
कर्नाटक में मैसूरु के हरोहल्ली गांव की जिस जमीन से रामलला की प्रतिमा के लिए पत्थर निकाला गया था, अब वहां नया राम मंदिर बन रहा है। अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा के एक साल पूरा होने पर 22 जनवरी, 2025 को यहां भूमि पूजन किया गया। यह जमीन स्थानीय किसान रामदास की है। मैसूरु के तत्कालीन भाजपा सांसद प्रताप सिम्हा ने रामदास की जमीन पर मंदिर बनवाने का वादा किया था। इसके लिए रामदास ने अपनी ढाई एकड़ पैतृक जमीन में से करीब 4500 स्क्वायर फीट दान भी कर दी थी। भास्कर ने 2 दिसंबर, 2024 को हरोहल्ली से एक रिपोर्ट की थी, जिसमें हमने बताया था कि रामलला के लिए पत्थर निकालने वाले श्रीनिवास नटराज को करीब 10 महीने बाद भी मजदूरी नहीं मिली है। इससे वे बेहद नाराज हैं। भाजपा सांसद ने उन्हें अयोध्या ले जाने का वादा भी किया था, लेकिन वो भी पूरा नहीं हुआ। 2024 लोकसभा चुनाव में मैसूरु के सांसद भी बदल गए। आखिर में नाराज रामदास और श्रीनिवास को खुद ही मंदिर बनाने की पहल शुरू करनी पड़ी। स्थानीय जेडीएस विधायक जी टी देवेगौड़ा भी इस मुहिम में आगे आए हैं। उधर, अयोध्या में रामलला की मूर्ति बनाने वाले मूर्तिकार अरुण योगीराज ने इस मंदिर के लिए भी रामलला की प्रतिमा बनाने की इच्छा जताई है। शाही परिवार के पुरोहित ने भूमि पूजन कराया
हरोहल्ली मैसूरु से 22 किलोमीटर दूर एक छोटा सा गांव है। मेन रोड से करीब 500 मीटर अंदर रामदास की जमीन है। पिछली बार जब भास्कर वहां पहुंचा था, तो घास-फूस के बीच बड़े-बड़े पत्थर पड़े थे। ये उसी कृष्णशिला के टुकड़े थे, जिससे रामलला की प्रतिमा के लिए चट्टान काटी गई थी। जिस जगह से रामलला के लिए पत्थर निकाला गया था, वहां पूर्व सांसद प्रताप सिम्हा ने पत्थर का एक छोटा टुकड़ा रखवाया था। उसी जगह पर राम मंदिर का गर्भगृह और भगवान की प्रतिमा स्थापित करने की योजना थी। 22 जनवरी को मैसूरु के शाही परिवार के राजपुरोहित प्रह्लाद राव ने यहीं पर भूमि पूजन कराया। विधायक जी टी देवेगौड़ा ने रामलला की स्थापना वाली जगह पर फूल चढ़ाए। पूजा स्थल से कुछ दूर एक और बड़ी चट्टान थी, जिसकी खुदाई अभी पूरी नहीं हुई है। इसी से रामलला की प्रतिमा बनेगी। लोगों ने इस चट्टान की परिक्रमा भी की। रामदास बोले- प्राण प्रतिष्ठा के समय भी यहां पूजा की थी
भूमि पूजन को लेकर रामदास कहते हैं, ‘मेरे पूर्वजों ने बहुत अच्छे काम किए होंगे, जिसके कारण हमारी जमीन से निकले पत्थर से बने रामलला 2500 किलोमीटर दूर अयोध्या में स्थापित हुए। अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा के समय हमने यहां भी पूजा-पाठ की थी क्योंकि हमें वहां नहीं बुलाया गया था। हमारे लिए तो यही अयोध्या है।’ ‘तत्कालीन सांसद प्रताप सिम्हा ने वादा किया था कि यहां भी भव्य राम मंदिर बनवाएंगे। हम लोगों ने एक साल तक इंतजार किया, लेकिन कुछ नहीं हुआ। अब श्रीनिवास और मैंने खुद ही मंदिर बनाने का फैसला किया है। विधायक हमारी मदद के लिए आगे आए हैं। ‘ रामदास ने बताया, ‘हमारे पास मंदिर बनाने के लिए रुपए नहीं है। राम मंदिर के सपने को पूरा करने के लिए हम पूरी तरह से पब्लिक फंडिंग पर निर्भर हैं। विधायक देवेगौड़ा ने 10 हजार रुपए दिए हैं, तब जाकर भूमि पूजन हो पाया है। हम पैसे जुटाने के लिए एक ट्रस्ट बनाने पर विचार कर रहे हैं, लेकिन ये सब कैसे होगा, इसका फैसला विधायक ही करेंगे।’ ‘यूपी जाना मुमकिन नहीं, हमारे लिए यही अयोध्या’
