
राजस्थान में 16 साल बाद एक बार फिर धर्मांतरण विरोधी बिल पेश किया गया है। वसुंधरा राजे सरकार की 2 नाकाम कोशिशों के बाद अब भजनलाल सरकार ने ‘लव जिहाद’ पर अपनी नजरें टेढ़ी की हैं। हालांकि पूरे बिल में कहीं भी ‘लव जिहाद’ शब्द का जिक्र नहीं है, लेकिन एक्सपट्र्स की मानें तो बिल का भाव यही है। बिल को लेकर कई सवाल लोगों के मन में हैं… भास्कर ने एक्सपट्र्स से बात कर सभी सवालों के जवाब जाने, पढ़िए पूरी रिपोर्ट… सवाल : भजनलाल सरकार के इस नए बिल में क्या है? जवाब : भजनलाल सरकार के इस बिल का नाम है – ‘राजस्थान विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेद विधेयक 2025।’ इस बिल के जरिए राज्य सरकार की एक धर्म से दूसरे धर्म में जबरन परिवर्तन करवाने वालों पर लगाम कसने की मंशा है। सवाल : बीजेपी की वसुंधरा राजे सरकार के समय भी ऐसा ही बिल आया था, कानून क्यों नहीं बन सका? जवाब : वसुंधरा राजे सरकार ने 2006 और 2008 में धर्म स्वातंत्र्य बिल के नाम से ऐसा ही बिल पेश किया था। सदन में पास भी हो गया था। उस समय केंद्र में यूपीए सरकार होने के कारण ये बिल कानूनी रूप नहीं ले पाया। 2006 में वसुंधरा राजे सरकार के इस बिल को सदन ने पास कर दिया था। तत्कालीन राज्यपाल प्रतिभा पाटिल ने आपत्तियां जता कर लौटा दिया था। वहीं, 2008 में फिर ये बिल सदन में पास हुआ। राज्यपाल ने जब राष्ट्रपति को भेज दिया, फिर गृह मंत्रालय में अटक गया। सवाल : उस समय बिल के क्या प्रावधान थे? जवाब : वसुंधरा सरकार के बिल में 1 से 5 साल तक की सजा और 25 से 50 हजार रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान था। वहीं, गैर कानूनी धर्म परिवर्तन करने में लिप्त पाई जाने वाली संस्था का रजिस्ट्रेशन भी रद्द किया जा सकता था। राजे सरकार के बिल में सहमति से धर्म परिवर्तन की सूचना कलेक्टर को 30 दिन पहले देने के प्रावधान था। ऐसा नहीं करने पर हजार रुपए जुर्माने का प्रावधान था। सवाल : सजा के मामले में ये बिल पहले पेश हुए वसुंधरा सरकार के बिल से कैसे अलग है? जवाब : भजनलाल सरकार के धर्मांतरण विरोधी बिल में वसुंधरा राजे सरकार के समय आए बिल से भी सख्त प्रवधान किए हैं। ताजा बिल में सजा और जुर्माने दुगुने तक कर दिए हैं। इसके अलावा राज्य और केंद्र दोनों में ही बीजेपी की सरकार होने के कारण इस बिल पर बहस के बाद पारित होने की संभावना बढ़ गई है। इस बिल को कानून बनाने की प्रक्रिया में राज्य को केंद्र से पूरा सहयोग मिलेगा। विधानसभा में अब इस बिल पर बहस शुरू होगी। ये बिल सदन से पास होकर राज्यपाल के पास भेज दिया जाएगा। इसके बाद राज्यपाल इसे स्वीकार करने के बाद राष्ट्रपति के पास भेजे सकते हैं। राष्ट्रपति से स्वीकृति मिलने के बाद ये बिल कानून बन सकता है। सवाल : धर्म परिवर्तन के बाद भी सरकार को जानकारी नहीं दी, तो क्या होगा? जवाब : बिल में सहमति से धर्म परिवर्तन करने से पहले और धर्म परिवर्तन करने के बाद कलेक्टर को तय समय सीमा में जानकारी देना जरूरी है। बिना जानकारी दिए धर्म परिवर्तन करने पर विभिन्न धाराओं में 6 महीने से लेकर 5 साल तक की सजा हो सकती है। 