राजस्थान के 10वीं पास युवाओं को विदेश में अच्छी नौकरी के झूठे सपने दिखाकर म्यांमार में साइबर ठगों के हवाले करने वाले 2 एजेंट पकड़े गए हैं। झुंझुनूं का सोयल अख्तर (28) और गुजरात के मोहित गिरी, दोनों मिलकर राजस्थान और गुजरात से कई युवाओं को थाईलैंड के रास्ते म्यांमार भिजवा चुके हैं। वहां उन्हें जबरन डिजिटल अरेस्ट करने और इन्वेस्टमेंट स्कीम के नाम पर साइबर ठगी के लिए मजबूर किया जाता है। बंधक बनाकर रखा जाता था। अमेरिका, कनाडा में रहे NRI को ठगने का टारगेट दिया जाता है। इसके बदले इन एजेंट्स को मोटा कमीशन मिलता था। झुंझुनूं का सोयल खान (28) कभी सब्जी का ठेला लगाता था। बाद में IT कंपनियों में छोटा-मोटा कॉन्ट्रैक्ट का काम करने लगा। सोयल युवाओं को झांसे में लेता और मोहित गिरी उनके पासपोर्ट रेडी कर बैंकॉक से म्यांमार पहुंचाने का काम करता। हाल ही में म्यांमार में साइबर ठगों के चंगुल से 500 लोगों को छुड़ाकर विशेष अभियान के तहत भारत लाया गया था। उनमें ये दोनों शातिर एजेंट भी खुद को पीड़ित बनाकर साथ आ गए थे। दिल्ली एयरपोर्ट पर सुरक्षा एजेंसियों की पूछताछ में इनके काले कारनामे सामने आए। भास्कर ने CBI की ओर से दर्ज FIR को खंगाला, दोनों एजेंट के चंगुल में फंसे पीड़ितों की आपबीती अधिकारियों से जानने की कोशिश की। संडे बिग स्टोरी में पढ़िए- कैसे राजस्थान के युवाओं को दोनों अपना शिकार बनाते थे। म्यांमार से लौटे ‘पीड़ितों’ की गवाही रही टर्निंग पॉइंट
CBI को 11 नवंबर 2025 को अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (EO-III, नई दिल्ली) की शिकायत मिली। इस शिकायत में बताया गया था कि राजस्थान, गुजरात, दिल्ली से बड़ी संख्या में युवाओं को नौकरी के नाम पर म्यांमार ले जाया जा रहा है, जहां उन्हें KK पार्क जैसे स्कैम कम्पाउंड्स में कैद कर दिया जाता है। इन कम्पाउंड्स को ‘साइबर गुलामी का कारखाना’ कहा जाता है, जहां कैद युवाओं से ‘डिजिटल अरेस्ट फ्रॉड’, ‘रोमांस स्कैम’ और ‘इन्वेस्टमेंट फ्रॉड’ जैसे अपराध करवाए जाते हैं। सरकार के खास ऑपरेशन के तहत थाईलैंड की मे सोत (Mae Sot) सीमा से भारतीय नागरिकों का एक दल वापस लाया गया। इनमें सोयल अख्तर और मोहित गिरी पर CBI को संदेह हुआ। दोनों ने खुद को पीड़ित बताया, लेकिन राजस्थान के कुछ युवाओं ने बताया कि सोयल और मोहित वही ठग हैं, जिन्होंने उन्हें नौकरी का झांसा देकर वहां भिजवाया था। इसके बाद CBI ने दोनों एजेंट को पूछताछ के लिए दिल्ली में ही रोक लिया। कभी सब्जी बेचता था, युवाओं को विदेश में नौकरी के नाम पर ठगने लगा
