
एक शख्स ने लोगों को अच्छे रिटर्न का लालच देकर 6 महीने में 26 करोड़ रुपए ठग लिए। ठगी के शिकार में दुबई में रहने वाले कई लोग भी शामिल थे। पुलिस ने जांच शुरू की तो पता चला कि जिस ठग की वो तलाश कर रहे थे, वो असल में है ही नहीं, सिर्फ आधार कार्ड में जिंदा है। दरअसल, 12वीं पास 25 साल के इमरान अली ने आधार कार्ड के सिस्टम को धोखा देकर विकास सैनी के नाम से एक और आधार कार्ड बनवा लिया। इसी आधार कार्ड के जरिए उसने फर्जी पेन कार्ड भी बनवा लिया। राजस्थान पुलिस ने ट्रेडिंग ऐप के जरिए 21 लाख की ठगी के एक मामले में इंवेस्टिगेशन शुरू किया तो आरोपी के 26 करोड़ के फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ। आराेपी इमरान जयपुर के सी स्कीम में 1 लाख रुपए महीना किराए वाले फ्लैट में रह रहा था। इमरान दिल्ली की महिला को डिजिटल अरेस्ट कर 50 लाख ठगने के मामले में तिहाड़ जेल भी जा चुका है। जमानत पर छूटते ही उसने करोड़ों की ठगी का प्लान बना लिया था। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… पैरों की अंगुलियां और आंखों की पुतलियों से किया खेल शातिर दिमाग इमरान ने डेढ़ साल पहले कुछ बड़ा करने के मकसद से विकास सैनी के नाम से 18 साल से कम उम्र का आधार तैयार किया। फिंगर प्रिंट के लिए उसने पैरों की चार-चार अंगुलियों का इस्तेमाल किया। आंखों की पुतलियों (रेटिना) का भी तोड़ निकाल लिया। उसने पुतलियों को उल्टा स्कैन किया। इसके बाद अंगूठे का पास वाली अंगुली का ही असली फिंगर प्रिंट रखा। इसके पीछे सोच थी कि अंगूठे के पास वाली अंगुलियों के फिंगर प्रिंट बैकिंग के काम आने थे। तिहाड़ जेल से निकलने के बाद उसने इस आधार का इस्तेमाल किया। इस आधार में अपडेट किया और डेट ऑफ बर्थ 12-12-2001 कर दी। जिससे अगली साजिश रच सके। नामी ऐप से मिलता-जुलता नाम, स्क्रीन पर दिखता है मुनाफा इमरान उन लोगों को चुनता जो शेयर बाजार में ट्रेडिंग का शौक रखते हैं और जल्दी मुनाफा कमाना चाहते हैं। इमरान लोगों को वॉट्सऐप ग्रुप में जोड़कर बल्क में मैसेज भेजता। 6 महीने के भीतर 10 फीसदी से अधिक मुनाफा कमाने का लालच दिया जाता था। फिर विकास सैनी के नाम से बैंकों में बनाए कॉर्पोरेट खातों में झांसे में आए लोगों से फंड डलवाता था। कॉर्पोरेट खातों में बड़े ट्रांजेक्शन हो सकते हैं, इसलिए वह इन खातों को काम में ले रहा था। वहीं, अन्य लोगों के बैंक खाते भी किराए पर लेता था। किराए पर लिए खातों के बदले में वह खाताधारक को एक-डेढ़ प्रतिशत कमीशन देता था। लोगों को झांसा देने के लिए इमरान के कुछ साथी ग्रुप में खुद को हुए मुनाफे के स्क्रीनशॉट भी शेयर करते। जब कोई इनके झांस में आ जाता तो उसे टेलीग्राम या वॉट्सऐप के जरिए DHANI TRD नाम का ऐप डाउनलोड करवा देते थे। शुरुआत में 1 लाख रुपए से 2.5 लाख रुपए तक का निवेश करने के लिए कहा जाता। जब व्यक्ति ये निवेश कर देता था तो उसे मोबाइल ऐप पर मुनाफा दिखाई देने लगता था। ठीक