25 हजार रुपए तक का जुर्माना भी लग सकता है। इसके अलावा एक प्रावधान और है। इसमें यदि किसी ने धर्म परिवर्तन कर लिया है तो धर्म परिवर्तन के 60 दिन के भीतर संबंधित जिला कलक्टर को सूचना देनी होगी। सवाल : क्या कलेक्टर धर्म परिवर्तन को अवैध घोषित कर सकते हैं? जवाब : धर्म परिवर्तन से पहले या बाद में सूचना देने पर दोनों ही तरह के मामलों में कलेक्टर जानकारी करेंगे कि धर्म परिवर्तन की प्रक्रिया या प्रकृति कैसी रही। यदि प्रशासन संतुष्ट होगा तो कोई परेशानी नहीं। वहीं यदि प्रक्रिया या धर्म परिवर्तन करने की प्रकृति में खोट पाया गया तो कलेक्टर ऐसे परिवर्तन को अवैध घोषित कर सकते है। ऐसे में धर्म परिवर्तन करवाने वालों के खिलाफ कार्रवाई हो सकती है। सवाल : शादी के बाद कोई धर्म परिवर्तन के लिए धमकाता है तो? जवाब : शादी होने के बाद अगर कोई धर्म परिवर्तन करने के लिए धमकाता है या जबरदस्ती करता है तो बिल के सजा और जुर्माने के सभी प्रावधान लागू होंगे। शादी को भी रद्द किया जा सकेगा। पीड़ित के अलावा यदि परिजनों या रिश्तेदारों को जबरन या धमकाकर धर्म परिवर्तन के प्रयास की जानकारी मिलती है तो वे भी FIR दर्ज करवा सकते हैं। पुलिस जांच में दोषी पाए जाने पर धर्म परिवर्तन का दबाव डालने वाले के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो सकती है। सवाल : किन-किन राज्यों में जबरन धर्म परिवर्तन को रोकने के लिए कानून हैं? जवाब : अभी गुजरात, झारखंड, ओडिशा, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश और छत्तीसगढ़ में इसके लिए कानून हैं। पहले तमिलनाडु में भी था, लेकिन 2003 में इसे निरस्त कर दिया गया। हिमाचल और उत्तराखंड में 5 साल तक कैद की सजा का प्रावधान है। SC-ST और नाबालिग के मामले में ये सजा 7 साल की है। उत्तर प्रदेश में भी इसके लिए कानून बन चुका है। इसका अध्यादेश पिछले महीने ही कैबिनेट में पास हुआ है। इस कानून में जबरन धर्म परिवर्तन करने पर 10 साल तक की सजा का प्रावधान है। सवाल : बेगुनाही खुद साबित करनी होगी? दोषी संस्था का रजिस्ट्रेशन होगा रद्द? जवाब : बिल के प्रावधानों के तहत धर्म परिवर्तन करने वाले को बेगुनाही खुद साबित करनी होगी। यानी बर्डन ऑफ प्रूफ आरोपी के ऊपर ही रहेगा। वहीं जबरन या लालच देकर यदि धर्म परिवर्तन के मामले में किसी संस्था को दोषी पाया गया, तो उसका रजिस्ट्रेशन रद्द किया जा सकता है। ——————————————————————- राजस्थान विधानसभा के बजट सत्र से जुड़ी ये खबर भी पढ़िए… डोटासरा बोले-मुख्यमंत्री जी, किरोड़ी वाला मामला तो सॉल्व करना पड़ेगा:CM केंद्र के बजट में डेढ़ घंटे पेन-डायरी लेकर बैठे, कुछ नहीं लिख पाए राजस्थान विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण पर बहस के दौरान कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने सरकार पर जमकर हमला बोला। पूरी खबर पढ़िए…
