
सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड के एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा- ‘किसी को ‘मियां-तियां’ या ‘पाकिस्तानी’ कहना अपराध नहीं है। यह भले ही गलत हो, लेकिन भारतीय दंड संहिता की धारा 298 के तहत धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के अपराध के बराबर नहीं है।’ कोर्ट ने ये टिप्पणी करते हुए 80 साल के बुजुर्ग के खिलाफ दर्ज केस को खारिज कर दिया है। दरअसल, झारखंड के बोकारो जिले के 80 साल के हरि नारायण सिंह पर उर्दू ट्रांसलेटर मो. शमीमुद्दीन ने आपत्तिजनक टिप्पणी करने का आरोप लगाया। शमीमुद्दीन का कहना था कि- ‘हरि नारायण सिंह ने मुझे मियां-तियां और पाकिस्तानी कहा। उनकी बातों से मेरी धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं।’ इसे लेकर शिकायत करते हुए मामला दर्ज कराया गया था। मामले में जिला कोर्ट से झारखंड हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट तक सुनवाई हुई। साल 2021 से इस केस पर चल रही सुनवाई पर आज सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की बेंच ने अपना फैसला सुनाया। अब जानिए पूरा मामला
80 साल के हरि नारायण सिंह पर मो. शमीमुद्दीन ने आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज कराई थी। दिए गए आवेदन के आधार पर हरि नारायण सिंह के खिलाफ सेक्शन 298 (धार्मिक भावनाएं आहत करना), सेक्शन 504 (जानबूझकर किसी को अपमानित करना और शांति भंग), 506 (आपराधिक साजिश), 353 (सरकारी कर्मचारी से बदसलूकी) जैसी धाराओं में केस दर्ज हो गया। उनके खिलाफ जांच के बाद पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की। जुलाई 2021 में मजिस्ट्रेट ने इस मामले का संज्ञान लिया और समन जारी किया। एडिशनल सेशन जज से सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा मामला
मजिस्ट्रेट की ओर से किए गए समन को लेकर हरि नारायण सिंह ने एडिशनल सेशन जज का रुख किया, पर यहां से उन्हें राहत नहीं मिली। इसके बाद उन्होंने झारखंड में अपील याचिका दायर की। यहां चली सुनवाई के बाद भी वहां से भी राहत नहीं मिली। जिसके बाद वे सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। शीर्ष अदालत ने पूरे मामले की सुनवाई के बाद आज बुजुर्ग को राहत दी है। कोर्ट ने साफ किया कि उनकी टिप्पणी गलत तो है, लेकिन आपराधिक केस नहीं बना सकते। यह मामला अब ऐसे अन्य केसों के लिए भी उदाहरण बन सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड के एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा- ‘किसी को ‘मियां-तियां’ या ‘पाकिस्तानी’ कहना अपराध नहीं है। यह भले ही गलत हो, लेकिन भारतीय दंड संहिता की धारा 298 के तहत धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के अपराध के बराबर नहीं है।’ कोर्ट ने ये टिप्पणी करते हुए 80 साल के बुजुर्ग के खिलाफ दर्ज केस को खारिज कर दिया है। दरअसल, झारखंड के बोकारो जिले के 80 साल के हरि नारायण सिंह पर उर्दू ट्रांसलेटर मो. शमीमुद्दीन ने आपत्तिजनक टिप्पणी करने का आरोप लगाया। शमीमुद्दीन का कहना था कि- ‘हरि नारायण सिंह ने मुझे मियां-तियां और पाकिस्तानी कहा। उनकी बातों से मेरी धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं।’ इसे लेकर शिकायत करते हुए मामला दर्ज कराया गया था। मामले में जिला कोर्ट से झारखंड हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट तक सुनवाई हुई। साल 2021 से इस केस पर चल रही सुनवाई पर आज सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की बेंच ने अपना फैसला सुनाया। अब जानिए पूरा मामला
80 साल के हरि नारायण सिंह पर मो. शमीमुद्दीन ने आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज कराई थी। दिए गए आवेदन के आधार पर हरि नारायण सिंह के खिलाफ सेक्शन 298 (धार्मिक भावनाएं आहत करना), सेक्शन 504 (जानबूझकर किसी को अपमानित करना और शांति भंग), 506 (आपराधिक साजिश), 353 (सरकारी कर्मचारी से बदसलूकी) जैसी धाराओं में केस दर्ज हो गया। उनके खिलाफ जांच के बाद पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की। जुलाई 2021 में मजिस्ट्रेट ने इस मामले का संज्ञान लिया और समन जारी किया। एडिशनल सेशन जज से सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा मामला
मजिस्ट्रेट की ओर से किए गए समन को लेकर हरि नारायण सिंह ने एडिशनल सेशन जज का रुख किया, पर यहां से उन्हें राहत नहीं मिली। इसके बाद उन्होंने झारखंड में अपील याचिका दायर की। यहां चली सुनवाई के बाद भी वहां से भी राहत नहीं मिली। जिसके बाद वे सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। शीर्ष अदालत ने पूरे मामले की सुनवाई के बाद आज बुजुर्ग को राहत दी है। कोर्ट ने साफ किया कि उनकी टिप्पणी गलत तो है, लेकिन आपराधिक केस नहीं बना सकते। यह मामला अब ऐसे अन्य केसों के लिए भी उदाहरण बन सकता है।