
छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में हुई मुठभेड़ में 27 नक्सलियों के मारे जाने की खबर है। 14 के शव और हथियार भी बरामद कर लिए गए हैं। इनमें 1 करोड़ का इनामी जयराम उर्फ चलपति समेत कई कमांडर भी मारे गए हैं। सभी 14 नक्सलियों के शव लेकर जवान जिला मुख्यालय गरियाबंद पहुंच गए हैं। रविवार रात को छत्तीसगढ़ और ओडिशा की ओर से जॉइंट ऑपरेशन चलाया गया था। सोमवार को गरियाबंद के भालू डिग्गी जंगल में दिनभर रुक-रुककर फायरिंग हुई जो मंगलवार को भी जारी रही। करीब 1000 जवानों ने नक्सलियों को घेर रखा था। 2 जवान घायल मुठभेड़ में 2 जवान भी घायल हुए हैं। 20 जनवरी को घायल हुए एक जवान को एयरलिफ्ट कर रायपुर लाया गया। SOG (स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप) जवान के पैर में गोली लगी है। इसी तरह 21 जनवरी को मुठभेड़ में एसओजी नुआपाडा का आरक्षक घायल हुआ। इसे भी इलाज के लिए रायपुर भेजा गया। दोनों की हालत सामान्य है। मुठभेड़ में जवानों को मिली कामयाबी पर केंद्रीय गृहमंत्री शाह ने कहा कि, देश में नक्सलवाद अपनी आखिरी सांसें गिन रहा है। ग्राउंड जीरो की तस्वीरें सर्चिंग पर निकले जवानों पर किया हमला
छत्तीसगढ़ और ओडिशा की ओर से जॉइंट ऑपरेशन चलाया गया था। इसमें 10 टीमें एक साथ निकली थीं। 3 टीम ओडिशा से, 2 टीम छत्तीसगढ़ पुलिस से और 5 CRPF टीम इस ऑपरेशन में शामिल थीं। जवान क्षेत्र में सर्चिंग अभियान पर निकले थे, तभी नक्सलियों ने उन पर हमला किया। 20 जनवरी को 3 IED भी बरामद किए गए थे। पहली बार ड्रोन का ऐसा इस्तेमाल
बस्तर में ड्रोन का प्रयोग मुठभेड़ के समय नहीं किया जा सका, क्योंकि जंगल इतने ज्यादा हैं कि कुछ भी दिखना संभव नहीं हो पाता। ड्रोन कैमरे से देखकर नक्सलियों को मारने का यहां पहला प्रयोग किया गया। बस्तर की तरफ से गरियाबंद भाग रहे नक्सली
जिन नक्सलियों के मारे जाने की खबर है, वो सेंट्रल कमेटी के हैं। ये नक्सलियों के टॉप लीडर होते हैं। गरियाबंद में अब तक DVCM (डिविजनल कमेटी मेंबर), ACM (एरिया कमेटी मेंबर) ही मूवमेंट करते थे, लेकिन पहली बार टॉप लीडरों की मौजूदगी इस तरफ दिखी है। इसका कारण हो सकता है कि बस्तर में अबूझमाड़ तक फोर्स के कैंप बन चुके हैं। अबूझमाड़ और पामेड़ ही नक्सलियों का सबसे सुरक्षित ठिकाना था, लेकिन लगातार एनकाउंटर से नक्सली गरियाबंध की तरफ भागे होंगे। गरियाबंद ही क्यों
बस्तर के बाद गरियाबंद का मैनपुर इलाका ओडिशा से लगा हुआ है। दोनों राज्यों में आने जाने के लिए ज्यादा जंगल का रास्ता आसान है। छिपने के लिए ठिकाने हैं। नक्सली धमतरी के सिहावा, कांकेर, कोंडागांव होते हुए यहां से भी ओडिशा भाग सकते हैं। आंध्र प्रदेश का रहने वाला था जयराम उर्फ चलपति
जयराम रेड्डी उर्फ रामाचंद्रा रेड्डी उर्फ अप्पाराव उर्फ रामू आंध्र प्रदेश के चित्तूर के माटेमपल्ली का रहने वाला था। इसकी उम्र करीब 60 साल थी। इसने 10वीं तक की पढ़ाई की थी। वह सेंट्रल कमेटी मेंबर (CCM) कैडर का था। चलपति बस्तर के अबूझमाड़ इलाके में भी सक्रिय था। AK-47, SLR जैसी राइफल रखता था। इसकी सुरक्षा में भी करीब 8 से 10 गार्ड रहते थे। सूत्रों की मानें तो अबूझमाड़ में लगातार हो रही मुठभेड़ के बाद कुछ महीने पहले ही इसने अपना ठिकाना बदल दिया और गरियाबंद-ओडिशा बॉर्डर पर चला गया था। यह नक्सल संगठन में फ्रंटलाइन का लीडर था। 4 दिन पहले ही 18 नक्सलियों को मार गिराया था