राजस्थान में 16 साल बाद एक बार फिर धर्मांतरण विरोधी बिल पेश किया गया है। वसुंधरा राजे सरकार की 2 नाकाम कोशिशों के बाद अब भजनलाल सरकार ने ‘लव जिहाद’ पर अपनी नजरें टेढ़ी की हैं। हालांकि पूरे बिल में कहीं भी ‘लव जिहाद’ शब्द का जिक्र नहीं है, लेकिन एक्सपट्र्स की मानें तो बिल का भाव यही है। बिल को लेकर कई सवाल लोगों के मन में हैं… भास्कर ने एक्सपट्र्स से बात कर सभी सवालों के जवाब जाने, पढ़िए पूरी रिपोर्ट… सवाल : भजनलाल सरकार के इस नए बिल में क्या है? जवाब : भजनलाल सरकार के इस बिल का नाम है – ‘राजस्थान विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेद विधेयक 2025।’ इस बिल के जरिए राज्य सरकार की एक धर्म से दूसरे धर्म में जबरन परिवर्तन करवाने वालों पर लगाम कसने की मंशा है। सवाल : बीजेपी की वसुंधरा राजे सरकार के समय भी ऐसा ही बिल आया था, कानून क्यों नहीं बन सका? जवाब : वसुंधरा राजे सरकार ने 2006 और 2008 में धर्म स्वातंत्र्य बिल के नाम से ऐसा ही बिल पेश किया था। सदन में पास भी हो गया था। उस समय केंद्र में यूपीए सरकार होने के कारण ये बिल कानूनी रूप नहीं ले पाया। 2006 में वसुंधरा राजे सरकार के इस बिल को सदन ने पास कर दिया था। तत्कालीन राज्यपाल प्रतिभा पाटिल ने आपत्तियां जता कर लौटा दिया था। वहीं, 2008 में फिर ये बिल सदन में पास हुआ। राज्यपाल ने जब राष्ट्रपति को भेज दिया, फिर गृह मंत्रालय में अटक गया। सवाल : उस समय बिल के क्या प्रावधान थे? जवाब : वसुंधरा सरकार के बिल में 1 से 5 साल तक की सजा और 25 से 50 हजार रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान था। वहीं, गैर कानूनी धर्म परिवर्तन करने में लिप्त पाई जाने वाली संस्था का रजिस्ट्रेशन भी रद्द किया जा सकता था। राजे सरकार के बिल में सहमति से धर्म परिवर्तन की सूचना कलेक्टर को 30 दिन पहले देने के प्रावधान था। ऐसा नहीं करने पर हजार रुपए जुर्माने का प्रावधान था। सवाल : सजा के मामले में ये बिल पहले पेश हुए वसुंधरा सरकार के बिल से कैसे अलग है? जवाब : भजनलाल सरकार के धर्मांतरण विरोधी बिल में वसुंधरा राजे सरकार के समय आए बिल से भी सख्त प्रवधान किए हैं। ताजा बिल में सजा और जुर्माने दुगुने तक कर दिए हैं। इसके अलावा राज्य और केंद्र दोनों में ही बीजेपी की सरकार होने के कारण इस बिल पर बहस के बाद पारित होने की संभावना बढ़ गई है। इस बिल को कानून बनाने की प्रक्रिया में राज्य को केंद्र से पूरा सहयोग मिलेगा। विधानसभा में अब इस बिल पर बहस शुरू होगी। ये बिल सदन से पास होकर राज्यपाल के पास भेज दिया जाएगा। इसके बाद राज्यपाल इसे स्वीकार करने के बाद राष्ट्रपति के पास भेजे सकते हैं। राष्ट्रपति से स्वीकृति मिलने के बाद ये बिल कानून बन सकता है। सवाल : धर्म परिवर्तन के बाद भी सरकार को जानकारी नहीं दी, तो क्या होगा? जवाब : बिल में सहमति से धर्म परिवर्तन करने से पहले और धर्म परिवर्तन करने के बाद कलेक्टर को तय समय सीमा में जानकारी देना जरूरी है। बिना जानकारी दिए धर्म परिवर्तन करने पर विभिन्न धाराओं में 6 महीने से लेकर 5 साल तक की सजा हो सकती है। 