
देश में तीनों सेनाओं के जवानों पर अब एक ही अधिकारी एक्शन ले सकेगा। 27 मई से इंटर सर्विस ऑर्गनाइजेशन नियम लागू कर दिया गया है। केंद्र सरकार ने इसका नोटिफिकेशन भी जारी किया। नए कानून बनने से इंटर सर्विस ऑर्गनाइजेशन के तहत एक कमांडर-इन-चीफ/ऑफिसर-इन-कमांड की नियुक्ति होगी। यह कमांडर सैनिकों पर कंट्रोल करने, कार्रवाई करने में सक्षम होगा। फिर सैनिक किसी भी सेना से जुड़ा हो। राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद बन गया था कानून
इंटर सर्विस ऑर्गनाइजेशन बिल दो साल पहले मानसून सत्र में संसद में पेश और पारित किया गया था। 15 अगस्त 2023 को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद इसे 10 मई 2024 से लागू किया गया। सरकार ने बुधवार को नए नियमों को भी आधिकारिक रूप से राजपत्र के माध्यम से अधिसूचित (गजटेड) कर दिया गया है। नए नियमों से 3 बदलाव… 1. कमांड
अब: नए नियम के तहत अब कोई भी सेवा अधिकारी (जैसे थलसेना का अधिकारी) इंटर सर्विस ऑर्गनाइजेशन में कार्यरत किसी भी अन्य सेवा (जैसे नौसेना या वायुसेना) के जवानों को कमांड दे सकेगा। पहले: पहले इस प्रकार के अधिकार केवल संबंधित सेवा के भीतर ही सीमित होते थे। इससे कई बार संचालन में बाधाएं आती थीं, जैसे कि नेवी अफसर, नौसेना के जवानों को ही आदेश दे सकता था। 2. कंट्रोल
अब: नए नियम के तहत इंटर सर्विस ऑर्गनाइजेशन से जुड़े सभी जवान एक अधिकारी के तहत कंट्रोल हो सकेंगे। एक संबंधित अधिकारी को एडमिनिस्ट्रेटिव पावर दी जाएगी। वे किसी भी सेना (आर्मी, नेवी, एयरफोर्स) के जवानों से जुड़े फैसले ले सकता है। पहले: पुराना नियम स्पेसिफिक सर्विस के यूनीक वर्किंग एन्वायर्नमेंट को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया था। ऐसे में एडमिनिस्ट्रेटिव एक्शन के लिए जवान को उनके पेरेंट सर्विस यूनिट्स में वापस भेजने की जरूरत पड़ती थी। इसमें न केवल ज्यादा समय लगता था, बल्कि जवान की आवाजाही के कारण पैसा भी खर्च होता था। 3. अनुशासन
अब: नया नियम एक यूनिट या एस्टैब्लिशमेंट के सैनिकों को एकजुट करने में मदद करता है। ऐसे में जब कहीं अनुशासनहीनता का कोई भी मामला सामने आता है, तो उसके बारे में जल्द फैसला लिया जा सकेगा। पहले: कहीं पर अनुशासनहीनता होती थी तो उस एक इनडिसिप्लिन के मामले में तीन अलग-अलग जगहों पर प्रोसिडिंग्स होती थी। जब तीन अलग-अलग जगहों पर प्रोसिडिंग्स होंगी तो हो सकता है कि उसका रिजल्ट भी तीन अलग-अलग तरह से निकले। ———————- ये खबर भी पढ़ें… भाजपा सांसद बोले- आतंकी फिर हमले की तैयारी में थे: इसलिए ऑपरेशन सिंदूर चलाया भाजपा के राज्यसभा सांसद मनन कुमार मिश्रा ने कहा है कि 22 अप्रैल को पहलगाम हमले के बाद आतंकी भारत में फिर से अटैक की तैयारी कर रहे थे। इसलिए भारतीय सेना ने ऑपरेशन सिंदूर चलाया और आतंकी ठिकानों पर एयरस्ट्राइक की थी। पढ़ें पूरी खबर…
