
ऑपरेशन सिंदूर के बाद गुरुवार (आज) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहली बार राजस्थान आए। बीकानेर स्थित नाल एयरफोर्स स्टेशन पर उनका विमान उतरा। हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के जवाब में पाकिस्तान ने नाल एयरफोर्स स्टेशन को भी निशाना बनाया था। भारतीय सेना ने मुंहतोड़ जवाब देते हुए उसके सभी हमलों को नाकाम कर दिया था। सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण नाल एयरबेस का प्रथम और द्वितीय विश्वयुद्ध से भी नाता रहा है। इंडियन एयरफोर्स को यह एयरबेस 1950 में मिला था। आजादी से पहले यहां की कच्ची हवाई पट्टी से ब्रिटिश सेना के फाइटर जेट उड़ा करते थे। आज पाकिस्तान के 6 बड़े शहर नाल एयरबेस की रेंज में आते हैं। पढ़िए यह रिपोर्ट…. नाल पर विफल हुआ था दुश्मन का हमला
बीकानेर जिले की 168 किलोमीटर लंबी सीमा इंटरनेशनल बॉर्डर पर पाकिस्तान से लगती है। इसकी वजह से बीकानेर शहर से महज 15 किलोमीटर और पाकिस्तान बॉर्डर से करीब 150 किलोमीटर दूर नाल एयरबेस सामरिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है। हाल ही में भारत-पाकिस्तान के बीच जब तनाव बढ़ा तो पाकिस्तान ने 7 व 8 मई 2025 को भारत के 15 एयरबेस स्टेशन पर ड्रोन व मिसाइल से हमला बोला था। उनमें फलोदी, बाड़मेर स्थित उत्तरलाई एयरबेस, बीकानेर का नाल एयरबेस शामिल था। पाकिस्तान के इस हमले का भारतीय वायुसेना ने मुंहतोड़ जवाब दिया था। पाकिस्तान की सीमा के बेहद नजदीक होने के कारण इस एयरफोर्स स्टेशन पर दुश्मन देश की पैनी निगाह रहती है। नाल एयरबेस में वायुसेना के पायलटों और अन्य कर्मियों को ट्रेनिंग देने के साथ-साथ कई प्रकार के सैन्य ऑपरेशन भी किए जाते हैं। दोनों विश्व युद्ध से भी नाल एयरबेस का नाता
नाल एयरबेस की महत्ता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि प्रथम व द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान भी यहां बनी स्ट्रिप पर जंगी विमान उतारे गए थे। आजादी से पहले बीकानेर स्टेट ने प्रथम विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटिश सेना की यहां से मदद की थी। दूसरे विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटिश सेना ने इस रनवे का उपयोग किया था। बाद में ब्रिटिश सेना ने इस एयरस्ट्रिप को पूर्व बीकानेर राजपरिवार को सौंप दिया था। पूर्व बीकानेर रियासत के महाराजा गंगासिंह ने नाल में वर्ष 1942 में खुद का एक नया कच्चा रनवे बनाया था। भविष्य में एयरफोर्स की जरूरतों को देखते हुए यहां पर फ्लाइंग क्लब की स्थापना की थी। इस फ्लाइंग क्लब में बीकानेर राजघराने से जुड़े सदस्यों को ब्रिटिश एयरफोर्स के अफसर विमान उड़ाने का अभ्यास करवाते थे। पूर्व राजपरिवार ने साल 1942 से लेकर 1950 के बीच यहां फ्लाइंग क्लब चलाया। उस दौर में सिंगल इंजन वाले विदेशी हवाई जहाज उपयोग में लिए जाते थे। उनमें से एक हेरिटेज विमान डीएच-9 बीकानेर के जूनागढ़ फोर्ट के म्यूजियम में रखा हुआ है। इसे पर्यटक देखकर इतिहास की यादें ताजा करते हैं। 