पंजाब के खालिस्तान समर्थक सांसद अमृतपाल की नई पार्टी का ऐलान हो गया है। इसका नाम ‘अकाली दल वारिस पंजाब दे’ रखा गया है। मंगलवार को मुक्तसर के माघी मेले में सियासी कॉन्फ्रेंस कर इसकी घोषणा की गई। पार्टी का अध्यक्ष असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद सांसद अमृतपाल को बनाया गया है। अमृतपाल पर देशद्रोह के आरोप में NSA लगाया गया है। चूंकि अध्यक्ष अमृतपाल अभी जेल में हैं, इसलिए पार्टी को चलाने के लिए कमेटी बनाई गई है। इस दौरान अमृतपाल के पिता तरसेम सिंह और फरीदकोट से निर्दलीय सांसद सर्बजीत सिंह भी मौजूद रहे। पार्टी नेता जसकरन सिंह काहन सिंह वाला ने कहा कि चुनाव आयोग को पार्टी के लिए 3 नाम भेजे गए थे, जिसमें इस नाम पर मुहर लगी है। उन्होंने कहा कि ये दो विचारधाराओं की जंग है। एक विचारधारा दिल्ली की है, जो किसानों की जान ले रही है। दिल्ली की सोच सिख समुदाय को नुकसान पहुंचा रही है। दिल्ली की सोच बंदी सिखों को बंदी बनाए रखना चाहती है। दिल्ली की सोच पंथ और पंजाब को नुकसान पहुंचा रही है। दिल्ली की सोच पंजाब के पानी को लूटना चाहती है। वहीं, अमृतपाल की पार्टी से सबसे ज्यादा नुकसान अकाली दल (बादल) को हो सकता है। जो अभी तक पंथक राजनीति का सबसे बड़ा चेहरा था, लेकिन अब नए अकाली दल से चुनौती मिलेगी। अमृतपाल सिंह अकाली दल के लिए चुनौती
अमृतपाल सिंह की राजनीतिक पार्टी बनना सबसे बड़ी चुनौती शिरोमणि अकाली दल (बादल) के लिए है, क्योंकि अकाली दल खुद को सबसे बड़ पंथ हिमायती कहता है। साल 2015 में हुई श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी की घटनाओं और राम रहीम को माफी देने के मुद्दे पर अकाली दल का ग्राफ तेजी से गिरा है। पंथक वोट बैंक अकाली दल से दूर हुआ है। इस समय अकाली दल के पास मात्र एक सांसद हरसिमरत कौर बादल हैं। हाल ही में खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह और सर्बजीत सिंह खालसा सांसद बने हैं। दोनों निर्दलीय चुनाव जीते थे। एक्सपर्ट बोले- SGPC चुनाव में पार्टी का असर पता चलेगा
सीनियर जर्नलिस्ट भूपिंदर सिंह कहते हैं, ‘अमृतपाल सिंह की पार्टी से पंजाब की राजनीति पर असर जरूर पड़ेगा। जिस तरह जेल में रहकर अमृतपाल सिंह ने चुनाव जीता, उससे उन्हें उम्मीद है कि उनकी पार्टी बनने के बाद पंथक वोट बैंक उनकी तरफ शिफ्ट हो सकता है। इससे सीधे शिरोमणि अकाली दल को नुकसान होगा। हालांकि, इससे पहले भी कई सिख पार्टियां बनी हैं, लेकिन वह कामयाब नहीं हो पाईं। इसके पीछे की वजह है कि अकाली दल के नेता मॉडरेट माने जाते हैं, लेकिन इस बार स्थिति बदल जाएगी। शिरोमणि गुरद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) के चुनाव में इसका पता चल जाएगा। दूसरा, 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव में इसका फायदा भाजपा व कांग्रेस को मिलेगा। क्योंकि 12 फीसदी लोग बाहरी राज्यों से आकर पंजाब में बसे हैं। वह इस पार्टी के बनने के बाद सीधे असहज महसूस करते हुए दोनों राष्ट्रीय पार्टियों की तरफ झुकेंगे। वारिस पंजाब दे का चीफ अमृतपाल सिंह
