उत्तराखंड के अग्निवीर दीपक सिंह जम्मू-कश्मीर के पुंछ में संदिग्ध परिस्थितियों में गोली लगने से शहीद हो गए। 23 साल के दीपक मूल रूप से चंपावत के खरही गांव के रहने वाले थे और 10 दिन पहले ही छुट्टियां खत्म कर ड्यूटी पर लौटे थे। भारतीय सेना की 18 कुमाऊं रेजिमेंट में बतौर अग्निवीर तैनात दीपक, बीते कल एलओसी पर ड्यूटी दे रहे थे, रेजिमेंट के अन्य जवानों के मुताबिक दोपहर के समय उन्हें गोली चलने की आवाज आई और जब उन्होंने दीपक को देखा तो वो खून से लथपथ हालत में जमीन पर पड़े थे। बताया जा रहा था कि दीपक का परिवार उनकी शादी का तैयारी कर रहा था, रिश्ते आना भी शुरू हो गए थे लेकिन इसी बीच इस घटना से पूरा परिवार सदमे में है। एलओसी पर ड्यूटी, अचानक आई गोली चलने की आवाज दो साल पहले ही कुमाऊं रेजिमेंट में अग्निवीर के तौर पर भर्ती हुए दीपक, इन दिनों पुंछ जिले की मेंढर तहसील में एलओसी के पास अग्रिम चौकी पर तैनात थे। शनिवार दोपहर करीब ढाई बजे चौकी पर अचानक गोली चलने की आवाज सुनाई दी। साथी जवान मौके पर पहुंचे तो दीपक खून से लथपथ जमीन पर पड़े थे। उन्हें तुरंत बटालियन के चिकित्सा शिविर में ले जाया गया, जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। सेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर घटना की जांच के आदेश दिए और पुलिस को जानकारी दी। रेजिमेंट के अधिकारी परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त कर हर संभव सहायता देने का आश्वासन दे रहे हैं। अब अग्निवीर दीपक सिंह के बारे में जानिए…
दीपक सिंह का पूरा परिवार खरही गांव में ही रहता है, घर में पिता शिवराज सिंह और तारा तारी देवी के अलावा दो बड़ी बहनें और एक छोटा भाई है। दीपक चार भाई बहनों में तीसरे नंबर के थे। बचपन से ही दीपक को सेना में भर्ती होने का जुनून था, यही कारण भी था की पढ़ाई करते करते ही वह भर्ती की तैयारी भी करते रहते थे। ग्रामीण बताते हैं कि दीपक काफी शांत स्वभाव के थे और गांव में जब भी आते थे तो सभी से मिलते थे। हाल ही में छुट्टी आकर मेले में शामिल हुए ग्रामीणों ने बताया कि दीपक हाल ही में छुट्टी लेकर गांव आए थे और स्थानीय खरही मेले में भी शामिल हुए थे। परिवार वाले उनकी शादी की तैयारी कर रहे थे, लेकिन अचानक आई इस खबर ने पूरे घर को सदमे में डाल दिया है। मां तारी देवी तो लगातार बेटे की याद में रो रही हैं, और घर पर भी रिश्तेदारों का पहुंचना शुरू हो गया है। हर कोई इस दुख की घड़ी में परिवार को सांतवना देने पहुंच रहा है। सोमवार तक पहुंचेगी पार्थिव देह सेना ने मानक प्रक्रिया के तहत मामले की विस्तृत जांच शुरू कर दी है। जवान का पार्थिव शरीर सोमवार तक पैतृक गांव पहुंचने की संभावना है। हालांकि रीठासाहिब थानाध्यक्ष कमलेश भट्ट ने बताया कि पार्थिव शरीर गांव कब तक पहुंचेगा, इसकी आधिकारिक सूचना सेना की ओर से अभी प्राप्त नहीं हुई है।
उत्तराखंड के अग्निवीर दीपक सिंह जम्मू-कश्मीर के पुंछ में संदिग्ध परिस्थितियों में गोली लगने से शहीद हो गए। 23 साल के दीपक मूल रूप से चंपावत के खरही गांव के रहने वाले थे और 10 दिन पहले ही छुट्टियां खत्म कर ड्यूटी पर लौटे थे। भारतीय सेना की 18 कुमाऊं रेजिमेंट में बतौर अग्निवीर तैनात दीपक, बीते कल एलओसी पर ड्यूटी दे रहे थे, रेजिमेंट के अन्य जवानों के मुताबिक दोपहर के समय उन्हें गोली चलने की आवाज आई और जब उन्होंने दीपक को देखा तो वो खून से लथपथ हालत में जमीन पर पड़े थे। बताया जा रहा था कि दीपक का परिवार उनकी शादी का तैयारी कर रहा था, रिश्ते आना भी शुरू हो गए थे लेकिन इसी बीच इस घटना से पूरा परिवार सदमे में है। एलओसी पर ड्यूटी, अचानक आई गोली चलने की आवाज दो साल पहले ही कुमाऊं रेजिमेंट में अग्निवीर के तौर पर भर्ती हुए दीपक, इन दिनों पुंछ जिले की मेंढर तहसील में एलओसी के पास अग्रिम चौकी पर तैनात थे। शनिवार दोपहर करीब ढाई बजे चौकी पर अचानक गोली चलने की आवाज सुनाई दी। साथी जवान मौके पर पहुंचे तो दीपक खून से लथपथ जमीन पर पड़े थे। उन्हें तुरंत बटालियन के चिकित्सा शिविर में ले जाया गया, जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। सेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर घटना की जांच के आदेश दिए और पुलिस को जानकारी दी। रेजिमेंट के अधिकारी परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त कर हर संभव सहायता देने का आश्वासन दे रहे हैं। अब अग्निवीर दीपक सिंह के बारे में जानिए…
दीपक सिंह का पूरा परिवार खरही गांव में ही रहता है, घर में पिता शिवराज सिंह और तारा तारी देवी के अलावा दो बड़ी बहनें और एक छोटा भाई है। दीपक चार भाई बहनों में तीसरे नंबर के थे। बचपन से ही दीपक को सेना में भर्ती होने का जुनून था, यही कारण भी था की पढ़ाई करते करते ही वह भर्ती की तैयारी भी करते रहते थे। ग्रामीण बताते हैं कि दीपक काफी शांत स्वभाव के थे और गांव में जब भी आते थे तो सभी से मिलते थे। हाल ही में छुट्टी आकर मेले में शामिल हुए ग्रामीणों ने बताया कि दीपक हाल ही में छुट्टी लेकर गांव आए थे और स्थानीय खरही मेले में भी शामिल हुए थे। परिवार वाले उनकी शादी की तैयारी कर रहे थे, लेकिन अचानक आई इस खबर ने पूरे घर को सदमे में डाल दिया है। मां तारी देवी तो लगातार बेटे की याद में रो रही हैं, और घर पर भी रिश्तेदारों का पहुंचना शुरू हो गया है। हर कोई इस दुख की घड़ी में परिवार को सांतवना देने पहुंच रहा है। सोमवार तक पहुंचेगी पार्थिव देह सेना ने मानक प्रक्रिया के तहत मामले की विस्तृत जांच शुरू कर दी है। जवान का पार्थिव शरीर सोमवार तक पैतृक गांव पहुंचने की संभावना है। हालांकि रीठासाहिब थानाध्यक्ष कमलेश भट्ट ने बताया कि पार्थिव शरीर गांव कब तक पहुंचेगा, इसकी आधिकारिक सूचना सेना की ओर से अभी प्राप्त नहीं हुई है।