कर्नाटक के गुमातापुरा गांव में हर साल दिवाली के अगले दिन गोरेहब्बा त्योहार मनाया जाता है। इस उत्सव में सैकड़ों लोग एक साथ जुटकर गोबर की होली खेलते हैं। इस बार ये उत्सव अमेरिकी यूट्यूबर टायलर ओलिवेरा की एक वीडियो के कारण चर्चाओं में है। टायलर ने इस भारतीय त्योहार का वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर पोस्ट किया है, जिसे अभी तक 50 लाख व्यूज मिल चुके हैं। ओलिवेरा ने इसमें त्योहार का मजाक उड़ाया है। इसके बाद सोशल मीडिया पर यूजर्स ने उनके वीडियो को रेसिस्ट बताया है और वीडियो को रिपोर्ट किया। वीडियो में टायलर पीपीई किट और गॉगल्स पहनकर गांव वालों के बीच खड़े नजर आ रहे हैं। उनके चारों तरफ लोग एक-दूसरे पर गोबर की होली खेलते दिख रहे हैं। भारतीय यूजर्स ने वीडियो को रिपोर्ट किया भारतीय यूजर्स ने टायलर पर भारतीय परंपरा का मजाक उड़ाने और धार्मिक आस्था को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया। कुछ ने कहा कि उन्हें इस त्योहार की धार्मिक पृष्ठभूमि और स्थानीय मान्यता की समझ नहीं है। सोशल मीडिया पर भारतीय यूजर्स उनकी वीडियो को रिपोर्ट और सेंसर कर रहे हैं। ओलिवेरा ने कहा- वीडियो नस्लभेदी नहीं विवाद बढ़ने पर 25 वर्षीय ओलिवेरा ने जवाब देते हुए कहा कि उनका वीडियो भारतीय यूजर्स द्वारा रिपोर्ट और सेंसर किया जा रहा है। उन्होंने खुद का बचाव करते हुए लिखा कि गोबर फेंकने वाले त्योहार की वीडियो बनाना नस्लभेदी नहीं है। गोरेहब्बा त्योहार के बारे में जानें… स्थानीय मान्यता के अनुसार गांव के देवता बीरेश्वर स्वामी का जन्म गोबर से हुआ था। इसी कारण लोग इस दिन गाय के गोबर को पवित्र और शुद्धता का प्रतीक मानते हैं। त्योहार की शुरुआत मंदिर से होती है। यहां गांव वाले पहले गौ माता के गोबर को इकट्ठा करते हैं। फिर बीरेश्वर स्वामी की पूजा करते हैं। पूजा के बाद लोग मैदान में इकट्ठा होकर मौज-मस्ती और शुभता के प्रतीक के रूप में गोबर फेंकने का खेल खेलते हैं। इसे ‘गोबर के त्योहार’ और ‘गोबर मार होली’ जैसे नाम से भी जाना जाता है। ग्रामीणों के लिए त्योहार सौभाग्य का प्रतीक गुमातापुरा गांव के स्थानीय लोग मानते हैं कि इससे सौभाग्य आता है और बुरी शक्तियां दूर होती हैं। उनके अनुसार यह त्योहार शुद्धिकरण और नई शुरुआत का प्रतीक है। ग्रामीणों के लिए गोरेहब्बा उत्सव सिर्फ परंपरा नहीं बल्कि भक्ति और एकता का प्रतीक त्योहार है। —————————— ये खबर भी पढ़ें… ऑस्ट्रेलिया-अमेरिका समेत दुनियाभर में छठ पूजा:दिल्ली में 1300, मुंबई में 83 घाटों पर पूजा दुनियाभर में छठ का महापर्व मनाया जा रहा है। खरना के साथ ही व्रतियों के 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो चुका है। छठ महापर्व के तीसरे दिन यानी सोमवार शाम को दिल्ली, मुंबई समेत देश के कई शहरों में डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया गया। पूरी खबर पढ़ें…
