
मौनी अमावस्या की बीती शाम प्रयागराज महाकुंभ में मची भगदड़ में हरियाणा की 2 महिलाओं की मौत हो गई है। इनमें से एक रोहतक की और एक जींद की रहने वाली थी। भगदड़ के समय ये दोनों संगम तट पर ही मौजूद थीं। इनके अलावा जींद के 4 लोग घायल भी हुए हैं। भगदड़ के दौरान अचानक आई भीड़ ने इन्हें संभलने का मौका नहीं दिया, जिससे दोनों बुजुर्ग महिलाएं दबकर मारी गईं। आज इन दोनों के शव इनके गांव लाए जाएंगे। मौनी अमावस्या पर डुबकी लगाने पहुंचे
जानकारी के अनुसार, रोहतक में सांपला के रहने के रहने वाले 2 परिवार मौनी अमावस्या के मौके पर महाकुंभ में डुबकी लगाने गए थे। लेकिन, मंगलवार की देर रात अचानक किन्हीं कारणों से संगम तट के पास भगदड़ मच गई, जिसमें कई श्रद्धालुओं की जान चली गई। इनमें सांपला के वार्ड 13 की रहने वाली कृष्णा (75) भी शामिल थीं। हालांकि, उनके परिवार के अन्य लोग सुरक्षित बच गए। इसके अलावा, जींद के राजपुरा गांव से बुजुर्ग रामपति (60) 26 जनवरी को महाकुंभ गई थीं। हादसे में उनकी भी जान चली गई। उनके साथ उनके ही गांव का एक परिवार था, जो सुरक्षित बच गया। हालांकि, उन्हें भी चोटें आई हैं। इनमें 4 लोग नरेंद्र कुमार, उनकी पत्नी उर्मिला, बहन पिंकी और उनकी बेटी शामिल हैं। परिजन बोले- तीन घंटे तक दबा रहा पूरा परिवार
मृतक रामपति के परिजनों ने बताया कि 25 जनवरी को परिवार के 8 लोग महाकुंभ में नहाने के लिए गए थे, रात करीब डेढ़ बजे सभी सदस्य घाट के करीब पहुंच गए थे लेकिन तभी वहां पर भगदड़ मच गई। उसमें पूरा परिवार लोगों के नीचे दब गया। इसमें दुर्भाग्य ये रहा की करीब 3 घंटे तक ये वहीं दबे रहे। परिवार से जब भगदड़ का कारण पूछा गया तो उन्होंने कहा- VIP लोगों को स्नान कराने के लिए बैरिकेडिंग की गई थी, जिसके चलते आम लोगों को रोक दिया गया। बाद में पब्लिक के प्रेशर से बैरिकेडिंग टूट गई।
परिवार ने बताया कि उन्हें दिन में ही उनकी मौत की सूचना मिल गई थी। इसके बाद वह मौके पर पहुंचे और शव की पहचान की। पलवल के लोग बोले- बेहद डरावना था
माघी अमावस्या के दिन प्रयागराज महाकुंभ में शाही स्नान के दौरान मची भगदड़ में पलवल के भी श्रद्धालु शामिल थे। उन्होंने इस हादसे को एक भयानक याद बताते हुए उस समय के अनुभव को बताया।
पलवल में हथीन के कौशल, बंता गांव की इंद्रा देवी और हथीन की ही ज्योति देवी ने बताया है कि वहां का दृश्य बेहद डरावना था। हम किसी तरह से सुरक्षित बच निकले। चारों ओर अफरातफरी का माहौल था। चीख-पुकार मची हुई थी। लोग भाग रहे थे, एक-दूसरे से टकरा रहे थे और गिर रहे थे। इसमें ही कई लोग कुचल गए। जो हमने देखा वह असहनीय था। झज्जर के 30 श्रद्धालु प्रयागराज पहुंचे
इधर, झज्जर से भी 30 श्रद्धालु प्रयागराज पहुंचे हैं। हादसे के बाद उनके परिजनों ने उनका हाल लिया तो पता चला कि सभी सुरक्षित हैं। संगम क्षेत्र में डेरा चला रहे आचार्य उपेंद्र कृष्ण ने बताया है कि उन्हें यहां जगह मिल गई थी। उनके यहां झज्जर से करीब 30 श्रद्धालु आए हैं जो सुरक्षित हैं। इनमें महंत परमानंद गिरि महाराज, महंत मृत्युंजय गिरि महाराज, गीतानंद महाराज, भोला गिरि आदि संत शामिल हैं।
