चेन्नई के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशन टेक्नोलॉजी (NIOT) में समुद्रयान आकार ले रहा है। इस वैज्ञानिक पनडुब्बी के हिस्से असेम्बल हो रहे हैं। दिलचस्प बात है कि पहले समुद्रयान के शत-प्रतिशत पार्ट्स इम्पोर्ट किए जाने थे, लेकिन कोविड और जियो पॉलिटिकल कारणों से पार्ट्स नहीं मिल पाए। नतीजतन, अब 2025 में समुद्रयान के 50% हिस्से भारतीय संस्थानों ने ही तैयार कर लिए। NIOT के उपनिदेशक एस. रमेश ने कहा कि समुद्रयान का बेसिक फ्रेम, मत्स्य-6000, कम्युनिकेशन, नेविगेशन और कंट्रोल सिस्टम सॉफ्टवेयर भारत में ही विकसित किए गए हैं। कुछ कैमरे, सेंसर, अकॉस्टिक फोन और सिंटेक्टिक फोम आयात करने पड़े। लक्ष्य है कि 2026 में 30 मीटर, 200 मीटर और 500 मीटर की गहराई में समुद्रयान के तीन अलग-अलग रिहर्सल और टेस्ट होंगे। सभी उपकरणों और हर हिस्सों को नार्वे की एजेंसी डीएनवी (डेट नॉर्स्क वेरीटास) से सर्टिफिकेशन हासिल हो चुका है। समुद्रयान भारत के डीप ओशन मिशन का हिस्सा समुद्रयान मिशन भारत का पहला मानवयुक्त समुद्र मिशन है, जिसका मकसद मत्स्य-6000 नाम के मानवयुक्त पनडुब्बी में 3 वैज्ञानिकों को समुद्र की 6,000 मीटर की गहराई तक भेजना है। यह भारत के ‘डीप ओशन मिशन’ का एक हिस्सा है। इसके तहत समुद्र के संसाधनों और जैव-विविधता का अध्ययन किया जाएगा। 2027 में गगनयान के मानव मिशन के साथ हिंद महासागर में 3 भारतीय एक्वानॉट्स समुद्र की गहराई में गोता लगाएंगे। 30 मीटर प्रति मिनट की गति से गहराई में जाकर सैंपल लिए जाएंगे समुद्रयान सागर निधि जहाज से हिंद महासागर पहुंचेगा। 30 मीटर प्रति मिनट की गति से उतरते हुए करीब 4 घंटे में यह 6 किमी की गहराई तक पहुंचेगा। सैंपल कलेक्शन, सर्वे, स्कैनिंग और साइंटिफिक गतिविधियों के लिए चार घंटे मिलेंगे। समुद्रयान के मोबाइल व्हीकल मत्स्य-6000 में एक्वानॉट सैंपल लेंगे। दो एक्वानॉट के नाम तय, तीसरा चुनने के लिए 3 नामों का पैनल समुद्रयान में दो एक्वानॉट जतिंदर पाल सिंह (पायलट) और राजू रमेश (को-पायलट) जाएंगे। दोनों हाल ही में फ्रांस की नॉटाइल पनडुब्बी से 4 से 5 हजार मीटर की गहराई में गए थे। तीसरा एक्वानॉट NIOT उपनिदेशक एस. रमेश, ग्रुप डायरेक्टर वेदाचलम् और प्रोजेक्ट डायरेक्टर सत्या नारायणन में से चुना जाएगा। रिसर्च के लिए सिर्फ 14 देशों को डीप सी में जाने की इजाजत UN से जुड़ी इंटरनेशनल सीबेड अथॉरिटी (ISA) ने सिर्फ रिसर्च के लिए 14 देशों को डीप सी को एक्सप्लोर करने की मंजूरी दी है। इन देशों में चीन, रूस, दक्षिण कोरिया, भारत, ब्रिटेन, फ्रांस, पोलैंड, ब्राजील, जापान, जमैका, नाउरू, टोंगा, किरिबाती और बेल्जियम शामिल हैं। भारत सरकार ने 2021 में ‘डीप ओशन मिशन’ को मंजूरी दी थी। इसका उद्देश्य समुद्री संसाधनों का पता लगाना और गहरे समुद्र में काम करने की तकनीक विकसित करना है। साथ ब्लू इकोनॉमी को तेजी से बढ़ावा देना भी इसका एक उद्देश्य है। ब्लू इकोनॉमी एक ऐसी अर्थव्यवस्था है जो पूरी तरह से समुद्री संसाधनों पर आधारित है। वहीं, स्वीडन, आयरलैंड, जर्मनी, फ्रांस, स्पेन, न्यूजीलैंड, कोस्टा रिका, चिली, पनामा, पलाऊ, फिजी और माइक्रोनेशिया जैसे देश डीप सी माइनिंग पर बैन लगाने की मांग कर रहे हैं। —————————– समुद्रयान मिशन से जुड़ी यह खबर भी पढ़ें… पहली बार भारतीय एक्वानॉट्स समुद्र में 5,000 मीटर नीचे गए, यह भारत के समुद्रयान की तैयारी का हिस्सा शुभांशु शुक्ला के इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पहुंचने के लगभग एक महीने बाद दो भारतीय एक्वानॉट्स ने समुद्र में सबसे ज्यादा गहराई तक जाने का रिकॉर्ड बनाया। फ्रांस के साथ जॉइंट मिशन में भारतीय एक्वानॉट्स ने 5 और 6 अगस्त को फ्रांसीसी पनडुब्बी ‘नॉटाइल’ के जरिए उत्तरी अटलांटिक महासागर में डीप डाइव सफलतापूर्वक पूरी की। पूरी खबर पढ़ें…
