
संभल में बड़ी कंट्रोवर्सी खड़ी हो गई है। जामा मस्जिद-मंदिर विवाद काफी आगे बढ़ गया है। जितना संभल शहर का इलाका नहीं, उससे कहीं ज्यादा पर वक्फ संपत्ति का दावा ठोंक दिया गया है। सिर्फ 5 वर्ग किमी (5 SQ.KM) के संभल शहर में वक्फ की 20 प्रॉपर्टी बताई जा रही हैं। डीएम ने इन कागजात की जांच कराई तो ये 20 प्रॉपर्टी 7 वर्ग किलोमीटर (7 SQ.KM) से ज्यादा की निकलीं। ऐसे में डीएम ने फर्जी कागजात बनाने की FIR दर्ज करा दी है। साथ ही पूरे मामले के जांच के आदेश दिए हैं। 31 दिसंबर, 2024 को नेता विरोधी दल माता प्रसाद पांडेय की अगुवाई में सपा का एक डेलिगेशन संभल गया था। डेलिगेशन ने DM राजेंद्र पेंसिया को वक्फ प्रॉपर्टी के कागजात उपलब्ध कराए। इनमें दावा किया गया कि जामा मस्जिद के सामने जिस जमीन पर पुलिस चौकी बन रही, वो वक्फ की है। इसके अलावा संभल शहर में वक्फ की 20 संपत्तियां हैं। इन कागजातों के अनुसार- संभल पुलिस स्टेशन, जिला अस्पताल, तहसील, नगर पालिका, डाकघर का एरिया भी वक्फ संपत्ति क्षेत्र में आता है। यहां तक कि शास्त्रों में जिसे प्राचीन कल्कि मंदिर बताया जाता है, वो भी वक्फ का हिस्सा है। संभल पुलिस स्टेशन, जिसके बनने का साल 1905 लिखा है। कागजों में वह जमीन 1929 में वक्फ को मिली दिखाई गई है। यही नहीं, जामा मस्जिद के सामने जो सत्यव्रत पुलिस चौकी बन रही, उसे भी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के नेता असदुद्दीन ओवैसी पहले ही वक्फ संपत्ति बता चुके हैं। अहम बात ये है कि 95 साल पहले जिस कथित व्यक्ति ने ये 20 संपत्तियां वक्फ को दीं, वह या उसके परिवार वाले अब तक सामने नहीं आए हैं। वो असल में हैं भी या नहीं, ये बड़ा सवाल है। दैनिक भास्कर ने ग्राउंड जीरो पर पहुंचकर वक्फ प्रॉपर्टी को लेकर चल रहे इस विवाद को समझा। वक्फनामा 23 अगस्त, 1929 का है। इसमें किसी अब्दुल समद नामक व्यक्ति का जिक्र है। उसने ये 20 जमीनें वक्फ को देने की बात इस वक्फनामे में लिखी हैं। इस वक्फनामे की सच्चाई समझने के लिए हमने संभल के जिला मजिस्ट्रेट (DM) राजेंद्र पेंसिया से बात की। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… DM बोले- सब कुछ फर्जी, असली है तो वक्फ को जमीन देने वाला सामने आए पहला सवाल- कितनी संपत्ति पर वक्फ ने दावा किया है?
DM राजेंद्र पेंसिया: समाजवादी पार्टी के डेलिगेशन के जरिए हमें कुछ डॉक्यूमेंट्स मिले। इसमें करीब 20 वक्फ संपत्तियों का जिक्र था। मैंने 3 सदस्यीय कमेटी बनाकर इनकी जांच कराई। कमेटी में एसडीएम, सीओ और नगर पालिका ईओ शामिल थे। जांच में पता चला कि ये वक्फनामा रजिस्टर्ड नहीं है। इस जमीन पर आज तक किसी का मालिकाना हक भी नहीं है। वक्फनामे में एक जगह लिखा है कि अब्दुल समद ने ये संपत्ति मदरसा बनाने के लिए दी है। लेकिन ये मदरसा कहां बनेगा, ये बात कहीं नहीं लिखी है। दूसरा सवाल- जमीन देने वाला अब्दुल समद कौन है?
