
दिल्ली में बदला है समीकरण
दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले विपक्षी गठबंधन इंडिया का स्वरूप बदलता दिख रहा है। प्रदेश में मजबूत आम आदमी पार्टी ने अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। लोकसभा चुनाव के दौरान आप और कांग्रेस गठबंधन के तहत चुनाव लड़ती दिखी थी। लेकिन, भारतीय जनता पार्टी को लोकसभा चुनाव में मात देने में सफल नहीं रही। ऐसे में आम आदमी पार्टी ने विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का साथ छोड़ा है। दरअसल, आप को लगने लगा है कि कांग्रेस का वोट बैंक आप की तरफ शिफ्ट होना संभव नहीं है। आप से गठबंधन कर कांग्रेस ही फायदे में रहेगी।आप के बदले रुख के बाद इंडिया गठबंधन के अन्य सहयोगियों के बीच भी हलचल तेज हो गई है। दरअसल, आवाज पश्चिम बंगाल से पहले ही उठती दिखी। तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष और पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने इंडिया गठबंधन के नेतृत्व को लेकर सवाल उठाया। यह सवाल राहुल गांधी की रणनीति पर उठाया जाना महसूस किया गया। इसके बाद विवाद में सपा और सहयोगी भी कूद पड़े।
सपा ने साफ किया रुख
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद शिवसेना उद्धव गुट की ओर से 6 दिसंबर बाबरी मस्जिद विध्वंस के समर्थन में बयान आया। इस पर समाजवादी पार्टी ने आपत्ति जताई। विवाद इस कदर गहराया कि सपा ने इंडिया गठबंधन से बाहर जाने तक के संकेत दे दिए। वहीं, समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव प्रो. रामगोपाल यादव ने राहुल गांधी को इंडिया गठबंधन का नेता न चुने जाने का दावा किया। उन्होंने उन्हें नेता ही मानने से मना कर दिया। हालांकि, बाद में अखिलेश यादव ने एक इंटरव्यू में सपा-कांग्रेस गठबंधन बरकरार रहने की बात कही।
विधानसभा चुनाव की रणनीति पर सवाल
दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी की रणनीति पर सवाल उठने लगे हैं। पार्टी दिल्ली को लेकर क्या निर्णय लेती है, यह देखना दिलचस्प होगा। दरअसल, लोकसभा चुनाव के बाद हुए पिछले दो विधानसभा चुनाव में पार्टी का रुख अलग दिखा है। हरियाणा में सपा ने कांग्रेस के लिए मैदान खुला छोड़ दिया। वहीं, महाराष्ट्र के चुनावी मैदान में पार्टी उतरी। पार्टी ने 8 उम्मीदवार उतारे। इंडिया गठबंधन से दो सीटों पर समर्थन मिला और उन पर पार्टी जीती।अखिलेश यादव सपा को राष्ट्रीय पार्टी बनाने का दावा करते लगभग हर मंच पर दिखते हैं। लेकिन, विधानसभा चुनावों में वे सहयोगी दलों के समर्थन की बात करते हैं। दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और आप अलग-अलग उतरने वाली है। दोनों दलों ने अपने-अपने उम्मीदवार का ऐलान किया है। एक-दूसरे पर हमले भी कर रही है। पिछले दिनों अखिलेश यादव पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल का समर्थन करते दिखे।आम आदमी पार्टी दिल्ली की सत्ता में एक दशक से जमी हुई है। पार्टी की स्थिति प्रदेश में मजबूत है। ऐसे में आम प्रदेश की विपक्षी पार्टी भारतीय जनता पार्टी पर बढ़त बना सकती है। वहीं, यूपी के पड़ोस के इस प्रदेश में समाजवादी पार्टी की स्थिति उस स्तर की नहीं दिखती है। ऐसे में अगर अखिलेश चुनाव से दूर रहने और आप को समर्थन देने का ऐलान करते हैं तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए। वहीं, दिल्ली से कांग्रेस को यूपी चुनाव 2027 का संकेत भी मिलता दिख सकता है।
Akhilesh Yadav News: दिल्ली में विधानसभा चुनाव का बिगुल फूंका जाना है। इसको लेकर तमाम राजनीतिक दलों ने अपनी-अपनी तैयारियों को पूरा कराना शुरू कर दिया है। दिल्ली विधानसभा चुनाव के बीच विपक्षी गठबंधन में दरार साफ नजर आ रही है। ऐसे में अखिलेश यादव की रणनीति पर सवाल उठने लगा है।