
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि बार-बार चुनावों के कारण कई फैसले प्रभावित होते हैं। गवर्नेंस प्रभावित होती है, विकास रुक जाता है पैसे की बर्बादी होती है। कई बार तो वोट दिलाऊ फैसले भी करने पड़ते हैं। शिवराज ने भोपाल के एक प्राइवेट कॉलेज में आयोजित ‘एक देश-एक चुनाव’ कार्यक्रम में स्टूडेंट्स के साथ संवाद किया। इस दौरान उन्होंने कहा- अपने देश में और कुछ हो या न हो लेकिन सारे राजनीतिक दल पांचों साल, 12 महीने, हर हफ्ते, 24 घंटे एक ही तैयारी करते हैं, वो है अगला चुनाव। उसी तैयारी में लगे रहते हैं। शिवराज ने कहा कि अब पिछले साल नवंबर-दिसंबर में एमपी, छत्तीसगढ़, राजस्थान विधानसभा चुनाव हुए। विधानसभा चुनाव की थकान उतरी नहीं थी कि 4 महीने बाद ही लोकसभा चुनाव आ गया। विधानसभा चुनाव में 6 महीने तो कुछ हुआ ही नहीं था। आचार संहिता, कोड ऑफ कंडक्ट के कारण विकास के काम ठप थे। वो चुनाव हुए और चार महीने बाद फिर लोकसभा के चुनाव आ गए। चार-छह महीने नहीं गुजरे कि फिर हरियाणा, जम्मू कश्मीर, झारखंड, महाराष्ट्र के चुनाव आ गए और नेता फिर चुनाव में भिड़ गए। एक भी चुनाव हारे तो मीडिया कहती है जमीन खिसक गई
शिवराज ने कहा, अभी एक चुनाव निपटा नहीं कि दिल्ली का दंगल शुरू हो गया। दिल्ली के चुनाव खत्म नहीं हुए कि हम लोगों ने बिहार के लिए कमर कस ली। चलो बिहार। और कोई काम हो न हो, चौबीसों घंटे चुनाव की तैयारी। ये हमेशा होने वाले चुनाव देश की प्रगति और विकास में कितने बाधक हैं। एक तो सभी की एनर्जी लगती है, जिसमें प्रधानमंत्री भी चुनाव की तैयारी में लगते हैं। तीन महीने सब छोड़कर झारखंड में पड़ा रहा: शिवराज
शिवराज ने कहा, चुनाव में पीएम, सीएम सब लगे रहे। केन्द्रीय मंत्री मुझे बनाया गया और कहा गया झारखंड के चुनाव में जाओ । तीन महीने वहीं पड़ा रहा। कृषि की तरफ ध्यान ही नहीं रहा। फोकस चुनाव पर हो गया। मेरे जैसे कितने लोग लगे रहे। ये केवल एक पार्टी में नहीं सभी पार्टियों के मंत्री, मुख्यमंत्री, विधायक सांसद लगे रहते हैं। पैसा बर्बाद होता है, सरकारें लंबी प्लानिंग नहीं करतीं
शिवराज ने कहा- अलग-अलग चुनाव क्यों होने चाहिए? हर चार-छह महीने में चुनाव हो रहे हैं। गवर्नेंस प्रभावित होता है। धन का अपव्यय होता है। असल में तो औपचारिक खर्चा दिखता है, पीछे से और कितना खर्चा होता है। चुनाव आयोग ने इस चुनाव में गाड़ियों से पैसे पकड़े थे। एक तरफ धन का अपव्यय होता है, दूसरी तरफ सरकारें लॉन्ग टर्म प्लानिंग नहीं कर पातीं। चुनाव के डर से सरकार में कई फैसले नहीं हो पाते
शिवराज सिंह चौहान ने कहा- प्रधानमंत्री मोदी ने कई बडे़ और कड़े फैसले लिए हैं। लेकिन, कई बार चुनाव के डर में कई ऐसे फैसले नहीं हो पाते कि वोट बिगड़ गया और नुकसान हो गया, तो वोट बचाओ। ऐसे कई फैसले प्रभावित होते हैं, जो बच्चों का भविष्य बेहतर बना सकते हैं। प्रदेश का विकास कर सकते हैं। देश को आगे बढ़ा सकते हैं। वोट के डर में फैसले प्रभावित होते हैं। अगर संविधान में संशोधन करके लोकसभा-विधानसभा चुनाव एक साथ हो जाएं, तो साढ़े चार साल जनता और विकास के लिए ईमानदारी से मिलेंगे। अपने देश में भी लोकसभा के चुनाव के साथ ओडिशा और तीन विधानसभा चुनाव हुए। मोदी जी लोकप्रिय इसलिए एक साथ चुनाव से डर