सोयल अख्तर मूल रूप से खेतानों का मोहल्ला, झुंझुनूं (राजस्थान) का रहने वाला है। झुंझुनूं में ही सब्जी की दुकान चलाता था। साथ ही दिल्ली-जयपुर में छोटे-मोटे IT-कॉन्ट्रैक्ट के एक ठेकेदार से जुड़कर काम करने लगा था। सीबीआई के अनुसार सोयल ज्यादा पढ़ा-लिखा नहीं है, लेकिन काफी शातिर है। सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहता है। इसी दौरान वो चीन-म्यांमार में साइबर ठगी के गिरोह के संपर्क में आया। पुलिस के अनुसार, सोयल ने बेरोजगार युवाओं को फर्जी ‘कस्टमर सर्विस एक्जीक्यूटिव’ या ‘क्रिप्टो सेल्स एक्जीक्यूटिव’ की नौकरी के झूठे ऑफर देकर फंसाने लगा। अपने सोशल मीडिया प्रोफाइल पर वो युवाओं को बताता कि थाईलैंड और म्यांमार में उसके अच्छे संपर्क हैं। विदेश में 10वीं पास भी 80 हजार से 1 लाख रुपए महीना कमा सकते हैं। इस तरह से झांसे में आए युवकों के वो Telegram पर ‘विदेशी नियोक्ताओं’ से इंटरव्यू तक करवाता था। पुलिस सूत्रों के अनुसार सोयल को इसके बदले ठग गिरोह से तो मोटा कमीशन मिलता ही था। विदेश में नौकरी लगवाने के नाम पर युवाओं से भी पैसा वसूलता था। दूसरा आरोपी मोहित गिरी, गुजरात का रहने वाला है। सीबीआई उसका पूरा रिकॉर्ड खंगाल रही है। शुरुआती जांच में पता चला है कि मोहित भी इसी गिरोह में बतौर ‘हैंडलर’ काम करता था। उसका काम फाइनल हो चुके कैंडिडेट की टिकट बुक करवाने, पासपोर्ट बनवाने और युवाओं को दिल्ली से बैंकॉक तक पहुंचाने का था। CBI को मिले चैट्स और बैंक ट्रांजैक्शन रिकॉर्ड से पता चला है कि दोनों के संपर्क दिल्ली और अहमदाबाद के कुछ एजेंट्स से भी थे, जो चीन-म्यांमार नेटवर्क के लिए भर्ती करते थे। जहां का रहने वाला, वहीं के युवाओं को फंसाया
सोयल ने अपने पैतृक शहर झुंझुनूं के भी कई युवाओं को झांसे में लिया। CBI की एफआईआर के अनुसार, झुंझुनूं के ही रहने वाले अकरम अली भाटी को नौकरी की तलाश थी। इसके चलते वो सोयल अख्तर के संपर्क में आया। सोयल ने उसे बताया कि थाईलैंड में 30 हजार थाई बाह्त (थाइलैंड की करेंसी) प्रतिमाह की नौकरी है। इस पर अकरम ने तुरंत हां कह दी। सोयल ने अकरम का विदेश में बैठे फर्जी नियोक्ता से इंटरव्यू करवाया। उस इंटरव्यू में अकरम को पास कर दिया गया। सोयल ने उसे भरोसा दिलाया कि अभी उसे अपने खर्चे पर जाना होगा, वहां पहुंचने के बाद पूरी यात्रा का खर्च वापस कर दिया जाएगा। अकरम ने खुद का पासपोर्ट बनवाया और खुद के पैसों से टिकट बुक करवा 7 अक्टूबर 2025 को बैंकॉक पहुंचा। वहां उसे एक रात होटल में ठहराया गया। अगले दिन एक अज्ञात व्यक्ति ने उसे एक नदी पार कराई। अकरम को तीसरे दिन म्यांमार के KK पार्क स्कैम कम्पाउंड में पहुंचा दिया गया। वहां पहुंचते ही उसका मोबाइल फोन छीन लिया गया। सभी चैट्स डिलीट कर दी गईं। साइबर ठगों ने अकरम से कहा कि अगर बाहर जाना है तो 5000 अमेरिकी डॉलर देने होंगे, नहीं तो किसी और व्यक्ति को फंसाकर भेजना होगा। कम्पाउंड में उसे फर्जी फेसबुक प्रोफाइल बनाकर पुरुषों को ऑनलाइन फंसाने और ठगी करने का आदेश दिया गया। अकरम ने बताया- वहां हमें चीनी सुपरवाइजरों के अंडर काम करना पड़ता था। जो मना करता, उसे पीटते थे, कई को करंट लगाते थे। हमें रोज 15 घंटे काम करवाया जाता था। इसी तरह, जयपुर के शौकत नाम के युवक को भी सोयल अख्तर ने ‘क्रिप्टोकरेंसी सेल्स मैनेजर’ की नौकरी का झांसा देकर विदेश भेजा था। दोनों ने बताया कि मोहित गिरी दिल्ली में एयर टिकट और वीजा का काम संभालता था। कैसे पहुंचे गिरफ्तारी तक