मौनी अमावस्या की बीती शाम प्रयागराज महाकुंभ में मची भगदड़ में हरियाणा की 2 महिलाओं की मौत हो गई है। इनमें से एक रोहतक की और एक जींद की रहने वाली थी। भगदड़ के समय ये दोनों संगम तट पर ही मौजूद थीं। इनके अलावा जींद के 4 लोग घायल भी हुए हैं। भगदड़ के दौरान अचानक आई भीड़ ने इन्हें संभलने का मौका नहीं दिया, जिससे दोनों बुजुर्ग महिलाएं दबकर मारी गईं। आज इन दोनों के शव इनके गांव लाए जाएंगे। मौनी अमावस्या पर डुबकी लगाने पहुंचे
जानकारी के अनुसार, रोहतक में सांपला के रहने के रहने वाले 2 परिवार मौनी अमावस्या के मौके पर महाकुंभ में डुबकी लगाने गए थे। लेकिन, मंगलवार की देर रात अचानक किन्हीं कारणों से संगम तट के पास भगदड़ मच गई, जिसमें कई श्रद्धालुओं की जान चली गई। इनमें सांपला के वार्ड 13 की रहने वाली कृष्णा (75) भी शामिल थीं। हालांकि, उनके परिवार के अन्य लोग सुरक्षित बच गए। इसके अलावा, जींद के राजपुरा गांव से बुजुर्ग रामपति (60) 26 जनवरी को महाकुंभ गई थीं। हादसे में उनकी भी जान चली गई। उनके साथ उनके ही गांव का एक परिवार था, जो सुरक्षित बच गया। हालांकि, उन्हें भी चोटें आई हैं। इनमें 4 लोग नरेंद्र कुमार, उनकी पत्नी उर्मिला, बहन पिंकी और उनकी बेटी शामिल हैं। परिजन बोले- तीन घंटे तक दबा रहा पूरा परिवार
मृतक रामपति के परिजनों ने बताया कि 25 जनवरी को परिवार के 8 लोग महाकुंभ में नहाने के लिए गए थे, रात करीब डेढ़ बजे सभी सदस्य घाट के करीब पहुंच गए थे लेकिन तभी वहां पर भगदड़ मच गई। उसमें पूरा परिवार लोगों के नीचे दब गया। इसमें दुर्भाग्य ये रहा की करीब 3 घंटे तक ये वहीं दबे रहे। परिवार से जब भगदड़ का कारण पूछा गया तो उन्होंने कहा- VIP लोगों को स्नान कराने के लिए बैरिकेडिंग की गई थी, जिसके चलते आम लोगों को रोक दिया गया। बाद में पब्लिक के प्रेशर से बैरिकेडिंग टूट गई।
परिवार ने बताया कि उन्हें दिन में ही उनकी मौत की सूचना मिल गई थी। इसके बाद वह मौके पर पहुंचे और शव की पहचान की। पलवल के लोग बोले- बेहद डरावना था
माघी अमावस्या के दिन प्रयागराज महाकुंभ में शाही स्नान के दौरान मची भगदड़ में पलवल के भी श्रद्धालु शामिल थे। उन्होंने इस हादसे को एक भयानक याद बताते हुए उस समय के अनुभव को बताया।
पलवल में हथीन के कौशल, बंता गांव की इंद्रा देवी और हथीन की ही ज्योति देवी ने बताया है कि वहां का दृश्य बेहद डरावना था। हम किसी तरह से सुरक्षित बच निकले। चारों ओर अफरातफरी का माहौल था। चीख-पुकार मची हुई थी। लोग भाग रहे थे, एक-दूसरे से टकरा रहे थे और गिर रहे थे। इसमें ही कई लोग कुचल गए। जो हमने देखा वह असहनीय था। झज्जर के 30 श्रद्धालु प्रयागराज पहुंचे
इधर, झज्जर से भी 30 श्रद्धालु प्रयागराज पहुंचे हैं। हादसे के बाद उनके परिजनों ने उनका हाल लिया तो पता चला कि सभी सुरक्षित हैं। संगम क्षेत्र में डेरा चला रहे आचार्य उपेंद्र कृष्ण ने बताया है कि उन्हें यहां जगह मिल गई थी। उनके यहां झज्जर से करीब 30 श्रद्धालु आए हैं जो सुरक्षित हैं। इनमें महंत परमानंद गिरि महाराज, महंत मृत्युंजय गिरि महाराज, गीतानंद महाराज, भोला गिरि आदि संत शामिल हैं।