दिवाली 2025 में नए पटाखे की खोज में सोशल मीडिया ने बंदर भगाने के देसी जुगाड़ को वायरल कर दिया। इसी जुगाड़ सिस्टम “कार्बाइड गन” को लेकर दो साल पहले यानी 2023 में ICMR (इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च) भोपाल ने चेतावनी दी थी। संस्थान के वैज्ञानिकों ने अपनी रिसर्च में बताया था कि कैल्शियम कार्बाइड और पानी के केमिकल रिएक्शन से बनने वाली गैस ‘एसिटिलीन’ सिर्फ धमाका नहीं करती, बल्कि आंखों की रोशनी तक छीन लेती है। यह स्टडी इंडियन जर्नल ऑफ ऑप्थेलमोलॉजी में प्रकाशित भी हुई थी। इसके बाद भी समय रहते उचित कदम नहीं उठाए गए। यही वजह है कि अब तक भोपाल के अलग-अलग अस्पतालों में लगभग 162 लोग इस कार्बाइड गन से घायल होकर आ चुके हैं। इन सभी मरीजों की आंखें जली हैं। उन्हें देखने में परेशानी हो रही है। देसी कार्बाइड गन से प्रदेशभर में अब तक 300 लोगों की आंखों में जलन के मामले सामने आ चुके हैं। ग्वालियर, इंदौर, विदिशा समेत कई जगहों पर ऐसी घटनाओं में 7 से 14 साल तक के बच्चे प्रभावित हुए हैं। भोपाल और ग्वालियर में कार्बाइड पाइप गन बेचने, खरीदने और स्टॉक पर रोक लगा दी गई है। भोपाल और ग्वालियर में गन बेचते मिले दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है। सिर्फ वार्म व्हाइट लाइट का गोला दिख रहा
करीब 50 फीसदी मरीज ऐसे हैं, जिन्हें आंखों के सामने सिर्फ वार्म व्हाइट लाइट का गोला ही नजर आ रहा है। डॉक्टरों के अनुसार, इन मरीजों की आंखों की रोशनी फिलहाल जा चुकी है। अब एमनियोटिक मेम्ब्रेन इंप्लांट और टिशू ग्राफ्टिंग जैसी प्रक्रिया से आंखों को बचाने का प्रयास किया जा रहा है। हालांकि, अंतिम उपाय कॉर्निया ट्रांसप्लांट ही होगा, लेकिन इतनी बड़ी संख्या में ट्रांसप्लांट के लिए जरूरी कॉर्निया मिलना मुश्किल है। डिप्टी सीएम घायल बच्चों से मिलने पहुंचे
उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने शुक्रवार सुबह करीब 7 बजे हमीदिया अस्पताल पहुंचकर कार्बाइन गन से घायल युवाओं और बच्चों का हाल जाना। उन्होंने डॉक्टरों से घायलों के स्वास्थ्य की जानकारी ली और उनके उपचार की लगातार मॉनिटरिंग करने के निर्देश दिए। शुक्ला करीब एक घंटे तक अस्पताल में रहे। डॉक्टरों ने जानकारी दी कि दुर्घटना में घायल कुल 37 मरीजों में से 32 को जरूरी इलाज के बाद डिस्चार्ज कर दिया गया है। जबकि 5 मरीजों का उपचार अभी जारी है। उप मुख्यमंत्री ने कहा कि अवैध रूप से पटाखा निर्माण या विस्फोटक सामग्री रखने वालों की सघन जांच की जा रही है। दोषियों पर कठोर कार्रवाई की जाएगी। स्वास्थ्य विभाग के पास बच्चों के आंकड़े नहीं
अलग-अलग अस्पतालों से आई जानकारी के अनुसार भोपाल में अब तक कार्बाइड गन से प्रभावित लोगों के 162 केस सामने आए हैं। इस पूरे मामले में स्वास्थ्य विभाग अब तक अलर्ट नहीं हुआ है। हालत यह है कि विभाग ने आधिकारिक आंकड़ा तक जारी नहीं किया है। भोपाल के सीएमएचओ डॉ. मनीष शर्मा को फोन किया गया तो उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में होने की बात कही। इस गन का असर 24 घंटे तक बढ़ता जाता है
