मध्य प्रदेश में 25 बच्चों की जान लेने वाले कोल्ड्रिफ कफ सिरप के मामले में हैरान करने वाला खुलासा हुआ है। परासिया सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के डॉ. प्रवीण सोनी ने स्वीकार किया है कि कोल्ड्रिफ प्रिस्क्राइब करने की एवज में उन्हें श्रीसन फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड से 10% कमीशन मिलता था। एक सिरप पर 89 रुपए एमआरपी दर्ज है। इतना ही नहीं, कई दवाइयां डॉक्टर की पत्नी और भतीजे की दुकान पर बेची जाती थीं। यानी कमीशन के बदले मासूमों के स्वास्थ्य का सौदा किया जा रहा था। डॉ. सोनी ने ये बात अपने मेमोरेंडम बयान में कोर्ट में स्वीकार की है। वकील बोले- मिलावट की जिम्मेदारी निर्माता की
डॉ. प्रवीण सोनी के वकील ने कोर्ट में यह तर्क दिया कि उनके मुवक्किल निर्दोष हैं, उन्हें तकनीकी आधार पर फंसाया गया है। मिलावट की जिम्मेदारी निर्माता कंपनी की जबकि दवाई की जांच की जिम्मेदारी ड्रग कंट्रोलर विभाग की है। उन्होंने मात्र इलाज के दौरान बच्चों को यह दवा प्रिस्क्राइब की है। इस दवाई की विशेष खेप में कंपनी द्वारा अमानक पदार्थ मिलाया गया है। जिसकी जानकारी डॉ. प्रवीण सोनी को नहीं थी। वकील ने तर्क दिया कि डॉ. सोनी करीब 35-40 साल से मेडिकल प्रेक्टिस कर रहे हैं। उन्होंने जानबूझकर प्रिस्क्रिप्शन नहीं लिखा। बिना किसी आधार के डॉ. सोनी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। उनके खिलाफ धारा 105 के उपबंध लागू नहीं होते। सरकारी वकील ने कहा- सिरप छोटे बच्चों के लिए नहीं
कोर्ट में सरकारी वकील ने डॉ. प्रवीण सोनी के जमानती आवेदन पर ऐतराज जताया। उन्होंने तर्क दिया- डॉ. सोनी को यह जानकारी थी कि फिक्स्ड डोज कॉम्बिनेशन (FDC) वाली दवाएं 4 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को नहीं दी जानी चाहिए, फिर भी उन्होंने यह दवा जारी रखी। इसके अलावा डॉक्टर ने कंपनी से 10% कमीशन लेने की बात अपने मेमोरेंडम बयान में स्वीकार की है। सिरप के स्टॉकिस्ट उनके परिवार के सदस्य बताए गए हैं। सरकारी वकील के तर्क सुनने के बाद कोर्ट ने डॉक्टर प्रवीण सोनी को जमानत देने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा- घटना की जानकारी होने के बाद भी डॉक्टर ने संबंधित दवा का उपयोग जारी रखा। स्वास्थ्य महानिदेशालय की 18 दिसंबर 2023 की गाइडलाइन के बावजूद 4 वर्ष से कम आयु के बच्चों को एफडीसी सिरप देना गंभीर लापरवाही है। अपराध गंभीर प्रकृति का है, जांच अभी अधूरी है और अभियुक्त साक्ष्यों को प्रभावित कर सकता है। यह खबर भी पढ़ें… कोल्ड्रिफ के छिंदवाड़ा स्टॉकिस्ट ने मिटाए सबूत, केस होगा; जबलपुर में होलसेलर का लाइसेंस निरस्त मध्य प्रदेश में जहरीले कफ सिरप कांड की जांच का दायरा दवा कंपनी के मालिक और डॉक्टर के बाद अब होलसेलर और केमिस्ट तक पहुंच गया है। खाद्य और औषधि प्रशासन विभाग (FDA) ने एक रिपोर्ट पुलिस को सौंपी है, जिसमें दवा दुकानदारों पर सबूत छिपाने का आरोप लगाया गया है। इसी आधार पर पुलिस अब इन लोगों को मामले में सह-आरोपी बनाने की तैयारी कर रही है। पढ़ें पूरी खबर…