देश में तीनों सेनाओं के जवानों पर अब एक ही अधिकारी एक्शन ले सकेगा। 27 मई से इंटर सर्विस ऑर्गनाइजेशन नियम लागू कर दिया गया है। केंद्र सरकार ने इसका नोटिफिकेशन भी जारी किया। नए कानून बनने से इंटर सर्विस ऑर्गनाइजेशन के तहत एक कमांडर-इन-चीफ/ऑफिसर-इन-कमांड की नियुक्ति होगी। यह कमांडर सैनिकों पर कंट्रोल करने, कार्रवाई करने में सक्षम होगा। फिर सैनिक किसी भी सेना से जुड़ा हो। राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद बन गया था कानून
इंटर सर्विस ऑर्गनाइजेशन बिल दो साल पहले मानसून सत्र में संसद में पेश और पारित किया गया था। 15 अगस्त 2023 को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद इसे 10 मई 2024 से लागू किया गया। सरकार ने बुधवार को नए नियमों को भी आधिकारिक रूप से राजपत्र के माध्यम से अधिसूचित (गजटेड) कर दिया गया है। नए नियमों से 3 बदलाव… 1. कमांड
अब: नए नियम के तहत अब कोई भी सेवा अधिकारी (जैसे थलसेना का अधिकारी) इंटर सर्विस ऑर्गनाइजेशन में कार्यरत किसी भी अन्य सेवा (जैसे नौसेना या वायुसेना) के जवानों को कमांड दे सकेगा। पहले: पहले इस प्रकार के अधिकार केवल संबंधित सेवा के भीतर ही सीमित होते थे। इससे कई बार संचालन में बाधाएं आती थीं, जैसे कि नेवी अफसर, नौसेना के जवानों को ही आदेश दे सकता था। 2. कंट्रोल
अब: नए नियम के तहत इंटर सर्विस ऑर्गनाइजेशन से जुड़े सभी जवान एक अधिकारी के तहत कंट्रोल हो सकेंगे। एक संबंधित अधिकारी को एडमिनिस्ट्रेटिव पावर दी जाएगी। वे किसी भी सेना (आर्मी, नेवी, एयरफोर्स) के जवानों से जुड़े फैसले ले सकता है। पहले: पुराना नियम स्पेसिफिक सर्विस के यूनीक वर्किंग एन्वायर्नमेंट को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया था। ऐसे में एडमिनिस्ट्रेटिव एक्शन के लिए जवान को उनके पेरेंट सर्विस यूनिट्स में वापस भेजने की जरूरत पड़ती थी। इसमें न केवल ज्यादा समय लगता था, बल्कि जवान की आवाजाही के कारण पैसा भी खर्च होता था। 3. अनुशासन
अब: नया नियम एक यूनिट या एस्टैब्लिशमेंट के सैनिकों को एकजुट करने में मदद करता है। ऐसे में जब कहीं अनुशासनहीनता का कोई भी मामला सामने आता है, तो उसके बारे में जल्द फैसला लिया जा सकेगा। पहले: कहीं पर अनुशासनहीनता होती थी तो उस एक इनडिसिप्लिन के मामले में तीन अलग-अलग जगहों पर प्रोसिडिंग्स होती थी। जब तीन अलग-अलग जगहों पर प्रोसिडिंग्स होंगी तो हो सकता है कि उसका रिजल्ट भी तीन अलग-अलग तरह से निकले। ———————- ये खबर भी पढ़ें… भाजपा सांसद बोले- आतंकी फिर हमले की तैयारी में थे: इसलिए ऑपरेशन सिंदूर चलाया भाजपा के राज्यसभा सांसद मनन कुमार मिश्रा ने कहा है कि 22 अप्रैल को पहलगाम हमले के बाद आतंकी भारत में फिर से अटैक की तैयारी कर रहे थे। इसलिए भारतीय सेना ने ऑपरेशन सिंदूर चलाया और आतंकी ठिकानों पर एयरस्ट्राइक की थी। पढ़ें पूरी खबर…