कर्नाटक के गुमातापुरा गांव में हर साल दिवाली के अगले दिन गोरेहब्बा त्योहार मनाया जाता है। इस उत्सव में सैकड़ों लोग एक साथ जुटकर गोबर की होली खेलते हैं। इस बार ये उत्सव अमेरिकी यूट्यूबर टायलर ओलिवेरा की एक वीडियो के कारण चर्चाओं में है। टायलर ने इस भारतीय त्योहार का वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर पोस्ट किया है, जिसे अभी तक 50 लाख व्यूज मिल चुके हैं। ओलिवेरा ने इसमें त्योहार का मजाक उड़ाया है। इसके बाद सोशल मीडिया पर यूजर्स ने उनके वीडियो को रेसिस्ट बताया है और वीडियो को रिपोर्ट किया। वीडियो में टायलर पीपीई किट और गॉगल्स पहनकर गांव वालों के बीच खड़े नजर आ रहे हैं। उनके चारों तरफ लोग एक-दूसरे पर गोबर की होली खेलते दिख रहे हैं। भारतीय यूजर्स ने वीडियो को रिपोर्ट किया भारतीय यूजर्स ने टायलर पर भारतीय परंपरा का मजाक उड़ाने और धार्मिक आस्था को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया। कुछ ने कहा कि उन्हें इस त्योहार की धार्मिक पृष्ठभूमि और स्थानीय मान्यता की समझ नहीं है। सोशल मीडिया पर भारतीय यूजर्स उनकी वीडियो को रिपोर्ट और सेंसर कर रहे हैं। ओलिवेरा ने कहा- वीडियो नस्लभेदी नहीं विवाद बढ़ने पर 25 वर्षीय ओलिवेरा ने जवाब देते हुए कहा कि उनका वीडियो भारतीय यूजर्स द्वारा रिपोर्ट और सेंसर किया जा रहा है। उन्होंने खुद का बचाव करते हुए लिखा कि गोबर फेंकने वाले त्योहार की वीडियो बनाना नस्लभेदी नहीं है। गोरेहब्बा त्योहार के बारे में जानें… स्थानीय मान्यता के अनुसार गांव के देवता बीरेश्वर स्वामी का जन्म गोबर से हुआ था। इसी कारण लोग इस दिन गाय के गोबर को पवित्र और शुद्धता का प्रतीक मानते हैं। त्योहार की शुरुआत मंदिर से होती है। यहां गांव वाले पहले गौ माता के गोबर को इकट्ठा करते हैं। फिर बीरेश्वर स्वामी की पूजा करते हैं। पूजा के बाद लोग मैदान में इकट्ठा होकर मौज-मस्ती और शुभता के प्रतीक के रूप में गोबर फेंकने का खेल खेलते हैं। इसे ‘गोबर के त्योहार’ और ‘गोबर मार होली’ जैसे नाम से भी जाना जाता है। ग्रामीणों के लिए त्योहार सौभाग्य का प्रतीक गुमातापुरा गांव के स्थानीय लोग मानते हैं कि इससे सौभाग्य आता है और बुरी शक्तियां दूर होती हैं। उनके अनुसार यह त्योहार शुद्धिकरण और नई शुरुआत का प्रतीक है। ग्रामीणों के लिए गोरेहब्बा उत्सव सिर्फ परंपरा नहीं बल्कि भक्ति और एकता का प्रतीक त्योहार है। —————————— ये खबर भी पढ़ें… ऑस्ट्रेलिया-अमेरिका समेत दुनियाभर में छठ पूजा:दिल्ली में 1300, मुंबई में 83 घाटों पर पूजा दुनियाभर में छठ का महापर्व मनाया जा रहा है। खरना के साथ ही व्रतियों के 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो चुका है। छठ महापर्व के तीसरे दिन यानी सोमवार शाम को दिल्ली, मुंबई समेत देश के कई शहरों में डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया गया। पूरी खबर पढ़ें…