ICMR के शोधकर्ताओं के अनुसार, इन गन में मौजूद कैल्शियम कार्बाइड (CaC₂) पानी के संपर्क में आने पर एसिटिलीन गैस (C₂H₂) बनाता है। यह गैस अत्यंत ज्वलनशील होती है और आग लगने पर ‘माइक्रो-एक्सप्लोजन’ यानी सूक्ष्म विस्फोट करती है, जो सीधे आंखों को नुकसान पहुंचाता है। रिसर्च छह मरीजों पर किया गया था, जिसमें सामने आया कि इस गन ने कॉर्निया तक को झुलसा दिया था। दो मरीजों की आंखों की पलकें और त्वचा जल गईं, जबकि एक मरीज में कॉर्नियल परफोरेशन यानी आंख की परत फटने की स्थिति बन गई। 9 साल के एक बच्चे की आंख को इतना नुकसान पहुंचा कि उसकी विजुअल एक्यूटी 6/60 तक गिर गई। यानी उसे केवल छाया दिख रही थी। लगभग सभी मामलों में चोट के 24 घंटे बाद कॉर्निया पर सफेदी छा गई, जिससे देखने की क्षमता लगभग खत्म हो गई। यह गन एक्सप्लोसिव डिवाइस की कैटेगरी में आती है
ICMR–NIREH की रिपोर्ट में साफ तौर पर लिखा गया था कि यह गन एक्सप्लोसिव डिवाइस की कैटेगरी में आती है। गांधी मेडिकल कॉलेज की नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. अदिति दुबे का कहना है कि हर साल पटाखों से आंखों में चोटें आती हैं, लेकिन इस साल कार्बाइड गन से आई चोटें रासायनिक और गहरी हैं, जिनका इलाज बेहद मुश्किल है। कई मामलों में यह इलाज लाइफटाइम चल सकता है। ऑल इंडिया ऑप्थेलमोलॉजिकल सोसायटी ने जारी की एडवाइजरी
ऑल इंडिया ऑप्थेलमोलॉजिकल सोसायटी ने गुरुवार देर शाम को एडवाइजरी जारी की है। जिसमें देशभर के सभी नेत्र रोग विशेषज्ञ से कार्बाइड गन से घायल हुए मरीजों की जानकारी मांगी गई है। समिति के अनुसार, देश में सबसे ज्यादा केस भोपाल में दर्ज हुए हैं। इसके अलावा पटना, पुणे और चंडीगढ़ समेत देश के अन्य कई शहरों में भी कार्बाइड गन से घायल हुए मरीज इलाज के लिए अस्पताल पहुंचे हैं। सस्ती देसी गन बनी खतरनाक ट्रेंड
बाजार में 100 से 200 रुपए में मिलने वाली यह गन अब ‘खतरनाक ट्रेंड’ बन चुकी है। डॉ. एसएस कुबरे ने बताया कि इसमें भरा कैल्शियम कार्बाइड (Calcium Carbide) पानी के संपर्क में आने पर एसीटिलीन गैस (Acetylene Gas) बनाता है। यह गैस विस्फोट के साथ जलती है और कुछ ही सेकेंड में आंखों, त्वचा और चेहरे को झुलसा देती है। भोपाल में कार्बाइड गन बेचते युवक गिरफ्तार
भोपाल की बागसेवनिया पुलिस ने सड़क किनारे कार्बाइड गन बेचने वाले भय्यू चौहान को गिरफ्तार किया है। आरोपी के कब्जे से 42 कार्बाइड गन, 29 लाइटर और 1.5 किलो कैल्शियम जब्त किया गया है। पुलिस ने इस मामले में आरोपी युवक के खिलाफ केस भी दर्ज कर लिया है। ग्वालियर में पहली FIR, एक गिरफ्तार
