शादी के मंडप और एंट्री गेट पर गीता–उपनिषद के श्लोक। कमल, पीपल, तुलसी, स्वास्तिक जैसे धार्मिक चिन्हों से विवाह स्थल की सजावट। हाथी या शाही बग्गी में दूल्हे की एंट्री…ये है सनातन वेडिंग थीम, जो लोगों की पहली पसंद बनी हुई है। 1 नवंबर से शुरू हुआ शादियों का सीजन अगले साल 11 जुलाई तक चलेगा। इस दौरान 64 सावे हैं। अनुमान है कि पूरे राजस्थान में 3 लाख से ज्यादा शादियां होंगी। पिछले कुछ सालों में शादियों के पैटर्न में चेंज आया है। पहले जहां लोकेशन, होटल और खाने पर सबसे ज्यादा पैसे खर्च होते थे। अब थीम-बेस्ड डेकोरेशन शादी का सबसे महंगा और सबसे अहम हिस्सा बन गया है। टूरिज्म के बाद वेडिंग से सबसे ज्यादा रेवेन्यू जनरेट हो रहा है। राजस्थान में हर साल 90 हजार से 1 लाख करोड़ रुपए वेडिंग बिजनेस से आ रहे हैं। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… ये है सनातन थीम ⦁ मंडप और एंट्री गेट पर गीता–उपनिषद् के श्लोक ⦁ हल्दी–मेहंदी में सत्यनारायण कथा सेटअप ⦁ मुख्य स्टेज पर भगवान की प्रतिमाएं ⦁ गानों के बजाय वैदिक मंत्रोच्चार के बीच दुल्हन की एंट्री ⦁ दूल्हा–दुल्हन की जयमाला के पीछे त्रिदेव/अष्टलक्ष्मी आर्टवर्क ⦁ डेकोरेशन में कमल, पीपल, तुलसी, स्वास्तिक जैसे सनातन धर्म के प्रतीक थीम और डेकोरेशन पर सबसे ज्यादा खर्च
वेडिंग प्लानर्स के अनुसार, अब शादी के खर्च का 30 से 35% हिस्सा थीम और डेकोरेशन पर खर्च हो रहा है। कुछ शादियों में तो 50 प्रतिशत तक हिस्सा थीम बनाने में लग रहा है। पहले यह 15 से 20% हुआ करता था। अब सनातन और दूसरी पर्सनलाइज्ड थीम के चलते बजट दोगुना हो गया है। फेडरेशन ऑफ राजस्थान इवेंट मैनेजर के अध्यक्ष मोहित माहेश्वरी के मुताबिक, परिवार के साथ ही दूल्हा–दुल्हन भी सनातन थीम को प्राथमिकता दे रहे हैं। इन थीम के आधार पर सेटअप तैयार करने में खर्चा जगह के आधार पर लगता है। कहीं पर अगर पूरा ही थीम आधारित सेटअप नया बनाना पड़ता है तो वहां पर ये खर्चा 50 प्रतिशत तक पहुंच जाता है। इस बार उनका 40% काम सिर्फ सनातन थीम पर है। विदेशी कपल भी इसे बहुत अपना रहे हैं। हाथी, विंटेज कार या बग्गी से दूल्हे की एंट्री
दुल्हन की नहीं, दूल्हे की एंट्री पर उतनी ही भव्य बनाई जा रही है। दूल्हा राजस्थानी शाही अंदाज में हाथी, विंटेज कार, खूबसूरत सजी-धजी घोड़ी या रॉयल बग्गी पर बैठकर प्रवेश करता है। एंट्री के दौरान लाइव शहनाई, सूफी बैंड या राजस्थानी नगाड़ों की धुन। कुछ शादियों में दूल्हे की एंट्री राजसी अंदाज में तलवार के साथ होती है। सनातन थीम पर लाइव वैदिक सेटअप, कस्टमाइज्ड मंदिर बैकड्रॉप, पौराणिक नक्काशी वाले मंडप, मंत्रों से लाइट–साउंड डिजाइन की वजह से शादी का 30–35% तक बजट इसी पर खर्च हो जाता है। इवेंट कंपनी के मालिक अरशद हुसैन के अनुसार, पिछले दो सीजन में जहां 10 में से 2 शादियां सनातन थीम पर होती थीं, इस बार 10 में से 6 शादियां इसी थीम पर बुक हैं। सालाना 1 लाख करोड़ तक का बिजनेस