सांसद बनने से पहले अमृतपाल सिंह ‘वारिस पंजाब दे’ संगठन को संभाल रहा था। यह संगठन पंजाबी अभिनेता संदीप सिंह उर्फ दीप सिद्धू ने सितंबर 2021 में बनाया था। दीप सिद्धू तब सुर्खियों में आए थे, जब पिछले आंदोलन में शंभू बॉर्डर पर उन्होंने अधिकारी से अंग्रेजी में बात की। इसके बाद 26 जनवरी 2021 को लाल किले पर हुए उपद्रव के मामले में भी दीप सिद्धू प्रमुख आरोपी था। दीप सिद्धू ने संगठन बनाने के बाद कहा था कि इसका मकसद युवाओं को सिख पंथ के रास्ते पर लाना और पंजाब को जगाना है। 15 फरवरी 2022 को दिल्ली से लौटते वक्त दीप सिद्धू की सड़क हादसे में मौत हो गई थी। इसके बाद अमृतपाल सिंह दुबई से भारत लौटा और वारिस पंजाब दे का चीफ बन गया। अमृतपाल की पार्टी का ऐलान करते समय 15 मत भी पेश किए गए- पहला मता- राज्य की पार्टी की स्थापना पंजाब के कल्याण के लिए राज्य की पार्टी की स्थापना की गई। भाई अमृतपाल सिंह खालसा को अकाली दल (पंजाब का उत्तराधिकारी) का मुख्य सेवादार नियुक्त किया गया। आगामी समय में पार्टी के नियमित अध्यक्ष के चुनाव तक, इस राजनीतिक दल का नेतृत्व पांच सदस्यीय कार्यकारी समिति द्वारा किया जाएगा। जिसमें निम्नलिखित सदस्य होंगे। 1. तरसेम सिंह (अमृतपाल के पिता) 2. भाई सरबजीत सिंह खालसा (सांसद) 3. भाई अमरजीत सिंह 4. भाई हरभजन सिंह तूर 5. भाई सुरजीत सिंह दूसरा मता- भर्ती कमेटी अकाली दल कार्यकारी समिति के नेतृत्व में सात सदस्यीय भर्ती समिति गठित की जाती है। बैसाखी के दिन तख्त श्री दमदमा साहिब में एक प्रतिनिधि सत्र आयोजित कर नए पार्टी अध्यक्ष और अन्य पदाधिकारियों का चुनाव करेगी। 1. हरप्रीत सिंह समाधाभाई 2. नरिंदर सिंह नारली 3. चरणदीप सिंह भिंडर 4. दविंदर सिंह हरिएवाल 5. संदीप सिंह रूपालोन 6. हरप्रीत सिंह 7. काबल सिंह तीसरा मता- संविधान की रूपरेखा और एजेंडा समिति कार्यकारिणी समिति एक संविधान की रूपरेखा एवं एजेंडा समिति की भी घोषणा करती है। जो सभी की सलाह से बैसाखी तक पार्टी के संविधान, एजेंडा, नीति कार्यक्रम और अनुशासन आदि पर निर्णय लेगी। समिति के सदस्यों के नाम 1. भाई हरसिमरन सिंह 2. सरबजीत सिंह सोहल 3. डॉ. भगवान सिंह 4. बलजीत सिंह खालसा 5. बाबू सिंह बराड़ चौथा मता- सिख संस्थाओं को ताकतवर बनाना अकाली दल (वारिस पंजाब दे) सिख संस्थाओं को ताकतवर बनाने के लिए उनमें आवश्यक सुधार लाने के लिए प्रतिबद्ध है। इस संबंध में धार्मिक एवं प्रशासनिक मामलों के विशेषज्ञों को धार्मिक मंच बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। यह मंच शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के चुनावों के लिए उच्च चरित्र वाले, ईमानदार और मेहनती गुरसिखों को आगे लाएगा। पांचवां मता- राजनीतिक मते और बदलती सिख राजनीति की देखरेख पिछले दशकों में विशेषकर 1970-78 के दौरान पंजाब और पंथ के अधिकारों के लिए सिखों द्वारा लड़े गए संघर्ष के परिणामस्वरूप हजारों सिखों की शहादत और बलिदान हुआ। गुरुद्वारों और अन्य स्थानों पर जान-माल की हानि हुई। जिससे सिखों की स्थिति और खराब हो गई। सिख पंथ के लिए एक महान विरासत बनाई गई है। अकाली दल (वारिस पंजाब दे) संघर्ष की इस विरासत को जनांदोलन में बदलने के लिए एक नया राजनीतिक मंच प्रदान करने की आवश्यकता को पूरा करने का प्रयास करेगा। छठा मता- श्री अकाल तख्त साहिब के सिद्धांतों की सुरक्षा आज की यह सभा 2 दिसंबर को श्री अकाल तख्त साहिब पर लिए गए निर्णयों की जोरदार सराहना