6 और 10 नवंबर को भारतीय वायुसेना के विशेष विमानों से 70 से अधिक भारतीयों को थाईलैंड के Mae Sot कैंप से वापस लाया गया। ये सभी म्यांमार के अलग-अलग स्कैम कम्पाउंड्स से छुड़ाए गए थे। दिल्ली पहुंचने के बाद इमिग्रेशन और CBI टीमों ने हर लौटे व्यक्ति से पूछताछ की। जब अकरम अली भाटी और अन्य युवकों ने अपने बयान दिए, तो सोयल अख्तर और मोहित गिरी का नाम सामने आया। CBI ने दोनों से क्रॉस इंटेरोगेशन किया, जिसमें विरोधाभास थे। तब जाकर सोयल अख्तर को हिरासत में लिया गया। सीबीआई ने उसके मोबाइल की जांच शुरू की। सूत्रों के अनुसार, उसके Telegram और WhatsApp चैट्स में फर्जी जॉब विज्ञापन और विदेशी नंबरों से बातचीत के प्रमाण मिले। बैंक डिटेल्स में थाइलैंड और मलेशिया के खातों में रुपए ट्रांसफर के संकेत मिले हैं। साइबर सेल के डीएसपी परमिंदर सिंह ने बताया कि दिल्ली से दो बार में अब तक 20 लोगों को राजस्थान लाया गया है। तीन को वहीं रोक लिया था। सीबीआई उनसे पूछताछ कर रही है। एक के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कर ली गई है। अन्य दो लोगों ने ये एफआईआर दर्ज करवाई है। अब हर व्यक्ति से कड़ी पूछताछ के बाद ही उसे पीड़ित मानकर छोड़ा जा रहा है। साइबर एसपी शांतनु ने बताया कि सोयल अख्तर पर मानव तस्करी, धोखाधड़ी, अवैध प्रवासन और साइबर अपराधों का आरोप है। CBI ने इस मामले में भारतीय दंड संहिता (BNS) की धारा 61(2), 318(4), 143(3), 127 तथा प्रवासन अधिनियम 1983 की धारा 24 सहपठित धारा 10 के तहत केस दर्ज किया है। CBI अब दिल्ली, जयपुर और गुजरात में उसके नेटवर्क की गहराई से छानबीन कर रही है। — विदेश के नाम पर हुई ठगी की यह खबर भी पढ़िए… ठगों के चंगुल में फंसा, थाईलैंड-आर्मी की मदद से बचा:जंगलों में बैठकर अमेरिकियों को ठगते; टारगेट पूरा न होने पर मारपीट; एजेंट गिरफ्तार विदेश में नौकरी के बहाने युवकों को साइबर ठगी के सिंडिकेट को सौंप देने वाले एजेंट को पुलिस ने पकड़ा है। म्यांमार से साइबर ठगों के चंगुल से भाग कर आए युवक ने आरोपी के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करवाई थी। इसके बाद पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार किया। (पढ़ें पूरी खबर) लड़की बनकर चैट करते, NRI बुजुर्गों को ठगते:टारगेट पूरा नहीं तो करंट के झटके, विदेश में कैद में रहे 3 युवाओं ने बताई खौफनाक हकीकत मेरा नाम उन्होंने नैंसी रख दिया था…हमें लड़की बनकर अमेरिकी लोगों से चैट करने और ठगने का टारगेट मिलता था….टारगेट पूरा किया तो ठीक नहीं तो बंद कमरे में करंट लगाते थे। मैंने 1 महीने में 10 बुजुर्गों को झांसे में लिया, उनमें से 3 में कामयाब हो गया था। ये खौफनाक सच झुंझुनूं के अविनाश (27) ने हमें बताया…(CLICK कर पढ़ें)