होटल फेडरेशन ऑफ राजस्थान के अध्यक्ष हुसैन खान बताते हैं कि बड़ी शादियों का फायदा सिर्फ बड़े होटल और रिसॉट्र्स को नहीं, बल्कि छोटे होटलों को भी मिलता है। जब किसी बड़े पैमाने पर शादी होती है तो इवेंट मैनेजमेंट टीम, कैटरिंग स्टाफ, डेकोरेशन वाले और तकनीकी कर्मचारी ज्यादातर छोटे होटलों में ही ठहरते हैं। इवेंट कंपनी के मालिक अरशद हुसैन बताते हैं कि उदयपुर, जोधपुर और जयपुर दुनिया के टॉप-10 ग्लोबल वेडिंग डेस्टिनेशन में शामिल हैं। प्रदेश में करीब 100 प्रीमियम वेडिंग वेन्यू हैं, जहां साल में 50 तक बड़े समारोह होते हैं। इनमें 3–5 करोड़ वाली हाई-एंड शादियों से लेकर 25–30 लाख तक के मिड-रेंज इवेंट्स भी शामिल हैं। इन सबको औसत में जोड़ें तो राजस्थान में हर साल 90 हजार से 1 लाख करोड़ रुपए का वेडिंग बिजनेस होता है। पिछले सीजन की तुलना में इस बार 11.5 से 12% तक ग्रोथ दिख रही है।
शादी के मंडप और एंट्री गेट पर गीता–उपनिषद के श्लोक। कमल, पीपल, तुलसी, स्वास्तिक जैसे धार्मिक चिन्हों से विवाह स्थल की सजावट। हाथी या शाही बग्गी में दूल्हे की एंट्री…ये है सनातन वेडिंग थीम, जो लोगों की पहली पसंद बनी हुई है। 1 नवंबर से शुरू हुआ शादियों का सीजन अगले साल 11 जुलाई तक चलेगा। इस दौरान 64 सावे हैं। अनुमान है कि पूरे राजस्थान में 3 लाख से ज्यादा शादियां होंगी। पिछले कुछ सालों में शादियों के पैटर्न में चेंज आया है। पहले जहां लोकेशन, होटल और खाने पर सबसे ज्यादा पैसे खर्च होते थे। अब थीम-बेस्ड डेकोरेशन शादी का सबसे महंगा और सबसे अहम हिस्सा बन गया है। टूरिज्म के बाद वेडिंग से सबसे ज्यादा रेवेन्यू जनरेट हो रहा है। राजस्थान में हर साल 90 हजार से 1 लाख करोड़ रुपए वेडिंग बिजनेस से आ रहे हैं। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… ये है सनातन थीम ⦁ मंडप और एंट्री गेट पर गीता–उपनिषद् के श्लोक ⦁ हल्दी–मेहंदी में सत्यनारायण कथा सेटअप ⦁ मुख्य स्टेज पर भगवान की प्रतिमाएं ⦁ गानों के बजाय वैदिक मंत्रोच्चार के बीच दुल्हन की एंट्री ⦁ दूल्हा–दुल्हन की जयमाला के पीछे त्रिदेव/अष्टलक्ष्मी आर्टवर्क ⦁ डेकोरेशन में कमल, पीपल, तुलसी, स्वास्तिक जैसे सनातन धर्म के प्रतीक थीम और डेकोरेशन पर सबसे ज्यादा खर्च
