एअर इंडिया ने बोइंग 787 और 737 प्लेन के फ्यूल कंट्रोल स्विच (FCS) के लॉकिंग सिस्टम की जांच पूरी कर ली है। एयरलाइंस ने मंगलवार को बताया कि इसमें कोई समस्या नहीं थी। दरअसल, अहमदाबाद प्लेन क्रैश के बाद एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (AAIB) ने अपनी प्राइमरी रिपोर्ट में दावा किया था कि अहमदाबाद प्लेन क्रैश से पहले फ्यूल स्विच बंद कर दिए गए थे। इसके बाद एविएशन सिक्योरिटी रेग्युलेटर ( DGCA) ने 12 जुलाई को एयरलाइनों को अपने विमानों में फ्यूल स्विच सिस्टम की जांच करने का निर्देश दिया था। 21 जुलाई को रिपोर्ट मांगी थी। बोइंग 787, एअर इंडिया के बेड़े का हिस्सा है। B 737 का संचालन इसकी कम लागत वाली सहायक कंपनी एयर इंडिया एक्सप्रेस करती है। इनके अलावा इंडिगो, स्पाइसजेट और अकासा के पास भी बोइंग हैं। एअर इंडिया ने फ्यूल स्विच की जांच पर क्या कहा… एअर इंडिया ने बयान में कहा कि उसकी दोनों एयरलाइन AI और AIEX ने 14 जुलाई को जारी DGCA के निर्देशों का पालन किया है। कंपनी ने 12 जुलाई को स्वैच्छिक निरीक्षण शुरू किया और निर्धारित समय सीमा के भीतर इसे पूरा कर लिया। भारतीय एयरलाइन 150 से ज्यादा बोइंग 737 और 787 का संचालन कर रही हैं। इनमें से, इंडिगो के पास सात B737 मैक्स 8 और एक B787-9 है। ये सभी लीज पर लिए गए हैं, या तो वेट लीज पर या फिर डैम्प लीज पर। इसलिए, ये भारत में रजिस्टर्ड नहीं हैं। टेकऑफ से लेकर हादसे तक की पूरी उड़ान करीब 30 सेकेंड ही चली 5 पन्नों की रिपोर्ट के मुताबिक, टेकऑफ से लेकर हादसे तक की पूरी उड़ान करीब 30 सेकेंड ही चली। इस समय तक रिपोर्ट में बोइंग 787-8 विमान और इंजन को लेकर किसी ऑपरेटर के लिए कोई चेतावनी या कार्रवाई की सिफारिश नहीं की गई है। साथ ही रिपोर्ट में मौसम, बर्ड-हिट और सबोटाज जैसे किसी भी कारण का जिक्र नहीं है। दोनों पायलट मुंबई बेस्ड थे और पिछले दिन अहमदाबाद पहुंचे थे। फ्लाइट से पहले पर्याप्त रेस्ट लिया था। को-पायलट इस फ्लाइट के लिए पायलट फ्लाइंग (PF) था और PIC पायलट मॉनिटरिंग (PM) था। इस फ्लाइट के पायलट सुमीत सभरवाल और को-पायलट क्लाइव कुंदर थे। सुमित को 8,200 घंटे से ज्यादा का फ्लाइंग एक्सपीरियंस था। को पायलट को भी 1,100 घंटे का फ्लाइंग एक्सपीरियंस था। यानी, दोनों एक्सपीरियंस्ड पायलट थे। AAIB ने बताया- फ्यूल कंट्रोल स्विच बंद होने से दोनों इंजन बंद हो गए थे AAIB ने 15 पेज की अपनी रिपोर्ट में बताया था कि अहमदाबाद-लंदन फ्लाइट के दोनों इंजनों में फ्यूल फ्लो को कंट्रोल करने वाले स्विच बंद हो गए थे, इसलिए टेकऑफ के तुरंत बाद इंजन बंद हो गए और विमान का थ्रस्ट खत्म हो गया। पायलट ने 10 सेकेंड बाद दोबारा इन्हें चालू किया, लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। कॉकपिट की रिकॉर्डिंग से पता चला है कि एक पायलट ने दूसरे से पूछा था कि क्या तुमने स्विच बंद किया