करती है। इन ऐतिहासिक निर्णयों से पंचप्रधानी व्यवस्था की प्रतिष्ठा बढ़ाने वाले जत्थेदार राष्ट्रीय सम्मान के पात्र हैं। यह सभा यह घोषणा करती है कि श्री अकाल तख्त साहिब के मीरी और पीरी के सिद्धांत के अनुसार 2 दिसंबर 2024 को अकाली दल बादल के कुछ नेताओं को फूल भेंट करते हुए हुक्मनामा की अवहेलना करने वाले इन लोगों को किसी भी मैदान में मुंह नहीं करने दिया जाएगा। उन पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। सातवां मता- सभी बंदी सिखों की रिहाई के लिए संघर्ष का समर्थन आज की सभा जेल में बंद सिखों की रिहाई की मांग करती है। उन सरकारों की कड़ी निंदा करती है जो उन्हें जेल में बंद सिखों के लिए आवाज उठाने की भी इजाजत नहीं दे रही हैं। सभा इस प्रतिज्ञा को भी दोहराती है कि कैद सिखों की रिहाई के लिए शांतिपूर्ण संघर्ष तब तक जारी रहेगा जब तक कि सभी कैद सिखों को रिहा नहीं कर दिया जाता। आठवां मता- नस्लों और फसलों को बचाने के लिए किसानों के संघर्ष को समर्थन पार्टी द्वारा सभा किसानों के संघर्ष का पूर्ण समर्थन किया गया और किसानों की मांगों के प्रति सरकार के अड़ियल रवैये की कड़ी निंदा की है। जिसके तहत किसानों से बातचीत न करके सरकार किसानों की मांगों को लागू करने में विफल रही है। वह जगजीत सिंह दल्लेवाल समेत करोड़ों किसानों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रही है। हरियाणा सरकार भी इस दमन में बराबर की भागीदार है। जो किसानों को दिल्ली जाने से रोक रही है। नौवां मता- सिख राजनीति में बदलाव के लिए एकता की अपील पंजाब में सिख राजनीति में बदलाव लाने के लिए पार्टी ने सिखों से एकता की अपील की है। पंजाब की क्षेत्रीय पार्टी को आगे बढ़ाने और सभी सिख संस्थाओं को शक्तिशाली बनाने, वैचारिक और मुद्दा आधारित राजनीति के लिए एक-दूसरे के करीब आने के लिए, ताकि आपसी एकता के माध्यम से पंथ और पंजाब के उज्ज्वल भविष्य के लिए कदम आगे बढ़ाए जा सकें। दसवां मता- आनंदपुर वापसी दसवें मते में कहा गया कि पंजाब इस समय कई अन्य संकटों से जूझ रहा है। लेकिन सबसे बड़ा संकट नशे का है। कुछ दवाएं ऐसी हैं जिन्हें दुर्भाग्यवश हमारे समाज ने स्वीकार कर लिया है और कुछ सिंथेटिक दवाएं हैं जो हर दिन हमारे युवाओं की जान ले रही हैं। अखबारों की रिपोर्ट और सोशल मीडिया पोस्ट से पता चलता है कि स्थिति कितनी खराब है। हर गांव शहर और कस्बे में अकेले माता-पिता अपने बेटों की तस्वीरें लेकर उनकी दयनीय स्थिति का वर्णन करते नजर आते हैं। सिख युवाओं को नशे से दूर रखने तथा उन्हें धार्मिक जीवन जीने के लिए प्रेरित करने के लिए शिरोमणि अकाली दल (वारिस पंजाब दे) ‘आनंदपुर लौटो’ के नारे के तहत बड़े पैमाने पर आंदोलन शुरू करेगा। इस दौरान किसी भी नशेड़ी पर कानूनी कार्रवाई नहीं की जाएगी। बल्कि उसे प्रेमपूर्वक धार्मिक जीवन जीने के लिए प्रेरित किया जाएगा। 11वां मता- पलायन के कारण शिक्षित और प्रतिभाशाली युवाओं का प्रतिभा पलायन हमारा उद्देश्य पंजाब के विद्यार्थियों के उज्ज्वल भविष्य के लिए विश्व स्तरीय शिक्षण संस्थानों की स्थापना करना है। शिक्षा जगत में गैर-पंजाबी लोगों के हस्तक्षेप को रोकने और पंजाब विरोधी तत्वों को जड़ से उखाड़ने के लिए व्यापक प्रयास किए जाएंगे। 