगली तारीख तक रिपोर्ट नहीं आई तो संबंधित राज्यों के गृह सचिवों को कोर्ट में खुद आना होगा और कारण बताना होगा। सॉलिसिटर जनरलः कोर्ट का आदेश मानना जरूरी है, लेकिन कई बार थाने के अंदर लगे CCTV जांच को मुश्किल भी बना सकते हैं। कोर्ट की टिप्पणी: अमेरिका में तो पुलिस फुटेज की लाइव-स्ट्रीमिंग तक होती है। कोर्ट (मध्य प्रदेश की तारीफ): मध्य प्रदेश ने हर थाने को कंट्रोल रूम से जोड़कर अच्छा काम किया है। सुप्रीम कोर्ट के पुराने आदेश… दैनिक भास्कर की वह खबर, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने जनहित याचिका लगाने को कहा सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता ने पुलिस थानों में सीसीटीवी कैमरे काम नहीं करने के मुद्दे पर एक्शन लिया था और 4 सितंबर को दैनिक भास्कर में प्रकाशित खबर को आधार बनाकर जनहित याचिका दर्ज करने के निर्देश दिए थे। रिपोर्ट के अनुसार, राजस्थान में करीब 8 महीने के दौरान पुलिस हिरासत में 11 लोगों की मौत हो चुकी है। पूरी खबर पढ़ें… —————————————- ये खबर भी पढ़ें… सीसीटीवी कैमरे लगे लेकिन नहीं रुकी थानों में पिटाई, पुलिसकर्मी किसके साथ क्या सलूक कर रहे, फुटेज ही नहीं मिलते कटनी के जीआरपी थाने में दलित महिला और उसके 15 साल के पोते की बेरहमी से पिटाई का वीडियो 27 अगस्त को वायरल हुआ। इस वीडियो के सामने आने के बाद सवाल उठा है कि आखिर थाना प्रभारी के कमरे में सीसीटीवी कैमरा लगा था तो भी पुलिसकर्मियों में इस बात का डर क्यों नहीं था कि उनकी करतूत कैमरे में कैद हो रही है? पूरी खबर पढ़ें…
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि पुलिस हिरासत में होने वाली मौतें सिस्टम पर धब्बा है और अब देश इसे बर्दाश्त नहीं करेगा। साथ ही कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र की ओर से थानों में CCTV को लेकर मांगी गई रिपोर्ट न सौंपने पर नाराजगी जताई। जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने कहा कि अगर 16 दिसंबर तक रिपोर्ट नहीं आई तो संबंधित राज्यों के मुख्य सचिव और केंद्रीय एजेंसियों के निदेशक को कोर्ट में खुद पेश होना पड़ेगा और देरी की वजह बतानी होगी। दरअसल सितंबर 2025 में दैनिक भास्कर की रिपोर्ट में बताया गया था कि राजस्थान के पुलिस स्टेशनों में 8 महीनों में 11 हिरासत मौतें हुई थीं। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सितंबर में खुद नोटिस लिया था और 14 अक्टूबर को सभी राज्यों से थानों में CCTV को लेकर रिपोर्ट मांगी थी। पहले पूरा केस समझें… राजस्थान में पुलिस कस्टडी से जुड़ी दैनिक भास्कर की रिपोर्ट पर 4 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने खुद नोटिस लिया था। इसमें बताया गया था कि पिछले 7–8 महीनों में राजस्थान में 11 लोगों की मौत पुलिस हिरासत में हुई थी। 15 सितंबर को सुनवाई के दौरान देशभर के पुलिस स्टेशनों में खराब या बंद पड़े CCTV कैमरों पर खुद नोटिस लेते हुए एक केस दर्ज करने का आदेश दिया था। 26 सितंबर को कोर्ट ने राजस्थान सरकार से 12 सवाल पूछे थे। फिर 14 अक्टूबर को केंद्र और सभी राज्यों से थानों में CCTV को लेकर रिपोर्ट मांगी थी। इससे पहले दिसंबर 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने परमवीर सिंह सैनी बनाम बलजीत सिंह केस में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को आदेश दिया था कि हर पुलिस स्टेशन में CCTV कैमरे लगाए जाएं और कोई भी हिस्सा निगरानी से बाहर न रहे। लेकिन कोर्ट को बताया गया कि कई जगह कैमरे लगाए ही नहीं गए या फिर खराब पड़े हैं। अब कोर्ट रूम LIVE पढ़ें जज विक्रम नाथ: हिरासत में मौतें व्यवस्था पर दाग हैं। देश अब इसे बर्दाश्त नहीं करेगा। जज नाथ (केंद्र से सवाल): केंद्र सरकार अब तक रिपोर्ट क्यों नहीं दे पाई? क्या केंद्र इस कोर्ट को हल्के में ले रहा है? क्यों? सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (केंद्र की ओर से): माई लॉर्ड, कस्टोडियल डेथ को कोई भी सही नहीं ठहरा सकता। केंद्र तीन हफ्ते में हलफनामा दे देगा। अमिकस क्यूरी सिद्धार्थ दवे: सिर्फ 11 राज्यों ने रिपोर्ट दी है। बाकी राज्यों और केंद्र सरकार ने अभी तक पालन नहीं किया है। कई जगह CCTV लगाने का बजट भी नहीं दिया गया है। कोर्ट की चेतावनी: अगर अगली तारीख तक रिपोर्ट नहीं आई तो संबंधित राज्यों के गृह सचिवों को कोर्ट में खुद आना होगा और कारण बताना होगा। सॉलिसिटर जनरलः कोर्ट का आदेश मानना जरूरी है, लेकिन कई बार थाने के अंदर लगे CCTV जांच को मुश्किल भी बना सकते हैं। कोर्ट की टिप्पणी: अमेरिका में तो पुलिस फुटेज की लाइव-स्ट्रीमिंग तक होती है। कोर्ट (मध्य प्रदेश की तारीफ): मध्य प्रदेश ने हर थाने को कंट्रोल रूम से जोड़कर अच्छा काम किया है। सुप्रीम कोर्ट के पुराने आदेश… दैनिक भास्कर की वह खबर, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने जनहित याचिका लगाने को कहा सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता ने पुलिस थानों में सीसीटीवी कैमरे काम नहीं करने के मुद्दे पर एक्शन लिया था और 4 सितंबर को दैनिक भास्कर में प्रकाशित खबर को आधार बनाकर जनहित याचिका दर्ज करने के निर्देश दिए थे। रिपोर्ट के अनुसार, राजस्थान में करीब 8 महीने के दौरान पुलिस हिरासत में 11 लोगों की मौत हो चुकी है। पूरी खबर पढ़ें… —————————————- ये खबर भी पढ़ें… सीसीटीवी कैमरे लगे लेकिन नहीं रुकी थानों में पिटाई, पुलिसकर्मी किसके साथ क्या सलूक कर रहे, फुटेज ही नहीं मिलते कटनी के जीआरपी थाने में दलित महिला और उसके 15 साल के पोते की बेरहमी से पिटाई का वीडियो 27 अगस्त को वायरल हुआ। इस वीडियो के सामने आने के बाद सवाल उठा है कि आखिर थाना प्रभारी के कमरे में सीसीटीवी कैमरा लगा था तो भी पुलिसकर्मियों में इस बात का डर क्यों नहीं था कि उनकी करतूत कैमरे में कैद हो रही है? पूरी खबर पढ़ें…