
राजस्थान के सबसे ऊंची पर्वत चोटी से तीन किमी दूरी पर बसे गांव उतरज में भी अब ट्रैक्टर से खेती हो सकेगी। गांव के ही 60 परिवारों ने मिलकर यह ट्रैक्टर खरीदा है। राजस्थान के सबसे ऊंचे गांव (उतरज) में पहली बार दो हफ्ते पहले ट्रैक्टर पहुंचा है। सिरोही जिले के माउंट आबू के इस गांव में जाने के लिए कोई सड़क नहीं है। घने जंगल के बीच से ऊबड़-खाबड़ पथरीले रास्तों से होकर इस गांव तक पहुंचते हैं। इसकी वजह से गांव में आज तक कोई गाड़ी नहीं गई है। ट्रैक्टर भी सीधे नहीं जा सका। इसके पाट्र्स गांव वाले अपने कंधों पर रखकर गांव ले गए। इसके बाद गांव में ही ट्रैक्टर को असेंबल किया गया। गांव में ट्रैक्टर देख लोगों के खुशी का ठिकाना नहीं रहा। जयकारे लगाने लगे। समुद्रतल से 1400 मीटर की ऊंचाई
समुद्रतल से 1400 मीटर की ऊंचाई पर यह गांव बसा है। माउंट आबू शहर से करीब 20 किमी दूर बसे गांव में कुल 60 परिवार रहते हैं। यहां की आबादी करीब ढाई सौ है। अब तक यहां बैलों से खेती होती है। ट्रैक्टर लाने की जिद थी, इसलिए पहले ट्रैक्टर खरीदा और फिर गांव में पहुंचाने के लिए उसके पार्ट अलग-अलग कर कंधों पर उठाकर पैदल रवाना हो गए। गांव के पास पहुंचकर सभी हिस्सों को असेंबल किया गया। एक हजार किलो वजन लेकर तीन किमी पैदल चले
ट्रैक्टर के सबसे भारी हिस्से इंजन समेत सभी पाट्र्स का वजन करीब एक हजार किलो था। इसे गांव तक ले जाने के लिए बांस का खास फ्रेम बनाया गया था। उसकी मदद से लोगों ने करीब 3 किलोमीटर तक यह वजन लेकर पैदल यात्रा की। उतरज गांव के निवासी सांखल सिंह राजपूत बोडाना (52) ने बताया- हमारी 40-50 पीढ़ियां इसी गांव में रह रही हैं। ट्रैक्टर आ जाने से अब वे 400 बीघा जमीन पर मशीनों से खेती कर सकेंगे। उतरज में ही मेरा जन्म हुआ हैं। गांव में खेती-बाड़ी के सभी कार्य अब तक बैलों से किए जाते हैं, जिससे अधिक परिश्रम के साथ समय भी ज्यादा लगता है। इसके अलावा तमाम कठिनाइयों का सामना भी करना पड़ता है। गांव में बजे ढोल-नगाड़े
ट्रैक्टर खरीदने के लिए गांव के परिवारों ने रुपए जुटाए थे। ट्रैक्टर 7 लाख रुपए में लिया गया है। इसके लिए डेढ़ लाख कैश दिया है, बाकी धन लोन के माध्यम से चुकाया जाएगा। आबूरोड (सिरोही) से ट्रैक्टर खरीदा गया है। शोरूम में इस मौके पर मुहूर्त किया था। कंपनी के ही लोगों की ओर से ट्रैक्टर को खोला गया था। इसके पाट्र्स को दो ट्रैक्टर में गुरुशिखर तक लाया गया था। यहां से उतरज गांव लाया गया। गांव में ढोल-नगाड़े, गाजे-बाजे के साथ मुहूर्त किया गया था। प्रसादी बनाई। खेती में आसानी होगी
साखल सिंह ने बताया- ट्रैक्टर आने के बाद हम पहली बार लहसुन की खेती करेंगे। साथ ही जौ, गेहूं, मटर, पत्ता गोभी, फूल गोभी, आलू आदि की खेती में भी मदद मिलेगी। ट्रैक्टर आने से हमारे जीव-जंतु के लिए चारा बचेगा, वो भी उपयोग आएगा। इससे पूर्व हमें जंगलों में जाना पड़ता था, जहां जंगली जानवरों का भय रहता था। ट्रैक्टर से खेत जोता जाएगा। उतरज गांव में जन्मे नाथू सिंह ने बताया- ट्रैक्टर जब 200 किलोमीटर तक चलेगा, इसके बाद शोरूम से टीम उतरज गांव आएगी। गांव में ही ट्रैक्टर की सर्विसिंग होगी। ट्रैक्टर में डीजल के लिए एक बार में लगभग 200 लीटर का ड्रम गुरु शिखर से नीचे पैदल चलकर ही ले जाया जाएगा। फिलहाल गांव में किसी को ट्रैक्टर चलाने नहीं आता। पास के ही काछोली गांव के युवक से संपर्क किया गया है। वह ट्रैक्टर सिखाने आएगा। तस्वीरों में देखिए उतरज गांव के पहले ट्रैक्टर की कहानी… कंटेंट- निधि उमट