12वां मता- पंजाब पंजाबियों का पंजाब में योजनाबद्ध तरीके से पलायन हो रहा है। जिसके कारण पंजाब में बड़े पैमाने पर बदलाव हो रहा है। गैर-पंजाबी लोग पंजाब के संसाधनों और व्यवसायों पर कब्जा कर रहे हैं। जिससे पंजाब के लोगों के लिए उपलब्ध अवसर छिन रहे हैं। प्रवासी लोगों को योजनाबद्ध तरीके से पंजाब में बसाया जा रहा है। इस हमले का भारत के लगभग हर राज्य द्वारा विरोध किया जा रहा है। जहां योजनाबद्ध तरीके से अप्रवासियों को बसाया जा रहा है। भारत में लगभग हर राज्य ने इस संबंध में या तो सख्त कानून बना लिए हैं या फिर इस पर बहुत संवेदनशील तरीके से विचार कर रहा है। इस प्रस्ताव के नाम के अनुसार पंजाब में ‘पंजाब पंजाबियां दा’ का नारा बुलंद किया जाएगा। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि पंजाब में सभी प्रकार की सरकारी और निजी व्यावसायिक नौकरियों में केवल पंजाबियों को ही प्राथमिकता दी जाएगी। 13वां मता- गुरु के प्रति आदर एक षड्यंत्र के तहत की गई गुरु ग्रंथ साहिब महाराज की बेअदबी से हर सिख का दिल टूटा है। कई बार हुई बेअदबी की घटना से पंजाब में गुस्सा है। इन अनगिनत अपवित्र कृत्यों का सिलसिला आज भी जारी है। जिसके तहत कई जगहों पर लालच की आड़ में धर्म परिवर्तन कराने वालों पर शिकंजा कसा जाएगा। और जिन लोगों ने गुरु ग्रंथ साहिब महाराज का अपमान करने के लिए अप्रवासियों को भेजा था। श्री गुरु ग्रंथ साहिब महाराज के प्रति आदर व श्रद्धा को ध्यान में रखते हुए इस संबंध में सख्त कानून बनाए जाएंगे ताकि श्री गुरु ग्रंथ साहिब महाराज व किसी भी अन्य धार्मिक स्थल या धर्म की बेअदबी करके पंजाब में कानून व्यवस्था को बिगाड़ने के प्रयासों पर अंकुश लगाया जा सके। 14वां मता- पंजाब के अन्य वर्गों का प्रतिनिधित्व अकाली दल (वारिस पंजाब दे) पंजाब के सभी धर्मों (मूल निवासियों) के लिए व्यापार करने और शांति से रहने के लिए अनुकूल वातावरण तैयार करेगा। जैसा कि महाराजा रणजीत सिंह ने सिख शासन के दौरान किया था। पंजाब समर्थक होने का दावा करते हुए पार्टी में पंजाब के सभी धर्मों (मूल निवासियों) को उचित प्रतिनिधित्व दिया जाएगा। 15वां मता- पंजाब पुलिस का पुनर्गठन पूर्व में पुलिस द्वारा फर्जी पुलिस मुठभेड़ों और अमानवीय यातनाओं की प्रथा को समाप्त करने के लिए पुलिस को मानवीय मूल्यों की शिक्षा देने के लिए विशेष प्रयास किए जाएंगे। इस समय पंजाब में पंजाब पुलिस के पुनर्गठन की सख्त जरूरत है। वर्तमान पुलिस प्रणाली अंग्रेजों द्वारा बनाई गई थी। इस ढांचे में आम जनता के लिए कोई जगह नहीं है। पश्चिमी देशों की पुलिस प्रणाली के सर्वोत्तम पहलुओं को अपनाकर पंजाब पुलिस का पुनर्गठन किया जाएगा। ताकि चौबीसों घंटे काम करने वाले तथा विभिन्न प्रकार के शोषण का सामना करने वाले आम कर्मचारियों के जीवन में सुधार लाया जा सके। ************************* कौमी मोर्चे के प्रदर्शन से पहले सांसद अमृतपाल के पिता नजरबंद मोहाली में 7 दिसंबर को बंदी सिखों की रिहाई की मांग को लेकर कौमी इंसाफ मोर्चा ने कार्यक्रम रखा था। इस कार्यक्रम में अमृतपाल सिंह के पिता तरसेम सिंह ने भी पहुंचना था, लेकिन उससे पहले ही पंजाब पुलिस ने उन्हें नजरबंद कर दिया। सुबह ही उनके घर के बाहर पुलिस फोर्स तैनात कर दी गई थी। पढ़ें पूरी खबर