मध्य प्रदेश में 25 बच्चों की जान लेने वाले कोल्ड्रिफ कफ सिरप के मामले में हैरान करने वाला खुलासा हुआ है। परासिया सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के डॉ. प्रवीण सोनी ने स्वीकार किया है कि कोल्ड्रिफ प्रिस्क्राइब करने की एवज में उन्हें श्रीसन फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड से 10% कमीशन मिलता था। एक सिरप पर 89 रुपए एमआरपी दर्ज है। इतना ही नहीं, कई दवाइयां डॉक्टर की पत्नी और भतीजे की दुकान पर बेची जाती थीं। यानी कमीशन के बदले मासूमों के स्वास्थ्य का सौदा किया जा रहा था। डॉ. सोनी ने ये बात अपने मेमोरेंडम बयान में कोर्ट में स्वीकार की है। वकील बोले- मिलावट की जिम्मेदारी निर्माता की
डॉ. प्रवीण सोनी के वकील ने कोर्ट में यह तर्क दिया कि उनके मुवक्किल निर्दोष हैं, उन्हें तकनीकी आधार पर फंसाया गया है। मिलावट की जिम्मेदारी निर्माता कंपनी की जबकि दवाई की जांच की जिम्मेदारी ड्रग कंट्रोलर विभाग की है। उन्होंने मात्र इलाज के दौरान बच्चों को यह दवा प्रिस्क्राइब की है। इस दवाई की विशेष खेप में कंपनी द्वारा अमानक पदार्थ मिलाया गया है। जिसकी जानकारी डॉ. प्रवीण सोनी को नहीं थी। वकील ने तर्क दिया कि डॉ. सोनी करीब 35-40 साल से मेडिकल प्रेक्टिस कर रहे हैं। उन्होंने जानबूझकर प्रिस्क्रिप्शन नहीं लिखा। बिना किसी आधार के डॉ. सोनी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। उनके खिलाफ धारा 105 के उपबंध लागू नहीं होते। सरकारी वकील ने कहा- सिरप छोटे बच्चों के लिए नहीं
कोर्ट में सरकारी वकील ने डॉ. प्रवीण सोनी के जमानती आवेदन पर ऐतराज जताया। उन्होंने तर्क दिया- डॉ. सोनी को यह जानकारी थी कि फिक्स्ड डोज कॉम्बिनेशन (FDC) वाली दवाएं 4 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को नहीं दी जानी चाहिए, फिर भी उन्होंने यह दवा जारी रखी। इसके अलावा डॉक्टर ने कंपनी से 10% कमीशन लेने की बात अपने मेमोरेंडम बयान में स्वीकार की है। सिरप के स्टॉकिस्ट उनके परिवार के सदस्य बताए गए हैं। सरकारी वकील के तर्क सुनने के बाद कोर्ट ने डॉक्टर प्रवीण सोनी को जमानत देने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा- घटना की जानकारी होने के बाद भी डॉक्टर ने संबंधित दवा का उपयोग जारी रखा। स्वास्थ्य महानिदेशालय की 18 दिसंबर 2023 की गाइडलाइन के बावजूद 4 वर्ष से कम आयु के बच्चों को एफडीसी सिरप देना गंभीर लापरवाही है। अपराध गंभीर प्रकृति का है, जांच अभी अधूरी है और अभियुक्त साक्ष्यों को प्रभावित कर सकता है। यह खबर भी पढ़ें… कोल्ड्रिफ के छिंदवाड़ा स्टॉकिस्ट ने मिटाए सबूत, केस होगा; जबलपुर में होलसेलर का लाइसेंस निरस्त मध्य प्रदेश में जहरीले कफ सिरप कांड की जांच का दायरा दवा कंपनी के मालिक और डॉक्टर के बाद अब होलसेलर और केमिस्ट तक पहुंच गया है। खाद्य और औषधि प्रशासन विभाग (FDA) ने एक रिपोर्ट पुलिस को सौंपी है, जिसमें दवा दुकानदारों पर सबूत छिपाने का आरोप लगाया गया है। इसी आधार पर पुलिस अब इन लोगों को मामले में सह-आरोपी बनाने की तैयारी कर रही है। पढ़ें पूरी खबर…