राजस्थान के 10वीं पास युवाओं को विदेश में अच्छी नौकरी के झूठे सपने दिखाकर म्यांमार में साइबर ठगों के हवाले करने वाले 2 एजेंट पकड़े गए हैं। झुंझुनूं का सोयल अख्तर (28) और गुजरात के मोहित गिरी, दोनों मिलकर राजस्थान और गुजरात से कई युवाओं को थाईलैंड के रास्ते म्यांमार भिजवा चुके हैं। वहां उन्हें जबरन डिजिटल अरेस्ट करने और इन्वेस्टमेंट स्कीम के नाम पर साइबर ठगी के लिए मजबूर किया जाता है। बंधक बनाकर रखा जाता था। अमेरिका, कनाडा में रहे NRI को ठगने का टारगेट दिया जाता है। इसके बदले इन एजेंट्स को मोटा कमीशन मिलता था। झुंझुनूं का सोयल खान (28) कभी सब्जी का ठेला लगाता था। बाद में IT कंपनियों में छोटा-मोटा कॉन्ट्रैक्ट का काम करने लगा। सोयल युवाओं को झांसे में लेता और मोहित गिरी उनके पासपोर्ट रेडी कर बैंकॉक से म्यांमार पहुंचाने का काम करता। हाल ही में म्यांमार में साइबर ठगों के चंगुल से 500 लोगों को छुड़ाकर विशेष अभियान के तहत भारत लाया गया था। उनमें ये दोनों शातिर एजेंट भी खुद को पीड़ित बनाकर साथ आ गए थे। दिल्ली एयरपोर्ट पर सुरक्षा एजेंसियों की पूछताछ में इनके काले कारनामे सामने आए। भास्कर ने CBI की ओर से दर्ज FIR को खंगाला, दोनों एजेंट के चंगुल में फंसे पीड़ितों की आपबीती अधिकारियों से जानने की कोशिश की। संडे बिग स्टोरी में पढ़िए- कैसे राजस्थान के युवाओं को दोनों अपना शिकार बनाते थे। म्यांमार से लौटे ‘पीड़ितों’ की गवाही रही टर्निंग पॉइंट
CBI को 11 नवंबर 2025 को अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (EO-III, नई दिल्ली) की शिकायत मिली। इस शिकायत में बताया गया था कि राजस्थान, गुजरात, दिल्ली से बड़ी संख्या में युवाओं को नौकरी के नाम पर म्यांमार ले जाया जा रहा है, जहां उन्हें KK पार्क जैसे स्कैम कम्पाउंड्स में कैद कर दिया जाता है। इन कम्पाउंड्स को ‘साइबर गुलामी का कारखाना’ कहा जाता है, जहां कैद युवाओं से ‘डिजिटल अरेस्ट फ्रॉड’, ‘रोमांस स्कैम’ और ‘इन्वेस्टमेंट फ्रॉड’ जैसे अपराध करवाए जाते हैं। सरकार के खास ऑपरेशन के तहत थाईलैंड की मे सोत (Mae Sot) सीमा से भारतीय नागरिकों का एक दल वापस लाया गया। इनमें सोयल अख्तर और मोहित गिरी पर CBI को संदेह हुआ। दोनों ने खुद को पीड़ित बताया, लेकिन राजस्थान के कुछ युवाओं ने बताया कि सोयल और मोहित वही ठग हैं, जिन्होंने उन्हें नौकरी का झांसा देकर वहां भिजवाया था। इसके बाद CBI ने दोनों एजेंट को पूछताछ के लिए दिल्ली में ही रोक लिया। कभी सब्जी बेचता था, युवाओं को विदेश में नौकरी के नाम पर ठगने लगा