छत्तीसगढ़-तेलंगाना बॉर्डर पर 16 जनवरी को मुठभेड़ हुई थी। इसमें 18 नक्सली मारे गए। इनमें SCM (सेंट्रल कमेटी मेंबर) दामोदर भी मारा गया। दामोदर पर 50 लाख का इनाम घोषित था। फोर्स ने 12 नक्सलियों के शव बरामद किए हैं, जिसमें 10 की पहचान कर ली गई है। मरने वालों में 5 महिला नक्सली भी शामिल हैं। इन पर कुल 59 लाख रुपए का इनाम था। 6 नक्सलियों के शव को खुद नक्सल संगठन के लोग साथ लेकर चले गए। मारे गए नक्सलियों की तस्वीर देखिए… ………………………………. नक्सली मुठभेड़ से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… जवानों को मिला नक्सलियों का बंकर…बनते थे बम और गन,VIDEO: जमीन में 10 फीट गहरा, 14 फीट चौड़ा कमरा; एनकाउंटर में बच निकले हिड़मा-देवा बस्तर में 3 जिलों की पुलिस फोर्स ने नक्सली कमांडर हिड़मा के गढ़ में घुसकर हिड़मा और देवा की टीम के 18 लड़ाकों का एनकाउंटर कर दिया है। हालांकि, इस बार भी हिड़मा और देवा पुलिस की गोलियों से बचकर निकल गए। सर्चिंग के दौरान शुक्रवार को जवानों को नक्सलियों का बंकर भी मिला है। जमीन के अंदर ही करीब 10 फीट गहरा और 12 से 14 फीट चौड़ा कमरा बनाया गया था। इसके अंदर हथियार और बम बनाने मशीन, बारूद, तार रखे थे। पढ़ें पूरी खबर…
छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में हुई मुठभेड़ में 27 नक्सलियों के मारे जाने की खबर है। 14 के शव और हथियार भी बरामद कर लिए गए हैं। इनमें 1 करोड़ का इनामी जयराम उर्फ चलपति समेत कई कमांडर भी मारे गए हैं। सभी 14 नक्सलियों के शव लेकर जवान जिला मुख्यालय गरियाबंद पहुंच गए हैं। रविवार रात को छत्तीसगढ़ और ओडिशा की ओर से जॉइंट ऑपरेशन चलाया गया था। सोमवार को गरियाबंद के भालू डिग्गी जंगल में दिनभर रुक-रुककर फायरिंग हुई जो मंगलवार को भी जारी रही। करीब 1000 जवानों ने नक्सलियों को घेर रखा था। 2 जवान घायल मुठभेड़ में 2 जवान भी घायल हुए हैं। 20 जनवरी को घायल हुए एक जवान को एयरलिफ्ट कर रायपुर लाया गया। SOG (स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप) जवान के पैर में गोली लगी है। इसी तरह 21 जनवरी को मुठभेड़ में एसओजी नुआपाडा का आरक्षक घायल हुआ। इसे भी इलाज के लिए रायपुर भेजा गया। दोनों की हालत सामान्य है। मुठभेड़ में जवानों को मिली कामयाबी पर केंद्रीय गृहमंत्री शाह ने कहा कि, देश में नक्सलवाद अपनी आखिरी सांसें गिन रहा है। ग्राउंड जीरो की तस्वीरें सर्चिंग पर निकले जवानों पर किया हमला
छत्तीसगढ़ और ओडिशा की ओर से जॉइंट ऑपरेशन चलाया गया था। इसमें 10 टीमें एक साथ निकली थीं। 3 टीम ओडिशा से, 2 टीम छत्तीसगढ़ पुलिस से और 5 CRPF टीम इस ऑपरेशन में शामिल थीं। जवान क्षेत्र में सर्चिंग अभियान पर निकले थे, तभी नक्सलियों ने उन पर हमला किया। 20 जनवरी को 3 IED भी बरामद किए गए थे। पहली बार ड्रोन का ऐसा इस्तेमाल