1920 में ब्रिटेन ने भारत को ‘इंपीरियल गिफ्ट स्कीम’ के तहत 60 डीएच-9 विमान दिए थे। ये विमान ब्रिटेन ने अपने उपनिवेश देशों को खुद की वायुसेना तैयार करने के लिए दिए थे, ताकि जरूरत पड़ने पर इनका इस्तेमाल किया जा सके। हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि बीकानेर में कितने डीएच-9 विमान आए थे। आजादी के बाद भारतीय वायुसेना को सौंपा
आजादी के बाद राजस्थान राज्य का गठन होने पर 1950 में यह एयरस्ट्रिप भारतीय वायुसेना को सौंपा दिया गया था। करीब 13 साल की लंबी प्लानिंग के बाद साल 1963 में वायुसेना ने कच्चा रनवे हटाकर खुद का रनवे तैयार किया। बॉर्डर से लगे होने के कारण वायुसेना ने यहां पर अपना एयरबेस स्टेशन स्थापित किया। फिर फाइटर जेट की स्क्वॉड्रन तैनात की। तब इसका नाम 9 केयर एंड मेंटेनेंस यूनिट्स (C MU) रखा। जुलाई 1972 में, नाम बदलकर नंबर 3 फॉरवर्ड बेस सपोर्ट यूनिट्स कर दिया गया। करीब 17 साल बाद, 17 अप्रैल 1989 को इस हवाई क्षेत्र का नाम 46 विंग रखा गया। पाकिस्तान के 6 बड़े शहर नाल एयरबेस की रेंज में
नाल एयरबेस से पाकिस्तान सीमा करीब 150 किलोमीटर दूर है। यह सामरिक लिहाज से इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि दुश्मन देश के 6 बड़े शहर इसकी रेंज में आते हैं। जैसे- मुल्तान 294 किमी, लाहौर 402 किमी, इस्लामाबाद 630 किमी, पेशावर 687 किमी, मुजफ्फराबाद 704 किमी और कराची 719 किमी की रेंज में हैं। यहां जंगी जहाजों की तैनाती दुश्मन देश में घबराहट पैदा करती है। जानकारी के मुताबिक, स्वदेशी तेजस लड़ाकू विमानों का पहला स्क्वॉड्रन यहीं तैनात है, जिसे ‘कोबरा’ भी कहा जाता है। इस एयरबेस पर पिछले साल ही फरवरी 2024 में भारतीय वायुसेना की सूर्य किरण एयरोबेटिक टीम ने एयर शो किया था। सिविल एयर टर्मिनल भी, नियमित फ्लाइट का भी हो रहा संचालन
इस एयरफोर्स स्टेशन के भीतर एक एन्क्लेव के रूप में सिविल एयर टर्मिनल का उद्घाटन 29 जून 2014 को किया गया था। 26 सितंबर 2017 को एयर इंडिया की ओर से दिल्ली के लिए नियमित उड़ान की शुरुआत की गई थी। यहां दिल्ली के लिए नियमित फ्लाइट संचालित हो रही है। जयपुर के लिए सप्ताह में दो दिन (सोमवार और शुक्रवार) यहां से फ्लाइट है। ——————————— PM बोले- हमारी सेना PAK को घुटनों पर लाई:अब मोदी की नसों में खून नहीं, गर्म सिंदूर बह रहा; ICU में रहीमयार खान एयरबेस ऑपरेशन सिंदूर के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहली बार बीकानेर आए। जिला मुख्यालय से 22 किमी दूर देशनोक के पलाना में हुई सभा में मोदी करीब 40 मिनट बोले। उन्होंने साफ कर दिया कि पाकिस्तान की हर हरकत का करारा जवाब दिया जाएगा। भारतीयों की जान से खेलने वालों को कतई नहीं बख्शा जाएगा। एटम बम की गीदड़ भभकियों से भारत डरने वाला नहीं है। (पढ़ें पूरी खबर)