सोयल अख्तर मूल रूप से खेतानों का मोहल्ला, झुंझुनूं (राजस्थान) का रहने वाला है। झुंझुनूं में ही सब्जी की दुकान चलाता था। साथ ही दिल्ली-जयपुर में छोटे-मोटे IT-कॉन्ट्रैक्ट के एक ठेकेदार से जुड़कर काम करने लगा था। सीबीआई के अनुसार सोयल ज्यादा पढ़ा-लिखा नहीं है, लेकिन काफी शातिर है। सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहता है। इसी दौरान वो चीन-म्यांमार में साइबर ठगी के गिरोह के संपर्क में आया। पुलिस के अनुसार, सोयल ने बेरोजगार युवाओं को फर्जी ‘कस्टमर सर्विस एक्जीक्यूटिव’ या ‘क्रिप्टो सेल्स एक्जीक्यूटिव’ की नौकरी के झूठे ऑफर देकर फंसाने लगा। अपने सोशल मीडिया प्रोफाइल पर वो युवाओं को बताता कि थाईलैंड और म्यांमार में उसके अच्छे संपर्क हैं। विदेश में 10वीं पास भी 80 हजार से 1 लाख रुपए महीना कमा सकते हैं। इस तरह से झांसे में आए युवकों के वो Telegram पर ‘विदेशी नियोक्ताओं’ से इंटरव्यू तक करवाता था। पुलिस सूत्रों के अनुसार सोयल को इसके बदले ठग गिरोह से तो मोटा कमीशन मिलता ही था। विदेश में नौकरी लगवाने के नाम पर युवाओं से भी पैसा वसूलता था। दूसरा आरोपी मोहित गिरी, गुजरात का रहने वाला है। सीबीआई उसका पूरा रिकॉर्ड खंगाल रही है। शुरुआती जांच में पता चला है कि मोहित भी इसी गिरोह में बतौर ‘हैंडलर’ काम करता था। उसका काम फाइनल हो चुके कैंडिडेट की टिकट बुक करवाने, पासपोर्ट बनवाने और युवाओं को दिल्ली से बैंकॉक तक पहुंचाने का था। CBI को मिले चैट्स और बैंक ट्रांजैक्शन रिकॉर्ड से पता चला है कि दोनों के संपर्क दिल्ली और अहमदाबाद के कुछ एजेंट्स से भी थे, जो चीन-म्यांमार नेटवर्क के लिए भर्ती करते थे। जहां का रहने वाला, वहीं के युवाओं को फंसाया
सोयल ने अपने पैतृक शहर झुंझुनूं के भी कई युवाओं को झांसे में लिया। CBI की एफआईआर के अनुसार, झुंझुनूं के ही रहने वाले अकरम अली भाटी को नौकरी की तलाश थी। इसके चलते वो सोयल अख्तर के संपर्क में आया। सोयल ने उसे बताया कि थाईलैंड में 30 हजार थाई बाह्त (थाइलैंड की करेंसी) प्रतिमाह की नौकरी है। इस पर अकरम ने तुरंत हां कह दी। सोयल ने अकरम का विदेश में बैठे फर्जी नियोक्ता से इंटरव्यू करवाया। उस इंटरव्यू में अकरम को पास कर दिया गया। सोयल ने उसे भरोसा दिलाया कि अभी उसे अपने खर्चे पर जाना होगा, वहां पहुंचने के बाद पूरी यात्रा का खर्च वापस कर दिया जाएगा। अकरम ने खुद का पासपोर्ट बनवाया और खुद के पैसों से टिकट बुक करवा 7 अक्टूबर 2025 को बैंकॉक पहुंचा। वहां उसे एक रात होटल में ठहराया गया। अगले दिन एक अज्ञात व्यक्ति ने उसे एक नदी पार कराई। अकरम को तीसरे दिन म्यांमार के KK पार्क स्कैम कम्पाउंड में पहुंचा दिया गया। वहां पहुंचते ही उसका मोबाइल फोन छीन लिया गया। सभी चैट्स डिलीट कर दी गईं। साइबर ठगों ने अकरम से कहा कि अगर बाहर जाना है तो 5000 अमेरिकी डॉलर देने होंगे, नहीं तो किसी और व्यक्ति को फंसाकर भेजना होगा। कम्पाउंड में उसे फर्जी फेसबुक प्रोफाइल बनाकर पुरुषों को ऑनलाइन फंसाने और ठगी करने का आदेश दिया गया। अकरम ने बताया- वहां हमें चीनी सुपरवाइजरों के अंडर काम करना पड़ता था। जो मना करता, उसे पीटते थे, कई को करंट लगाते थे। हमें रोज 15 घंटे काम करवाया जाता था। इसी तरह, जयपुर के शौकत नाम के युवक को भी सोयल अख्तर ने ‘क्रिप्टोकरेंसी सेल्स मैनेजर’ की नौकरी का झांसा देकर विदेश भेजा था। दोनों ने बताया कि मोहित गिरी दिल्ली में एयर टिकट और वीजा का काम संभालता था। कैसे पहुंचे गिरफ्तारी तक
