देश के बॉर्डरों पर युद्ध की स्थिति के दौरान हर परिस्थिति से निपटने के लिए भारतीय सेना हरिद्वार में युद्धाभ्यास कर रही है। करीब एक महीने से पश्चिम कमांड के सैनिक दिन-रात अभ्यास कर पसीना बहा रहे हैं। हिमालय क्षेत्र में युद्ध की स्थिति में अपनी दक्षता परखने के लिए ये सैन्य अभ्यास किया जा रहा है। भारतीय सेना की खड़ग कोर की रैम डिविजन ने सैन्य अभ्यास ‘रैम प्रहार’ को सफलतापूर्वक संपन्न किया। जिसका समापन शनिवार को हुआ। लेफ्टिनेंट जनरल मनोज कुमार कटियार, जीओसी-इन-सी, पश्चिमी कमांड ने सैन्य अभ्यास को देखा। हरिद्वार के जंगली इलाके झिलमिल झील फॉरेस्ट रेंज में गंगा की नील धारा के पास भारतीय सेना के टैंक, हेलिकॉप्टर और हवाई जहाजों की गड़गड़ाहट की आवाज गूंज रही है। लेफ्टिनेंट जनरल मनोज कटियार ने कहा- ट्रेनिंग और प्रशिक्षण के जरिए भारतीय सेना सभी इक्विपमेंट के इस्तेमाल की अपनी दक्षता को बढ़ा सके। इस उद्देश्य से रैम प्रहार युद्धाभ्यास किया जा रहा है। अगर दुश्मन अपनी हरकतों से बाज नहीं आता है तो ऑपरेशन सिंदूर की तरह भारतीय सेना मुंहतोड़ जवाब देने में सक्षम है। पहले देखिए युद्धाभ्यास से जुड़ी तस्वीरें… आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल कर रही सेना
लेफ्टिनेंट जनरल मनोज कटियार ने कहा कि दुश्मन हमारे इस अभ्यास को देखकर हमारी क्षमता से सबक लेता है और दोबारा कोई दूसरा घात नहीं करता है तो यह उसके लिए बहुत अच्छा है। उन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को भी जरूरी बताया है। उन्होंने कहा कि हम अपने डिसीजन मेकिंग, सर्विलांस सिस्टम में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल कर रहे हैं। टेक्नोलॉजी का बड़े पैमाने पर हो रहा इस्तेमाल
लेफ्टिनेंट जनरल मनोज कटियार का कहना है कि हमारी फॉर्मेशन रैम डिवीजन पिछले एक महीने से ट्रेनिंग कर रही है। यह डिवीजन हमारी सिस्टम कमान की ऑफेंसिव कमान है। इस डिवीजन का मुख्य मकसद पाकिस्तान के इलाके में घुसकर ऑब्जेक्टिव पर कब्जा करना है। यह पूरी ट्रेनिंग और एक्सरसाइज उस ऑब्जेक्टिव को हासिल करने के लिए है। उन्होंने कहा कि आज की लड़ाई काफी कंप्लीकेटेड है। आज टेक्नोलॉजी का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल हो रहा है और सभी प्लेटफार्म टैंक्स पीएमपी, अटक हेक्टर्स, एयरक्राफ्ट सभी लड़ाई का एक हिस्सा हैं। लेफ्टिनेंट जनरल ने बताया कि जो हम एक्सरसाइज करते हैं वह एक ऑपरेशनल टास्क को ध्यान में रखकर करते हैं। हमारा जो पाकिस्तान का बॉर्डर है उसमें कई नदियां हैं। ऊपर चिनाब, रावी और सतलज नदी है। अगर हमें पाकिस्तान पर ऑफेंसिव करना है तो कहीं ना कहीं रिवर क्रॉसिंग भी बहुत महत्वपूर्ण होगी। हरिद्वार में युद्धाभ्यास की चर्चा
हरिद्वार में पिछले एक महीने से आर्मी की गाड़ियां, टैंक और कैंप देखकर लोगों में कौतूहल है। सब इसकी चर्चा भी कर रहे हैं।