ग्वालियर में कार्बाइड गन से आंख चोटिल होने के अब तक 36 केस सामने आ गए हैं। गुरुवार की शाम को पुलिस ने कलेक्टर द्वारा धारा 163 लागू होने के बाद कार्बाइड गन के बेचने-खरीदने और उपयोग पर प्रतिबंध लगाया था। आदेश आने के बाद पुलिस ने छानबीन की तो इंदरगंज थाना स्थित झाडू वाला मोहल्ला में शाहिद अली कार्बाइड गन बेचता मिल गया। पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर मामला दर्ज कर लिया है। मामले से जुड़ी ये खबरें भी पढ़ें… मां के गर्भ की झिल्ली से रोशनी बचाने की कोशिश देसी पटाखा गन से अकेले भोपाल में 150 से ज्यादा लोगों की आंखें जल चुकी हैं। इनमें सबसे ज्यादा 7 से 14 साल के बच्चे शामिल हैं। गांधी मेडिकल कॉलेज के नेत्र विभाग में 36 मरीजों का इलाज चल रहा है। अब तक 15 की सर्जरी की जा चुकी है, जबकि दो बच्चों की आंखों में डॉक्टरों ने एमनियोटिक मेम्ब्रेन लगाई है। पढ़ें पूरी खबर… MP में देसी पटाखा गन फोड़ रही बच्चों की आंखें भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज के नेत्र वार्ड में मंगलवार दोपहर सात साल का अलजैन दर्द से बिलख रहा था। दिवाली की रात वह दोस्तों के साथ खेलते हुए ‘देसी पटाखा गन’ चला रहा था, जैसे ही गन ने फायर करना बंद किया, उसने मासूम जिज्ञासा में नाल में झांका, तभी तेज धमाका हुआ और उसकी बाईं आंख झुलस गई। पढ़ें पूरी खबर… 300 लोगों की आंखों को नुकसान के बाद जागा प्रशासन एमपी में कार्बाइड गन से करीब 300 लोगों की आंखों को नुकसान होने के बाद जिम्मेदार जागे हैं। भोपाल में कार्बाइड पाइप गन बेचने, खरीदने और स्टॉक पर रोक लगा दी गई है। यदि ऐसा करते हुए कोई पाया जाता है तो उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज होगी। एडीएम प्रकाश नायक ने गुरुवार रात में यह आदेश जारी किए। पढ़ें पूरी खबर…
दिवाली 2025 में नए पटाखे की खोज में सोशल मीडिया ने बंदर भगाने के देसी जुगाड़ को वायरल कर दिया। इसी जुगाड़ सिस्टम “कार्बाइड गन” को लेकर दो साल पहले यानी 2023 में ICMR (इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च) भोपाल ने चेतावनी दी थी। संस्थान के वैज्ञानिकों ने अपनी रिसर्च में बताया था कि कैल्शियम कार्बाइड और पानी के केमिकल रिएक्शन से बनने वाली गैस ‘एसिटिलीन’ सिर्फ धमाका नहीं करती, बल्कि आंखों की रोशनी तक छीन लेती है। यह स्टडी इंडियन जर्नल ऑफ ऑप्थेलमोलॉजी में प्रकाशित भी हुई थी। इसके बाद भी समय रहते उचित कदम नहीं उठाए गए। यही वजह है कि अब तक भोपाल के अलग-अलग अस्पतालों में लगभग 162 लोग इस कार्बाइड गन से घायल होकर आ चुके हैं। इन सभी मरीजों की आंखें जली हैं। उन्हें देखने में परेशानी हो रही है। देसी कार्बाइड गन से प्रदेशभर में अब तक 300 लोगों की आंखों में जलन के मामले सामने आ चुके हैं। ग्वालियर, इंदौर, विदिशा समेत कई जगहों पर ऐसी घटनाओं में 7 से 14 साल तक के बच्चे प्रभावित हुए हैं। भोपाल और ग्वालियर में कार्बाइड पाइप गन बेचने, खरीदने और स्टॉक पर रोक लगा दी गई है। भोपाल और ग्वालियर में गन बेचते मिले दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है। सिर्फ वार्म व्हाइट लाइट का गोला दिख रहा
