भारत के नए मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस सूर्यकांत ने सोमवार को कार्यभार संभालते ही सुप्रीम कोर्ट की प्रक्रिया में बड़ा बदलाव किया। उन्होंने मामलों की अर्जेंट लिस्टिंग के लिए ओरल (मौखिक) मेंशनिंग बंद की है। पहले दिन जस्टिस सूर्यकांत ने लगभग 2 घंटे की कार्यवाही में 17 मामलों की सुनवाई की। सीजेआई सूर्यकांत से पहले पूर्व CJI संजीव खन्ना ने भी मौखिक मेंशनिंग की प्रथा बंद की थी। पूर्व CJI बी.आर. गवई ने इसे दोबारा शुरू किया था। CJI सूर्यकांत ने कहा- अब केवल लिखित मेंशनिंग स्लिप ही मान्य होगी। असाधारण परिस्थितियों, जैसे- डेथ पेनल्टी या व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मामलों में ही मौखिक मेंशनिंग सुनी जाएगी। उन्होंने दैनिक भास्कर से कहा कि फाइल भले ही अटके, न्याय रुकना नहीं चाहिए। जस्टिस सूर्यकांत ने 24 नवंबर को देश के 53वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में हिंदी में शपथ ली। वर्तमान CJI बीआर गवई का कार्यकाल रविवार 23 नवंबर को खत्म हुआ। जस्टिस सूर्यकांत 9 फरवरी 2027 को रिटायर होंगे और उनका कार्यकाल लगभग 14 महीने का होगा। CJI सूर्यकांत से दैनिक भास्कर की बातचीत… सवाल: सीजेआई के रूप में क्या प्राथमिकता रहेगी?
जवाब: न्याय कुछ लोगों का विशेषाधिकार नहीं, यह सबका अधिकार है। न्याय जल्द सुलभ हो यही मेरी पहली प्राथमिकता है। कतार में आखिरी व्यक्ति तक न्याय सुलभ हो तो ही समझूंगा कि मैंने राष्ट्र की सेवा की। सवाल: टेक्नाेलॉजी का इस्तेमाल कहां तक हो?
जवाब: टेक्नाेलॉजी का उपयोग लोगों तक पहुंच बढ़ाने के लिए होना चाहिए न कि नागरिकों को दूर करने के लिए। लोगों को लगना चाहिए कि तकनीक का इस्तेमाल परेशानी का सबब न होकर उनके काम में मददगार साबित हुआ। सुनवाई से लेकर फैसले की प्रति तक सब आसानी से उपलब्ध होना चाहिए। सवाल: कोर्ट में विश्वास को कैसे कायम रखेंगे?
जवाब: मेरा मानना है कि लोगों को यह नहीं लगना चाहिए कि अदालतें उनकी पहुंच से दूर हैं या फिर वे अपनी बात कोर्ट में नहीं रख सकते हैं। एक फाइल में मामला भले ही रुका रह जाए, लेकिन न्याय को रुकने की अनुमति नहीं दी जा सकती। जल्दी न्याय की उम्मीद बढ़ेगी तो लोगों का विश्वास न्यायपालिका में बढ़ेगा। मैं तुम्हें कोर्ट में देख लूंगा… लोगों में इस विश्वास को बनाए रखना एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। सवाल: मीडिएशन को मजबूत करने पर क्या करेंगे?
जवाब: सहमति आधारित समाधान को समझौता नहीं समझना चाहिए। यह ऐसे न्याय का रूप है जिसमें लंबी कानूनी लड़ाई लड़ने की जरूरत नहीं रहती। मेरा प्रयास रहेगा कि जल्द और सुलभ न्याय सबकी पहुंच में हो। वकीलों और याचियों को इससे जोड़ने की ज्यादा कोशिशें की जाएंगी। सवाल: न्याय की सफलता का पैमाना किसे मानते हैं?