25 हजार रुपए तक का जुर्माना भी लग सकता है। इसके अलावा एक प्रावधान और है। इसमें यदि किसी ने धर्म परिवर्तन कर लिया है तो धर्म परिवर्तन के 60 दिन के भीतर संबंधित जिला कलक्टर को सूचना देनी होगी। सवाल : क्या कलेक्टर धर्म परिवर्तन को अवैध घोषित कर सकते हैं? जवाब : धर्म परिवर्तन से पहले या बाद में सूचना देने पर दोनों ही तरह के मामलों में कलेक्टर जानकारी करेंगे कि धर्म परिवर्तन की प्रक्रिया या प्रकृति कैसी रही। यदि प्रशासन संतुष्ट होगा तो कोई परेशानी नहीं। वहीं यदि प्रक्रिया या धर्म परिवर्तन करने की प्रकृति में खोट पाया गया तो कलेक्टर ऐसे परिवर्तन को अवैध घोषित कर सकते है। ऐसे में धर्म परिवर्तन करवाने वालों के खिलाफ कार्रवाई हो सकती है। सवाल : शादी के बाद कोई धर्म परिवर्तन के लिए धमकाता है तो? जवाब : शादी होने के बाद अगर कोई धर्म परिवर्तन करने के लिए धमकाता है या जबरदस्ती करता है तो बिल के सजा और जुर्माने के सभी प्रावधान लागू होंगे। शादी को भी रद्द किया जा सकेगा। पीड़ित के अलावा यदि परिजनों या रिश्तेदारों को जबरन या धमकाकर धर्म परिवर्तन के प्रयास की जानकारी मिलती है तो वे भी FIR दर्ज करवा सकते हैं। पुलिस जांच में दोषी पाए जाने पर धर्म परिवर्तन का दबाव डालने वाले के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो सकती है। सवाल : किन-किन राज्यों में जबरन धर्म परिवर्तन को रोकने के लिए कानून हैं? जवाब : अभी गुजरात, झारखंड, ओडिशा, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश और छत्तीसगढ़ में इसके लिए कानून हैं। पहले तमिलनाडु में भी था, लेकिन 2003 में इसे निरस्त कर दिया गया। हिमाचल और उत्तराखंड में 5 साल तक कैद की सजा का प्रावधान है। SC-ST और नाबालिग के मामले में ये सजा 7 साल की है। उत्तर प्रदेश में भी इसके लिए कानून बन चुका है। इसका अध्यादेश पिछले महीने ही कैबिनेट में पास हुआ है। इस कानून में जबरन धर्म परिवर्तन करने पर 10 साल तक की सजा का प्रावधान है। सवाल : बेगुनाही खुद साबित करनी होगी? दोषी संस्था का रजिस्ट्रेशन होगा रद्द? जवाब : बिल के प्रावधानों के तहत धर्म परिवर्तन करने वाले को बेगुनाही खुद साबित करनी होगी। यानी बर्डन ऑफ प्रूफ आरोपी के ऊपर ही रहेगा। वहीं जबरन या लालच देकर यदि धर्म परिवर्तन के मामले में किसी संस्था को दोषी पाया गया, तो उसका रजिस्ट्रेशन रद्द किया जा सकता है। ——————————————————————- राजस्थान विधानसभा के बजट सत्र से जुड़ी ये खबर भी पढ़िए… डोटासरा बोले-मुख्यमंत्री जी, किरोड़ी वाला मामला तो सॉल्व करना पड़ेगा:CM केंद्र के बजट में डेढ़ घंटे पेन-डायरी लेकर बैठे, कुछ नहीं लिख पाए राजस्थान विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण पर बहस के दौरान कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने सरकार पर जमकर हमला बोला। पूरी खबर पढ़िए…