DM राजेंद्र पेंसिया: दफा-39 कहती है कि जो वक्फ संपत्ति है, वो प्रॉपर तरीके से रजिस्टर्ड होनी चाहिए। इसके अलावा जो व्यक्ति खुद उस जमीन का वारिस है, सिर्फ वही वक्फ को संपत्ति दे सकता है। जिस अब्दुल समद ने ये 20 संपत्तियां वक्फ को दी हैं, उसके बारे में अब तक कोई जानकारी नहीं मिली है। अब्दुल समद कौन है, कहां का रहने वाला है, उसके वारिस कौन हैं….इन सबके बारे में कुछ पता नहीं चल सका है। अगर वास्तव में ये कागजात सही हैं, तो अब्दुल समद या उसके वारिस इन संपत्तियों के स्वामित्व के मूल कागजात लेकर हमारे पास आएं। हम उनको देखेंगे। तीसरा सवाल- वक्फनामा फर्जी क्यों लग रहा?
DM राजेंद्र पेंसिया: वक्फनामे में कुल 20 संपत्तियां दिखाई गई हैं, उनकी चौहद्दी (चारदीवारी) उस नक्शे में नहीं है। सिर्फ ये बताया गया है कि मिड सेंटर से एक-एक किलोमीटर चारों दिशाओं में वक्फ जमीन है। लेकिन, यह नहीं बताया कि मिड सेंटर कौन-सा है? इससे कैसे साफ हो पाएगा कि वक्फ जमीन कौन सी है और कहां तक उसकी सीमा है? संभल शहर कुल 5 वर्ग किलोमीटर में बसा हुआ है, जबकि इन 20 संपत्तियों का क्षेत्र ही इससे ज्यादा है। ये बात असंभव सी लगती है। चौथा सवाल- 52 बीघा जमीन का विवाद क्या है?
DM राजेंद्र पेंसिया: साल-1995 में सरकार का एक आदेश आया था कि दान दी हुई जमीन नहीं बेच सकते। हमें जानकारी मिली है कि संभल शहर के अंदर करीब 52 बीघा वक्फ जमीन बेच दी गई है। हम इसके डॉक्यूमेंट्स की जांच करा रहे हैं। ये बात सही पाई जाती है, तो निश्चित रूप से जमीन बेचने और खरीदने वालों पर एक्शन होगा। अगर मकान बन गए हैं, तो गिराए जाएंगे। पांचवां सवाल- अब आगे क्या करने जा रहे?
DM राजेंद्र पेंसिया: 20 वक्फ संपत्तियों से संबंधित जो डॉक्यूमेंट्स प्राप्त हुए, वो जांच में फर्जी पाए गए। इस आधार पर हमने एक FIR संभल पुलिस स्टेशन में करा दी है। इसकी विस्तृत जांच चल रही है। पता कराया जा रहा है कि ये डॉक्यूमेंट्स किसने तैयार कराए? अब वक्फ संपत्तियों के बारे में पढ़िए वक्फनामे के कागजात संभल DM को मिले हैं। इन कागजातों के अनुसार, संभल शहर में वक्फ की 20 संपत्तियां हैं… 1- महमूद खां सराय : गाटा संख्या-110 से 300 मीटर सलीमपुर बैबरा, 500 मीटर तुर्तीपुर इल्हा, 500 मीटर कोट और 350 मीर रुकनुद्दीन सराय। 2- बदायूं दरवाजा : खेवट 25 से 900 मीटर महमूद खां सराय, एक किलोमीटर नरोत्तम सराय, डेढ़ किलोमीटर सुल्तानपुर बुजुर्ग और 500 मीटर गदीपुरा बनैरा। 3/4/5- खेवट नंबर 19, 20, 90 : 1.2 किलोमीटर सुल्तानपुर बुजुर्ग, एक किलोमीटर गविल्दपुर, एक किलोमीटर सिकंदरपुर हैबतपुर और एक किलोमीटर भवानीदास सराय। 6/7- शहजादी सराय : खेवट नंबर 92, 55 से उत्तर में 500 मीटर तश्तपुर गुसाइन, पश्चिम में एक किलोमीटर तश्तपुर गुसाइन, पूरब में 1.2 किलोमीटर नूरियो सराय और उत्तर में 500 मीटर आलम सराय। 