जवाब: न्याय की सफलता का वास्तविक पैमाना यही है कि कानून समाज के सबसे वंचित व्यक्ति तक कितनी मजबूती से पहुँचता है। सबसे कमजोर समझा जाना वाला व्यक्ति जब न्याय पाने के पूरे विश्वास के साथ कोर्ट पहुंचता है तो यह न्यायपालिका की सफलता है। 24 नवंबर: देश के 53वें CJI बने जस्टिस सूर्यकांत जस्टिस सूर्यकांत को राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने सोमवार को देश के 53वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) की शपथ दिलाई। इसके बाद CJI सूर्यकांत ने PM मोदी समेत अन्य लोगों से मुलाकात की। वे पूर्व CJI बीआर गवई से गले मिले। इस समारोह में ब्राजील समेत सात देशों के मुख्य न्यायाधीश और सुप्रीम कोर्ट के जज भी राष्ट्रपति भवन पहुंचे थे। भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में पहली बार किसी CJI के शपथ ग्रहण में इतने बड़े अंतरराष्ट्रीय न्यायिक प्रतिनिधिमंडल की मौजूदगी रही। समारोह में भूटान, केन्या, मलेशिया, मॉरिशस, नेपाल और श्रीलंका के मुख्य न्यायाधीश और उनके परिवार के सदस्य भी पहुंचे। इस दौरान पूर्व CJI गवई ने एक नई मिसाल कायम की। शपथ ग्रहण समारोह के बाद उन्होंने अपनी आधिकारिक गाड़ी राष्ट्रपति भवन में ही अपने उत्तराधिकारी जस्टिस सूर्यकांत के लिए छोड़ दी। CJI सूर्यकांत की शपथ के फोटोज CJI सूर्यकांत का कार्यकाल 14 महीने का होगा सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के हेड होंगे CJI सूर्यकांत CJI सूर्यकांत ने बेंच जस्टिस जॉयमाल्या बागची और जस्टिस अतुल एस चंदुरकर के साथ कोर्ट रूम नंबर 1 में आधिकारिक कार्यवाही शुरू की। जस्टिस सूर्यकांत अब पांच मेंबर वाले सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के हेड भी होंगे। पांच मेंबर वाला कॉलेजियम जो सुप्रीम कोर्ट के जजों को चुनता है और हाईकोर्ट के जजों के ट्रांसफर पर फैसला करता है, उसमें अब CJI कांत और जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस बीवी नागरत्ना, जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस एमएम सुंदरेश शामिल होंगे। तीन सदस्यों वाले कॉलेजियम में, जो हाईकोर्ट के जजों को चुनता है, CJI और जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस बीवी नागरत्ना सदस्य होंगे। भले ही जस्टिस कांत का CJI के तौर पर लगभग 14 महीने का कार्यकाल है, कॉलेजियम में सिर्फ एक बदलाव होगा, जब जस्टिस माहेश्वरी 28 जून, 2026 को रिटायर होंगे। जस्टिस पीएस नरसिम्हा कॉलेजियम के सदस्य बनेंगे। CJI कांत के रिटायर होने के बाद, जस्टिस जेबी पारदीवाला कॉलेजियम में शामिल होंगे। 