अलवर के अजीत चौधरी का शव रूस से 28 दिन बाद गांव लाया गया। अजीत रूस में MBBS की पढ़ाई कर रहा था। 19 अक्टूबर को ऊफा शहर में लापता हो गया था। 6 नवंबर को उसका शव व्हाइट रिवर से लगते बांध में मिला था। 14 नवंबर को रूस में पोस्टमॉर्टम हुआ था। सोमवार को शव अलवर लाया गया। इस पूरी प्रक्रिया में लगभग 28 दिन लग गए। पहले शव को जिला हॉस्पिटल में रखवाया गया। इसके बाद गांव में अंतिम संस्कार किया गया। अजीत लक्ष्मणगढ़ के कफनवाड़ा गांव का रहने वाला था। बेटे की मौत की खबर सुनने के बाद से मां की हालत नाजुक बनी हुई है। अजीत चौधरी का शव सुबह करीब 4 बजकर 5 मिनट पर फ्लाइट से दिल्ली पहुंचा। सुबह लगभग 9 बजे शव को दिल्ली से अलवर जिला अस्पताल लाया गया, जहां पोस्टमॉर्टम की प्रक्रिया की गई। रूस में पहले ही छात्र के शव का पोस्टमॉर्टम किया जा चुका था। परिजनों की मांग पर अलवर जिला अस्पताल में भी डॉक्टरों की टीम का मेडिकल बोर्ड बनाया गया था। इसी बोर्ड ने सोमवार दोपहर करीब 12 बजे अजीत के शव का पोस्टमॉर्टम किया। इसके बाद शव परिवार को सौंप दिया गया। परिवार शव को लेकर कफनवाड़ा गांव पहुंचा, जहां अंतिम संस्कार किया गया। पिता बोले- उसकी मां भी मरने जैसी हालत में है
खेती-किसानी करने वाले पिता धर्म सिंह ने बताया- मेरे बेटा अजीत रूस के ऊफा शहर में बश्किर स्टेट मेडिकल यूनिवर्सिटी (Bashkir State Medical University) में MBBS की पढ़ाई कर रहा था। वह थर्ड ईयर का स्टूडेंट था। 19 अक्टूबर को उससे अच्छे से बात हुई थी। किसी दोस्त ने उसे बुलाया था, इसके बाद उसका कुछ पता नहीं चला। बाद में हमें बताया गया कि अजीत के कपड़े और जूते नदी के किनारे मिले हैं। 18 दिन बाद उसका शव मिला। बेटे के इंतजार में उसकी मां मरने के हाल में पहुंच गई। चाचा ने कहा- हमें मर्डर लग रहा है
शव मिलने पर अजीत के चाचा भोम सिंह ने कहा कि अजीत से 19 अक्टूबर को आखिरी बार बात हुई थी। जीत कसाना नामक एक छात्र ने उन्हें अजीत के लापता होने की सूचना दी। जब परिवार के लोगों के नंबर कॉलेज में थे, तो किसी अन्य छात्र ने सूचना क्यों दी? उन्होंने 6 नवंबर को शव मिलने की सूचना दी। छात्र के कपड़े उतरे हुए थे। आत्महत्या करने वाला कपड़े क्यों उतारेगा? इसके अलावा, 19 अक्टूबर से पहले छात्र ने पैसे भी मंगवाए थे। हमें नहीं लगता कि हमारे बेटे ने आत्महत्या की है
चाचा भोम सिंह के अनुसार, वैसे तो करीब 29 लाख रुपए तक खर्च हो चुके थे, इसलिए कुछ समझ नहीं आ रहा। हमारे परिवार की हालत खराब है और पूरे गांव में मातम है। हमें शक है। अब देखते हैं मेडिकल रिपोर्ट में क्या सामने आता है। इतना पता चला है कि अजीत का किसी छात्र से झगड़ा हुआ था। हमें नहीं लगता कि हमारे बेटे ने आत्महत्या की है, हमें तो यह हत्या लग रही है। प्रेम भंडारी ने की दिन-रात मदद