8/9- शेर खां सराय : खेवट नंबर 104, 07 से पश्चिम में एक किलोमीटर संभल खास, पूरब में तीन किलोमीटर बिछौली, उत्तर में 500 मीटर नूरियो सराय और दक्षिण में डेढ़ किलोमीटर आलम सराय। 10/11- हल्लू सराय : खेवट नंबर-13 से पूरब में 100 मीटर नवाब अहमद हुसैन खां के मकान तक, पश्चिम में 100 मीटर मकान नंबर-11 तक, उत्तर में 500 मीटर सुल्तानपुर बुजुर्ग और दक्षिण में 500 मीटर नवाब अहमद के मकान तक। 12- दीपासराय एक कोठी : पूरब में नूखानम, पश्चिम में आयशा हुसैन खां, उत्तर में मकान नंबर 14 और दक्षिण में आवचक मकान 14 तक। 13 से 20 तक: मोहल्ला कोटशर्की व जामा मस्जिद इलाके की जमीन। जमीन के कागजात 3 तरह के होते हैं ‘सत्यव्रत’ पुलिस चौकी बनने से हुई विवाद की शुरुआत
संभल में 28 दिसंबर, 2024 को जामा मस्जिद के सामने खाली पड़ी जमीन पर पुलिस चौकी की नींव रखी गई। इसका नाम ‘सत्यव्रत’ पुलिस चौकी रखा गया। दरअसल, संभल शहर का प्राचीन नाम ही सत्यव्रत था, ऐसा दावा यहां के अफसर कर रहे हैं। 31 दिसंबर को AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने X पर एक पोस्ट लिखी। इसमें लिखा- संभल की जामा मस्जिद के पास जो पुलिस चौकी बनाई जा रही, वह वक्फ की जमीन पर है। जैसा कि रिकॉर्ड में दर्ज है। इसके अलावा प्राचीन स्मारक अधिनियम के तहत संरक्षित स्मारकों के पास निर्माण कार्य प्रतिबंधित है। नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ संभल में खतरनाक माहौल बनाने के जिम्मेदार हैं। ओवैसी ने लिखा- यह वक्फ नंबर 39A मुरादाबाद है। यह उस जमीन का वक्फनामा है, जिस पर पुलिस चौकी का निर्माण हो रहा है। उत्तर प्रदेश सरकार को कानून का कोई एहतराम (सम्मान) नहीं है। ओवैसी के ट्वीट के बाद संभल के DM राजेंद्र पेंसिया ने सफाई दी। उन्होंने कहा- ये जमीन नगर पालिका की है। जिन डॉक्यूमेंट्स में ये वक्फ जमीन बताई गई, वो डॉक्यूमेंट्स रजिस्टर्ड नहीं हैं। DM के बयान के बाद ही नगर पालिका ईओ ने फर्जी डॉक्यूमेंट्स प्रकरण में अज्ञात लोगों के खिलाफ संभल कोतवाली में FIR कराई। पूर्व सांसद बोले- अवैध तरीके से पुलिस चौकी बनाई जा रही
इस मामले में सपा के पूर्व सांसद एसटी हसन ले कहा- हमारे सूत्रों से पता चला है कि जहां पुलिस चौकी बनाई जा रही, वो वक्फ की संपत्ति है। उस जगह पर पुलिस चौकी बनाना मुनासिब नहीं है और न ही बननी चाहिए। वक्फ की संपत्ति को न बेचा जा सकता है, न कब्जा किया जा सकता है। जिस तेजी से पुलिस चौकी बन रही है, उससे अहसास होता है कि वहां अवैध तरीके से पुलिस चौकी बनाई जा रही है। ————————– संभल से जुड़ी यह खबर भी पढ़ें… संभल में नवनिर्माण सत्यव्रत पुलिस चौकी का लेंटर पड़ा, 15 लोग शटरिंग के काम में लगे संभल के विवादित स्थल के निकट नवनिर्माण सत्यव्रत पुलिस चौकी की पहली मंजिल का लेंटर पड़ गया। इस कार्य के लिए 15 मजदूर, 6 राजमिस्त्री और 15 लोग शटरिंग के काम में लगे थे। इसके बाद शटरिंग की जांच की गई और फिर लेंटर डालने के लिए 14 मजदूर और 6 राजमिस्त्री तैनात किए गए थे। पढ़ें पूरी खबर…