श्रीनिवास कहते हैं, ‘हरोहल्ली में राम मंदिर बनाने की तैयारी शुरू हो गई है। गांव के लोग काफी खुश हैं। अयोध्या हर किसी की पहुंच में नहीं है। हमारे जैसे आम लोगों के लिए 2500 किलोमीटर दूर अयोध्या जाना मुमकिन नहीं है। भूमि पूजन होने के बाद मन में थोड़ी उम्मीद जगी है कि हमारे गांव में भी भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा हो सकती है।’ ‘मैं रामलला की प्रतिमा के लिए रामदास की जमीन से एक और पत्थर निकाल रहा हूं। उससे राम, सीता, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न की प्रतिमा बनाई जाएगी। मंदिर के प्रवेश द्वार पर आंजनेय (हनुमान) की मूर्ति स्थापित होगी। मैंने इसके लिए एक पत्थर तैयार कर लिया है।’ विधायक ने कहा- मंदिर के लिए फंड जुटाएंगे
भूमि पूजन में पहुंचे JDS विधायक जी टी देवेगौड़ा ने कहा, ‘हरोहल्ली की ये जगह हम सबके लिए बहुत पवित्र है। हम इसे दक्षिण की अयोध्या मानते हैं। यहां राम मंदिर बनाने के लिए जो भी मदद होगी, हम मुहैया करवाएंगे, फिर चाहे वह राज्य सरकार के फंड से हो या विधायक फंड से।’ राजपुरोहित प्रह्लाद राव ने कहा कि हम सभी कर्नाटक के लोग इस बात से बहुत खुश हैं कि हमारे राज्य के एक गांव से निकली कृष्णशिला से अयोध्या में रामलला बने हैं। अब हमारी इच्छा है कि हरोहल्ली को दक्षिण की अयोध्या बनाई जाए और यहां भगवान राम का भव्य मंदिर बने। योगीराज बोले- रामलला की मूर्ति बनाना मेरा कर्तव्य
भास्कर ने मैसूरु में मूर्तिकार अरुण योगीराज से उनके वर्कशॉप सेंटर पर बात की। उन्होंने रामलला की एक और प्रतिमा बनाने के सवाल पर कहा, ‘मैं पहले भी मूर्ति बनाने के लिए तैयार था और आज भी तैयार हूं। इसके लिए मेरी कोई बड़ी डिमांड भी नहीं है। मूर्ति की साइज के हिसाब से गांव के लोग मुझे जो भी फीस देंगे, वो मुझे मंजूर होगा।’ भूमि पूजन में शामिल नहीं होने के सवाल पर योगीराज ने कहा, ‘मुझे उस कार्यक्रम की कोई जानकारी नहीं थी। न ही मुझे बुलाया गया था। अगर पता होता तो मैं वहां जरूर जाता। हरोहल्ली अयोध्या में स्थापित रामलला की प्रतिमा की जननी है। वहां की प्रतिमा बनाना मेरा कर्तव्य है।’ प्रताप सिम्हा बोले- मस्जिद गिरा सकता हूं, मंदिर बनाने की शक्ति नहीं
मैसूरु से भाजपा के पूर्व सांसद प्रताप सिम्हा से भास्कर ने फोन पर बात की। उन्होंने कहा, ‘मैं अब सांसद नहीं हूं। गांव के लोग खुद मंदिर बना रहे हैं। इसमें मेरी कोई भूमिका नहीं है। अगर कहीं मस्जिद गिरानी है तो बताइए, वो कर सकता हूं। मंदिर बनाने के लिए मेरे पास अब कोई शक्ति नहीं है।’ भास्कर ने दिसंबर, 2024 में भी प्रताप सिम्हा से बात की थी। तब उन्होंने कहा था, ‘हम रामदास की जमीन पर यादगार के तौर पर मंदिर बनाने की योजना बना रहे हैं। हमने वहां पत्थर का एक टुकड़ा भी रखवाया था, जहां से अयोध्या के लिए चट्टान की खुदाई की गई थी।’ BJP विधायक बोले- मंदिर बनाने के लिए जनता से फंड मांगेंगे