पंजाब के खालिस्तान समर्थक सांसद अमृतपाल की नई पार्टी का ऐलान हो गया है। इसका नाम ‘अकाली दल वारिस पंजाब दे’ रखा गया है। मंगलवार को मुक्तसर के माघी मेले में सियासी कॉन्फ्रेंस कर इसकी घोषणा की गई। पार्टी का अध्यक्ष असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद सांसद अमृतपाल को बनाया गया है। अमृतपाल पर देशद्रोह के आरोप में NSA लगाया गया है। चूंकि अध्यक्ष अमृतपाल अभी जेल में हैं, इसलिए पार्टी को चलाने के लिए कमेटी बनाई गई है। इस दौरान अमृतपाल के पिता तरसेम सिंह और फरीदकोट से निर्दलीय सांसद सर्बजीत सिंह भी मौजूद रहे। पार्टी नेता जसकरन सिंह काहन सिंह वाला ने कहा कि चुनाव आयोग को पार्टी के लिए 3 नाम भेजे गए थे, जिसमें इस नाम पर मुहर लगी है। उन्होंने कहा कि ये दो विचारधाराओं की जंग है। एक विचारधारा दिल्ली की है, जो किसानों की जान ले रही है। दिल्ली की सोच सिख समुदाय को नुकसान पहुंचा रही है। दिल्ली की सोच बंदी सिखों को बंदी बनाए रखना चाहती है। दिल्ली की सोच पंथ और पंजाब को नुकसान पहुंचा रही है। दिल्ली की सोच पंजाब के पानी को लूटना चाहती है। वहीं, अमृतपाल की पार्टी से सबसे ज्यादा नुकसान अकाली दल (बादल) को हो सकता है। जो अभी तक पंथक राजनीति का सबसे बड़ा चेहरा था, लेकिन अब नए अकाली दल से चुनौती मिलेगी। अमृतपाल सिंह अकाली दल के लिए चुनौती
अमृतपाल सिंह की राजनीतिक पार्टी बनना सबसे बड़ी चुनौती शिरोमणि अकाली दल (बादल) के लिए है, क्योंकि अकाली दल खुद को सबसे बड़ पंथ हिमायती कहता है। साल 2015 में हुई श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी की घटनाओं और राम रहीम को माफी देने के मुद्दे पर अकाली दल का ग्राफ तेजी से गिरा है। पंथक वोट बैंक अकाली दल से दूर हुआ है। इस समय अकाली दल के पास मात्र एक सांसद हरसिमरत कौर बादल हैं। हाल ही में खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह और सर्बजीत सिंह खालसा सांसद बने हैं। दोनों निर्दलीय चुनाव जीते थे। एक्सपर्ट बोले- SGPC चुनाव में पार्टी का असर पता चलेगा
सीनियर जर्नलिस्ट भूपिंदर सिंह कहते हैं, ‘अमृतपाल सिंह की पार्टी से पंजाब की राजनीति पर असर जरूर पड़ेगा। जिस तरह जेल में रहकर अमृतपाल सिंह ने चुनाव जीता, उससे उन्हें उम्मीद है कि उनकी पार्टी बनने के बाद पंथक वोट बैंक उनकी तरफ शिफ्ट हो सकता है। इससे सीधे शिरोमणि अकाली दल को नुकसान होगा। हालांकि, इससे पहले भी कई सिख पार्टियां बनी हैं, लेकिन वह कामयाब नहीं हो पाईं। इसके पीछे की वजह है कि अकाली दल के नेता मॉडरेट माने जाते हैं, लेकिन इस बार स्थिति बदल जाएगी। शिरोमणि गुरद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) के चुनाव में इसका पता चल जाएगा। दूसरा, 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव में इसका फायदा भाजपा व कांग्रेस को मिलेगा। क्योंकि 12 फीसदी लोग बाहरी राज्यों से आकर पंजाब में बसे हैं। वह इस पार्टी के बनने के बाद सीधे असहज महसूस करते हुए दोनों राष्ट्रीय पार्टियों की तरफ झुकेंगे। वारिस पंजाब दे का चीफ अमृतपाल सिंह