संभल में बड़ी कंट्रोवर्सी खड़ी हो गई है। जामा मस्जिद-मंदिर विवाद काफी आगे बढ़ गया है। जितना संभल शहर का इलाका नहीं, उससे कहीं ज्यादा पर वक्फ संपत्ति का दावा ठोंक दिया गया है। सिर्फ 5 वर्ग किमी (5 SQ.KM) के संभल शहर में वक्फ की 20 प्रॉपर्टी बताई जा रही हैं। डीएम ने इन कागजात की जांच कराई तो ये 20 प्रॉपर्टी 7 वर्ग किलोमीटर (7 SQ.KM) से ज्यादा की निकलीं। ऐसे में डीएम ने फर्जी कागजात बनाने की FIR दर्ज करा दी है। साथ ही पूरे मामले के जांच के आदेश दिए हैं। 31 दिसंबर, 2024 को नेता विरोधी दल माता प्रसाद पांडेय की अगुवाई में सपा का एक डेलिगेशन संभल गया था। डेलिगेशन ने DM राजेंद्र पेंसिया को वक्फ प्रॉपर्टी के कागजात उपलब्ध कराए। इनमें दावा किया गया कि जामा मस्जिद के सामने जिस जमीन पर पुलिस चौकी बन रही, वो वक्फ की है। इसके अलावा संभल शहर में वक्फ की 20 संपत्तियां हैं। इन कागजातों के अनुसार- संभल पुलिस स्टेशन, जिला अस्पताल, तहसील, नगर पालिका, डाकघर का एरिया भी वक्फ संपत्ति क्षेत्र में आता है। यहां तक कि शास्त्रों में जिसे प्राचीन कल्कि मंदिर बताया जाता है, वो भी वक्फ का हिस्सा है। संभल पुलिस स्टेशन, जिसके बनने का साल 1905 लिखा है। कागजों में वह जमीन 1929 में वक्फ को मिली दिखाई गई है। यही नहीं, जामा मस्जिद के सामने जो सत्यव्रत पुलिस चौकी बन रही, उसे भी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के नेता असदुद्दीन ओवैसी पहले ही वक्फ संपत्ति बता चुके हैं। अहम बात ये है कि 95 साल पहले जिस कथित व्यक्ति ने ये 20 संपत्तियां वक्फ को दीं, वह या उसके परिवार वाले अब तक सामने नहीं आए हैं। वो असल में हैं भी या नहीं, ये बड़ा सवाल है। दैनिक भास्कर ने ग्राउंड जीरो पर पहुंचकर वक्फ प्रॉपर्टी को लेकर चल रहे इस विवाद को समझा। वक्फनामा 23 अगस्त, 1929 का है। इसमें किसी अब्दुल समद नामक व्यक्ति का जिक्र है। उसने ये 20 जमीनें वक्फ को देने की बात इस वक्फनामे में लिखी हैं। इस वक्फनामे की सच्चाई समझने के लिए हमने संभल के जिला मजिस्ट्रेट (DM) राजेंद्र पेंसिया से बात की। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… DM बोले- सब कुछ फर्जी, असली है तो वक्फ को जमीन देने वाला सामने आए पहला सवाल- कितनी संपत्ति पर वक्फ ने दावा किया है?
DM राजेंद्र पेंसिया: समाजवादी पार्टी के डेलिगेशन के जरिए हमें कुछ डॉक्यूमेंट्स मिले। इसमें करीब 20 वक्फ संपत्तियों का जिक्र था। मैंने 3 सदस्यीय कमेटी बनाकर इनकी जांच कराई। कमेटी में एसडीएम, सीओ और नगर पालिका ईओ शामिल थे। जांच में पता चला कि ये वक्फनामा रजिस्टर्ड नहीं है। इस जमीन पर आज तक किसी का मालिकाना हक भी नहीं है। वक्फनामे में एक जगह लिखा है कि अब्दुल समद ने ये संपत्ति मदरसा बनाने के लिए दी है। लेकिन ये मदरसा कहां बनेगा, ये बात कहीं नहीं लिखी है। दूसरा सवाल- जमीन देने वाला अब्दुल समद कौन है?
