
महाराष्ट्र के पुणे, पिंपरी चिंचवाड़ और दूसरे इलाकों में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) के मामले बढ़कर 140 हो गए हैं। इनमें से 20 मरीज वेंटिलेटर पर हैं। 29 जनवरी को 3 केस सामने आए थे। शुक्रवार को एक और व्यक्ति की मौत के बाद मृतकों की संख्या बढ़कर 4 हो गई है। 30 जनवरी को स्वास्थ्य विभाग के जारी बुलेटिन के मुताबिक राज्य में GB सिंड्रोम के कारण शुक्रवार को सिंहगढ़ रोड के धायरी निवासी 60 वर्षीय व्यक्ति की मौत हो गई। इससे पहले पिंपले गुरव में 36 साल के व्यक्ति, पुणे में 56 साल की महिला और सोलापुर में 40 साल के व्यक्ति की मौत हो चुकी है। अधिकारियों के मुताबिक, 140 मरीजों में पुणे नगर निगम के 26 मरीज हैं। निगम में जोड़े गए गांवों से 78 मरीज हैं। पिंपरी-चिंचवाड़ नगर निगम के 15 मरीज हैं। पुणे ग्रामीण से 10 और अन्य जिलों से 11 मरीज हैं। तेलंगाना में भी पहला केस सामने आया है। सिद्दीपेट जिले में 25 वर्षीय महिला को भर्ती कराया गया है। डिप्टी सीएम अजीत पवार ने गुरुवार को पुणे में जिला योजना समिति की बैठक की। उन्होंने अधिकारियों के निर्देश दिया कि मरीजों से ज्यादा फीस लेने वाले प्राइवेट अस्पतालों के खिलाफ एक्शन लें। पवार पुणे जिले के संरक्षक मंत्री भी हैं। सिंड्रोम की बड़ी वजह बैक्टीरिया, एडवाइजरी जारी इलाज महंगा, एक इंजेक्शन 20 हजार का GBS का इलाज महंगा है। डॉक्टरों के मुताबिक मरीजों को आमतौर पर इम्युनोग्लोबुलिन (IVIG) इंजेक्शन के कोर्स करना होता है। निजी अस्पताल में इसके एक इंजेक्शन की कीमत 20 हजार रुपए है। पुणे के अस्पताल में भर्ती 68 साल के मरीज के परिजनों ने बताया कि इलाज के दौरान उनके मरीज को 13 इंजेक्शन लगाने पड़े थे। डॉक्टरों ने मुताबिक GBS की चपेट में आए 80% मरीज अस्पताल से छुट्टी के बाद 6 महीने में बिना किसी सपोर्ट के चलने-फिरने लगते हैं। लेकिन कई मामलों में मरीज को एक साल या उससे ज्यादा समय भी लग जाता है। डिप्टी CM पवार ने GBS के मुफ्त इलाज की घोषणा की महाराष्ट्र के डिप्टी CM अजीत पवार ने GBS मरीजों के मुफ्त इलाज की घोषणा की। उन्होंने कहा कि पिंपरी-चिंचवाड़ के लोगों का इलाज VCM अस्पताल में होगा, जबकि पुणे नगर निगम क्षेत्र के मरीजों का इलाज कमला नेहरू अस्पताल में होगा। ग्रामीण क्षेत्रों की जनता के लिए पुणे के ससून अस्पताल में फ्री इलाज मिलेगा।
महाराष्ट्र के पुणे, पिंपरी चिंचवाड़ और दूसरे इलाकों में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) के मामले बढ़कर 140 हो गए हैं। इनमें से 20 मरीज वेंटिलेटर पर हैं। 29 जनवरी को 3 केस सामने आए थे। शुक्रवार को एक और व्यक्ति की मौत के बाद मृतकों की संख्या बढ़कर 4 हो गई है। 30 जनवरी को स्वास्थ्य विभाग के जारी बुलेटिन के मुताबिक राज्य में GB सिंड्रोम के कारण शुक्रवार को सिंहगढ़ रोड के धायरी निवासी 60 वर्षीय व्यक्ति की मौत हो गई। इससे पहले पिंपले गुरव में 36 साल के व्यक्ति, पुणे में 56 साल की महिला और सोलापुर में 40 साल के व्यक्ति की मौत हो चुकी है। अधिकारियों के मुताबिक, 140 मरीजों में पुणे नगर निगम के 26 मरीज हैं। निगम में जोड़े गए गांवों से 78 मरीज हैं। पिंपरी-चिंचवाड़ नगर निगम के 15 मरीज हैं। पुणे ग्रामीण से 10 और अन्य जिलों से 11 मरीज हैं। तेलंगाना में भी पहला केस सामने आया है। सिद्दीपेट जिले में 25 वर्षीय महिला को भर्ती कराया गया है। डिप्टी सीएम अजीत पवार ने गुरुवार को पुणे में जिला योजना समिति की बैठक की। उन्होंने अधिकारियों के निर्देश दिया कि मरीजों से ज्यादा फीस लेने वाले प्राइवेट अस्पतालों के खिलाफ एक्शन लें। पवार पुणे जिले के संरक्षक मंत्री भी हैं। सिंड्रोम की बड़ी वजह बैक्टीरिया, एडवाइजरी जारी इलाज महंगा, एक इंजेक्शन 20 हजार का GBS का इलाज महंगा है। डॉक्टरों के मुताबिक मरीजों को आमतौर पर इम्युनोग्लोबुलिन (IVIG) इंजेक्शन के कोर्स करना होता है। निजी अस्पताल में इसके एक इंजेक्शन की कीमत 20 हजार रुपए है। पुणे के अस्पताल में भर्ती 68 साल के मरीज के परिजनों ने बताया कि इलाज के दौरान उनके मरीज को 13 इंजेक्शन लगाने पड़े थे। डॉक्टरों ने मुताबिक GBS की चपेट में आए 80% मरीज अस्पताल से छुट्टी के बाद 6 महीने में बिना किसी सपोर्ट के चलने-फिरने लगते हैं। लेकिन कई मामलों में मरीज को एक साल या उससे ज्यादा समय भी लग जाता है। डिप्टी CM पवार ने GBS के मुफ्त इलाज की घोषणा की महाराष्ट्र के डिप्टी CM अजीत पवार ने GBS मरीजों के मुफ्त इलाज की घोषणा की। उन्होंने कहा कि पिंपरी-चिंचवाड़ के लोगों का इलाज VCM अस्पताल में होगा, जबकि पुणे नगर निगम क्षेत्र के मरीजों का इलाज कमला नेहरू अस्पताल में होगा। ग्रामीण क्षेत्रों की जनता के लिए पुणे के ससून अस्पताल में फ्री इलाज मिलेगा।