
बसपा सुप्रीमो मायावती ने एक बार फिर भतीजे आकाश आनंद को बड़ी जिम्मेदारी दी है। आकाश को चीफ नेशनल को-ऑर्डिनेटर बनाया है। यह नंबर-2 की पोजिशन है। यानी, मायावती के बाद अब पार्टी में आकाश होंगे। आकाश को अब तक का सबसे बड़ा पद दिया गया है। पार्टी ने पहली बार चीफ नेशनल को-ऑर्डिनेटर का पद बनाया है। इससे पहले आकाश नेशनल को-ऑडिनेटर थे। बसपा तीन हिस्सों में बंटी है। उत्तर भारत, पूर्वोत्तर और दक्षिण भारत। इसे तीन नेशनल को-ऑडिनेटर देखते हैं। तीन नेशनल को-ऑडिनेटर राजा राम, रामजी गौतम और रणधीर सिंह बेनीवाल हैं। अब ये तीनों आकाश को रिपोर्ट करेंगे। 16 महीने में मायावती ने आकाश को दो बार नेशनल को-ऑर्डिनेटर और उत्तराधिकारी बनाया था। लेकिन, दोनों ही बार हटा दिया गया। आकाश को 3 मार्च को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था। 40 दिन बाद, सार्वजनिक रूप से माफी मांगने के बाद मायावती ने उन्हें पार्टी में वापस लिया था। इसके बाद से ही उन्हें पार्टी में बड़ा पद मिलने की संभावना जताई जा रही थी। करीब एक साल बाद रविवार को दिल्ली में बसपा की ऑल इंडिया मीटिंग हुई। इसमें मायावती के साथ आकाश आनंद भी शामिल हुए। वह मायावती के पीछे-पीछे मीटिंग हॉल तक पहुंचे। मायावती के कुर्सी पर बैठने तक आकाश साइड में खड़े रहे। बसपा की बैठक में मौजूद सभी राज्यों के प्रदेश अध्यक्षों, मंडल को-ऑर्डिनेटरों और प्रभारी नेताओं की मौजूदगी में मायावती ने आकाश के नाम का ऐलान किया। उन्होंने कहा- आकाश को फिर से प्रमुख जिम्मेदारी सौंपी गई है। उन्हें पार्टी के भविष्य के कार्यक्रमों की अगुवाई का दायित्व दिया गया है। इस बार उम्मीद है कि आकाश, पार्टी और मूवमेंट के हित में पूरी सावधानी और मिशनरी भावना से योगदान देंगे। वह खरे उतरेंगे। आकाश आनंद बोले- बहनजी ने मेरी गलतियों को माफ किया, शुक्रिया
रविवार देर शाम आकाश आनंद ने X पर पोस्ट किया। इसमें लिखा- बसपा की आल-इंडिया बैठक में शामिल होने का मौका मिला। सभी पदाधिकारियों को पूरे देश में पार्टी को मजबूत करने के लिए मायावती जी का मार्गदर्शन और जरूरी दिशा-निर्देश मिला। बहनजी ने मुझे पार्टी के मुख्य नेशनल को-ऑर्डिनेटर पद की जिम्मेदारी दी है। मैं बहनजी का तहेदिल से आभार प्रकट करता हूं। उन्होंने मेरी गलतियों को माफ किया और एक अवसर दिया है। जिससे मैं बहुजन मिशन और मूवमेंट को मजबूत करने में अपना योगदान दूं। मैं बहनजी से वादा करता हूं कि पार्टी और मूवमेंट के हित में पूरी निष्ठा से काम करूंगा, कभी निराश नहीं करूंगा। बसपा की बैठक में 3 फैसले बिहार में अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान, यूपी-उत्तराखंड पर फोकस: बिहार में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव में BSP अपने बलबूते पर चुनाव लड़ेगी। सभी 240 सीटों पर उम्मीदवार उतारेगी। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में जनविरोधी सत्ता के विकल्प के रूप में BSP को स्थापित करने के लिए सभी कार्यकर्ताओं को “तन-मन-धन से जुटने” का निर्देश दिया गया। बहुजन वालंटियर फोर्स (BVF) दोबारा एक्टिव होगी: बहुजन वालंटियर फोर्स (BVF) को दोबारा से पार्टी में सक्रिय करने का फैसला लिया गया है। प्रदेशों में जिला और सेक्टर स्तर पर कमेटियां गठित की जाएगी। दलित उत्पीड़न और महापुरुषों की प्रतिमा के अपमान पर फील्ड विजिट और कानून-सम्मत विरोध किया जाएगा। ऑपरेशन सिंदूर की तारीफ की: पहलगाम में आतंकी हमले के जवाब में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की मायावती ने तारीफ की। कहा- भारत को पाकिस्तान की परमाणु धमकियों से डरने की जरूरत नहीं। कश्मीर पर किसी तीसरे पक्ष का दखल मंजूर नहीं होगा। वहीं, मध्य प्रदेश में मंत्री विजय शाह और सपा नेता रामगोपाल यादव के बयानों को “सेना का अपमान” बताते हुए कार्रवाई की मांग की। खबर में आगे बढ़ने से पहले इस पोल पर अपनी राय दे सकते हैं… आकाश के जरिए 3 लक्ष्य साधना चाहती हैं मायावती 1- आकाश को आगे बढ़ाने वजह क्या है?