शिवराज ने कहा- मैं पूछता हूं कि एक साथ चुनाव से डरते क्यों हैं, तो कुछ लोग कहते हैं कि मोदी जी बहुत लोकप्रिय हैं तो गड़बड़ हो जाएगी। जनता बहुत समझदार है। वो लोकसभा में अलग वोट डालती है, विधानसभा में अलग। ओडिशा में दो बार लोकसभा विधानसभा के एक साथ चुनाव हुए। उसी जनता ने पिछले चुनाव में राज्य के लिए बीजेडी के नवीन पटनायक को चुना और देश के लिए मोदी जी को चुना। अब समय आ गया है कि देश ये तय करे कि फालतू का खर्चा, चुनाव आचार संहिता के साथ विकास ठप होना, देश की प्रगति और विकास रुकना अब नहीं चलेगा। ये खबर भी पढ़ें- एअर इंडिया फ्लाइट की टूटी सीट पर बैठे शिवराज केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को एअर इंडिया के विमान की टूटी सीट पर बैठकर यात्रा करनी पड़ी। उन्होंने एअरलाइंस की सुविधाओं पर सवाल उठाए हैं। शिवराज भोपाल से दिल्ली जा रहे थे। शिवराज की प्रतिक्रिया सामने आने के बाद केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ने मामले की जांच के साथ ही एयर इंडिया को जरूरी कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। पढ़ें पूरी खबर…
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि बार-बार चुनावों के कारण कई फैसले प्रभावित होते हैं। गवर्नेंस प्रभावित होती है, विकास रुक जाता है पैसे की बर्बादी होती है। कई बार तो वोट दिलाऊ फैसले भी करने पड़ते हैं। शिवराज ने भोपाल के एक प्राइवेट कॉलेज में आयोजित ‘एक देश-एक चुनाव’ कार्यक्रम में स्टूडेंट्स के साथ संवाद किया। इस दौरान उन्होंने कहा- अपने देश में और कुछ हो या न हो लेकिन सारे राजनीतिक दल पांचों साल, 12 महीने, हर हफ्ते, 24 घंटे एक ही तैयारी करते हैं, वो है अगला चुनाव। उसी तैयारी में लगे रहते हैं। शिवराज ने कहा कि अब पिछले साल नवंबर-दिसंबर में एमपी, छत्तीसगढ़, राजस्थान विधानसभा चुनाव हुए। विधानसभा चुनाव की थकान उतरी नहीं थी कि 4 महीने बाद ही लोकसभा चुनाव आ गया। विधानसभा चुनाव में 6 महीने तो कुछ हुआ ही नहीं था। आचार संहिता, कोड ऑफ कंडक्ट के कारण विकास के काम ठप थे। वो चुनाव हुए और चार महीने बाद फिर लोकसभा के चुनाव आ गए। चार-छह महीने नहीं गुजरे कि फिर हरियाणा, जम्मू कश्मीर, झारखंड, महाराष्ट्र के चुनाव आ गए और नेता फिर चुनाव में भिड़ गए। एक भी चुनाव हारे तो मीडिया कहती है जमीन खिसक गई
शिवराज ने कहा, अभी एक चुनाव निपटा नहीं कि दिल्ली का दंगल शुरू हो गया। दिल्ली के चुनाव खत्म नहीं हुए कि हम लोगों ने बिहार के लिए कमर कस ली। चलो बिहार। और कोई काम हो न हो, चौबीसों घंटे चुनाव की तैयारी। ये हमेशा होने वाले चुनाव देश की प्रगति और विकास में कितने बाधक हैं। एक तो सभी की एनर्जी लगती है, जिसमें प्रधानमंत्री भी चुनाव की तैयारी में लगते हैं। तीन महीने सब छोड़कर झारखंड में पड़ा रहा: शिवराज
