कांग्रेस ने हाल ही में उत्तराखंड इकाई में बड़े संगठनात्मक बदलाव किए हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस ने 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए जातीय समीकरण के हिसाब से ये बदलाव किए हैं। एक तरफ कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व के नेता, खासकर नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी दलित, पिछड़ा और अल्पसंख्यक वर्गों को निर्णायक मानते हैं, और खुद को उनका हितैषी बताते हैं। वहीं दूसरी तरफ प्रदेश कांग्रेस ने अपने ताजा जातीय समीकरण में ब्राह्मण-ठाकुर वर्ग को तवज्जो दी है। 27 जिलाध्यक्षों में ठाकुर और ब्राह्मण समुदाय के नेताओं का दबदबा भी 60% तक है। जबकि ब्राह्मण-ठाकुर वर्ग का वोटर पिछले 10 सालों में कांग्रेस से दूरी बनाता जा रहा है और दलित वर्ग का वोट प्रतिशत बढ़ा है। राहुल और हरीश रावत के बयानों से समझिए कैसे एक पार्टी की दो सोच अब समझिए नए बदलावों की गणित मंगलवार को कांग्रेस ने उत्तराखंड कांग्रेस की कमान ब्राह्मण जाती से आने वाले गणेश गोदियाल को सौंपी। इसके अलावा, अनुसूचित जनजाति क्षेत्र की चकराता सीट से विधायक प्रीतम सिंह (एसटी) को चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष बनाया और हरक सिंह रावत (ठाकुर) को चुनाव प्रबंधन समिति की जिम्मेदारी दी। हालांकि 27 जिलाध्यक्षों में 10 ठाकुर और 6 ब्राह्मण हैं, यानि की कुल पदों का 60% सवर्ण वर्गों को दिया गया, जबकि दलित और पिछड़े वर्गों का प्रतिनिधित्व कम है। 4 प्वाइंट्स में जानिए कांग्रेस के लिए ये समीकरण क्यों जरूरी… इस वर्ग को रिझाने की कोशिश में कांग्रेस- रावत
वरिष्ठ पत्रकार, जय सिंह रावत ने कांग्रेस के इस पूरे समीकरण पर कहा कि पहले के समय ब्राह्मण और अनुसूचित जाति वर्ग के वोटर्स हमेशा से कांग्रेस के पक्ष में रहते थे। लेकिन ये आधार अब खिसककर भाजपा की तरफ शिफ्ट हो गया। और अब कांग्रेस कहीं न कहीं इस वर्ग के लोगों को रिझाने की कोशिश कर रही है। वो आगे कहते हैं- गणेश गोदियाल लिबरल नेता रहे हैं, भले ही वो ब्राह्मण वर्ग से आएं, मगर उनपर कोई खास जातीय ठप्पा नहीं है। हालांकि उनको आगे करने से कुछ हद तक कांग्रेस को फायदा मिल सकता है। ‘एनडी तिवारी के समय कांग्रेस में शिफ्ट हुआ सवर्ण मत’
राजनीतिक विश्लेषक अविकल थपलियाल ने कहा कि एनडी तिवारी के दौर में सवर्ण मत कांग्रेस के तरफ भी शिफ्ट हुआ था, लेकिन अब वे हैं नहीं। कांग्रेस के ब्राह्मण चेहरे या तो भाजपा में चले गए या फिर खुद की पार्टी में हाशिए पर आ गए। लेकिन अब उन्होंने इस जातिगत समीकरण को समझते हुए गणेश गोदियाल, हरक सिंह रावत और प्रीतम सिंह की जो त्रिवेणी बनाई है, ये पूरी तरह से 2027 के चुनाव को देखते हुए बनाई गई है।
कांग्रेस ने हाल ही में उत्तराखंड इकाई में बड़े संगठनात्मक बदलाव किए हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस ने 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए जातीय समीकरण के हिसाब से ये बदलाव किए हैं। एक तरफ कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व के नेता, खासकर नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी दलित, पिछड़ा और अल्पसंख्यक वर्गों को निर्णायक मानते हैं, और खुद को उनका हितैषी बताते हैं। वहीं दूसरी तरफ प्रदेश कांग्रेस ने अपने ताजा जातीय समीकरण में ब्राह्मण-ठाकुर वर्ग को तवज्जो दी है। 27 जिलाध्यक्षों में ठाकुर और ब्राह्मण समुदाय के नेताओं का दबदबा भी 60% तक है। जबकि ब्राह्मण-ठाकुर वर्ग का वोटर पिछले 10 सालों में कांग्रेस से दूरी बनाता जा रहा है और दलित वर्ग का वोट प्रतिशत बढ़ा है। राहुल और हरीश रावत के बयानों से समझिए कैसे एक पार्टी की दो सोच अब समझिए नए बदलावों की गणित मंगलवार को कांग्रेस ने उत्तराखंड कांग्रेस की कमान ब्राह्मण जाती से आने वाले गणेश गोदियाल को सौंपी। इसके अलावा, अनुसूचित जनजाति क्षेत्र की चकराता सीट से विधायक प्रीतम सिंह (एसटी) को चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष बनाया और हरक सिंह रावत (ठाकुर) को चुनाव प्रबंधन समिति की जिम्मेदारी दी। हालांकि 27 जिलाध्यक्षों में 10 ठाकुर और 6 ब्राह्मण हैं, यानि की कुल पदों का 60% सवर्ण वर्गों को दिया गया, जबकि दलित और पिछड़े वर्गों का प्रतिनिधित्व कम है। 4 प्वाइंट्स में जानिए कांग्रेस के लिए ये समीकरण क्यों जरूरी… इस वर्ग को रिझाने की कोशिश में कांग्रेस- रावत
वरिष्ठ पत्रकार, जय सिंह रावत ने कांग्रेस के इस पूरे समीकरण पर कहा कि पहले के समय ब्राह्मण और अनुसूचित जाति वर्ग के वोटर्स हमेशा से कांग्रेस के पक्ष में रहते थे। लेकिन ये आधार अब खिसककर भाजपा की तरफ शिफ्ट हो गया। और अब कांग्रेस कहीं न कहीं इस वर्ग के लोगों को रिझाने की कोशिश कर रही है। वो आगे कहते हैं- गणेश गोदियाल लिबरल नेता रहे हैं, भले ही वो ब्राह्मण वर्ग से आएं, मगर उनपर कोई खास जातीय ठप्पा नहीं है। हालांकि उनको आगे करने से कुछ हद तक कांग्रेस को फायदा मिल सकता है। ‘एनडी तिवारी के समय कांग्रेस में शिफ्ट हुआ सवर्ण मत’
राजनीतिक विश्लेषक अविकल थपलियाल ने कहा कि एनडी तिवारी के दौर में सवर्ण मत कांग्रेस के तरफ भी शिफ्ट हुआ था, लेकिन अब वे हैं नहीं। कांग्रेस के ब्राह्मण चेहरे या तो भाजपा में चले गए या फिर खुद की पार्टी में हाशिए पर आ गए। लेकिन अब उन्होंने इस जातिगत समीकरण को समझते हुए गणेश गोदियाल, हरक सिंह रावत और प्रीतम सिंह की जो त्रिवेणी बनाई है, ये पूरी तरह से 2027 के चुनाव को देखते हुए बनाई गई है।