करीब 50 फीसदी मरीज ऐसे हैं, जिन्हें आंखों के सामने सिर्फ वार्म व्हाइट लाइट का गोला ही नजर आ रहा है। डॉक्टरों के अनुसार, इन मरीजों की आंखों की रोशनी फिलहाल जा चुकी है। अब एमनियोटिक मेम्ब्रेन इंप्लांट और टिशू ग्राफ्टिंग जैसी प्रक्रिया से आंखों को बचाने का प्रयास किया जा रहा है। हालांकि, अंतिम उपाय कॉर्निया ट्रांसप्लांट ही होगा, लेकिन इतनी बड़ी संख्या में ट्रांसप्लांट के लिए जरूरी कॉर्निया मिलना मुश्किल है। डिप्टी सीएम घायल बच्चों से मिलने पहुंचे
उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने शुक्रवार सुबह करीब 7 बजे हमीदिया अस्पताल पहुंचकर कार्बाइन गन से घायल युवाओं और बच्चों का हाल जाना। उन्होंने डॉक्टरों से घायलों के स्वास्थ्य की जानकारी ली और उनके उपचार की लगातार मॉनिटरिंग करने के निर्देश दिए। शुक्ला करीब एक घंटे तक अस्पताल में रहे। डॉक्टरों ने जानकारी दी कि दुर्घटना में घायल कुल 37 मरीजों में से 32 को जरूरी इलाज के बाद डिस्चार्ज कर दिया गया है। जबकि 5 मरीजों का उपचार अभी जारी है। उप मुख्यमंत्री ने कहा कि अवैध रूप से पटाखा निर्माण या विस्फोटक सामग्री रखने वालों की सघन जांच की जा रही है। दोषियों पर कठोर कार्रवाई की जाएगी। स्वास्थ्य विभाग के पास बच्चों के आंकड़े नहीं
अलग-अलग अस्पतालों से आई जानकारी के अनुसार भोपाल में अब तक कार्बाइड गन से प्रभावित लोगों के 162 केस सामने आए हैं। इस पूरे मामले में स्वास्थ्य विभाग अब तक अलर्ट नहीं हुआ है। हालत यह है कि विभाग ने आधिकारिक आंकड़ा तक जारी नहीं किया है। भोपाल के सीएमएचओ डॉ. मनीष शर्मा को फोन किया गया तो उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में होने की बात कही। इस गन का असर 24 घंटे तक बढ़ता जाता है
ICMR के शोधकर्ताओं के अनुसार, इन गन में मौजूद कैल्शियम कार्बाइड (CaC₂) पानी के संपर्क में आने पर एसिटिलीन गैस (C₂H₂) बनाता है। यह गैस अत्यंत ज्वलनशील होती है और आग लगने पर ‘माइक्रो-एक्सप्लोजन’ यानी सूक्ष्म विस्फोट करती है, जो सीधे आंखों को नुकसान पहुंचाता है। रिसर्च छह मरीजों पर किया गया था, जिसमें सामने आया कि इस गन ने कॉर्निया तक को झुलसा दिया था। दो मरीजों की आंखों की पलकें और त्वचा जल गईं, जबकि एक मरीज में कॉर्नियल परफोरेशन यानी आंख की परत फटने की स्थिति बन गई। 9 साल के एक बच्चे की आंख को इतना नुकसान पहुंचा कि उसकी विजुअल एक्यूटी 6/60 तक गिर गई। यानी उसे केवल छाया दिख रही थी। लगभग सभी मामलों में चोट के 24 घंटे बाद कॉर्निया पर सफेदी छा गई, जिससे देखने की क्षमता लगभग खत्म हो गई। यह गन एक्सप्लोसिव डिवाइस की कैटेगरी में आती है
ICMR–NIREH की रिपोर्ट में साफ तौर पर लिखा गया था कि यह गन एक्सप्लोसिव डिवाइस की कैटेगरी में आती है। गांधी मेडिकल कॉलेज की नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. अदिति दुबे का कहना है कि हर साल पटाखों से आंखों में चोटें आती हैं, लेकिन इस साल कार्बाइड गन से आई चोटें रासायनिक और गहरी हैं, जिनका इलाज बेहद मुश्किल है। कई मामलों में यह इलाज लाइफटाइम चल सकता है। ऑल इंडिया ऑप्थेलमोलॉजिकल सोसायटी ने जारी की एडवाइजरी