शिवराज ने कहा, चुनाव में पीएम, सीएम सब लगे रहे। केन्द्रीय मंत्री मुझे बनाया गया और कहा गया झारखंड के चुनाव में जाओ । तीन महीने वहीं पड़ा रहा। कृषि की तरफ ध्यान ही नहीं रहा। फोकस चुनाव पर हो गया। मेरे जैसे कितने लोग लगे रहे। ये केवल एक पार्टी में नहीं सभी पार्टियों के मंत्री, मुख्यमंत्री, विधायक सांसद लगे रहते हैं। पैसा बर्बाद होता है, सरकारें लंबी प्लानिंग नहीं करतीं
शिवराज ने कहा- अलग-अलग चुनाव क्यों होने चाहिए? हर चार-छह महीने में चुनाव हो रहे हैं। गवर्नेंस प्रभावित होता है। धन का अपव्यय होता है। असल में तो औपचारिक खर्चा दिखता है, पीछे से और कितना खर्चा होता है। चुनाव आयोग ने इस चुनाव में गाड़ियों से पैसे पकड़े थे। एक तरफ धन का अपव्यय होता है, दूसरी तरफ सरकारें लॉन्ग टर्म प्लानिंग नहीं कर पातीं। चुनाव के डर से सरकार में कई फैसले नहीं हो पाते
शिवराज सिंह चौहान ने कहा- प्रधानमंत्री मोदी ने कई बडे़ और कड़े फैसले लिए हैं। लेकिन, कई बार चुनाव के डर में कई ऐसे फैसले नहीं हो पाते कि वोट बिगड़ गया और नुकसान हो गया, तो वोट बचाओ। ऐसे कई फैसले प्रभावित होते हैं, जो बच्चों का भविष्य बेहतर बना सकते हैं। प्रदेश का विकास कर सकते हैं। देश को आगे बढ़ा सकते हैं। वोट के डर में फैसले प्रभावित होते हैं। अगर संविधान में संशोधन करके लोकसभा-विधानसभा चुनाव एक साथ हो जाएं, तो साढ़े चार साल जनता और विकास के लिए ईमानदारी से मिलेंगे। अपने देश में भी लोकसभा के चुनाव के साथ ओडिशा और तीन विधानसभा चुनाव हुए। मोदी जी लोकप्रिय इसलिए एक साथ चुनाव से डर
शिवराज ने कहा- मैं पूछता हूं कि एक साथ चुनाव से डरते क्यों हैं, तो कुछ लोग कहते हैं कि मोदी जी बहुत लोकप्रिय हैं तो गड़बड़ हो जाएगी। जनता बहुत समझदार है। वो लोकसभा में अलग वोट डालती है, विधानसभा में अलग। ओडिशा में दो बार लोकसभा विधानसभा के एक साथ चुनाव हुए। उसी जनता ने पिछले चुनाव में राज्य के लिए बीजेडी के नवीन पटनायक को चुना और देश के लिए मोदी जी को चुना। अब समय आ गया है कि देश ये तय करे कि फालतू का खर्चा, चुनाव आचार संहिता के साथ विकास ठप होना, देश की प्रगति और विकास रुकना अब नहीं चलेगा। ये खबर भी पढ़ें- एअर इंडिया फ्लाइट की टूटी सीट पर बैठे शिवराज केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को एअर इंडिया के विमान की टूटी सीट पर बैठकर यात्रा करनी पड़ी। उन्होंने एअरलाइंस की सुविधाओं पर सवाल उठाए हैं। शिवराज भोपाल से दिल्ली जा रहे थे। शिवराज की प्रतिक्रिया सामने आने के बाद केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ने मामले की जांच के साथ ही एयर इंडिया को जरूरी कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। पढ़ें पूरी खबर…