हालांकि कृष्णराज विधानसभा क्षेत्र से भाजपा विधायक टीएस श्रीवत्सा ने हरोहल्ली में राम मंदिर बनाने के लिए JDS विधायक जी टी देवेगौड़ा की पहल का समर्थन किया। उन्होंने कहा, ‘देवेगौड़ा ने भूमि पूजन करके एक बड़ा काम किया है। मैं अपनी पार्टी की तरफ से आश्वासन देता हूं कि रामदास की जमीन पर भव्य राम मंदिर बनाने का सपना जरूर पूरा होगा। फंड के लिए जरूरत हुई तो हम जनता का दरवाजा भी खटखटाएंगे।’ भास्कर ने इस मुद्दे पर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती और अयोध्या के राम मंदिर ट्रस्ट से भी बात की। पढ़िए उन्होंने क्या कहा- शंकराचार्य बोले- जनता वादे याद रखती है, नेता घोषणाओं से बचें
चार धामों में एक बद्रीनाथ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा, ‘राम के भक्त जहां होते हैं, वहां मंदिर बनाते हैं। नेता तो माहौल देखकर घोषणा कर देते हैं। बाद में पूरा नहीं कर पाते। हर पार्टी के नेता घोषणा करते रहते हैं, भाजपा इससे अछूती नहीं है। हालांकि नेताओं को घोषणा करने से बचना चाहिए। जनता सब याद रखती है। वो बाद में हिसाब भी लेती है। राम मंदिर ट्रस्ट के सदस्य बोले- हम फंडिंग में मदद नहीं कर सकते
राम मंदिर ट्रस्ट के सदस्य डॉक्टर अनिल मिश्रा ने कहा कि राम भक्त पूरे देश में अपनी-अपनी श्रद्धा से मंदिर बनवा रहे हैं। कई राज्यों में नेताओं ने भी मंदिर बनवाने की घोषणा की है। मंदिर बनवाना लोगों की अपनी श्रद्धा है। इसमें राम मंदिर ट्रस्ट कुछ मदद नहीं कर सकता। अयोध्या के लिए श्रद्धालुओं से मिला एक-एक पैसा अयोध्या में रामलला के मंदिर पर ही खर्च होगा।’ अब भास्कर की वो रिपोर्ट पढ़िए, जिसके बाद मंदिर बनाने की पहल शुरू हुई- श्रीनिवास ने कहा था- पत्थर निकालने की मजदूरी तक नहीं मिली, सांसद ने कहा था- PM से मिलाएंगे, एयरपोर्ट बुलाकर मुकर गए रामलला की प्रतिमा के लिए पत्थर निकालने वाले श्रीनिवास नटराज ने आरोप लगाया था कि उन्हें न तो पहचान मिली, न काम की मजदूरी। वे अब तक अयोध्या भी नहीं गए हैं। उन्हें प्राण प्रतिष्ठा में भी नहीं बुलाया गया था। तत्कालीन भाजपा सांसद प्रताप सिम्हा ने उन्हें अयोध्या लेकर जाने और रामदास की जमीन पर राम मंदिर बनवाने का वादा किया था। भास्कर ने श्रीनिवास के दावों और उनकी पड़ताल की। पूरी खबर पढ़ें… ………………………………………… राम मंदिर से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… ये हैं रामलला को बचाने वाले पुजारी: बाबरी ढही तो मूर्ति लेकर भागे, 100 रुपए सैलरी में जान दांव पर लगाते थे राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के एक साल होने पर भास्कर ने भगवान राम के सेवादारों-पुजारियों से बात की। उनकी जिंदगी के बारे में जाना। इन सबके बीच पुजारियों ने हमें कई रोचक किस्से सुनाए। रामलला के मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास ने बताया कि वे 1992 से लेकर अब तक रामलला का ख्याल रख रहे हैं। भगवान के खाने से लेकर पहनने के कपड़े, पूजा-आरती और खिलौनों तक हर चीज का ध्यान वही रखते हैं। पूरी खबर पढ़ें…
