
कश्मीर पुलिस, भारतीय सेना और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के बारामूला जिले के जालोरा गांव में चलाए जा रहे तलाशी अभियान के दौरान एक जवान गंभीर रूप से घायल हो गया था। घायल जवान को इलाज के लिए हॉस्पिटल में भर्ती किया गया, जहां उसकी मौत हो गई। रविवार को सुरक्षा बलों और पुलिस ने सोपोर के जालोरा गांव में घेराबंदी और तलाशी अभियान के दौरान एक ठिकाने का भंडाफोड़ किया था। यह गांव सोपोर से कुछ किलोमीटर दूर है। मुठभेड़ उस समय शुरू हुई जब सोपोर पुलिस के साथ 22 राष्ट्रीय राइफल्स, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) की 179वीं बटालियन पर आतंकियों ने फायरिंग कर दी। अंधेरे के कारण रोक दिया था सर्च ऑपरेशन सुरक्षा बलों के मुताबिक रविवार शाम अंधेरा बढ़ने के बाद जालोरा के गुज्जरपति इलाके में चल रहा ऑपरेशन रोक दिया गया था। जिसे सोमवार सुबह दोबारा शुरू किया गया। आतंकियों को भागने से रोकने के लिए पूरे इलाके में बड़ी संख्या में सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए हैं। 30 दिन पहले कुलगाम में एनकाउंटर हुआ, 5 आतंकी ढेर हुए थे 19 दिसंबर को कुलगाम जिले के कद्देर इलाके में सेना और पुलिस ने जॉइंट ऑपरेशन में 5 आतंकियों को ढेर कर दिया था। इनमें हिजबुल मुजाहिदीन का कमांडर फारूक अहमद भट्ट भी शामिल था। मुठभेड़ में 2 जवान भी घायल हुए थे। जम्मू में जैश और लश्कर का 20 साल पुराना नेटवर्क एक्टिव जम्मू रीजन में सेना ने 20 साल पहले पाकिस्तान परस्त आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के जिस लोकल नेटवर्क को सख्ती से निष्क्रिय कर दिया था, वो पूरी ताकत से फिर एक्टिव हो गया है। पहले ये लोग आतंकियों का सामान ढोने का काम करते थे, अब उन्हें गांवों में ही हथियार, गोला बारूद और खाना-पीना दे रहे हैं। दिसंबर में 25 संदिग्धों को हिरासत में लिया गया था। उन्होंने पूछताछ में बताया था कि लोकल नेटवर्क जम्मू के 10 में से नौ जिलों राजौरी, पुंछ, रियासी, ऊधमपुर, कठुआ, डोडा, किश्तवाड़, जम्मू और रामबन में जम चुका है। जम्मू-कश्मीर के पूर्व DGP एसपी वैद्य के मुताबिक, आर्टिकल 370 हटने के बाद से ही पाकिस्तान आर्मी और ISI ने जम्मू को टारगेट करना शुरू कर दिया था। उसने 2 साल में इस नेटवर्क को सक्रिय किया। इन्हीं की मदद से आतंकियों ने 2020 में पुंछ और राजौरी में सेना पर बड़े हमले किए। फिर ऊधमपुर, रियासी, डोडा और कठुआ को निशाने पर लिया।
कश्मीर पुलिस, भारतीय सेना और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के बारामूला जिले के जालोरा गांव में चलाए जा रहे तलाशी अभियान के दौरान एक जवान गंभीर रूप से घायल हो गया था। घायल जवान को इलाज के लिए हॉस्पिटल में भर्ती किया गया, जहां उसकी मौत हो गई। रविवार को सुरक्षा बलों और पुलिस ने सोपोर के जालोरा गांव में घेराबंदी और तलाशी अभियान के दौरान एक ठिकाने का भंडाफोड़ किया था। यह गांव सोपोर से कुछ किलोमीटर दूर है। मुठभेड़ उस समय शुरू हुई जब सोपोर पुलिस के साथ 22 राष्ट्रीय राइफल्स, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) की 179वीं बटालियन पर आतंकियों ने फायरिंग कर दी। अंधेरे के कारण रोक दिया था सर्च ऑपरेशन सुरक्षा बलों के मुताबिक रविवार शाम अंधेरा बढ़ने के बाद जालोरा के गुज्जरपति इलाके में चल रहा ऑपरेशन रोक दिया गया था। जिसे सोमवार सुबह दोबारा शुरू किया गया। आतंकियों को भागने से रोकने के लिए पूरे इलाके में बड़ी संख्या में सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए हैं। 30 दिन पहले कुलगाम में एनकाउंटर हुआ, 5 आतंकी ढेर हुए थे 19 दिसंबर को कुलगाम जिले के कद्देर इलाके में सेना और पुलिस ने जॉइंट ऑपरेशन में 5 आतंकियों को ढेर कर दिया था। इनमें हिजबुल मुजाहिदीन का कमांडर फारूक अहमद भट्ट भी शामिल था। मुठभेड़ में 2 जवान भी घायल हुए थे। जम्मू में जैश और लश्कर का 20 साल पुराना नेटवर्क एक्टिव जम्मू रीजन में सेना ने 20 साल पहले पाकिस्तान परस्त आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के जिस लोकल नेटवर्क को सख्ती से निष्क्रिय कर दिया था, वो पूरी ताकत से फिर एक्टिव हो गया है। पहले ये लोग आतंकियों का सामान ढोने का काम करते थे, अब उन्हें गांवों में ही हथियार, गोला बारूद और खाना-पीना दे रहे हैं। दिसंबर में 25 संदिग्धों को हिरासत में लिया गया था। उन्होंने पूछताछ में बताया था कि लोकल नेटवर्क जम्मू के 10 में से नौ जिलों राजौरी, पुंछ, रियासी, ऊधमपुर, कठुआ, डोडा, किश्तवाड़, जम्मू और रामबन में जम चुका है। जम्मू-कश्मीर के पूर्व DGP एसपी वैद्य के मुताबिक, आर्टिकल 370 हटने के बाद से ही पाकिस्तान आर्मी और ISI ने जम्मू को टारगेट करना शुरू कर दिया था। उसने 2 साल में इस नेटवर्क को सक्रिय किया। इन्हीं की मदद से आतंकियों ने 2020 में पुंछ और राजौरी में सेना पर बड़े हमले किए। फिर ऊधमपुर, रियासी, डोडा और कठुआ को निशाने पर लिया।