10वीं के बाद पहली बार शहर देखा था जस्टिस सूर्यकांत के पिता मदनमोहन शास्त्री संस्कृत के शिक्षक और प्रसिद्ध साहित्यकार थे। मां शशि देवी गृहिणी थीं। बड़े भाई ऋषिकांत सेवानिवृत्त शिक्षक हैं, दूसरे भाई शिवकांत डॉक्टर और तीसरे देवकांत आईटीआई से रिटायर्ड हैं। बहन कमला देवी सबसे बड़ी हैं। जस्टिस सूर्यकांत सबसे छोटे हैं। बड़े भाई ऋषिकांत ने बताया, सूर्यकांत ने 10वीं तक पढ़ाई गांव पेटवाड़ में की। इसके बाद पहली बार शहर देखा था। सूर्यकांत के बड़े भाई देवकांत ने बताया कि जस्टिस सूर्यकांत की पत्नी सविता सूर्यकांत हैं और वह कॉलेज में प्रिंसिपल के पद से रिटायर हुई हैं। वह इंग्लिश की प्रोफेसर रही हैं। उनकी 2 बेटियां हैं- मुग्धा और कनुप्रिया। दोनों बेटियां पढ़ाई कर रही हैं। भाई ऋषिकांत ने बताया, सूर्यकांत के विवाह की बात चली तो उन्होंने कहा था दहेज में एक चम्मच भी नहीं लूंगा। विवाह 1987 में जींद की सविता शर्मा से हुआ। जस्टिस सूर्यकांत के यादगार फैसले सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत कई कॉन्स्टिट्यूशनल बेंच का हिस्सा रहे हैं। अपने कार्यकाल के दौरान वे संवैधानिक, मानवाधिकार और प्रशासनिक कानून से जुड़े मामलों को कवर करने वाले 1000 से ज्यादा फैसलों में शामिल रहे। उनके बड़े फैसलों में आर्टिकल 370 को निरस्त करने के 2023 के फैसले को बरकरार रखना भी शामिल है। बिहार SIR मामले की सुनवाई भी की जस्टिस सूर्यकांत ने बिहार में SIR से जुड़े मामले की सुनवाई भी की। चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता को रेखांकित करने वाले एक आदेश में जस्टिस सूर्यकांत ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया था कि बिहार में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन के बाद ड्राफ्ट वोटर लिस्ट से बाहर किए गए 65 लाख नामों की डीटेल सार्वजनिक की जाए। पेटवाड़ के स्कूलों के टॉपर्स को हर साल सम्मानित करने जाते हैं ऋषिकांत ने बताया, ‘एक भाई डॉक्टर बना तो पिताजी चाहते थे सूर्यकांत इंजीनियर बनें, लेकिन उन्होंने कानून पढ़ा। पढ़ने में तेज थे। सूर्यकांत अभी भी गांव से जुड़े हैं। गांव के दोनों स्कूल के टॉपर्स को सम्मानित करने हर साल आते हैं। गांव में पूर्वजों के नाम पर एक तालाब है। वहां जरूर जाते हैं। जब भी आते हैं बथुआ, बाजरे की रोटी, कढ़ी बनती है।’ हिसार से 50 किमी दूर दस हजार आबादी वाले पेटवाड़ का इतिहास गौरवपूर्ण रहा है। गांव में एक गौरव पट्ट लगे हैं। एक शिलालेख पर गांव के 5 स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, दूसरे पर दो शहीद जवान और तीसरे पर बड़े पदों पर पहुंचे 26 लोगों के नाम लिखे हैं। इनमें आईएएस, आईपीएस, वैज्ञानिक, डाॅक्टर आदि शामिल हैं। इसमें सबसे ऊपर जस्टिस सूर्यकांत का नाम है। जस्टिस सूर्यकांत बड़े भाई ऋषिकांत और भाभी राजबाला के साथ गांव में रहते हैं। ———— ये खबर भी पढ़ें… जस्टिस सूर्यकांत के भाई बोले- पिता जातिवाद के खिलाफ रहे, चारों बेटों के नाम के पीछे कांत जोड़ा जस्टिस सूर्यकांत के भाई ऋषिकांत ने बताया कि शुरू से ही वह संयुक्त परिवार में रहे हैं। पिता और दो ताऊ सभी एक साथ रहते थे। पिता जातिगत भेदभाव में विश्वास नहीं रखते थे। उनके परदादा टीचर थे। पिता भी संस्कृत के टीचर रहे। इसलिए चारों भाइयों का ऋषिकांत, शिवकांत, देवकांत और सूर्यकांत नाम रखा, ताकि समाज में एक अलग पहचान बने। पूरी खबर पढ़ें…