सांसद बनने से पहले अमृतपाल सिंह ‘वारिस पंजाब दे’ संगठन को संभाल रहा था। यह संगठन पंजाबी अभिनेता संदीप सिंह उर्फ दीप सिद्धू ने सितंबर 2021 में बनाया था। दीप सिद्धू तब सुर्खियों में आए थे, जब पिछले आंदोलन में शंभू बॉर्डर पर उन्होंने अधिकारी से अंग्रेजी में बात की। इसके बाद 26 जनवरी 2021 को लाल किले पर हुए उपद्रव के मामले में भी दीप सिद्धू प्रमुख आरोपी था। दीप सिद्धू ने संगठन बनाने के बाद कहा था कि इसका मकसद युवाओं को सिख पंथ के रास्ते पर लाना और पंजाब को जगाना है। 15 फरवरी 2022 को दिल्ली से लौटते वक्त दीप सिद्धू की सड़क हादसे में मौत हो गई थी। इसके बाद अमृतपाल सिंह दुबई से भारत लौटा और वारिस पंजाब दे का चीफ बन गया। अमृतपाल की पार्टी का ऐलान करते समय 15 मत भी पेश किए गए- पहला मता- राज्य की पार्टी की स्थापना पंजाब के कल्याण के लिए राज्य की पार्टी की स्थापना की गई। भाई अमृतपाल सिंह खालसा को अकाली दल (पंजाब का उत्तराधिकारी) का मुख्य सेवादार नियुक्त किया गया। आगामी समय में पार्टी के नियमित अध्यक्ष के चुनाव तक, इस राजनीतिक दल का नेतृत्व पांच सदस्यीय कार्यकारी समिति द्वारा किया जाएगा। जिसमें निम्नलिखित सदस्य होंगे। 1. तरसेम सिंह (अमृतपाल के पिता) 2. भाई सरबजीत सिंह खालसा (सांसद) 3. भाई अमरजीत सिंह 4. भाई हरभजन सिंह तूर 5. भाई सुरजीत सिंह दूसरा मता- भर्ती कमेटी अकाली दल कार्यकारी समिति के नेतृत्व में सात सदस्यीय भर्ती समिति गठित की जाती है। बैसाखी के दिन तख्त श्री दमदमा साहिब में एक प्रतिनिधि सत्र आयोजित कर नए पार्टी अध्यक्ष और अन्य पदाधिकारियों का चुनाव करेगी। 1. हरप्रीत सिंह समाधाभाई 2. नरिंदर सिंह नारली 3. चरणदीप सिंह भिंडर 4. दविंदर सिंह हरिएवाल 5. संदीप सिंह रूपालोन 6. हरप्रीत सिंह 7. काबल सिंह तीसरा मता- संविधान की रूपरेखा और एजेंडा समिति कार्यकारिणी समिति एक संविधान की रूपरेखा एवं एजेंडा समिति की भी घोषणा करती है। जो सभी की सलाह से बैसाखी तक पार्टी के संविधान, एजेंडा, नीति कार्यक्रम और अनुशासन आदि पर निर्णय लेगी। समिति के सदस्यों के नाम 1. भाई हरसिमरन सिंह 2. सरबजीत सिंह सोहल 3. डॉ. भगवान सिंह 4. बलजीत सिंह खालसा 5. बाबू सिंह बराड़ चौथा मता- सिख संस्थाओं को ताकतवर बनाना अकाली दल (वारिस पंजाब दे) सिख संस्थाओं को ताकतवर बनाने के लिए उनमें आवश्यक सुधार लाने के लिए प्रतिबद्ध है। इस संबंध में धार्मिक एवं प्रशासनिक मामलों के विशेषज्ञों को धार्मिक मंच बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। यह मंच शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के चुनावों के लिए उच्च चरित्र वाले, ईमानदार और मेहनती गुरसिखों को आगे लाएगा। पांचवां मता- राजनीतिक मते और बदलती सिख राजनीति की देखरेख पिछले दशकों में विशेषकर 1970-78 के दौरान पंजाब और पंथ के अधिकारों के लिए सिखों द्वारा लड़े गए संघर्ष के परिणामस्वरूप हजारों सिखों की शहादत और बलिदान हुआ। गुरुद्वारों और अन्य स्थानों पर जान-माल की हानि हुई। जिससे सिखों की स्थिति और खराब हो गई। सिख पंथ के लिए एक महान विरासत बनाई गई है। अकाली दल (वारिस पंजाब दे) संघर्ष की इस विरासत को जनांदोलन में बदलने के लिए एक नया राजनीतिक मंच प्रदान करने की आवश्यकता को पूरा करने का प्रयास करेगा। छठा मता- श्री अकाल तख्त साहिब के सिद्धांतों की सुरक्षा आज की यह सभा 2 दिसंबर को श्री अकाल तख्त साहिब पर लिए गए निर्णयों की जोरदार सराहना