
जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल (JLF) का सोमवार को समापन हो गया। जेएलएफ अगले साल 15 से 19 जनवरी तक होगा। JLF के आखिरी दिन फिल्म डायरेक्टर इम्तियाज अली ने कहा- मुझे इम्तियाज ही कहिए। इम्तियाज जी सुनना ऐसा लगता है, जैसे किसी और का नाम हो। मुझे लगता है कि फिल्ममेकर को ज्यादा रेस्पेक्ट (इज्जत) नहीं दी जानी चाहिए। एक फिल्ममेकर को गालियां-पत्थर उसके नाम से ही मिलने चाहिए। सेशन ‘जब वी मेट इम्तियाज अली’ में फिल्म क्रिटिक अनुपमा चोपड़ा से बातचीत में इम्तियाज ने कहा- मैं 9वीं में फेल हो गया था। यह मेरे जीवन का सबसे महत्वपूर्ण क्षण था। क्योंकि, इससे मुझे विफलताओं का सामना करना आया और मैं वह सब कर पाया, जो करना चाहता था। उन्होंने कहा- बड़े स्टार भी फिल्मों की सफलता की गारंटी नहीं होते। बस, अपना काम कीजिए। अपने आप को किसी भी सफलता-विफलता के बोझ से मुक्त कीजिए। उन्होंने कहा- मैं उन जगहों पर फिल्में शूट नहीं करता, जहां खाना अच्छा नहीं मिलता। क्योंकि मैं फिल्में बनाता हूं, इसलिए झूठ नहीं बोलता। नोबेल पुरस्कार प्राप्त बनर्जी ने कहा-टैक्स कम करने से नहीं, रोजगार देने से ग्रोथ मिलेगी
अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार प्राप्त अभिजीत बनर्जी ने बजट में इनकम टैक्स से राहत देने के मसले पर कहा है कि सरकार को टैक्स कम करने की बजाय ज्यादा से ज्यादा रोजगार देने की जरूरत है। टैक्स हर सरकार के लिए काफी जरूरी है। इसमें बदलाव करने से आमजन को फायदा हो सकता है, लेकिन किसी भी सरकार को चलाने के लिए पैसा जरूरी है। वह पैसा टैक्स के जरिए ही आता है। जितने अधिक लोग टैक्स के दायरे में आएंगे, उतनी ही उस देश की तरक्की होगी। इकोनॉमी में डिमांड ग्रोथ काफी जरूरी है। इनकम ग्रोथ अमीर लोगों पर ज्यादा निर्भर है। अभिजीत बनर्जी ने कहा- टैक्सेशन और अर्थव्यवस्था का एक मजबूत रिश्ता है, यदि टैक्स के माध्यम से पैसा नहीं आएगा तो सरकार देश को कैसे चलाएगी। यह एक बड़ा सवाल खड़ा होता है। उन्होंने कहा कि आम लोगों को भी टैक्स के दायरे में लाना काफी जरूरी है। मानव कौल बोले- मैंने चाय की दुकान चलाई और पतंग बेची
इससे पहले ‘अ बर्ड ऑन माय विंडो सिल’ सेशन में एक्टर, डायरेक्टर, प्ले राइटर, ऑथर मानव कौल ने अपनी जिंदगी से जुड़े अनुभव साझा किए। उन्होंने कहा- मैंने कई तरह के काम किए। चाय की दुकान खोली। पतंगें बेचीं। मैं कुछ और अच्छा कर पाऊं या नहीं। चाय बहुत अच्छी बनाता हूं। चाय मेरी लाइफ का पार्ट रही है। थिएटर के दौरान जब भी ब्रेक होता था, उसे ‘चाय ब्रेक’ कहते थे, क्योंकि उस वक्त चाय के साथ बिस्किट मिलते थे। थिएटर करने वाले अक्सर भूखे ही रहते थे। चाय के प्रति मेरा लगाव वहीं से शुरू हुआ था। मानव कौल से कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में हिंदी के प्रोफेसर ऐश्वर्या कुमार ने चर्चा की। जीवन में सफर का सिलसिला थमना नहीं चाहिए
मानव कौल ने कहा- मैं कश्मीर के बारामूला में पैदा हुआ और होशंगाबाद (मध्य प्रदेश) में पला-बढ़ा। गांव और छोटे शहरों में पले-बढ़े लोगों में एक खास तरह की आजादी और एक तरह का कॉम्प्लेक्स, दोनों होते हैं। बचपन में दुनिया देखने की चाह थी। इसलिए अक्सर अपने दोस्त सलीम के साथ होशंगाबाद रेलवे स्टेशन जाकर ट्रेनों को आते-जाते देखा करते थे और सोचते थे कि ये ट्रेनें आखिर कहां जाती हैं? हाल ही में मैं यूरोप यात्रा से लौटा हूं। अब फिर से लग रहा है कि अगली यात्रा कहां की जाए। जिंदगी एक सफर है। इसलिए सफर का यह सिलसिला चलता रहना चाहिए। फोटो में देखिए जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के रंग…
जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल (JLF) का सोमवार को समापन हो गया। जेएलएफ अगले साल 15 से 19 जनवरी तक होगा। JLF के आखिरी दिन फिल्म डायरेक्टर इम्तियाज अली ने कहा- मुझे इम्तियाज ही कहिए। इम्तियाज जी सुनना ऐसा लगता है, जैसे किसी और का नाम हो। मुझे लगता है कि फिल्ममेकर को ज्यादा रेस्पेक्ट (इज्जत) नहीं दी जानी चाहिए। एक फिल्ममेकर को गालियां-पत्थर उसके नाम से ही मिलने चाहिए। सेशन ‘जब वी मेट इम्तियाज अली’ में फिल्म क्रिटिक अनुपमा चोपड़ा से बातचीत में इम्तियाज ने कहा- मैं 9वीं में फेल हो गया था। यह मेरे जीवन का सबसे महत्वपूर्ण क्षण था। क्योंकि, इससे मुझे विफलताओं का सामना करना आया और मैं वह सब कर पाया, जो करना चाहता था। उन्होंने कहा- बड़े स्टार भी फिल्मों की सफलता की गारंटी नहीं होते। बस, अपना काम कीजिए। अपने आप को किसी भी सफलता-विफलता के बोझ से मुक्त कीजिए। उन्होंने कहा- मैं उन जगहों पर फिल्में शूट नहीं करता, जहां खाना अच्छा नहीं मिलता। क्योंकि मैं फिल्में बनाता हूं, इसलिए झूठ नहीं बोलता। नोबेल पुरस्कार प्राप्त बनर्जी ने कहा-टैक्स कम करने से नहीं, रोजगार देने से ग्रोथ मिलेगी
अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार प्राप्त अभिजीत बनर्जी ने बजट में इनकम टैक्स से राहत देने के मसले पर कहा है कि सरकार को टैक्स कम करने की बजाय ज्यादा से ज्यादा रोजगार देने की जरूरत है। टैक्स हर सरकार के लिए काफी जरूरी है। इसमें बदलाव करने से आमजन को फायदा हो सकता है, लेकिन किसी भी सरकार को चलाने के लिए पैसा जरूरी है। वह पैसा टैक्स के जरिए ही आता है। जितने अधिक लोग टैक्स के दायरे में आएंगे, उतनी ही उस देश की तरक्की होगी। इकोनॉमी में डिमांड ग्रोथ काफी जरूरी है। इनकम ग्रोथ अमीर लोगों पर ज्यादा निर्भर है। अभिजीत बनर्जी ने कहा- टैक्सेशन और अर्थव्यवस्था का एक मजबूत रिश्ता है, यदि टैक्स के माध्यम से पैसा नहीं आएगा तो सरकार देश को कैसे चलाएगी। यह एक बड़ा सवाल खड़ा होता है। उन्होंने कहा कि आम लोगों को भी टैक्स के दायरे में लाना काफी जरूरी है। मानव कौल बोले- मैंने चाय की दुकान चलाई और पतंग बेची
इससे पहले ‘अ बर्ड ऑन माय विंडो सिल’ सेशन में एक्टर, डायरेक्टर, प्ले राइटर, ऑथर मानव कौल ने अपनी जिंदगी से जुड़े अनुभव साझा किए। उन्होंने कहा- मैंने कई तरह के काम किए। चाय की दुकान खोली। पतंगें बेचीं। मैं कुछ और अच्छा कर पाऊं या नहीं। चाय बहुत अच्छी बनाता हूं। चाय मेरी लाइफ का पार्ट रही है। थिएटर के दौरान जब भी ब्रेक होता था, उसे ‘चाय ब्रेक’ कहते थे, क्योंकि उस वक्त चाय के साथ बिस्किट मिलते थे। थिएटर करने वाले अक्सर भूखे ही रहते थे। चाय के प्रति मेरा लगाव वहीं से शुरू हुआ था। मानव कौल से कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में हिंदी के प्रोफेसर ऐश्वर्या कुमार ने चर्चा की। जीवन में सफर का सिलसिला थमना नहीं चाहिए
मानव कौल ने कहा- मैं कश्मीर के बारामूला में पैदा हुआ और होशंगाबाद (मध्य प्रदेश) में पला-बढ़ा। गांव और छोटे शहरों में पले-बढ़े लोगों में एक खास तरह की आजादी और एक तरह का कॉम्प्लेक्स, दोनों होते हैं। बचपन में दुनिया देखने की चाह थी। इसलिए अक्सर अपने दोस्त सलीम के साथ होशंगाबाद रेलवे स्टेशन जाकर ट्रेनों को आते-जाते देखा करते थे और सोचते थे कि ये ट्रेनें आखिर कहां जाती हैं? हाल ही में मैं यूरोप यात्रा से लौटा हूं। अब फिर से लग रहा है कि अगली यात्रा कहां की जाए। जिंदगी एक सफर है। इसलिए सफर का यह सिलसिला चलता रहना चाहिए। फोटो में देखिए जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के रंग…