वेडिंग प्लानर्स के अनुसार, अब शादी के खर्च का 30 से 35% हिस्सा थीम और डेकोरेशन पर खर्च हो रहा है। कुछ शादियों में तो 50 प्रतिशत तक हिस्सा थीम बनाने में लग रहा है। पहले यह 15 से 20% हुआ करता था। अब सनातन और दूसरी पर्सनलाइज्ड थीम के चलते बजट दोगुना हो गया है। फेडरेशन ऑफ राजस्थान इवेंट मैनेजर के अध्यक्ष मोहित माहेश्वरी के मुताबिक, परिवार के साथ ही दूल्हा–दुल्हन भी सनातन थीम को प्राथमिकता दे रहे हैं। इन थीम के आधार पर सेटअप तैयार करने में खर्चा जगह के आधार पर लगता है। कहीं पर अगर पूरा ही थीम आधारित सेटअप नया बनाना पड़ता है तो वहां पर ये खर्चा 50 प्रतिशत तक पहुंच जाता है। इस बार उनका 40% काम सिर्फ सनातन थीम पर है। विदेशी कपल भी इसे बहुत अपना रहे हैं। हाथी, विंटेज कार या बग्गी से दूल्हे की एंट्री
दुल्हन की नहीं, दूल्हे की एंट्री पर उतनी ही भव्य बनाई जा रही है। दूल्हा राजस्थानी शाही अंदाज में हाथी, विंटेज कार, खूबसूरत सजी-धजी घोड़ी या रॉयल बग्गी पर बैठकर प्रवेश करता है। एंट्री के दौरान लाइव शहनाई, सूफी बैंड या राजस्थानी नगाड़ों की धुन। कुछ शादियों में दूल्हे की एंट्री राजसी अंदाज में तलवार के साथ होती है। सनातन थीम पर लाइव वैदिक सेटअप, कस्टमाइज्ड मंदिर बैकड्रॉप, पौराणिक नक्काशी वाले मंडप, मंत्रों से लाइट–साउंड डिजाइन की वजह से शादी का 30–35% तक बजट इसी पर खर्च हो जाता है। इवेंट कंपनी के मालिक अरशद हुसैन के अनुसार, पिछले दो सीजन में जहां 10 में से 2 शादियां सनातन थीम पर होती थीं, इस बार 10 में से 6 शादियां इसी थीम पर बुक हैं। सालाना 1 लाख करोड़ तक का बिजनेस
होटल फेडरेशन ऑफ राजस्थान के अध्यक्ष हुसैन खान बताते हैं कि बड़ी शादियों का फायदा सिर्फ बड़े होटल और रिसॉट्र्स को नहीं, बल्कि छोटे होटलों को भी मिलता है। जब किसी बड़े पैमाने पर शादी होती है तो इवेंट मैनेजमेंट टीम, कैटरिंग स्टाफ, डेकोरेशन वाले और तकनीकी कर्मचारी ज्यादातर छोटे होटलों में ही ठहरते हैं। इवेंट कंपनी के मालिक अरशद हुसैन बताते हैं कि उदयपुर, जोधपुर और जयपुर दुनिया के टॉप-10 ग्लोबल वेडिंग डेस्टिनेशन में शामिल हैं। प्रदेश में करीब 100 प्रीमियम वेडिंग वेन्यू हैं, जहां साल में 50 तक बड़े समारोह होते हैं। इनमें 3–5 करोड़ वाली हाई-एंड शादियों से लेकर 25–30 लाख तक के मिड-रेंज इवेंट्स भी शामिल हैं। इन सबको औसत में जोड़ें तो राजस्थान में हर साल 90 हजार से 1 लाख करोड़ रुपए का वेडिंग बिजनेस होता है। पिछले सीजन की तुलना में इस बार 11.5 से 12% तक ग्रोथ दिख रही है।