करती है। इन ऐतिहासिक निर्णयों से पंचप्रधानी व्यवस्था की प्रतिष्ठा बढ़ाने वाले जत्थेदार राष्ट्रीय सम्मान के पात्र हैं। यह सभा यह घोषणा करती है कि श्री अकाल तख्त साहिब के मीरी और पीरी के सिद्धांत के अनुसार 2 दिसंबर 2024 को अकाली दल बादल के कुछ नेताओं को फूल भेंट करते हुए हुक्मनामा की अवहेलना करने वाले इन लोगों को किसी भी मैदान में मुंह नहीं करने दिया जाएगा। उन पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। सातवां मता- सभी बंदी सिखों की रिहाई के लिए संघर्ष का समर्थन आज की सभा जेल में बंद सिखों की रिहाई की मांग करती है। उन सरकारों की कड़ी निंदा करती है जो उन्हें जेल में बंद सिखों के लिए आवाज उठाने की भी इजाजत नहीं दे रही हैं। सभा इस प्रतिज्ञा को भी दोहराती है कि कैद सिखों की रिहाई के लिए शांतिपूर्ण संघर्ष तब तक जारी रहेगा जब तक कि सभी कैद सिखों को रिहा नहीं कर दिया जाता। आठवां मता- नस्लों और फसलों को बचाने के लिए किसानों के संघर्ष को समर्थन पार्टी द्वारा सभा किसानों के संघर्ष का पूर्ण समर्थन किया गया और किसानों की मांगों के प्रति सरकार के अड़ियल रवैये की कड़ी निंदा की है। जिसके तहत किसानों से बातचीत न करके सरकार किसानों की मांगों को लागू करने में विफल रही है। वह जगजीत सिंह दल्लेवाल समेत करोड़ों किसानों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रही है। हरियाणा सरकार भी इस दमन में बराबर की भागीदार है। जो किसानों को दिल्ली जाने से रोक रही है। नौवां मता- सिख राजनीति में बदलाव के लिए एकता की अपील पंजाब में सिख राजनीति में बदलाव लाने के लिए पार्टी ने सिखों से एकता की अपील की है। पंजाब की क्षेत्रीय पार्टी को आगे बढ़ाने और सभी सिख संस्थाओं को शक्तिशाली बनाने, वैचारिक और मुद्दा आधारित राजनीति के लिए एक-दूसरे के करीब आने के लिए, ताकि आपसी एकता के माध्यम से पंथ और पंजाब के उज्ज्वल भविष्य के लिए कदम आगे बढ़ाए जा सकें। दसवां मता- आनंदपुर वापसी दसवें मते में कहा गया कि पंजाब इस समय कई अन्य संकटों से जूझ रहा है। लेकिन सबसे बड़ा संकट नशे का है। कुछ दवाएं ऐसी हैं जिन्हें दुर्भाग्यवश हमारे समाज ने स्वीकार कर लिया है और कुछ सिंथेटिक दवाएं हैं जो हर दिन हमारे युवाओं की जान ले रही हैं। अखबारों की रिपोर्ट और सोशल मीडिया पोस्ट से पता चलता है कि स्थिति कितनी खराब है। हर गांव शहर और कस्बे में अकेले माता-पिता अपने बेटों की तस्वीरें लेकर उनकी दयनीय स्थिति का वर्णन करते नजर आते हैं। सिख युवाओं को नशे से दूर रखने तथा उन्हें धार्मिक जीवन जीने के लिए प्रेरित करने के लिए शिरोमणि अकाली दल (वारिस पंजाब दे) ‘आनंदपुर लौटो’ के नारे के तहत बड़े पैमाने पर आंदोलन शुरू करेगा। इस दौरान किसी भी नशेड़ी पर कानूनी कार्रवाई नहीं की जाएगी। बल्कि उसे प्रेमपूर्वक धार्मिक जीवन जीने के लिए प्रेरित किया जाएगा। 11वां मता- पलायन के कारण शिक्षित और प्रतिभाशाली युवाओं का प्रतिभा पलायन हमारा उद्देश्य पंजाब के विद्यार्थियों के उज्ज्वल भविष्य के लिए विश्व स्तरीय शिक्षण संस्थानों की स्थापना करना है। शिक्षा जगत में गैर-पंजाबी लोगों के हस्तक्षेप को रोकने और पंजाब विरोधी तत्वों को जड़ से उखाड़ने के लिए व्यापक प्रयास किए जाएंगे। 