कर्नाटक में मैसूरु के हरोहल्ली गांव की जिस जमीन से रामलला की प्रतिमा के लिए पत्थर निकाला गया था, अब वहां नया राम मंदिर बन रहा है। अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा के एक साल पूरा होने पर 22 जनवरी, 2025 को यहां भूमि पूजन किया गया। यह जमीन स्थानीय किसान रामदास की है। मैसूरु के तत्कालीन भाजपा सांसद प्रताप सिम्हा ने रामदास की जमीन पर मंदिर बनवाने का वादा किया था। इसके लिए रामदास ने अपनी ढाई एकड़ पैतृक जमीन में से करीब 4500 स्क्वायर फीट दान भी कर दी थी। भास्कर ने 2 दिसंबर, 2024 को हरोहल्ली से एक रिपोर्ट की थी, जिसमें हमने बताया था कि रामलला के लिए पत्थर निकालने वाले श्रीनिवास नटराज को करीब 10 महीने बाद भी मजदूरी नहीं मिली है। इससे वे बेहद नाराज हैं। भाजपा सांसद ने उन्हें अयोध्या ले जाने का वादा भी किया था, लेकिन वो भी पूरा नहीं हुआ। 2024 लोकसभा चुनाव में मैसूरु के सांसद भी बदल गए। आखिर में नाराज रामदास और श्रीनिवास को खुद ही मंदिर बनाने की पहल शुरू करनी पड़ी। स्थानीय जेडीएस विधायक जी टी देवेगौड़ा भी इस मुहिम में आगे आए हैं। उधर, अयोध्या में रामलला की मूर्ति बनाने वाले मूर्तिकार अरुण योगीराज ने इस मंदिर के लिए भी रामलला की प्रतिमा बनाने की इच्छा जताई है। शाही परिवार के पुरोहित ने भूमि पूजन कराया
हरोहल्ली मैसूरु से 22 किलोमीटर दूर एक छोटा सा गांव है। मेन रोड से करीब 500 मीटर अंदर रामदास की जमीन है। पिछली बार जब भास्कर वहां पहुंचा था, तो घास-फूस के बीच बड़े-बड़े पत्थर पड़े थे। ये उसी कृष्णशिला के टुकड़े थे, जिससे रामलला की प्रतिमा के लिए चट्टान काटी गई थी। जिस जगह से रामलला के लिए पत्थर निकाला गया था, वहां पूर्व सांसद प्रताप सिम्हा ने पत्थर का एक छोटा टुकड़ा रखवाया था। उसी जगह पर राम मंदिर का गर्भगृह और भगवान की प्रतिमा स्थापित करने की योजना थी। 22 जनवरी को मैसूरु के शाही परिवार के राजपुरोहित प्रह्लाद राव ने यहीं पर भूमि पूजन कराया। विधायक जी टी देवेगौड़ा ने रामलला की स्थापना वाली जगह पर फूल चढ़ाए। पूजा स्थल से कुछ दूर एक और बड़ी चट्टान थी, जिसकी खुदाई अभी पूरी नहीं हुई है। इसी से रामलला की प्रतिमा बनेगी। लोगों ने इस चट्टान की परिक्रमा भी की। रामदास बोले- प्राण प्रतिष्ठा के समय भी यहां पूजा की थी
भूमि पूजन को लेकर रामदास कहते हैं, ‘मेरे पूर्वजों ने बहुत अच्छे काम किए होंगे, जिसके कारण हमारी जमीन से निकले पत्थर से बने रामलला 2500 किलोमीटर दूर अयोध्या में स्थापित हुए। अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा के समय हमने यहां भी पूजा-पाठ की थी क्योंकि हमें वहां नहीं बुलाया गया था। हमारे लिए तो यही अयोध्या है।’ ‘तत्कालीन सांसद प्रताप सिम्हा ने वादा किया था कि यहां भी भव्य राम मंदिर बनवाएंगे। हम लोगों ने एक साल तक इंतजार किया, लेकिन कुछ नहीं हुआ। अब श्रीनिवास और मैंने खुद ही मंदिर बनाने का फैसला किया है। विधायक हमारी मदद के लिए आगे आए हैं। ‘ रामदास ने बताया, ‘हमारे पास मंदिर बनाने के लिए रुपए नहीं है। राम मंदिर के सपने को पूरा करने के लिए हम पूरी तरह से पब्लिक फंडिंग पर निर्भर हैं। विधायक देवेगौड़ा ने 10 हजार रुपए दिए हैं, तब जाकर भूमि पूजन हो पाया है। हम पैसे जुटाने के लिए एक ट्रस्ट बनाने पर विचार कर रहे हैं, लेकिन ये सब कैसे होगा, इसका फैसला विधायक ही करेंगे।’ ‘यूपी जाना मुमकिन नहीं, हमारे लिए यही अयोध्या’