वैसे ही जैसे शेयर मार्केट की ऐप पर दिखता है। बड़ी रकम डालने के बाद ब्लॉक कर देते पैसा पहले एक-दो बार जब व्यक्ति अपने खाते में मुनाफा लेता है तो ट्रांजैक्शन हो जाता था। इससे व्यक्ति को ऐप पर विश्वास हो जाता। इसके बाद ठगों की ओर से बड़ी रकम इंवेस्ट करने के लिए कहा जाता। जैसे ही कोई 5 से 10 लाख रुपए का निवेश करता तो उसे फायदा दिखाई देने लगता था। लेकिन जब वह अपने अकाउंट में वापस पैसे लेना चाहता तो फंड नहीं आता था। पीड़ित ठगों से इसकी शिकायत करता तो जवाब मिलता- आपका टारगेट पूरा नहीं हुआ है, आप और फंड डालो। पुराने पैसे वसूलने के लिए निवेशक और पैसे डालता, लेकिन सारा फंड अटक जाता था। पीड़ित को हुआ भरोसा, फिर ठगे 21 लाख 26 अप्रैल, 2025 को भिवाड़ी के यूआईटी कॉलोनी के रहने वाले पीड़ित संजीव ने पुलिस को बताया कि उन्हें 1 मार्च, 2025 को एक वॉट्सऐप मैसेज आया। मैसेज में DHANI TRD नाम की एक ऑनलाइन इंवेस्टमेंट ऐप के बारे में बताया गया था। ठगों ने बताया कि अगर वे अर्जुन रमेश मेहता नाम के व्यक्ति को इस एप्लीकेशन के जरिए वोट करेंगे तो कंपनी को 10 प्रतिशत का मुनाफा होगा। संजीव ने गूगल पर अर्जुन रमेश मेहता के बारे में सर्च किया तो उन्हें लगा कि वह कोई बड़ा व्यक्ति है जो चुनाव लड़ रहा है। इससे उन्हें ठगों पर भरोसा हो गया। इसके बाद उन्हें एक वॉट्सऐप ग्रुप में जोड़ा गया, जिसमें करीब 100 लोग थे। इस ग्रुप में लोग बार-बार दिखाते थे कि उन्हें कितना मुनाफा हो रहा है। इससे संजीव को उस ऐप पर और भरोसा हो गया। फिर उन्होंने “DHANI TRD” नाम की फर्जी ऐप अपने फोन में डाउनलोड कर ली। शुरुआत में उन्होंने कम पैसे लगाए और उन्हें बड़ा मुनाफा दिखाया गया। इस झांसे में आकर संजीव ने करीब 21 लाख रुपये का निवेश कर दिया और ठगी का शिकार हो गए। 6 महीने में 26 करोड़ का लेन-देन, 10 बड़े बैंकों में कॉर्पोरेट अकाउंट मामला सामने आने के बाद पुलिस ने विकास सैनी तक पहुंचने के लिए जांच शुरू की। जांच में पता चला कि धनी TRD ऐप पूरी तरह फर्जी था। इस ऐप को प्लेस्टोर के बजाय एक लिंक से डाउनलोड कराया जाता था। ऐप के जरिए 6 महीने में करीब 26 करोड़ का लेनदेन हुआ था। 10 बड़े बैंकों में कॉर्पोरेट अकाउंट थे। आधार कार्ड और दूसरे दस्तावेज की जांच से पता चला कि इस कम्पनी का डायरेक्टर विकास सैनी नाम का शख्स है। पुलिस ने विकास सैनी की तलाश शुरू की। उसका एड्रेस जयपुर के मालवीय नगर में बता रखा था। पुलिस पहुंची तो एड्रेस फर्जी निकला। ढूंढ रहे थे विकास को, मिला इमरान अली विकास की तलाश में पुलिस ने मोबाइल नंबर सिम के जरिए लोकेशन निकाली। लोकेशन जयपुर की सी-स्कीम में मिली। पुलिस टीम ने सादा कपड़ों में सी स्कीम में डेरा डाल लिया। खास बात यह है कि जिस फ्लैट की लोकेशन थी, वहां कोई विकास सैनी नाम का शख्स रहता ही नहीं था। इसके अलावा फोन की लोकेशन कभी वैशाली नगर भी आती थी। पता चला कि ठग ने पॉश एरिया में फ्लैट किराए पर लिए हुए