अजीत चौधरी के लापता होने के बाद, न्यूयॉर्क स्थित नॉर्थ अमेरिका राजस्थान एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रेम भंडारी ने रूस में भारतीय दूतावास से संपर्क बनाए रखा। उन्होंने अजीत का शव ढूंढने और उसे भारत वापस लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। परिवार ने प्रेम भंडारी की मदद की सराहना की। प्रेम भंडारी शव के रूस से रवाना होने से लेकर गांव पहुंचने तक लगातार जानकारी देते रहे। शव लाने में देरी पर उन्होंने नाराजगी जताई और परिवार ने विरोध प्रदर्शन किया। गांव में स्कूल, कॉलेज और बाजार बंद रहे। फीस वापस मिले
प्रेम भंडारी ने कहा कि परिवार ने जमीन बेचकर अजीत की MBBS की पढ़ाई के लिए फीस जमा की थी। यूनिवर्सिटी को छात्र की फीस वापस करनी चाहिए, जिसके लिए वे प्रयास करेंगे। भारत सरकार से भी छात्र के परिवार की मदद के लिए आगे आने का आग्रह किया, क्योंकि परिवार लगभग 10 लाख रुपए फीस के रूप में जमा कर चुका था। ———- MBBS स्टूडेंट से जुड़ीं ये खबरें भी पढ़िए… 1. MBBS करने रूस गया अलवर का युवक लापता:परिवार ने जमीन बेचकर भेजा था, नदी किनारे जैकेट और मोबाइल मिला
2. रूस में अलवर के MBBS छात्र की लाश मिली:19 दिनों से लापता था; घरवालों ने 3 बीघा जमीन बेचकर पढ़ने भेजा था
3. MBBS छात्र का शव 17 नवंबर को लाया जाएगा अलवर:रूस में पोस्टमॉर्टम, पानी में डूबने से मौत होना आया सामने; कल मास्को से होगा रवाना
4. परिजन बोले- चाहे छात्र का पिता मरे या मां मरे:MBBS स्टूडेंट के शव को भारत लाने में हो रही देरी पर फूटा गुस्सा
अलवर के अजीत चौधरी का शव रूस से 28 दिन बाद गांव लाया गया। अजीत रूस में MBBS की पढ़ाई कर रहा था। 19 अक्टूबर को ऊफा शहर में लापता हो गया था। 6 नवंबर को उसका शव व्हाइट रिवर से लगते बांध में मिला था। 14 नवंबर को रूस में पोस्टमॉर्टम हुआ था। सोमवार को शव अलवर लाया गया। इस पूरी प्रक्रिया में लगभग 28 दिन लग गए। पहले शव को जिला हॉस्पिटल में रखवाया गया। इसके बाद गांव में अंतिम संस्कार किया गया। अजीत लक्ष्मणगढ़ के कफनवाड़ा गांव का रहने वाला था। बेटे की मौत की खबर सुनने के बाद से मां की हालत नाजुक बनी हुई है। अजीत चौधरी का शव सुबह करीब 4 बजकर 5 मिनट पर फ्लाइट से दिल्ली पहुंचा। सुबह लगभग 9 बजे शव को दिल्ली से अलवर जिला अस्पताल लाया गया, जहां पोस्टमॉर्टम की प्रक्रिया की गई। रूस में पहले ही छात्र के शव का पोस्टमॉर्टम किया जा चुका था। परिजनों की मांग पर अलवर जिला अस्पताल में भी डॉक्टरों की टीम का मेडिकल बोर्ड बनाया गया था। इसी बोर्ड ने सोमवार दोपहर करीब 12 बजे अजीत के शव का पोस्टमॉर्टम किया। इसके बाद शव परिवार को सौंप दिया गया। परिवार शव को लेकर कफनवाड़ा गांव पहुंचा, जहां अंतिम संस्कार किया गया। पिता बोले- उसकी मां भी मरने जैसी हालत में है