बस्तर में ड्रोन का प्रयोग मुठभेड़ के समय नहीं किया जा सका, क्योंकि जंगल इतने ज्यादा हैं कि कुछ भी दिखना संभव नहीं हो पाता। ड्रोन कैमरे से देखकर नक्सलियों को मारने का यहां पहला प्रयोग किया गया। बस्तर की तरफ से गरियाबंद भाग रहे नक्सली
जिन नक्सलियों के मारे जाने की खबर है, वो सेंट्रल कमेटी के हैं। ये नक्सलियों के टॉप लीडर होते हैं। गरियाबंद में अब तक DVCM (डिविजनल कमेटी मेंबर), ACM (एरिया कमेटी मेंबर) ही मूवमेंट करते थे, लेकिन पहली बार टॉप लीडरों की मौजूदगी इस तरफ दिखी है। इसका कारण हो सकता है कि बस्तर में अबूझमाड़ तक फोर्स के कैंप बन चुके हैं। अबूझमाड़ और पामेड़ ही नक्सलियों का सबसे सुरक्षित ठिकाना था, लेकिन लगातार एनकाउंटर से नक्सली गरियाबंध की तरफ भागे होंगे। गरियाबंद ही क्यों
बस्तर के बाद गरियाबंद का मैनपुर इलाका ओडिशा से लगा हुआ है। दोनों राज्यों में आने जाने के लिए ज्यादा जंगल का रास्ता आसान है। छिपने के लिए ठिकाने हैं। नक्सली धमतरी के सिहावा, कांकेर, कोंडागांव होते हुए यहां से भी ओडिशा भाग सकते हैं। आंध्र प्रदेश का रहने वाला था जयराम उर्फ चलपति
जयराम रेड्डी उर्फ रामाचंद्रा रेड्डी उर्फ अप्पाराव उर्फ रामू आंध्र प्रदेश के चित्तूर के माटेमपल्ली का रहने वाला था। इसकी उम्र करीब 60 साल थी। इसने 10वीं तक की पढ़ाई की थी। वह सेंट्रल कमेटी मेंबर (CCM) कैडर का था। चलपति बस्तर के अबूझमाड़ इलाके में भी सक्रिय था। AK-47, SLR जैसी राइफल रखता था। इसकी सुरक्षा में भी करीब 8 से 10 गार्ड रहते थे। सूत्रों की मानें तो अबूझमाड़ में लगातार हो रही मुठभेड़ के बाद कुछ महीने पहले ही इसने अपना ठिकाना बदल दिया और गरियाबंद-ओडिशा बॉर्डर पर चला गया था। यह नक्सल संगठन में फ्रंटलाइन का लीडर था। 4 दिन पहले ही 18 नक्सलियों को मार गिराया था
छत्तीसगढ़-तेलंगाना बॉर्डर पर 16 जनवरी को मुठभेड़ हुई थी। इसमें 18 नक्सली मारे गए। इनमें SCM (सेंट्रल कमेटी मेंबर) दामोदर भी मारा गया। दामोदर पर 50 लाख का इनाम घोषित था। फोर्स ने 12 नक्सलियों के शव बरामद किए हैं, जिसमें 10 की पहचान कर ली गई है। मरने वालों में 5 महिला नक्सली भी शामिल हैं। इन पर कुल 59 लाख रुपए का इनाम था। 6 नक्सलियों के शव को खुद नक्सल संगठन के लोग साथ लेकर चले गए। मारे गए नक्सलियों की तस्वीर देखिए… ………………………………. नक्सली मुठभेड़ से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… जवानों को मिला नक्सलियों का बंकर…बनते थे बम और गन,VIDEO: जमीन में 10 फीट गहरा, 14 फीट चौड़ा कमरा; एनकाउंटर में बच निकले हिड़मा-देवा बस्तर में 3 जिलों की पुलिस फोर्स ने नक्सली कमांडर हिड़मा के गढ़ में घुसकर हिड़मा और देवा की टीम के 18 लड़ाकों का एनकाउंटर कर दिया है। हालांकि, इस बार भी हिड़मा और देवा पुलिस की गोलियों से बचकर निकल गए। सर्चिंग के दौरान शुक्रवार को जवानों को नक्सलियों का बंकर भी मिला है। जमीन के अंदर ही करीब 10 फीट गहरा और 12 से 14 फीट चौड़ा कमरा बनाया गया था। इसके अंदर हथियार और बम बनाने मशीन, बारूद, तार रखे थे। पढ़ें पूरी खबर…