DM राजेंद्र पेंसिया: दफा-39 कहती है कि जो वक्फ संपत्ति है, वो प्रॉपर तरीके से रजिस्टर्ड होनी चाहिए। इसके अलावा जो व्यक्ति खुद उस जमीन का वारिस है, सिर्फ वही वक्फ को संपत्ति दे सकता है। जिस अब्दुल समद ने ये 20 संपत्तियां वक्फ को दी हैं, उसके बारे में अब तक कोई जानकारी नहीं मिली है। अब्दुल समद कौन है, कहां का रहने वाला है, उसके वारिस कौन हैं….इन सबके बारे में कुछ पता नहीं चल सका है। अगर वास्तव में ये कागजात सही हैं, तो अब्दुल समद या उसके वारिस इन संपत्तियों के स्वामित्व के मूल कागजात लेकर हमारे पास आएं। हम उनको देखेंगे। तीसरा सवाल- वक्फनामा फर्जी क्यों लग रहा?
DM राजेंद्र पेंसिया: वक्फनामे में कुल 20 संपत्तियां दिखाई गई हैं, उनकी चौहद्दी (चारदीवारी) उस नक्शे में नहीं है। सिर्फ ये बताया गया है कि मिड सेंटर से एक-एक किलोमीटर चारों दिशाओं में वक्फ जमीन है। लेकिन, यह नहीं बताया कि मिड सेंटर कौन-सा है? इससे कैसे साफ हो पाएगा कि वक्फ जमीन कौन सी है और कहां तक उसकी सीमा है? संभल शहर कुल 5 वर्ग किलोमीटर में बसा हुआ है, जबकि इन 20 संपत्तियों का क्षेत्र ही इससे ज्यादा है। ये बात असंभव सी लगती है। चौथा सवाल- 52 बीघा जमीन का विवाद क्या है?
DM राजेंद्र पेंसिया: साल-1995 में सरकार का एक आदेश आया था कि दान दी हुई जमीन नहीं बेच सकते। हमें जानकारी मिली है कि संभल शहर के अंदर करीब 52 बीघा वक्फ जमीन बेच दी गई है। हम इसके डॉक्यूमेंट्स की जांच करा रहे हैं। ये बात सही पाई जाती है, तो निश्चित रूप से जमीन बेचने और खरीदने वालों पर एक्शन होगा। अगर मकान बन गए हैं, तो गिराए जाएंगे। पांचवां सवाल- अब आगे क्या करने जा रहे?
DM राजेंद्र पेंसिया: 20 वक्फ संपत्तियों से संबंधित जो डॉक्यूमेंट्स प्राप्त हुए, वो जांच में फर्जी पाए गए। इस आधार पर हमने एक FIR संभल पुलिस स्टेशन में करा दी है। इसकी विस्तृत जांच चल रही है। पता कराया जा रहा है कि ये डॉक्यूमेंट्स किसने तैयार कराए? अब वक्फ संपत्तियों के बारे में पढ़िए वक्फनामे के कागजात संभल DM को मिले हैं। इन कागजातों के अनुसार, संभल शहर में वक्फ की 20 संपत्तियां हैं… 1- महमूद खां सराय : गाटा संख्या-110 से 300 मीटर सलीमपुर बैबरा, 500 मीटर तुर्तीपुर इल्हा, 500 मीटर कोट और 350 मीर रुकनुद्दीन सराय। 2- बदायूं दरवाजा : खेवट 25 से 900 मीटर महमूद खां सराय, एक किलोमीटर नरोत्तम सराय, डेढ़ किलोमीटर सुल्तानपुर बुजुर्ग और 500 मीटर गदीपुरा बनैरा। 3/4/5- खेवट नंबर 19, 20, 90 : 1.2 किलोमीटर सुल्तानपुर बुजुर्ग, एक किलोमीटर गविल्दपुर, एक किलोमीटर सिकंदरपुर हैबतपुर और एक किलोमीटर भवानीदास सराय। 6/7- शहजादी सराय : खेवट नंबर 92, 55 से उत्तर में 500 मीटर तश्तपुर गुसाइन, पश्चिम में एक किलोमीटर तश्तपुर गुसाइन, पूरब में 1.2 किलोमीटर नूरियो सराय और उत्तर में 500 मीटर आलम सराय। 