श्रीनिवास कहते हैं, ‘हरोहल्ली में राम मंदिर बनाने की तैयारी शुरू हो गई है। गांव के लोग काफी खुश हैं। अयोध्या हर किसी की पहुंच में नहीं है। हमारे जैसे आम लोगों के लिए 2500 किलोमीटर दूर अयोध्या जाना मुमकिन नहीं है। भूमि पूजन होने के बाद मन में थोड़ी उम्मीद जगी है कि हमारे गांव में भी भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा हो सकती है।’ ‘मैं रामलला की प्रतिमा के लिए रामदास की जमीन से एक और पत्थर निकाल रहा हूं। उससे राम, सीता, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न की प्रतिमा बनाई जाएगी। मंदिर के प्रवेश द्वार पर आंजनेय (हनुमान) की मूर्ति स्थापित होगी। मैंने इसके लिए एक पत्थर तैयार कर लिया है।’ विधायक ने कहा- मंदिर के लिए फंड जुटाएंगे
भूमि पूजन में पहुंचे JDS विधायक जी टी देवेगौड़ा ने कहा, ‘हरोहल्ली की ये जगह हम सबके लिए बहुत पवित्र है। हम इसे दक्षिण की अयोध्या मानते हैं। यहां राम मंदिर बनाने के लिए जो भी मदद होगी, हम मुहैया करवाएंगे, फिर चाहे वह राज्य सरकार के फंड से हो या विधायक फंड से।’ राजपुरोहित प्रह्लाद राव ने कहा कि हम सभी कर्नाटक के लोग इस बात से बहुत खुश हैं कि हमारे राज्य के एक गांव से निकली कृष्णशिला से अयोध्या में रामलला बने हैं। अब हमारी इच्छा है कि हरोहल्ली को दक्षिण की अयोध्या बनाई जाए और यहां भगवान राम का भव्य मंदिर बने। योगीराज बोले- रामलला की मूर्ति बनाना मेरा कर्तव्य
भास्कर ने मैसूरु में मूर्तिकार अरुण योगीराज से उनके वर्कशॉप सेंटर पर बात की। उन्होंने रामलला की एक और प्रतिमा बनाने के सवाल पर कहा, ‘मैं पहले भी मूर्ति बनाने के लिए तैयार था और आज भी तैयार हूं। इसके लिए मेरी कोई बड़ी डिमांड भी नहीं है। मूर्ति की साइज के हिसाब से गांव के लोग मुझे जो भी फीस देंगे, वो मुझे मंजूर होगा।’ भूमि पूजन में शामिल नहीं होने के सवाल पर योगीराज ने कहा, ‘मुझे उस कार्यक्रम की कोई जानकारी नहीं थी। न ही मुझे बुलाया गया था। अगर पता होता तो मैं वहां जरूर जाता। हरोहल्ली अयोध्या में स्थापित रामलला की प्रतिमा की जननी है। वहां की प्रतिमा बनाना मेरा कर्तव्य है।’ प्रताप सिम्हा बोले- मस्जिद गिरा सकता हूं, मंदिर बनाने की शक्ति नहीं
मैसूरु से भाजपा के पूर्व सांसद प्रताप सिम्हा से भास्कर ने फोन पर बात की। उन्होंने कहा, ‘मैं अब सांसद नहीं हूं। गांव के लोग खुद मंदिर बना रहे हैं। इसमें मेरी कोई भूमिका नहीं है। अगर कहीं मस्जिद गिरानी है तो बताइए, वो कर सकता हूं। मंदिर बनाने के लिए मेरे पास अब कोई शक्ति नहीं है।’ भास्कर ने दिसंबर, 2024 में भी प्रताप सिम्हा से बात की थी। तब उन्होंने कहा था, ‘हम रामदास की जमीन पर यादगार के तौर पर मंदिर बनाने की योजना बना रहे हैं। हमने वहां पत्थर का एक टुकड़ा भी रखवाया था, जहां से अयोध्या के लिए चट्टान की खुदाई की गई थी।’ BJP विधायक बोले- मंदिर बनाने के लिए जनता से फंड मांगेंगे