भारत के नए मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस सूर्यकांत ने सोमवार को कार्यभार संभालते ही सुप्रीम कोर्ट की प्रक्रिया में बड़ा बदलाव किया। उन्होंने मामलों की अर्जेंट लिस्टिंग के लिए ओरल (मौखिक) मेंशनिंग बंद की है। पहले दिन जस्टिस सूर्यकांत ने लगभग 2 घंटे की कार्यवाही में 17 मामलों की सुनवाई की। सीजेआई सूर्यकांत से पहले पूर्व CJI संजीव खन्ना ने भी मौखिक मेंशनिंग की प्रथा बंद की थी। पूर्व CJI बी.आर. गवई ने इसे दोबारा शुरू किया था। CJI सूर्यकांत ने कहा- अब केवल लिखित मेंशनिंग स्लिप ही मान्य होगी। असाधारण परिस्थितियों, जैसे- डेथ पेनल्टी या व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मामलों में ही मौखिक मेंशनिंग सुनी जाएगी। उन्होंने दैनिक भास्कर से कहा कि फाइल भले ही अटके, न्याय रुकना नहीं चाहिए। जस्टिस सूर्यकांत ने 24 नवंबर को देश के 53वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में हिंदी में शपथ ली। वर्तमान CJI बीआर गवई का कार्यकाल रविवार 23 नवंबर को खत्म हुआ। जस्टिस सूर्यकांत 9 फरवरी 2027 को रिटायर होंगे और उनका कार्यकाल लगभग 14 महीने का होगा। CJI सूर्यकांत से दैनिक भास्कर की बातचीत… सवाल: सीजेआई के रूप में क्या प्राथमिकता रहेगी?
जवाब: न्याय कुछ लोगों का विशेषाधिकार नहीं, यह सबका अधिकार है। न्याय जल्द सुलभ हो यही मेरी पहली प्राथमिकता है। कतार में आखिरी व्यक्ति तक न्याय सुलभ हो तो ही समझूंगा कि मैंने राष्ट्र की सेवा की। सवाल: टेक्नाेलॉजी का इस्तेमाल कहां तक हो?
जवाब: टेक्नाेलॉजी का उपयोग लोगों तक पहुंच बढ़ाने के लिए होना चाहिए न कि नागरिकों को दूर करने के लिए। लोगों को लगना चाहिए कि तकनीक का इस्तेमाल परेशानी का सबब न होकर उनके काम में मददगार साबित हुआ। सुनवाई से लेकर फैसले की प्रति तक सब आसानी से उपलब्ध होना चाहिए। सवाल: कोर्ट में विश्वास को कैसे कायम रखेंगे?
जवाब: मेरा मानना है कि लोगों को यह नहीं लगना चाहिए कि अदालतें उनकी पहुंच से दूर हैं या फिर वे अपनी बात कोर्ट में नहीं रख सकते हैं। एक फाइल में मामला भले ही रुका रह जाए, लेकिन न्याय को रुकने की अनुमति नहीं दी जा सकती। जल्दी न्याय की उम्मीद बढ़ेगी तो लोगों का विश्वास न्यायपालिका में बढ़ेगा। मैं तुम्हें कोर्ट में देख लूंगा… लोगों में इस विश्वास को बनाए रखना एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। सवाल: मीडिएशन को मजबूत करने पर क्या करेंगे?
जवाब: सहमति आधारित समाधान को समझौता नहीं समझना चाहिए। यह ऐसे न्याय का रूप है जिसमें लंबी कानूनी लड़ाई लड़ने की जरूरत नहीं रहती। मेरा प्रयास रहेगा कि जल्द और सुलभ न्याय सबकी पहुंच में हो। वकीलों और याचियों को इससे जोड़ने की ज्यादा कोशिशें की जाएंगी। सवाल: न्याय की सफलता का पैमाना किसे मानते हैं?