चेन्नई के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशन टेक्नोलॉजी (NIOT) में समुद्रयान आकार ले रहा है। इस वैज्ञानिक पनडुब्बी के हिस्से असेम्बल हो रहे हैं। दिलचस्प बात है कि पहले समुद्रयान के शत-प्रतिशत पार्ट्स इम्पोर्ट किए जाने थे, लेकिन कोविड और जियो पॉलिटिकल कारणों से पार्ट्स नहीं मिल पाए। नतीजतन, अब 2025 में समुद्रयान के 50% हिस्से भारतीय संस्थानों ने ही तैयार कर लिए। NIOT के उपनिदेशक एस. रमेश ने कहा कि समुद्रयान का बेसिक फ्रेम, मत्स्य-6000, कम्युनिकेशन, नेविगेशन और कंट्रोल सिस्टम सॉफ्टवेयर भारत में ही विकसित किए गए हैं। कुछ कैमरे, सेंसर, अकॉस्टिक फोन और सिंटेक्टिक फोम आयात करने पड़े। लक्ष्य है कि 2026 में 30 मीटर, 200 मीटर और 500 मीटर की गहराई में समुद्रयान के तीन अलग-अलग रिहर्सल और टेस्ट होंगे। सभी उपकरणों और हर हिस्सों को नार्वे की एजेंसी डीएनवी (डेट नॉर्स्क वेरीटास) से सर्टिफिकेशन हासिल हो चुका है। समुद्रयान भारत के डीप ओशन मिशन का हिस्सा समुद्रयान मिशन भारत का पहला मानवयुक्त समुद्र मिशन है, जिसका मकसद मत्स्य-6000 नाम के मानवयुक्त पनडुब्बी में 3 वैज्ञानिकों को समुद्र की 6,000 मीटर की गहराई तक भेजना है। यह भारत के ‘डीप ओशन मिशन’ का एक हिस्सा है। इसके तहत समुद्र के संसाधनों और जैव-विविधता का अध्ययन किया जाएगा। 2027 में गगनयान के मानव मिशन के साथ हिंद महासागर में 3 भारतीय एक्वानॉट्स समुद्र की गहराई में गोता लगाएंगे। 30 मीटर प्रति मिनट की गति से गहराई में जाकर सैंपल लिए जाएंगे समुद्रयान सागर निधि जहाज से हिंद महासागर पहुंचेगा। 30 मीटर प्रति मिनट की गति से उतरते हुए करीब 4 घंटे में यह 6 किमी की गहराई तक पहुंचेगा। सैंपल कलेक्शन, सर्वे, स्कैनिंग और साइंटिफिक गतिविधियों के लिए चार घंटे मिलेंगे। समुद्रयान के मोबाइल व्हीकल मत्स्य-6000 में एक्वानॉट सैंपल लेंगे। दो एक्वानॉट के नाम तय, तीसरा चुनने के लिए 3 नामों का पैनल समुद्रयान में दो एक्वानॉट जतिंदर पाल सिंह (पायलट) और राजू रमेश (को-पायलट) जाएंगे। दोनों हाल ही में फ्रांस की नॉटाइल पनडुब्बी से 4 से 5 हजार मीटर की गहराई में गए थे। तीसरा एक्वानॉट NIOT उपनिदेशक एस. रमेश, ग्रुप डायरेक्टर वेदाचलम् और प्रोजेक्ट डायरेक्टर सत्या नारायणन में से चुना जाएगा। रिसर्च के लिए सिर्फ 14 देशों को डीप सी में जाने की इजाजत UN से जुड़ी इंटरनेशनल सीबेड अथॉरिटी (ISA) ने सिर्फ रिसर्च के लिए 14 देशों को डीप सी को एक्सप्लोर करने की मंजूरी दी है। इन देशों में चीन, रूस, दक्षिण कोरिया, भारत, ब्रिटेन, फ्रांस, पोलैंड, ब्राजील, जापान, जमैका, नाउरू, टोंगा, किरिबाती और बेल्जियम शामिल हैं। भारत सरकार ने 2021 में ‘डीप ओशन मिशन’ को मंजूरी दी थी। इसका उद्देश्य समुद्री संसाधनों का पता लगाना और गहरे समुद्र में काम करने की तकनीक विकसित करना है। साथ ब्लू इकोनॉमी को तेजी से बढ़ावा देना भी इसका एक उद्देश्य है। ब्लू इकोनॉमी एक ऐसी अर्थव्यवस्था है जो पूरी तरह से समुद्री संसाधनों पर आधारित है। वहीं, स्वीडन, आयरलैंड, जर्मनी, फ्रांस, स्पेन, न्यूजीलैंड, कोस्टा रिका, चिली, पनामा, पलाऊ, फिजी और माइक्रोनेशिया जैसे देश डीप सी माइनिंग पर बैन लगाने की मांग कर रहे हैं। —————————– समुद्रयान मिशन से जुड़ी यह खबर भी पढ़ें… पहली बार भारतीय एक्वानॉट्स समुद्र में 5,000 मीटर नीचे गए, यह भारत के समुद्रयान की तैयारी का हिस्सा शुभांशु शुक्ला के इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पहुंचने के लगभग एक महीने बाद दो भारतीय एक्वानॉट्स ने समुद्र में सबसे ज्यादा गहराई तक जाने का रिकॉर्ड बनाया। फ्रांस के साथ जॉइंट मिशन में भारतीय एक्वानॉट्स ने 5 और 6 अगस्त को फ्रांसीसी पनडुब्बी ‘नॉटाइल’ के जरिए उत्तरी अटलांटिक महासागर में डीप डाइव सफलतापूर्वक पूरी की। पूरी खबर पढ़ें…