हालांकि कृष्णराज विधानसभा क्षेत्र से भाजपा विधायक टीएस श्रीवत्सा ने हरोहल्ली में राम मंदिर बनाने के लिए JDS विधायक जी टी देवेगौड़ा की पहल का समर्थन किया। उन्होंने कहा, ‘देवेगौड़ा ने भूमि पूजन करके एक बड़ा काम किया है। मैं अपनी पार्टी की तरफ से आश्वासन देता हूं कि रामदास की जमीन पर भव्य राम मंदिर बनाने का सपना जरूर पूरा होगा। फंड के लिए जरूरत हुई तो हम जनता का दरवाजा भी खटखटाएंगे।’ भास्कर ने इस मुद्दे पर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती और अयोध्या के राम मंदिर ट्रस्ट से भी बात की। पढ़िए उन्होंने क्या कहा- शंकराचार्य बोले- जनता वादे याद रखती है, नेता घोषणाओं से बचें
चार धामों में एक बद्रीनाथ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा, ‘राम के भक्त जहां होते हैं, वहां मंदिर बनाते हैं। नेता तो माहौल देखकर घोषणा कर देते हैं। बाद में पूरा नहीं कर पाते। हर पार्टी के नेता घोषणा करते रहते हैं, भाजपा इससे अछूती नहीं है। हालांकि नेताओं को घोषणा करने से बचना चाहिए। जनता सब याद रखती है। वो बाद में हिसाब भी लेती है। राम मंदिर ट्रस्ट के सदस्य बोले- हम फंडिंग में मदद नहीं कर सकते
राम मंदिर ट्रस्ट के सदस्य डॉक्टर अनिल मिश्रा ने कहा कि राम भक्त पूरे देश में अपनी-अपनी श्रद्धा से मंदिर बनवा रहे हैं। कई राज्यों में नेताओं ने भी मंदिर बनवाने की घोषणा की है। मंदिर बनवाना लोगों की अपनी श्रद्धा है। इसमें राम मंदिर ट्रस्ट कुछ मदद नहीं कर सकता। अयोध्या के लिए श्रद्धालुओं से मिला एक-एक पैसा अयोध्या में रामलला के मंदिर पर ही खर्च होगा।’ अब भास्कर की वो रिपोर्ट पढ़िए, जिसके बाद मंदिर बनाने की पहल शुरू हुई- श्रीनिवास ने कहा था- पत्थर निकालने की मजदूरी तक नहीं मिली, सांसद ने कहा था- PM से मिलाएंगे, एयरपोर्ट बुलाकर मुकर गए रामलला की प्रतिमा के लिए पत्थर निकालने वाले श्रीनिवास नटराज ने आरोप लगाया था कि उन्हें न तो पहचान मिली, न काम की मजदूरी। वे अब तक अयोध्या भी नहीं गए हैं। उन्हें प्राण प्रतिष्ठा में भी नहीं बुलाया गया था। तत्कालीन भाजपा सांसद प्रताप सिम्हा ने उन्हें अयोध्या लेकर जाने और रामदास की जमीन पर राम मंदिर बनवाने का वादा किया था। भास्कर ने श्रीनिवास के दावों और उनकी पड़ताल की। पूरी खबर पढ़ें… ………………………………………… राम मंदिर से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… ये हैं रामलला को बचाने वाले पुजारी: बाबरी ढही तो मूर्ति लेकर भागे, 100 रुपए सैलरी में जान दांव पर लगाते थे राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के एक साल होने पर भास्कर ने भगवान राम के सेवादारों-पुजारियों से बात की। उनकी जिंदगी के बारे में जाना। इन सबके बीच पुजारियों ने हमें कई रोचक किस्से सुनाए। रामलला के मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास ने बताया कि वे 1992 से लेकर अब तक रामलला का ख्याल रख रहे हैं। भगवान के खाने से लेकर पहनने के कपड़े, पूजा-आरती और खिलौनों तक हर चीज का ध्यान वही रखते हैं। पूरी खबर पढ़ें…