ऑपरेशन सिंदूर के बाद गुरुवार (आज) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहली बार राजस्थान आए। बीकानेर स्थित नाल एयरफोर्स स्टेशन पर उनका विमान उतरा। हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के जवाब में पाकिस्तान ने नाल एयरफोर्स स्टेशन को भी निशाना बनाया था। भारतीय सेना ने मुंहतोड़ जवाब देते हुए उसके सभी हमलों को नाकाम कर दिया था। सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण नाल एयरबेस का प्रथम और द्वितीय विश्वयुद्ध से भी नाता रहा है। इंडियन एयरफोर्स को यह एयरबेस 1950 में मिला था। आजादी से पहले यहां की कच्ची हवाई पट्टी से ब्रिटिश सेना के फाइटर जेट उड़ा करते थे। आज पाकिस्तान के 6 बड़े शहर नाल एयरबेस की रेंज में आते हैं। पढ़िए यह रिपोर्ट…. नाल पर विफल हुआ था दुश्मन का हमला
बीकानेर जिले की 168 किलोमीटर लंबी सीमा इंटरनेशनल बॉर्डर पर पाकिस्तान से लगती है। इसकी वजह से बीकानेर शहर से महज 15 किलोमीटर और पाकिस्तान बॉर्डर से करीब 150 किलोमीटर दूर नाल एयरबेस सामरिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है। हाल ही में भारत-पाकिस्तान के बीच जब तनाव बढ़ा तो पाकिस्तान ने 7 व 8 मई 2025 को भारत के 15 एयरबेस स्टेशन पर ड्रोन व मिसाइल से हमला बोला था। उनमें फलोदी, बाड़मेर स्थित उत्तरलाई एयरबेस, बीकानेर का नाल एयरबेस शामिल था। पाकिस्तान के इस हमले का भारतीय वायुसेना ने मुंहतोड़ जवाब दिया था। पाकिस्तान की सीमा के बेहद नजदीक होने के कारण इस एयरफोर्स स्टेशन पर दुश्मन देश की पैनी निगाह रहती है। नाल एयरबेस में वायुसेना के पायलटों और अन्य कर्मियों को ट्रेनिंग देने के साथ-साथ कई प्रकार के सैन्य ऑपरेशन भी किए जाते हैं। दोनों विश्व युद्ध से भी नाल एयरबेस का नाता
नाल एयरबेस की महत्ता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि प्रथम व द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान भी यहां बनी स्ट्रिप पर जंगी विमान उतारे गए थे। आजादी से पहले बीकानेर स्टेट ने प्रथम विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटिश सेना की यहां से मदद की थी। दूसरे विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटिश सेना ने इस रनवे का उपयोग किया था। बाद में ब्रिटिश सेना ने इस एयरस्ट्रिप को पूर्व बीकानेर राजपरिवार को सौंप दिया था। पूर्व बीकानेर रियासत के महाराजा गंगासिंह ने नाल में वर्ष 1942 में खुद का एक नया कच्चा रनवे बनाया था। भविष्य में एयरफोर्स की जरूरतों को देखते हुए यहां पर फ्लाइंग क्लब की स्थापना की थी। इस फ्लाइंग क्लब में बीकानेर राजघराने से जुड़े सदस्यों को ब्रिटिश एयरफोर्स के अफसर विमान उड़ाने का अभ्यास करवाते थे। पूर्व राजपरिवार ने साल 1942 से लेकर 1950 के बीच यहां फ्लाइंग क्लब चलाया। उस दौर में सिंगल इंजन वाले विदेशी हवाई जहाज उपयोग में लिए जाते थे। उनमें से एक हेरिटेज विमान डीएच-9 बीकानेर के जूनागढ़ फोर्ट के म्यूजियम में रखा हुआ है। इसे पर्यटक देखकर इतिहास की यादें ताजा करते हैं। 