देश के बॉर्डरों पर युद्ध की स्थिति के दौरान हर परिस्थिति से निपटने के लिए भारतीय सेना हरिद्वार में युद्धाभ्यास कर रही है। करीब एक महीने से पश्चिम कमांड के सैनिक दिन-रात अभ्यास कर पसीना बहा रहे हैं। हिमालय क्षेत्र में युद्ध की स्थिति में अपनी दक्षता परखने के लिए ये सैन्य अभ्यास किया जा रहा है। भारतीय सेना की खड़ग कोर की रैम डिविजन ने सैन्य अभ्यास ‘रैम प्रहार’ को सफलतापूर्वक संपन्न किया। जिसका समापन शनिवार को हुआ। लेफ्टिनेंट जनरल मनोज कुमार कटियार, जीओसी-इन-सी, पश्चिमी कमांड ने सैन्य अभ्यास को देखा। हरिद्वार के जंगली इलाके झिलमिल झील फॉरेस्ट रेंज में गंगा की नील धारा के पास भारतीय सेना के टैंक, हेलिकॉप्टर और हवाई जहाजों की गड़गड़ाहट की आवाज गूंज रही है। लेफ्टिनेंट जनरल मनोज कटियार ने कहा- ट्रेनिंग और प्रशिक्षण के जरिए भारतीय सेना सभी इक्विपमेंट के इस्तेमाल की अपनी दक्षता को बढ़ा सके। इस उद्देश्य से रैम प्रहार युद्धाभ्यास किया जा रहा है। अगर दुश्मन अपनी हरकतों से बाज नहीं आता है तो ऑपरेशन सिंदूर की तरह भारतीय सेना मुंहतोड़ जवाब देने में सक्षम है। पहले देखिए युद्धाभ्यास से जुड़ी तस्वीरें… आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल कर रही सेना
लेफ्टिनेंट जनरल मनोज कटियार ने कहा कि दुश्मन हमारे इस अभ्यास को देखकर हमारी क्षमता से सबक लेता है और दोबारा कोई दूसरा घात नहीं करता है तो यह उसके लिए बहुत अच्छा है। उन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को भी जरूरी बताया है। उन्होंने कहा कि हम अपने डिसीजन मेकिंग, सर्विलांस सिस्टम में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल कर रहे हैं। टेक्नोलॉजी का बड़े पैमाने पर हो रहा इस्तेमाल
लेफ्टिनेंट जनरल मनोज कटियार का कहना है कि हमारी फॉर्मेशन रैम डिवीजन पिछले एक महीने से ट्रेनिंग कर रही है। यह डिवीजन हमारी सिस्टम कमान की ऑफेंसिव कमान है। इस डिवीजन का मुख्य मकसद पाकिस्तान के इलाके में घुसकर ऑब्जेक्टिव पर कब्जा करना है। यह पूरी ट्रेनिंग और एक्सरसाइज उस ऑब्जेक्टिव को हासिल करने के लिए है। उन्होंने कहा कि आज की लड़ाई काफी कंप्लीकेटेड है। आज टेक्नोलॉजी का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल हो रहा है और सभी प्लेटफार्म टैंक्स पीएमपी, अटक हेक्टर्स, एयरक्राफ्ट सभी लड़ाई का एक हिस्सा हैं। लेफ्टिनेंट जनरल ने बताया कि जो हम एक्सरसाइज करते हैं वह एक ऑपरेशनल टास्क को ध्यान में रखकर करते हैं। हमारा जो पाकिस्तान का बॉर्डर है उसमें कई नदियां हैं। ऊपर चिनाब, रावी और सतलज नदी है। अगर हमें पाकिस्तान पर ऑफेंसिव करना है तो कहीं ना कहीं रिवर क्रॉसिंग भी बहुत महत्वपूर्ण होगी। हरिद्वार में युद्धाभ्यास की चर्चा
हरिद्वार में पिछले एक महीने से आर्मी की गाड़ियां, टैंक और कैंप देखकर लोगों में कौतूहल है। सब इसकी चर्चा भी कर रहे हैं।