
गैंगस्टर लॉरेंस के पंजाब पुलिस की कस्टडी में हुए इंटरव्यू मामले की जांच आगे भी डीजीपी प्रबोध कुमार ही करेंगे। यह फैसला पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने लिया है। हालांकि डीजीपी 31 जनवरी काे रिटायर हो रहे हैं। दूसरी तरफ सरकार ने अदालत को बताया है कि उसके पास सिर्फ एक ही डीजीपी केंद्र सरकार का इंपैनल है। जबकि शेष एडीजीपी के तौर पर इंपैनल है। हाईकोर्ट ने कहा कि डीजीपी प्रबोध कुमार ने अब तक बढ़िया जांच की है। अदालत ने सुनवाई दौरान डीजीपी प्रबोध कुमार को डेढ़ लाख रुपए महीना अदा करने के आदेश दिए हैं। कहा कि वह जिस भी एंगल पर जांच करना चाहते हैं, वह जांच कर सकते हैं। SIT ने इंटरव्यू से उठाया था पर्दा बता दें कि, मामले की जांच में एसआईटी अहम भूमिका है। क्योंकि जब यह मामला सामने आया था तो दावा किया गया था कि इंटरव्यू पंजाब की किसी जेल में नहीं हुआ था। इसके बाद जैसे ही एसआईटी ने जांच तेज की तो पता चला कि एक इंटरव्यू सीआईए खरड़ बिल्डिंग में और दूसरा राजस्थान में हुआ था। यहां एसएचओ के कमरे को स्टूडियो बना दिया गया था। इंटरव्यू के लिए वाईफाई समेत तमाम इंतजाम किए गए थे। इसके बाद कोर्ट ने डीएसपी समेत छह लोगों को सस्पेंड कर दिया था। हालांकि डीएसपी ने खुद को बेकसूर बताया था। उसने खुद को बलि का बकरा बताया था। वहीं गैंगस्टर अब गुजरात की जेल में बंद है, जबकि फरीदकोट की जिला कोर्ट ने उसे एक नहीं तीन पुराने रंगदारी के मामलों में बरी कर दिया है। पहले इंटरव्यू में मूसेवाला के कत्ल की जिम्मेदारी ली लॉरेंस का पहला इंटरव्यू 14 मार्च को ब्रॉडकास्ट हुआ था। जिसमें लॉरेंस ने सिद्धू मूसेवाला का कत्ल करवाने की बात कबूल की थी। लॉरेंस का कहना था कि मूसेवाला सिंगिंग के बजाय गैंगवार में घुस रहा था। उसके कॉलेज फ्रेंड अकाली नेता विक्की मिड्डूखेड़ा के कत्ल में भी मूसेवाला का हाथ था। इसलिए उसे मरवाया। एसआईटी रिपोर्ट के मुताबिक ये वही इंटरव्यू है, जो उसने सीआईए की कस्टडी से दिया। दूसरे इंटरव्यू में बैरक से कॉल करने का दिया सबूत लॉरेंस ने अपने दूसरे इंटरव्यू में जेल के अंदर से इंटरव्यू करने का सबूत भी दिया था। उसने अपनी बैरक भी दिखाई और बताया कि उसे बाहर नहीं जाने दिया जाता, लेकिन मोबाइल भी उसके पास आ जाता है और सिग्नल भी। लॉरेंस ने अपने इंटरव्यू में कहा कि रात के समय जेल के गार्ड बहुत कम आते-जाते हैं, इसीलिए वह रात को कॉल कर रहा है। लॉरेंस ने मोबाइल के अंदर आने के बारे में भी जानकारी दी थी। लॉरेंस के अनुसार मोबाइल बाहर से जेल के अंदर फेंके जाते हैं। कई बार जेल स्टाफ उन्हें पकड़ भी लेता है, लेकिन अधिकतर बार मोबाइल उस तक पहुंच जाते हैं।