है? दूसरे ने जवाब दिया, नहीं। रिपोर्ट में ये भी सामने आया है कि उड़ान से पहले फ्लाइट के एक सेंसर में परेशानी थी जिसे ठीक किया गया। प्रारंभिक रिपोर्ट में कोई अंतिम निष्कर्ष नहीं निकाला गया है, जैसा कि इस तरह की रिपोर्ट्स में आमतौर पर होता है। यह सिर्फ तथ्यों को प्रस्तुत करती है और अंतिम रिपोर्ट शायद एक-दो साल बाद आएगी जिसमें इस हादसे की असल वजह पता चल सकती है। मेडिकल होस्टल पर प्लेन क्रैश होने के कारण इस हादसे में कुल 270 लोगों की मौत हुई थी। इनमें 241 यात्री और क्रू मेंबर्स शामिल थे। सिर्फ एक भारतीय मूल के ब्रिटिश यात्री की जान बची। फ्यूल कंट्रोल स्विच का काम और तकनीक फ्यूल कंट्रोल स्विच विमान के कॉकपिट में थ्रस्ट लीवर के पास होते हैं। ये इंजन में फ्यूल की सप्लाई को कंट्रोल करते हैं। इसका मुख्य काम इंजन में फ्यूल की सप्लाई को शुरू करना (‘रन’ पोजिशन) या बंद करना (‘कटऑफ’ पोजिशन) है। हर इंजन के लिए अलग-अलग फ्यूल कंट्रोल स्विच होता है। उदाहरण के लिए, बोइंग 787 में दो इंजन हैं, तो दो स्विच होंगे – एक बाएं इंजन के लिए, एक दाएं के लिए। फ्यूल कंट्रोल स्विच स्प्रिंग-लोडेड होते हैं और इनमें डिटेंट (एक तरह का लॉक) होता है, जो इन्हें अपनी पोजिशन में स्थिर रखता है। स्विच को हिलाने के लिए तीन स्टेप्स चाहिए – पकड़ना, डिटेंट से बाहर निकालना और रिलीज करना। ये कोई नॉर्मल स्विच नहीं है जो गलती से धक्का लगने से दब जाए जाए।
एअर इंडिया ने बोइंग 787 और 737 प्लेन के फ्यूल कंट्रोल स्विच (FCS) के लॉकिंग सिस्टम की जांच पूरी कर ली है। एयरलाइंस ने मंगलवार को बताया कि इसमें कोई समस्या नहीं थी। दरअसल, अहमदाबाद प्लेन क्रैश के बाद एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (AAIB) ने अपनी प्राइमरी रिपोर्ट में दावा किया था कि अहमदाबाद प्लेन क्रैश से पहले फ्यूल स्विच बंद कर दिए गए थे। इसके बाद एविएशन सिक्योरिटी रेग्युलेटर ( DGCA) ने 12 जुलाई को एयरलाइनों को अपने विमानों में फ्यूल स्विच सिस्टम की जांच करने का निर्देश दिया था। 21 जुलाई को रिपोर्ट मांगी थी। बोइंग 787, एअर इंडिया के बेड़े का हिस्सा है। B 737 का संचालन इसकी कम लागत वाली सहायक कंपनी एयर इंडिया एक्सप्रेस करती है। इनके अलावा इंडिगो, स्पाइसजेट और अकासा के पास भी बोइंग हैं। एअर इंडिया ने फ्यूल स्विच की जांच पर क्या कहा… एअर इंडिया ने बयान में कहा कि उसकी दोनों एयरलाइन AI और AIEX ने 14 जुलाई को जारी DGCA के निर्देशों का पालन किया है। कंपनी ने 12 जुलाई को स्वैच्छिक निरीक्षण शुरू किया और निर्धारित समय सीमा के भीतर इसे पूरा कर लिया। भारतीय एयरलाइन 150 से ज्यादा बोइंग 737 और 787 का संचालन कर रही हैं। इनमें से, इंडिगो के पास सात B737 मैक्स 8 और एक B787-9 है। ये सभी लीज पर लिए गए हैं, या तो वेट लीज पर या फिर डैम्प लीज पर। इसलिए, ये भारत में रजिस्टर्ड नहीं हैं। टेकऑफ से