जवाब: न्याय की सफलता का वास्तविक पैमाना यही है कि कानून समाज के सबसे वंचित व्यक्ति तक कितनी मजबूती से पहुँचता है। सबसे कमजोर समझा जाना वाला व्यक्ति जब न्याय पाने के पूरे विश्वास के साथ कोर्ट पहुंचता है तो यह न्यायपालिका की सफलता है। 24 नवंबर: देश के 53वें CJI बने जस्टिस सूर्यकांत जस्टिस सूर्यकांत को राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने सोमवार को देश के 53वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) की शपथ दिलाई। इसके बाद CJI सूर्यकांत ने PM मोदी समेत अन्य लोगों से मुलाकात की। वे पूर्व CJI बीआर गवई से गले मिले। इस समारोह में ब्राजील समेत सात देशों के मुख्य न्यायाधीश और सुप्रीम कोर्ट के जज भी राष्ट्रपति भवन पहुंचे थे। भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में पहली बार किसी CJI के शपथ ग्रहण में इतने बड़े अंतरराष्ट्रीय न्यायिक प्रतिनिधिमंडल की मौजूदगी रही। समारोह में भूटान, केन्या, मलेशिया, मॉरिशस, नेपाल और श्रीलंका के मुख्य न्यायाधीश और उनके परिवार के सदस्य भी पहुंचे। इस दौरान पूर्व CJI गवई ने एक नई मिसाल कायम की। शपथ ग्रहण समारोह के बाद उन्होंने अपनी आधिकारिक गाड़ी राष्ट्रपति भवन में ही अपने उत्तराधिकारी जस्टिस सूर्यकांत के लिए छोड़ दी। CJI सूर्यकांत की शपथ के फोटोज CJI सूर्यकांत का कार्यकाल 14 महीने का होगा सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के हेड होंगे CJI सूर्यकांत CJI सूर्यकांत ने बेंच जस्टिस जॉयमाल्या बागची और जस्टिस अतुल एस चंदुरकर के साथ कोर्ट रूम नंबर 1 में आधिकारिक कार्यवाही शुरू की। जस्टिस सूर्यकांत अब पांच मेंबर वाले सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के हेड भी होंगे। पांच मेंबर वाला कॉलेजियम जो सुप्रीम कोर्ट के जजों को चुनता है और हाईकोर्ट के जजों के ट्रांसफर पर फैसला करता है, उसमें अब CJI कांत और जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस बीवी नागरत्ना, जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस एमएम सुंदरेश शामिल होंगे। तीन सदस्यों वाले कॉलेजियम में, जो हाईकोर्ट के जजों को चुनता है, CJI और जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस बीवी नागरत्ना सदस्य होंगे। भले ही जस्टिस कांत का CJI के तौर पर लगभग 14 महीने का कार्यकाल है, कॉलेजियम में सिर्फ एक बदलाव होगा, जब जस्टिस माहेश्वरी 28 जून, 2026 को रिटायर होंगे। जस्टिस पीएस नरसिम्हा कॉलेजियम के सदस्य बनेंगे। CJI कांत के रिटायर होने के बाद, जस्टिस जेबी पारदीवाला कॉलेजियम में शामिल होंगे। 