12वां मता- पंजाब पंजाबियों का पंजाब में योजनाबद्ध तरीके से पलायन हो रहा है। जिसके कारण पंजाब में बड़े पैमाने पर बदलाव हो रहा है। गैर-पंजाबी लोग पंजाब के संसाधनों और व्यवसायों पर कब्जा कर रहे हैं। जिससे पंजाब के लोगों के लिए उपलब्ध अवसर छिन रहे हैं। प्रवासी लोगों को योजनाबद्ध तरीके से पंजाब में बसाया जा रहा है। इस हमले का भारत के लगभग हर राज्य द्वारा विरोध किया जा रहा है। जहां योजनाबद्ध तरीके से अप्रवासियों को बसाया जा रहा है। भारत में लगभग हर राज्य ने इस संबंध में या तो सख्त कानून बना लिए हैं या फिर इस पर बहुत संवेदनशील तरीके से विचार कर रहा है। इस प्रस्ताव के नाम के अनुसार पंजाब में ‘पंजाब पंजाबियां दा’ का नारा बुलंद किया जाएगा। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि पंजाब में सभी प्रकार की सरकारी और निजी व्यावसायिक नौकरियों में केवल पंजाबियों को ही प्राथमिकता दी जाएगी। 13वां मता- गुरु के प्रति आदर एक षड्यंत्र के तहत की गई गुरु ग्रंथ साहिब महाराज की बेअदबी से हर सिख का दिल टूटा है। कई बार हुई बेअदबी की घटना से पंजाब में गुस्सा है। इन अनगिनत अपवित्र कृत्यों का सिलसिला आज भी जारी है। जिसके तहत कई जगहों पर लालच की आड़ में धर्म परिवर्तन कराने वालों पर शिकंजा कसा जाएगा। और जिन लोगों ने गुरु ग्रंथ साहिब महाराज का अपमान करने के लिए अप्रवासियों को भेजा था। श्री गुरु ग्रंथ साहिब महाराज के प्रति आदर व श्रद्धा को ध्यान में रखते हुए इस संबंध में सख्त कानून बनाए जाएंगे ताकि श्री गुरु ग्रंथ साहिब महाराज व किसी भी अन्य धार्मिक स्थल या धर्म की बेअदबी करके पंजाब में कानून व्यवस्था को बिगाड़ने के प्रयासों पर अंकुश लगाया जा सके। 14वां मता- पंजाब के अन्य वर्गों का प्रतिनिधित्व अकाली दल (वारिस पंजाब दे) पंजाब के सभी धर्मों (मूल निवासियों) के लिए व्यापार करने और शांति से रहने के लिए अनुकूल वातावरण तैयार करेगा। जैसा कि महाराजा रणजीत सिंह ने सिख शासन के दौरान किया था। पंजाब समर्थक होने का दावा करते हुए पार्टी में पंजाब के सभी धर्मों (मूल निवासियों) को उचित प्रतिनिधित्व दिया जाएगा। 15वां मता- पंजाब पुलिस का पुनर्गठन पूर्व में पुलिस द्वारा फर्जी पुलिस मुठभेड़ों और अमानवीय यातनाओं की प्रथा को समाप्त करने के लिए पुलिस को मानवीय मूल्यों की शिक्षा देने के लिए विशेष प्रयास किए जाएंगे। इस समय पंजाब में पंजाब पुलिस के पुनर्गठन की सख्त जरूरत है। वर्तमान पुलिस प्रणाली अंग्रेजों द्वारा बनाई गई थी। इस ढांचे में आम जनता के लिए कोई जगह नहीं है। पश्चिमी देशों की पुलिस प्रणाली के सर्वोत्तम पहलुओं को अपनाकर पंजाब पुलिस का पुनर्गठन किया जाएगा। ताकि चौबीसों घंटे काम करने वाले तथा विभिन्न प्रकार के शोषण का सामना करने वाले आम कर्मचारियों के जीवन में सुधार लाया जा सके। ************************* कौमी मोर्चे के प्रदर्शन से पहले सांसद अमृतपाल के पिता नजरबंद मोहाली में 7 दिसंबर को बंदी सिखों की रिहाई की मांग को लेकर कौमी इंसाफ मोर्चा ने कार्यक्रम रखा था। इस कार्यक्रम में अमृतपाल सिंह के पिता तरसेम सिंह ने भी पहुंचना था, लेकिन उससे पहले ही पंजाब पुलिस ने उन्हें नजरबंद कर दिया। सुबह ही उनके घर के बाहर पुलिस फोर्स तैनात कर दी गई थी। पढ़ें पूरी खबर