लेकर हादसे तक की पूरी उड़ान करीब 30 सेकेंड ही चली 5 पन्नों की रिपोर्ट के मुताबिक, टेकऑफ से लेकर हादसे तक की पूरी उड़ान करीब 30 सेकेंड ही चली। इस समय तक रिपोर्ट में बोइंग 787-8 विमान और इंजन को लेकर किसी ऑपरेटर के लिए कोई चेतावनी या कार्रवाई की सिफारिश नहीं की गई है। साथ ही रिपोर्ट में मौसम, बर्ड-हिट और सबोटाज जैसे किसी भी कारण का जिक्र नहीं है। दोनों पायलट मुंबई बेस्ड थे और पिछले दिन अहमदाबाद पहुंचे थे। फ्लाइट से पहले पर्याप्त रेस्ट लिया था। को-पायलट इस फ्लाइट के लिए पायलट फ्लाइंग (PF) था और PIC पायलट मॉनिटरिंग (PM) था। इस फ्लाइट के पायलट सुमीत सभरवाल और को-पायलट क्लाइव कुंदर थे। सुमित को 8,200 घंटे से ज्यादा का फ्लाइंग एक्सपीरियंस था। को पायलट को भी 1,100 घंटे का फ्लाइंग एक्सपीरियंस था। यानी, दोनों एक्सपीरियंस्ड पायलट थे। AAIB ने बताया- फ्यूल कंट्रोल स्विच बंद होने से दोनों इंजन बंद हो गए थे AAIB ने 15 पेज की अपनी रिपोर्ट में बताया था कि अहमदाबाद-लंदन फ्लाइट के दोनों इंजनों में फ्यूल फ्लो को कंट्रोल करने वाले स्विच बंद हो गए थे, इसलिए टेकऑफ के तुरंत बाद इंजन बंद हो गए और विमान का थ्रस्ट खत्म हो गया। पायलट ने 10 सेकेंड बाद दोबारा इन्हें चालू किया, लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। कॉकपिट की रिकॉर्डिंग से पता चला है कि एक पायलट ने दूसरे से पूछा था कि क्या तुमने स्विच बंद किया है? दूसरे ने जवाब दिया, नहीं। रिपोर्ट में ये भी सामने आया है कि उड़ान से पहले फ्लाइट के एक सेंसर में परेशानी थी जिसे ठीक किया गया। प्रारंभिक रिपोर्ट में कोई अंतिम निष्कर्ष नहीं निकाला गया है, जैसा कि इस तरह की रिपोर्ट्स में आमतौर पर होता है। यह सिर्फ तथ्यों को प्रस्तुत करती है और अंतिम रिपोर्ट शायद एक-दो साल बाद आएगी जिसमें इस हादसे की असल वजह पता चल सकती है। मेडिकल होस्टल पर प्लेन क्रैश होने के कारण इस हादसे में कुल 270 लोगों की मौत हुई थी। इनमें 241 यात्री और क्रू मेंबर्स शामिल थे। सिर्फ एक भारतीय मूल के ब्रिटिश यात्री की जान बची। फ्यूल कंट्रोल स्विच का काम और तकनीक फ्यूल कंट्रोल स्विच विमान के कॉकपिट में थ्रस्ट लीवर के पास होते हैं। ये इंजन में फ्यूल की सप्लाई को कंट्रोल करते हैं। इसका मुख्य काम इंजन में फ्यूल की सप्लाई को शुरू करना (‘रन’ पोजिशन) या बंद करना (‘कटऑफ’ पोजिशन) है। हर इंजन के लिए अलग-अलग फ्यूल कंट्रोल स्विच होता है। उदाहरण के लिए, बोइंग 787 में दो इंजन हैं, तो दो स्विच होंगे – एक बाएं इंजन के लिए, एक दाएं के लिए। फ्यूल कंट्रोल स्विच स्प्रिंग-लोडेड होते हैं और इनमें डिटेंट (एक तरह का लॉक) होता है, जो इन्हें अपनी पोजिशन में स्थिर रखता है। स्विच को हिलाने के लिए तीन स्टेप्स चाहिए – पकड़ना, डिटेंट से बाहर निकालना और रिलीज करना। ये कोई नॉर्मल स्विच नहीं है जो गलती से धक्का लगने से दब जाए जाए।