हैं। सी-स्कीम में पुलिस ने आस-पास के लोगों से पूछा तो पता चला कि फ्लैट में दो लोग रहते हैं, लेकिन ज्यादा बाहर नहीं निकलते। पुलिस समझ गई कि ये फ्लैट ही ठगों का अड्डा है। पुलिस ने फ्लैट में रेड की तो इमरान अली और इमरान खान नाम के दो शख्स मिले। विकास सैनी के आधार कार्ड में जो फोटो था, वह इमरान अली से मिल रहा था। पुलिस ने सख्ती से पूछताछ की तो इमरान ने विकास नाम से फर्जी आधार कार्ड बनाने की पूरी कहानी बयां कर दी। काम संभालने के लिए बीसीए पास इमरान को रखा पुलिस जांच में पता चला कि अजमेर का रहने वाला ठगी का मास्टर माइंड इमरान अली 12वीं पास है। पिता वेल्डर हैं और भाई हिस्ट्रीशीटर। पुलिस के अनुसार इमरान अली साइबर ठगी में काफी तेज है। उसने काम संभालने के लिए बीसीए पास इमरान खान को अपने साथ रखा हुआ था। इमरान खान हनुमानगढ़ का है। दोनों के पास से 9 लाख से ज्यादा नगदी, 10 तोला सोने की ज्वेलरी व कार बरामद की गई है। इसके अलावा 20 मोबाइल, 54 सिम कार्ड, 10 एटीएम कार्ड, दो नोट गिनने की मशीनें, एक टैबलेट, एक वाईफाई राउटर भी जब्त किए गए हैं। कोर्ट से दोनों को 6 दिन की पुलिस रिमांड पर लिया गया है। …. साइबर ठगी से जुड़ी ये खबरें भी पढ़िए… 1. 10 प्रतिशत मुनाफे का झांसा देकर 21 लाख की ठगी:दो साइबर ठग गिरफ्तार, बैंक खातों में मिला 26 करोड़ का लेनदेन; 9 लाख रुपए बरामद भिवाड़ी पुलिस के साइबर क्राइम थाना ने ऑनलाइन शेयर ट्रेडिंग और फर्जी निवेश ऐप के जरिए ठगी करने वाले दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है। उनके पास 9 लाख से ज्यादा नगदी और ज्वेलरी भी मिली है। पूरी खबर पढ़िए… 2. राजस्थान से साइबर ठगी के 15 करोड़ रुपए पाकिस्तान ट्रांसफर:असम STF ने डीग से आरोपी को पकड़ा, कहा-राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा मामला पाकिस्तान में एक्टिव रही सिम से 15 करोड़ रुपए का ट्रांजैक्शन किया गया। सिम राजस्थान काम में ली जा रही थी और यहीं से पूरा ट्रांजैक्शन किया गया है। पूरी खबर पढ़िए…
एक शख्स ने लोगों को अच्छे रिटर्न का लालच देकर 6 महीने में 26 करोड़ रुपए ठग लिए। ठगी के शिकार में दुबई में रहने वाले कई लोग भी शामिल थे। पुलिस ने जांच शुरू की तो पता चला कि जिस ठग की वो तलाश कर रहे थे, वो असल में है ही नहीं, सिर्फ आधार कार्ड में जिंदा है। दरअसल, 12वीं पास 25 साल के इमरान अली ने आधार कार्ड के सिस्टम को धोखा देकर विकास सैनी के नाम से एक और आधार कार्ड बनवा लिया। इसी आधार कार्ड के जरिए उसने फर्जी पेन कार्ड भी बनवा लिया। राजस्थान पुलिस ने ट्रेडिंग ऐप के जरिए 21 लाख की ठगी के एक मामले में इंवेस्टिगेशन शुरू किया तो आरोपी के 26 करोड़ के फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ। आराेपी इमरान जयपुर के सी स्कीम में 1 लाख रुपए महीना किराए वाले फ्लैट में रह रहा था। इमरान दिल्ली की महिला को डिजिटल अरेस्ट कर 50 लाख ठगने के मामले में तिहाड़ जेल भी जा चुका है। जमानत पर छूटते ही उसने करोड़ों की ठगी का प्लान बना लिया था। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… पैरों की अंगुलियां और आंखों की पुतलियों से किया खेल शातिर दिमाग इमरान ने डेढ़ साल पहले कुछ बड़ा करने के मकसद से विकास सैनी के नाम से 18 साल से कम उम्र का आधार तैयार किया। फिंगर प्रिंट के लिए उसने पैरों की चार-चार अंगुलियों का इस्तेमाल किया। आंखों की पुतलियों (रेटिना) का भी तोड़ निकाल लिया। उसने पुतलियों को उल्टा स्कैन किया। इसके बाद अंगूठे का पास वाली अंगुली का ही असली फिंगर प्रिंट रखा। इसके पीछे सोच थी कि अंगूठे के पास वाली अंगुलियों के फिंगर प्रिंट बैकिंग के काम आने थे। तिहाड़ जेल से निकलने के बाद उसने इस आधार का इस्तेमाल किया। इस आधार में अपडेट किया और डेट ऑफ बर्थ 12-12-2001 कर दी। जिससे अगली साजिश रच सके। नामी ऐप से मिलता-जुलता नाम, स्क्रीन पर दिखता है मुनाफा इमरान उन लोगों को चुनता जो शेयर बाजार में ट्रेडिंग का शौक रखते हैं और जल्दी मुनाफा कमाना चाहते हैं। इमरान लोगों को वॉट्सऐप ग्रुप में जोड़कर बल्क में मैसेज भेजता। 6 महीने के भीतर 10 फीसदी से अधिक मुनाफा कमाने का लालच दिया जाता था। फिर विकास सैनी के नाम से बैंकों में बनाए कॉर्पोरेट खातों में झांसे में आए लोगों से फंड डलवाता था। कॉर्पोरेट खातों में बड़े ट्रांजेक्शन हो सकते हैं, इसलिए वह इन खातों को काम में ले रहा था। वहीं, अन्य लोगों के बैंक खाते भी किराए पर लेता था। किराए पर लिए खातों के बदले में वह खाताधारक को एक-डेढ़ प्रतिशत कमीशन देता था। लोगों को झांसा देने के लिए इमरान के कुछ साथी ग्रुप में खुद को हुए मुनाफे के स्क्रीनशॉट भी शेयर करते। जब कोई इनके झांस में आ जाता तो उसे टेलीग्राम या वॉट्सऐप के जरिए DHANI TRD नाम का ऐप डाउनलोड करवा देते थे। शुरुआत में 1 लाख रुपए से 2.5 लाख रुपए तक का निवेश करने के लिए कहा जाता। जब व्यक्ति ये निवेश कर देता था तो उसे मोबाइल ऐप पर मुनाफा दिखाई देने लगता था। ठीक वैसे ही जैसे शेयर मार्केट की ऐप पर दिखता है। बड़ी रकम डालने के बाद ब्लॉक कर देते पैसा पहले एक-दो बार जब व्यक्ति अपने खाते में मुनाफा लेता है तो ट्रांजैक्शन हो जाता था। इससे व्यक्ति को ऐप पर विश्वास हो जाता। इसके बाद ठगों की ओर से बड़ी रकम इंवेस्ट करने के लिए कहा जाता। जैसे ही कोई 5 से 10 लाख रुपए का निवेश करता तो उसे फायदा दिखाई देने लगता था। लेकिन जब वह अपने अकाउंट में वापस पैसे लेना चाहता तो फंड नहीं आता था। पीड़ित ठगों से इसकी शिकायत करता तो जवाब मिलता- आपका टारगेट पूरा नहीं हुआ है, आप और फंड डालो। पुराने पैसे वसूलने के लिए निवेशक और पैसे डालता, लेकिन सारा फंड अटक जाता था। पीड़ित को हुआ भरोसा, फिर ठगे 21 लाख 26 अप्रैल, 2025 को भिवाड़ी के यूआईटी कॉलोनी के रहने वाले पीड़ित संजीव ने पुलिस को बताया कि उन्हें 1 मार्च, 2025 को एक वॉट्सऐप मैसेज आया। मैसेज में