
अमेरिका से जबरन भारत भेजे भारतीयों के पुनर्वास के लिए कदम उठाने वाला पंजाब पहला राज्य बन सकता है। कैबिनेट मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि 10 फरवरी को होने वाली कैबिनेट की बैठक में मुख्यमंत्री भगवंत मान से वापस लौटे पंजाबियों के पुनर्वास पर विचार करने का अनुरोध करेंगे। इतना ही नहीं, वापस लौटे पंजाबी की शिकायत पर पहली एफआईआर भी अमृतसर में ही दर्ज की गई है। मंत्री कुलदीप धालीवाल ने जानकारी दी कि पहला मामला पंजाब के अमृतसर जिले के राजासांसी थाने में दर्ज किया गया है। पुलिस ने कोटली खेहरा गांव निवासी एजेंट सतनाम सिंह पुत्र तरसेम सिंह के खिलाफ मामला दर्ज किया है। इतना ही नहीं, उसका ऑफिस भी सील कर दिया गया है। यह मामला अमेरिका से डिपोर्ट किए गए सलेमपुर निवासी दिलेर सिंह की शिकायत पर दर्ज किया गया है। कुलदीप सिंह धालीवाल ने बताया कि एजेंट ने दलेर सिंह से वैध तरीके से अमेरिका भेजने का वादा किया था। एजेंट ने इसके लिए 60 लाख रुपए लिए। अंत में अवैध रूप से अमेरिका भेजा गया। वे बीते दिन दलेर से मिले थे और आदेश दिया था कि एजेंट के खिलाफ मामला दर्ज किया जाए। वीजा पर भेजने का वादा कर ऐंठे थे 45 लाख दलेर सिंह ने बताया था कि उनका सफर 15 अगस्त 2024 को शुरू हुआ था, जब वे घर से निकले थे। एक एजेंट ने उन्हें भरोसा दिलाया था कि वह एक नंबर, यानि वैध तरीके से उन्हें अमेरिका पहुंचा देगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। पहले उन्हें दुबई ले जाया गया और फिर ब्राजील पहुंचाया गया। ब्राजील में उन्हें 2 महीने तक रोका गया। एजेंटों ने पहले वीजा लगवाने का आश्वासन दिया, लेकिन बाद में कहा कि वीजा संभव नहीं है और अब डंकी रूट अपनाना पड़ेगा। अंत में हमें कहा गया कि पनामा के जंगलों से होकर जाना होगा। इस रूट को निचला डंकी रूट कहा जाता है। हमारे पास कोई और विकल्प नहीं था। हमें हां करनी पड़ी और हम पनामा के जंगलों से अमेरिका के लिए निकल पड़े। 120 किलोमीटर का पनामा के जंगल का सफर दलेर सिंह ने पनामा के जंगलों को दुनिया के सबसे खतरनाक रास्तों में से एक बताया। 120 किलोमीटर लंबे जंगल को पार करने में साढ़े तीन दिन लगते हैं। हमें अपना खाना-पीना खुद लेकर चलना पड़ता था। जो फिल्में इस सफर पर बनी हैं, वे पूरी तरह सच्ची हैं। उन्होंने बताया कि उनके ग्रुप में 8-10 लोग थे, जिनमें नेपाल के नागरिक और महिलाएं भी शामिल थीं। हमारे साथ एक गाइड (डोंकर) था, जो रास्ता दिखाता था, लेकिन यह सफर इतना खतरनाक था कि हर कदम पर जान का खतरा बना रहता था। एक भारत व दूसरा दुबाई का था एजेंट पनामा के जंगल को पार करने के बाद वे मैक्सिको पहुंचे और वहां से अमेरिका के तेजवाना बॉर्डर की ओर बढ़े। लेकिन 15 जनवरी 2025 को उन्हें अमेरिकी अधिकारियों ने गिरफ्तार कर लिया। हमारे सारे सपने यहीं खत्म हो गए। हमें उम्मीद थी कि हम सही तरीके से अमेरिका पहुंचेंगे, लेकिन हमें ठगा गया। दलेर सिंह ने बताया कि इस पूरे सफर में लाखों रुपए खर्च हो गए, जिनमें से अधिकांश पैसे एजेंटों ने ठगे। हमें दो एजेंटों ने धोखा दिया, एक दुबई का और एक भारत का। हमें कहा गया था कि सब कुछ सही तरीके से होगा, लेकिन हमें खतरनाक रास्ते पर धकेल दिया गया।