राजस्थान के सबसे ऊंची पर्वत चोटी से तीन किमी दूरी पर बसे गांव उतरज में भी अब ट्रैक्टर से खेती हो सकेगी। गांव के ही 60 परिवारों ने मिलकर यह ट्रैक्टर खरीदा है। राजस्थान के सबसे ऊंचे गांव (उतरज) में पहली बार दो हफ्ते पहले ट्रैक्टर पहुंचा है। सिरोही जिले के माउंट आबू के इस गांव में जाने के लिए कोई सड़क नहीं है। घने जंगल के बीच से ऊबड़-खाबड़ पथरीले रास्तों से होकर इस गांव तक पहुंचते हैं। इसकी वजह से गांव में आज तक कोई गाड़ी नहीं गई है। ट्रैक्टर भी सीधे नहीं जा सका। इसके पाट्र्स गांव वाले अपने कंधों पर रखकर गांव ले गए। इसके बाद गांव में ही ट्रैक्टर को असेंबल किया गया। गांव में ट्रैक्टर देख लोगों के खुशी का ठिकाना नहीं रहा। जयकारे लगाने लगे। समुद्रतल से 1400 मीटर की ऊंचाई
समुद्रतल से 1400 मीटर की ऊंचाई पर यह गांव बसा है। माउंट आबू शहर से करीब 20 किमी दूर बसे गांव में कुल 60 परिवार रहते हैं। यहां की आबादी करीब ढाई सौ है। अब तक यहां बैलों से खेती होती है। ट्रैक्टर लाने की जिद थी, इसलिए पहले ट्रैक्टर खरीदा और फिर गांव में पहुंचाने के लिए उसके पार्ट अलग-अलग कर कंधों पर उठाकर पैदल रवाना हो गए। गांव के पास पहुंचकर सभी हिस्सों को असेंबल किया गया। एक हजार किलो वजन लेकर तीन किमी पैदल चले
ट्रैक्टर के सबसे भारी हिस्से इंजन समेत सभी पाट्र्स का वजन करीब एक हजार किलो था। इसे गांव तक ले जाने के लिए बांस का खास फ्रेम बनाया गया था। उसकी मदद से लोगों ने करीब 3 किलोमीटर तक यह वजन लेकर पैदल यात्रा की। उतरज गांव के निवासी सांखल सिंह राजपूत बोडाना (52) ने बताया- हमारी 40-50 पीढ़ियां इसी गांव में रह रही हैं। ट्रैक्टर आ जाने से अब वे 400 बीघा जमीन पर मशीनों से खेती कर सकेंगे। उतरज में ही मेरा जन्म हुआ हैं। गांव में खेती-बाड़ी के सभी कार्य अब तक बैलों से किए जाते हैं, जिससे अधिक परिश्रम के साथ समय भी ज्यादा लगता है। इसके अलावा तमाम कठिनाइयों का सामना भी करना पड़ता है। गांव में बजे ढोल-नगाड़े
ट्रैक्टर खरीदने के लिए गांव के परिवारों ने रुपए जुटाए थे। ट्रैक्टर 7 लाख रुपए में लिया गया है। इसके लिए डेढ़ लाख कैश दिया है, बाकी धन लोन के माध्यम से चुकाया जाएगा। आबूरोड (सिरोही) से ट्रैक्टर खरीदा गया है। शोरूम में इस मौके पर मुहूर्त किया था। कंपनी के ही लोगों की ओर से ट्रैक्टर को खोला गया था। इसके पाट्र्स को दो ट्रैक्टर में गुरुशिखर तक लाया गया था। यहां से उतरज गांव लाया गया। गांव में ढोल-नगाड़े, गाजे-बाजे के साथ मुहूर्त किया गया था। प्रसादी बनाई। खेती में आसानी होगी
साखल सिंह ने बताया- ट्रैक्टर आने के बाद हम पहली बार लहसुन की खेती करेंगे। साथ ही जौ, गेहूं, मटर, पत्ता गोभी, फूल गोभी, आलू आदि की खेती में भी मदद मिलेगी। ट्रैक्टर आने से हमारे जीव-जंतु के लिए चारा बचेगा, वो भी उपयोग आएगा। इससे पूर्व हमें जंगलों में जाना पड़ता था, जहां जंगली जानवरों का भय रहता था। ट्रैक्टर से खेत जोता जाएगा। उतरज गांव में जन्मे नाथू सिंह ने बताया- ट्रैक्टर जब 200 किलोमीटर तक चलेगा, इसके बाद शोरूम से टीम उतरज गांव आएगी। गांव में ही ट्रैक्टर की सर्विसिंग होगी। ट्रैक्टर में डीजल के लिए एक बार में लगभग 200 लीटर का ड्रम गुरु शिखर से नीचे पैदल चलकर ही ले जाया जाएगा। फिलहाल गांव में किसी को ट्रैक्टर चलाने नहीं आता। पास के ही काछोली गांव के युवक से संपर्क किया गया है। वह ट्रैक्टर सिखाने आएगा। तस्वीरों में देखिए उतरज गांव के पहले ट्रैक्टर की कहानी… कंटेंट- निधि उमट