DHANI TRD नाम की एक ऑनलाइन इंवेस्टमेंट ऐप के बारे में बताया गया था। ठगों ने बताया कि अगर वे अर्जुन रमेश मेहता नाम के व्यक्ति को इस एप्लीकेशन के जरिए वोट करेंगे तो कंपनी को 10 प्रतिशत का मुनाफा होगा। संजीव ने गूगल पर अर्जुन रमेश मेहता के बारे में सर्च किया तो उन्हें लगा कि वह कोई बड़ा व्यक्ति है जो चुनाव लड़ रहा है। इससे उन्हें ठगों पर भरोसा हो गया। इसके बाद उन्हें एक वॉट्सऐप ग्रुप में जोड़ा गया, जिसमें करीब 100 लोग थे। इस ग्रुप में लोग बार-बार दिखाते थे कि उन्हें कितना मुनाफा हो रहा है। इससे संजीव को उस ऐप पर और भरोसा हो गया। फिर उन्होंने “DHANI TRD” नाम की फर्जी ऐप अपने फोन में डाउनलोड कर ली। शुरुआत में उन्होंने कम पैसे लगाए और उन्हें बड़ा मुनाफा दिखाया गया। इस झांसे में आकर संजीव ने करीब 21 लाख रुपये का निवेश कर दिया और ठगी का शिकार हो गए। 6 महीने में 26 करोड़ का लेन-देन, 10 बड़े बैंकों में कॉर्पोरेट अकाउंट मामला सामने आने के बाद पुलिस ने विकास सैनी तक पहुंचने के लिए जांच शुरू की। जांच में पता चला कि धनी TRD ऐप पूरी तरह फर्जी था। इस ऐप को प्लेस्टोर के बजाय एक लिंक से डाउनलोड कराया जाता था। ऐप के जरिए 6 महीने में करीब 26 करोड़ का लेनदेन हुआ था। 10 बड़े बैंकों में कॉर्पोरेट अकाउंट थे। आधार कार्ड और दूसरे दस्तावेज की जांच से पता चला कि इस कम्पनी का डायरेक्टर विकास सैनी नाम का शख्स है। पुलिस ने विकास सैनी की तलाश शुरू की। उसका एड्रेस जयपुर के मालवीय नगर में बता रखा था। पुलिस पहुंची तो एड्रेस फर्जी निकला। ढूंढ रहे थे विकास को, मिला इमरान अली विकास की तलाश में पुलिस ने मोबाइल नंबर सिम के जरिए लोकेशन निकाली। लोकेशन जयपुर की सी-स्कीम में मिली। पुलिस टीम ने सादा कपड़ों में सी स्कीम में डेरा डाल लिया। खास बात यह है कि जिस फ्लैट की लोकेशन थी, वहां कोई विकास सैनी नाम का शख्स रहता ही नहीं था। इसके अलावा फोन की लोकेशन कभी वैशाली नगर भी आती थी। पता चला कि ठग ने पॉश एरिया में फ्लैट किराए पर लिए हुए हैं। सी-स्कीम में पुलिस ने आस-पास के लोगों से पूछा तो पता चला कि फ्लैट में दो लोग रहते हैं, लेकिन 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गिरफ्तार, बैंक खातों में मिला 26 करोड़ का लेनदेन; 9 लाख रुपए बरामद भिवाड़ी पुलिस के साइबर क्राइम थाना ने ऑनलाइन शेयर ट्रेडिंग और फर्जी निवेश ऐप के जरिए ठगी करने वाले दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है। उनके पास 9 लाख से ज्यादा नगदी और ज्वेलरी भी मिली है। पूरी खबर पढ़िए… 2. राजस्थान से साइबर ठगी के 15 करोड़ रुपए पाकिस्तान ट्रांसफर:असम STF ने डीग से आरोपी को पकड़ा, कहा-राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा मामला पाकिस्तान में एक्टिव रही सिम से 15 करोड़ रुपए का ट्रांजैक्शन किया गया। सिम राजस्थान काम में ली जा रही थी और यहीं से पूरा ट्रांजैक्शन किया गया है। पूरी खबर पढ़िए…