10वीं के बाद पहली बार शहर देखा था जस्टिस सूर्यकांत के पिता मदनमोहन शास्त्री संस्कृत के शिक्षक और प्रसिद्ध साहित्यकार थे। मां शशि देवी गृहिणी थीं। बड़े भाई ऋषिकांत सेवानिवृत्त शिक्षक हैं, दूसरे भाई शिवकांत डॉक्टर और तीसरे देवकांत आईटीआई से रिटायर्ड हैं। बहन कमला देवी सबसे बड़ी हैं। जस्टिस सूर्यकांत सबसे छोटे हैं। बड़े भाई ऋषिकांत ने बताया, सूर्यकांत ने 10वीं तक पढ़ाई गांव पेटवाड़ में की। इसके बाद पहली बार शहर देखा था। सूर्यकांत के बड़े भाई देवकांत ने बताया कि जस्टिस सूर्यकांत की पत्नी सविता सूर्यकांत हैं और वह कॉलेज में प्रिंसिपल के पद से रिटायर हुई हैं। वह इंग्लिश की प्रोफेसर रही हैं। उनकी 2 बेटियां हैं- मुग्धा और कनुप्रिया। दोनों बेटियां पढ़ाई कर रही हैं। भाई ऋषिकांत ने बताया, सूर्यकांत के विवाह की बात चली तो उन्होंने कहा था दहेज में एक चम्मच भी नहीं लूंगा। विवाह 1987 में जींद की सविता शर्मा से हुआ। जस्टिस सूर्यकांत के यादगार फैसले सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत कई कॉन्स्टिट्यूशनल बेंच का हिस्सा रहे हैं। अपने कार्यकाल के दौरान वे संवैधानिक, मानवाधिकार और प्रशासनिक कानून से जुड़े मामलों को कवर करने वाले 1000 से ज्यादा फैसलों में शामिल रहे। उनके बड़े फैसलों में आर्टिकल 370 को निरस्त करने के 2023 के फैसले को बरकरार रखना भी शामिल है। बिहार SIR मामले की सुनवाई भी की जस्टिस सूर्यकांत ने बिहार में SIR से जुड़े मामले की सुनवाई भी की। चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता को रेखांकित करने वाले एक आदेश में जस्टिस सूर्यकांत ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया था कि बिहार में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन के बाद ड्राफ्ट वोटर लिस्ट से बाहर किए गए 65 लाख नामों की डीटेल सार्वजनिक की जाए। पेटवाड़ के स्कूलों के टॉपर्स को हर साल सम्मानित करने जाते हैं ऋषिकांत ने बताया, ‘एक भाई डॉक्टर बना तो पिताजी चाहते थे सूर्यकांत इंजीनियर बनें, लेकिन उन्होंने कानून पढ़ा। पढ़ने में तेज थे। सूर्यकांत अभी भी गांव से जुड़े हैं। गांव के दोनों स्कूल के टॉपर्स को सम्मानित करने हर साल आते हैं। गांव में पूर्वजों के नाम पर एक तालाब है। वहां जरूर जाते हैं। जब भी आते हैं बथुआ, बाजरे की रोटी, कढ़ी बनती है।’ हिसार से 50 किमी दूर दस हजार आबादी वाले पेटवाड़ का इतिहास गौरवपूर्ण रहा है। गांव में एक गौरव पट्ट लगे हैं। एक शिलालेख पर गांव के 5 स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, दूसरे पर दो शहीद जवान और तीसरे पर बड़े पदों पर पहुंचे 26 लोगों के नाम लिखे हैं। इनमें आईएएस, आईपीएस, वैज्ञानिक, डाॅक्टर आदि शामिल हैं। इसमें सबसे ऊपर जस्टिस सूर्यकांत का नाम है। जस्टिस सूर्यकांत बड़े भाई ऋषिकांत और भाभी राजबाला के साथ गांव में रहते हैं। ———— ये खबर भी पढ़ें… जस्टिस सूर्यकांत के भाई बोले- पिता जातिवाद के खिलाफ रहे, चारों बेटों के नाम के पीछे कांत जोड़ा जस्टिस सूर्यकांत के भाई ऋषिकांत ने बताया कि शुरू से ही वह संयुक्त परिवार में रहे हैं। पिता और दो ताऊ सभी एक साथ रहते थे। पिता जातिगत भेदभाव में विश्वास नहीं रखते थे। उनके परदादा टीचर थे। पिता भी संस्कृत के टीचर रहे। इसलिए चारों भाइयों का ऋषिकांत, शिवकांत, देवकांत और सूर्यकांत नाम रखा, ताकि समाज में एक अलग पहचान बने। पूरी खबर पढ़ें…