8/9- शेर खां सराय : खेवट नंबर 104, 07 से पश्चिम में एक किलोमीटर संभल खास, पूरब में तीन किलोमीटर बिछौली, उत्तर में 500 मीटर नूरियो सराय और दक्षिण में डेढ़ किलोमीटर आलम सराय। 10/11- हल्लू सराय : खेवट नंबर-13 से पूरब में 100 मीटर नवाब अहमद हुसैन खां के मकान तक, पश्चिम में 100 मीटर मकान नंबर-11 तक, उत्तर में 500 मीटर सुल्तानपुर बुजुर्ग और दक्षिण में 500 मीटर नवाब अहमद के मकान तक। 12- दीपासराय एक कोठी : पूरब में नूखानम, पश्चिम में आयशा हुसैन खां, उत्तर में मकान नंबर 14 और दक्षिण में आवचक मकान 14 तक। 13 से 20 तक: मोहल्ला कोटशर्की व जामा मस्जिद इलाके की जमीन। जमीन के कागजात 3 तरह के होते हैं ‘सत्यव्रत’ पुलिस चौकी बनने से हुई विवाद की शुरुआत
संभल में 28 दिसंबर, 2024 को जामा मस्जिद के सामने खाली पड़ी जमीन पर पुलिस चौकी की नींव रखी गई। इसका नाम ‘सत्यव्रत’ पुलिस चौकी रखा गया। दरअसल, संभल शहर का प्राचीन नाम ही सत्यव्रत था, ऐसा दावा यहां के अफसर कर रहे हैं। 31 दिसंबर को AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने X पर एक पोस्ट लिखी। इसमें लिखा- संभल की जामा मस्जिद के पास जो पुलिस चौकी बनाई जा रही, वह वक्फ की जमीन पर है। जैसा कि रिकॉर्ड में दर्ज है। इसके अलावा प्राचीन स्मारक अधिनियम के तहत संरक्षित स्मारकों के पास निर्माण कार्य प्रतिबंधित है। नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ संभल में खतरनाक माहौल बनाने के जिम्मेदार हैं। ओवैसी ने लिखा- यह वक्फ नंबर 39A मुरादाबाद है। यह उस जमीन का वक्फनामा है, जिस पर पुलिस चौकी का निर्माण हो रहा है। उत्तर प्रदेश सरकार को कानून का कोई एहतराम (सम्मान) नहीं है। ओवैसी के ट्वीट के बाद संभल के DM राजेंद्र पेंसिया ने सफाई दी। उन्होंने कहा- ये जमीन नगर पालिका की है। जिन डॉक्यूमेंट्स में ये वक्फ जमीन बताई गई, वो डॉक्यूमेंट्स रजिस्टर्ड नहीं हैं। DM के बयान के बाद ही नगर पालिका ईओ ने फर्जी डॉक्यूमेंट्स प्रकरण में अज्ञात लोगों के खिलाफ संभल कोतवाली में FIR कराई। पूर्व सांसद बोले- अवैध तरीके से पुलिस चौकी बनाई जा रही
इस मामले में सपा के पूर्व सांसद एसटी हसन ले कहा- हमारे सूत्रों से पता चला है कि जहां पुलिस चौकी बनाई जा रही, वो वक्फ की संपत्ति है। उस जगह पर पुलिस चौकी बनाना मुनासिब नहीं है और न ही बननी चाहिए। वक्फ की संपत्ति को न बेचा जा सकता है, न कब्जा किया जा सकता है। जिस तेजी से पुलिस चौकी बन रही है, उससे अहसास होता है कि वहां अवैध तरीके से पुलिस चौकी बनाई जा रही है। ————————– संभल से जुड़ी यह खबर भी पढ़ें… संभल में नवनिर्माण सत्यव्रत पुलिस चौकी का लेंटर पड़ा, 15 लोग शटरिंग के काम में लगे संभल के विवादित स्थल के निकट नवनिर्माण सत्यव्रत पुलिस चौकी की पहली मंजिल का लेंटर पड़ गया। इस कार्य के लिए 15 मजदूर, 6 राजमिस्त्री और 15 लोग शटरिंग के काम में लगे थे। इसके बाद शटरिंग की जांच की गई और फिर लेंटर डालने के लिए 14 मजदूर और 6 राजमिस्त्री तैनात किए गए थे। पढ़ें पूरी खबर…