खेती-किसानी करने वाले पिता धर्म सिंह ने बताया- मेरे बेटा अजीत रूस के ऊफा शहर में बश्किर स्टेट मेडिकल यूनिवर्सिटी (Bashkir State Medical University) में MBBS की पढ़ाई कर रहा था। वह थर्ड ईयर का स्टूडेंट था। 19 अक्टूबर को उससे अच्छे से बात हुई थी। किसी दोस्त ने उसे बुलाया था, इसके बाद उसका कुछ पता नहीं चला। बाद में हमें बताया गया कि अजीत के कपड़े और जूते नदी के किनारे मिले हैं। 18 दिन बाद उसका शव मिला। बेटे के इंतजार में उसकी मां मरने के हाल में पहुंच गई। चाचा ने कहा- हमें मर्डर लग रहा है
शव मिलने पर अजीत के चाचा भोम सिंह ने कहा कि अजीत से 19 अक्टूबर को आखिरी बार बात हुई थी। जीत कसाना नामक एक छात्र ने उन्हें अजीत के लापता होने की सूचना दी। जब परिवार के लोगों के नंबर कॉलेज में थे, तो किसी अन्य छात्र ने सूचना क्यों दी? उन्होंने 6 नवंबर को शव मिलने की सूचना दी। छात्र के कपड़े उतरे हुए थे। आत्महत्या करने वाला कपड़े क्यों उतारेगा? इसके अलावा, 19 अक्टूबर से पहले छात्र ने पैसे भी मंगवाए थे। हमें नहीं लगता कि हमारे बेटे ने आत्महत्या की है
चाचा भोम सिंह के अनुसार, वैसे तो करीब 29 लाख रुपए तक खर्च हो चुके थे, इसलिए कुछ समझ नहीं आ रहा। हमारे परिवार की हालत खराब है और पूरे गांव में मातम है। हमें शक है। अब देखते हैं मेडिकल रिपोर्ट में क्या सामने आता है। इतना पता चला है कि अजीत का किसी छात्र से झगड़ा हुआ था। हमें नहीं लगता कि हमारे बेटे ने आत्महत्या की है, हमें तो यह हत्या लग रही है। प्रेम भंडारी ने की दिन-रात मदद
अजीत चौधरी के लापता होने के बाद, न्यूयॉर्क स्थित नॉर्थ अमेरिका राजस्थान एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रेम भंडारी ने रूस में भारतीय दूतावास से संपर्क बनाए रखा। उन्होंने अजीत का शव ढूंढने और उसे भारत वापस लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। परिवार ने प्रेम भंडारी की मदद की सराहना की। प्रेम भंडारी शव के रूस से रवाना होने से लेकर गांव पहुंचने तक लगातार जानकारी देते रहे। शव लाने में देरी पर उन्होंने नाराजगी जताई और परिवार ने विरोध प्रदर्शन किया। गांव में स्कूल, कॉलेज और बाजार बंद रहे। फीस वापस मिले
प्रेम भंडारी ने कहा कि परिवार ने जमीन बेचकर अजीत की MBBS की पढ़ाई के लिए फीस जमा की थी। यूनिवर्सिटी को छात्र की फीस वापस करनी चाहिए, जिसके लिए वे प्रयास करेंगे। भारत सरकार से भी छात्र के परिवार की मदद के लिए आगे आने का आग्रह किया, क्योंकि परिवार लगभग 10 लाख रुपए फीस के रूप में जमा कर चुका था। ———- MBBS स्टूडेंट से जुड़ीं ये खबरें भी पढ़िए… 1. MBBS करने रूस गया अलवर का युवक लापता:परिवार ने जमीन बेचकर भेजा था, नदी किनारे जैकेट और मोबाइल मिला
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