1920 में ब्रिटेन ने भारत को ‘इंपीरियल गिफ्ट स्कीम’ के तहत 60 डीएच-9 विमान दिए थे। ये विमान ब्रिटेन ने अपने उपनिवेश देशों को खुद की वायुसेना तैयार करने के लिए दिए थे, ताकि जरूरत पड़ने पर इनका इस्तेमाल किया जा सके। हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि बीकानेर में कितने डीएच-9 विमान आए थे। आजादी के बाद भारतीय वायुसेना को सौंपा
आजादी के बाद राजस्थान राज्य का गठन होने पर 1950 में यह एयरस्ट्रिप भारतीय वायुसेना को सौंपा दिया गया था। करीब 13 साल की लंबी प्लानिंग के बाद साल 1963 में वायुसेना ने कच्चा रनवे हटाकर खुद का रनवे तैयार किया। बॉर्डर से लगे होने के कारण वायुसेना ने यहां पर अपना एयरबेस स्टेशन स्थापित किया। फिर फाइटर जेट की स्क्वॉड्रन तैनात की। तब इसका नाम 9 केयर एंड मेंटेनेंस यूनिट्स (C MU) रखा। जुलाई 1972 में, नाम बदलकर नंबर 3 फॉरवर्ड बेस सपोर्ट यूनिट्स कर दिया गया। करीब 17 साल बाद, 17 अप्रैल 1989 को इस हवाई क्षेत्र का नाम 46 विंग रखा गया। पाकिस्तान के 6 बड़े शहर नाल एयरबेस की रेंज में
नाल एयरबेस से पाकिस्तान सीमा करीब 150 किलोमीटर दूर है। यह सामरिक लिहाज से इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि दुश्मन देश के 6 बड़े शहर इसकी रेंज में आते हैं। जैसे- मुल्तान 294 किमी, लाहौर 402 किमी, इस्लामाबाद 630 किमी, पेशावर 687 किमी, मुजफ्फराबाद 704 किमी और कराची 719 किमी की रेंज में हैं। यहां जंगी जहाजों की तैनाती दुश्मन देश में घबराहट पैदा करती है। जानकारी के मुताबिक, स्वदेशी तेजस लड़ाकू विमानों का पहला स्क्वॉड्रन यहीं तैनात है, जिसे ‘कोबरा’ भी कहा जाता है। इस एयरबेस पर पिछले साल ही फरवरी 2024 में भारतीय वायुसेना की सूर्य किरण एयरोबेटिक टीम ने एयर शो किया था। सिविल एयर टर्मिनल भी, नियमित फ्लाइट का भी हो रहा संचालन
इस एयरफोर्स स्टेशन के भीतर एक एन्क्लेव के रूप में सिविल एयर टर्मिनल का उद्घाटन 29 जून 2014 को किया गया था। 26 सितंबर 2017 को एयर इंडिया की ओर से दिल्ली के लिए नियमित उड़ान की शुरुआत की गई थी। यहां दिल्ली के लिए नियमित फ्लाइट संचालित हो रही है। जयपुर के लिए सप्ताह में दो दिन (सोमवार और शुक्रवार) यहां से फ्लाइट है। ——————————— PM बोले- हमारी सेना PAK को घुटनों पर लाई:अब मोदी की नसों में खून नहीं, गर्म सिंदूर बह रहा; ICU में रहीमयार खान एयरबेस ऑपरेशन सिंदूर के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहली बार बीकानेर आए। जिला मुख्यालय से 22 किमी दूर देशनोक के पलाना में हुई सभा में मोदी करीब 40 मिनट बोले। उन्होंने साफ कर दिया कि पाकिस्तान की हर हरकत का करारा जवाब दिया जाएगा। भारतीयों की जान से खेलने वालों को कतई नहीं बख्शा जाएगा। एटम बम की गीदड़ भभकियों से भारत डरने वाला नहीं है। (पढ़ें पूरी खबर)