अमेरिका से जबरन भारत भेजे भारतीयों के पुनर्वास के लिए कदम उठाने वाला पंजाब पहला राज्य बन सकता है। कैबिनेट मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि 10 फरवरी को होने वाली कैबिनेट की बैठक में मुख्यमंत्री भगवंत मान से वापस लौटे पंजाबियों के पुनर्वास पर विचार करने का अनुरोध करेंगे। इतना ही नहीं, वापस लौटे पंजाबी की शिकायत पर पहली एफआईआर भी अमृतसर में ही दर्ज की गई है। मंत्री कुलदीप धालीवाल ने जानकारी दी कि पहला मामला पंजाब के अमृतसर जिले के राजासांसी थाने में दर्ज किया गया है। पुलिस ने कोटली खेहरा गांव निवासी एजेंट सतनाम सिंह पुत्र तरसेम सिंह के खिलाफ मामला दर्ज किया है। इतना ही नहीं, उसका ऑफिस भी सील कर दिया गया है। यह मामला अमेरिका से डिपोर्ट किए गए सलेमपुर निवासी दिलेर सिंह की शिकायत पर दर्ज किया गया है। कुलदीप सिंह धालीवाल ने बताया कि एजेंट ने दलेर सिंह से वैध तरीके से अमेरिका भेजने का वादा किया था। एजेंट ने इसके लिए 60 लाख रुपए लिए। अंत में अवैध रूप से अमेरिका भेजा गया। वे बीते दिन दलेर से मिले थे और आदेश दिया था कि एजेंट के खिलाफ मामला दर्ज किया जाए। वीजा पर भेजने का वादा कर ऐंठे थे 45 लाख दलेर सिंह ने बताया था कि उनका सफर 15 अगस्त 2024 को शुरू हुआ था, जब वे घर से निकले थे। एक एजेंट ने उन्हें भरोसा दिलाया था कि वह एक नंबर, यानि वैध तरीके से उन्हें अमेरिका पहुंचा देगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। पहले उन्हें दुबई ले जाया गया और फिर ब्राजील पहुंचाया गया। ब्राजील में उन्हें 2 महीने तक रोका गया। एजेंटों ने पहले वीजा लगवाने का आश्वासन दिया, लेकिन बाद में कहा कि वीजा संभव नहीं है और अब डंकी रूट अपनाना पड़ेगा। अंत में हमें कहा गया कि पनामा के जंगलों से होकर जाना होगा। इस रूट को निचला डंकी रूट कहा जाता है। हमारे पास कोई और विकल्प नहीं था। हमें हां करनी पड़ी और हम पनामा के जंगलों से अमेरिका के लिए निकल पड़े। 120 किलोमीटर का पनामा के जंगल का सफर दलेर सिंह ने पनामा के जंगलों को दुनिया के सबसे खतरनाक रास्तों में से एक बताया। 120 किलोमीटर लंबे जंगल को पार करने में साढ़े तीन दिन लगते हैं। हमें अपना खाना-पीना खुद लेकर चलना पड़ता था। जो फिल्में इस सफर पर बनी हैं, वे पूरी तरह सच्ची हैं। उन्होंने बताया कि उनके ग्रुप में 8-10 लोग थे, जिनमें नेपाल के नागरिक और महिलाएं भी शामिल थीं। हमारे साथ एक गाइड (डोंकर) था, जो रास्ता दिखाता था, लेकिन यह सफर इतना खतरनाक था कि हर कदम पर जान का खतरा बना रहता था। एक भारत व दूसरा दुबाई का था एजेंट पनामा के जंगल को पार करने के बाद वे मैक्सिको पहुंचे और वहां से अमेरिका के तेजवाना बॉर्डर की ओर बढ़े। लेकिन 15 जनवरी 2025 को उन्हें अमेरिकी अधिकारियों ने गिरफ्तार कर लिया। हमारे सारे सपने यहीं खत्म हो गए। हमें उम्मीद थी कि हम सही तरीके से अमेरिका पहुंचेंगे, लेकिन हमें ठगा गया। दलेर सिंह ने बताया कि इस पूरे सफर में लाखों रुपए खर्च हो गए, जिनमें से अधिकांश पैसे एजेंटों ने ठगे। हमें दो एजेंटों ने धोखा दिया, एक दुबई का और एक भारत का। हमें कहा गया था कि सब कुछ सही तरीके से होगा, लेकिन हमें खतरनाक रास्ते पर धकेल दिया गया।