ऑल इंडिया ऑप्थेलमोलॉजिकल सोसायटी ने गुरुवार देर शाम को एडवाइजरी जारी की है। जिसमें देशभर के सभी नेत्र रोग विशेषज्ञ से कार्बाइड गन से घायल हुए मरीजों की जानकारी मांगी गई है। समिति के अनुसार, देश में सबसे ज्यादा केस भोपाल में दर्ज हुए हैं। इसके अलावा पटना, पुणे और चंडीगढ़ समेत देश के अन्य कई शहरों में भी कार्बाइड गन से घायल हुए मरीज इलाज के लिए अस्पताल पहुंचे हैं। सस्ती देसी गन बनी खतरनाक ट्रेंड
बाजार में 100 से 200 रुपए में मिलने वाली यह गन अब ‘खतरनाक ट्रेंड’ बन चुकी है। डॉ. एसएस कुबरे ने बताया कि इसमें भरा कैल्शियम कार्बाइड (Calcium Carbide) पानी के संपर्क में आने पर एसीटिलीन गैस (Acetylene Gas) बनाता है। यह गैस विस्फोट के साथ जलती है और कुछ ही सेकेंड में आंखों, त्वचा और चेहरे को झुलसा देती है। भोपाल में कार्बाइड गन बेचते युवक गिरफ्तार
भोपाल की बागसेवनिया पुलिस ने सड़क किनारे कार्बाइड गन बेचने वाले भय्यू चौहान को गिरफ्तार किया है। आरोपी के कब्जे से 42 कार्बाइड गन, 29 लाइटर और 1.5 किलो कैल्शियम जब्त किया गया है। पुलिस ने इस मामले में आरोपी युवक के खिलाफ केस भी दर्ज कर लिया है। ग्वालियर में पहली FIR, एक गिरफ्तार
ग्वालियर में कार्बाइड गन से आंख चोटिल होने के अब तक 36 केस सामने आ गए हैं। गुरुवार की शाम को पुलिस ने कलेक्टर द्वारा धारा 163 लागू होने के बाद कार्बाइड गन के बेचने-खरीदने और उपयोग पर प्रतिबंध लगाया था। आदेश आने के बाद पुलिस ने छानबीन की तो इंदरगंज थाना स्थित झाडू वाला मोहल्ला में शाहिद अली कार्बाइड गन बेचता मिल गया। पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर मामला दर्ज कर लिया है। मामले से जुड़ी ये खबरें भी पढ़ें… मां के गर्भ की झिल्ली से रोशनी बचाने की कोशिश देसी पटाखा गन से अकेले भोपाल में 150 से ज्यादा लोगों की आंखें जल चुकी हैं। इनमें सबसे ज्यादा 7 से 14 साल के बच्चे शामिल हैं। गांधी मेडिकल कॉलेज के नेत्र विभाग में 36 मरीजों का इलाज चल रहा है। अब तक 15 की सर्जरी की जा चुकी है, जबकि दो बच्चों की आंखों में डॉक्टरों ने एमनियोटिक मेम्ब्रेन लगाई है। पढ़ें पूरी खबर… MP में देसी पटाखा गन फोड़ रही बच्चों की आंखें भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज के नेत्र वार्ड में मंगलवार दोपहर सात साल का अलजैन दर्द से बिलख रहा था। दिवाली की रात वह दोस्तों के साथ खेलते हुए ‘देसी पटाखा गन’ चला रहा था, जैसे ही गन ने फायर करना बंद किया, उसने मासूम जिज्ञासा में नाल में झांका, तभी तेज धमाका हुआ और उसकी बाईं आंख झुलस गई। पढ़ें पूरी खबर… 300 लोगों की आंखों को नुकसान के बाद जागा प्रशासन एमपी में कार्बाइड गन से करीब 300 लोगों की आंखों को नुकसान होने के बाद जिम्मेदार जागे हैं। भोपाल में कार्बाइड पाइप गन बेचने, खरीदने और स्टॉक पर रोक लगा दी गई है। यदि ऐसा करते हुए कोई पाया जाता है तो उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज होगी। एडीएम प्रकाश नायक ने गुरुवार रात में यह आदेश जारी किए। पढ़ें पूरी खबर…