गैंगस्टर लॉरेंस के पंजाब पुलिस की कस्टडी में हुए इंटरव्यू मामले की जांच आगे भी डीजीपी प्रबोध कुमार ही करेंगे। यह फैसला पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने लिया है। हालांकि डीजीपी 31 जनवरी काे रिटायर हो रहे हैं। दूसरी तरफ सरकार ने अदालत को बताया है कि उसके पास सिर्फ एक ही डीजीपी केंद्र सरकार का इंपैनल है। जबकि शेष एडीजीपी के तौर पर इंपैनल है। हाईकोर्ट ने कहा कि डीजीपी प्रबोध कुमार ने अब तक बढ़िया जांच की है। अदालत ने सुनवाई दौरान डीजीपी प्रबोध कुमार को डेढ़ लाख रुपए महीना अदा करने के आदेश दिए हैं। कहा कि वह जिस भी एंगल पर जांच करना चाहते हैं, वह जांच कर सकते हैं। SIT ने इंटरव्यू से उठाया था पर्दा बता दें कि, मामले की जांच में एसआईटी अहम भूमिका है। क्योंकि जब यह मामला सामने आया था तो दावा किया गया था कि इंटरव्यू पंजाब की किसी जेल में नहीं हुआ था। इसके बाद जैसे ही एसआईटी ने जांच तेज की तो पता चला कि एक इंटरव्यू सीआईए खरड़ बिल्डिंग में और दूसरा राजस्थान में हुआ था। यहां एसएचओ के कमरे को स्टूडियो बना दिया गया था। इंटरव्यू के लिए वाईफाई समेत तमाम इंतजाम किए गए थे। इसके बाद कोर्ट ने डीएसपी समेत छह लोगों को सस्पेंड कर दिया था। हालांकि डीएसपी ने खुद को बेकसूर बताया था। उसने खुद को बलि का बकरा बताया था। वहीं गैंगस्टर अब गुजरात की जेल में बंद है, जबकि फरीदकोट की जिला कोर्ट ने उसे एक नहीं तीन पुराने रंगदारी के मामलों में बरी कर दिया है। पहले इंटरव्यू में मूसेवाला के कत्ल की जिम्मेदारी ली लॉरेंस का पहला इंटरव्यू 14 मार्च को ब्रॉडकास्ट हुआ था। जिसमें लॉरेंस ने सिद्धू मूसेवाला का कत्ल करवाने की बात कबूल की थी। लॉरेंस का कहना था कि मूसेवाला सिंगिंग के बजाय गैंगवार में घुस रहा था। उसके कॉलेज फ्रेंड अकाली नेता विक्की मिड्डूखेड़ा के कत्ल में भी मूसेवाला का हाथ था। इसलिए उसे मरवाया। एसआईटी रिपोर्ट के मुताबिक ये वही इंटरव्यू है, जो उसने सीआईए की कस्टडी से दिया। दूसरे इंटरव्यू में बैरक से कॉल करने का दिया सबूत लॉरेंस ने अपने दूसरे इंटरव्यू में जेल के अंदर से इंटरव्यू करने का सबूत भी दिया था। उसने अपनी बैरक भी दिखाई और बताया कि उसे बाहर नहीं जाने दिया जाता, लेकिन मोबाइल भी उसके पास आ जाता है और सिग्नल भी। लॉरेंस ने अपने इंटरव्यू में कहा कि रात के समय जेल के गार्ड बहुत कम आते-जाते हैं, इसीलिए वह रात को कॉल कर रहा है। लॉरेंस ने मोबाइल के अंदर आने के बारे में भी जानकारी दी थी। लॉरेंस के अनुसार मोबाइल बाहर से जेल के अंदर फेंके जाते हैं। कई बार जेल स्टाफ उन्हें पकड़ भी लेता है, लेकिन अधिकतर बार मोबाइल उस तक पहुंच जाते हैं।