6 और 10 नवंबर को भारतीय वायुसेना के विशेष विमानों से 70 से अधिक भारतीयों को थाईलैंड के Mae Sot कैंप से वापस लाया गया। ये सभी म्यांमार के अलग-अलग स्कैम कम्पाउंड्स से छुड़ाए गए थे। दिल्ली पहुंचने के बाद इमिग्रेशन और CBI टीमों ने हर लौटे व्यक्ति से पूछताछ की। जब अकरम अली भाटी और अन्य युवकों ने अपने बयान दिए, तो सोयल अख्तर और मोहित गिरी का नाम सामने आया। CBI ने दोनों से क्रॉस इंटेरोगेशन किया, जिसमें विरोधाभास थे। तब जाकर सोयल अख्तर को हिरासत में लिया गया। सीबीआई ने उसके मोबाइल की जांच शुरू की। सूत्रों के अनुसार, उसके Telegram और WhatsApp चैट्स में फर्जी जॉब विज्ञापन और विदेशी नंबरों से बातचीत के प्रमाण मिले। बैंक डिटेल्स में थाइलैंड और मलेशिया के खातों में रुपए ट्रांसफर के संकेत मिले हैं। साइबर सेल के डीएसपी परमिंदर सिंह ने बताया कि दिल्ली से दो बार में अब तक 20 लोगों को राजस्थान लाया गया है। तीन को वहीं रोक लिया था। सीबीआई उनसे पूछताछ कर रही है। एक के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कर ली गई है। अन्य दो लोगों ने ये एफआईआर दर्ज करवाई है। अब हर व्यक्ति से कड़ी पूछताछ के बाद ही उसे पीड़ित मानकर छोड़ा जा रहा है। साइबर एसपी शांतनु ने बताया कि सोयल अख्तर पर मानव तस्करी, धोखाधड़ी, अवैध प्रवासन और साइबर अपराधों का आरोप है। CBI ने इस मामले में भारतीय दंड संहिता (BNS) की धारा 61(2), 318(4), 143(3), 127 तथा प्रवासन अधिनियम 1983 की धारा 24 सहपठित धारा 10 के तहत केस दर्ज किया है। CBI अब दिल्ली, जयपुर और गुजरात में उसके नेटवर्क की गहराई से छानबीन कर रही है। — विदेश के नाम पर हुई ठगी की यह खबर भी पढ़िए… ठगों के चंगुल में फंसा, थाईलैंड-आर्मी की मदद से बचा:जंगलों में बैठकर अमेरिकियों को ठगते; टारगेट पूरा न होने पर मारपीट; एजेंट गिरफ्तार विदेश में नौकरी के बहाने युवकों को साइबर ठगी के सिंडिकेट को सौंप देने वाले एजेंट को पुलिस ने पकड़ा है। म्यांमार से साइबर ठगों के चंगुल से भाग कर आए युवक ने आरोपी के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करवाई थी। इसके बाद पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार किया। (पढ़ें पूरी खबर) लड़की बनकर चैट करते, NRI बुजुर्गों को ठगते:टारगेट पूरा नहीं तो करंट के झटके, विदेश में कैद में रहे 3 युवाओं ने बताई खौफनाक हकीकत मेरा नाम उन्होंने नैंसी रख दिया था…हमें लड़की बनकर अमेरिकी लोगों से चैट करने और ठगने का टारगेट मिलता था….टारगेट पूरा किया तो ठीक नहीं तो बंद कमरे में करंट लगाते थे। मैंने 1 महीने में 10 बुजुर्गों को झांसे में लिया, उनमें से 3 में कामयाब हो गया था। ये खौफनाक सच झुंझुनूं के अविनाश (27) ने हमें बताया…(CLICK कर पढ़ें)