सपा के राज्यसभा सांसद रामजी लाल सुमन की वजह से सपा पश्चिम में दलितों को गोलबंद करने में जुटी हुई है। अयोध्या सांसद अवधेश प्रसाद व जौनपुर की मछलीशहर से सांसद रागिनी सोनकर के माध्यम से भी दलितों को अपने पाले में लाना चाहती है। बसपा दलितों खासकर युवाओं में लोकप्रिय आकाश को चीफ नेशनल कोआर्डिनेटर बनाकर दलित वोटरों को सहेजना चाहती हैं। कांग्रेस ने अहमदाबाद अधिवेशन में जिस तरह से दलित-आदिवासी व पिछड़ों को लेकर संकल्प पारित किया है। इससे भी मायावती असहज महसूस कर रही थीं। इसे लेकर उन्होंने सोशल मीडिया पर कांग्रेस को आड़े हाथों भी लिया था। आकाश को नंबर दो की हैसियत देकर मायावती ने साफ कर दिया है कि वह उनकी आक्रामकता से कांग्रेस को जवाब दे सकेंगी। भाजपा के शासन में दलितों पर होने वाले अत्याचारों पर अब पार्टी मुखरता से विरोध करेगी और ऐसे पीड़ितों की मदद को आगे तत्पर रहेगी। आकाश सोशल मीडिया में काफी पॉपुलर हैं। इसके माध्यम से बसपा भाजपा के सोशल वार का जवाब दे सकेगी। 2- क्या मायावती संन्यास ले सकती हैं?
इसका जवाब ना है। खुद मायावती ने ही 13 अप्रैल को आकाश को पार्टी में वापस लेते हुए कहा था, जब तक पूरी तरह से स्वस्थ्य रहूंगी, काम करती रहूंगी। उत्तराधिकारी बनाने का कोई प्रश्न ही नहीं उठता है। प्रोफेसर विवेक कुमार कहते हैं कि कांशीराम ने भी अपने अंतिम समय में जब उनका स्वास्थ्य खराब हो गया था, तभी मायावती को उत्तराधिकारी घोषित किया था। इसी तरह मायावती भी जब तक उनकी सेहत ठीक रहेगी, वो किसी को भी अपना उत्तराधिकारी घोषित नहीं करेंगी। लेकिन धीरे–धीरे वह आकाश या उस व्यक्ति को आगे बढ़ाएंगी, जो पार्टी को आगे ले जा सके। फिलहाल जिस तरीके से आकाश का कद बार–बार बढ़ाया जा रहा है, इससे साफ है कि उन्हें मायावती बड़ी भूमिका के लिए तैयार कर रही हैं। 3- आकाश ही क्यों?
प्रोफेसर विवेक कुमार के मुताबिक, मायावती ने एकाएक फैसला नहीं लिया है। पिछली बार भी जब आकाश से दायित्व लिया था, तो थोड़े अंतराल के बाद ही फिर से जिम्मेदारी सौंप दी थी। उस बार तो मायावती ने आकाश को अपना उत्तराधिकारी तक बना दिया था। इस बार भी वापसी के साथ ही तय हो गया था कि देर–सवेर आकाश को कोई अहम जिम्मेदारी दी जाएगी। मायावती ने पहले से तीन नेशनल कोआर्डिनेटर बनाए थे। ऐसे में आकाश के रूप में चौथा नेशनल कोआर्डिनेटर बनाना उचित नहीं होता। वहीं, मायावती आकाश जैसे युवा चेहरे को भविष्य के लिए तैयार करना चाहती हैं। इसी कारण उनके लिए नया पद चीफ नेशनल कोआर्डिनेटर बनाया है। आकाश उन्हीं आनंद कुमार के बेटे हैं, जिसे मायावती अपने सभी भाईयों में सबसे अधिक स्नेह देती हैं। आनंद कुमार ने पार्टी और मायावती के लिए अपनी सरकारी नौकरी तक छोड़ दी थी। मायावती ने आकाश को कब-कब जिम्मेदारी दी और कब हटाया? जानिए आकाश ने 2017 में राजनीति में की थी एंट्री
आकाश आनंद पहली बार 2017 में सहारनपुर की एक जनसभा में मायावती के साथ दिखे थे। इसके बाद वह लगातार पार्टी का काम कर रहे थे। 2019 में उन्हें नेशनल कोऑर्डिनेटर बनाया गया। यह फैसला तब लिया गया जब सपा और बसपा का गठबंधन लोकसभा चुनाव के बाद टूटा। 2022 के हिमाचल विधानसभा चुनाव में पहली बार आकाश आनंद का नाम स्टार प्रचारकों की लिस्ट में आया था। आकाश ने लंदन से मास्टर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन (MBA) की पढ़ाई की है। आकाश की शादी बसपा के पूर्व राज्यसभा सदस्य अशोक सिद्धार्थ की बेटी डॉ. प्रज्ञा से हुई है। 206 से 1 विधानसभा सीट पर सिमटी बसपा
2007 में 206 विधानसभा सीटें जीतने वाली बसपा की अब हालत ये है कि विधानसभा में सिर्फ एक विधायक है। 2022 के विधानसभा चुनाव में प्रदेश के 15.2 करोड़ वोटर में से 12.9 फीसदी वोट बसपा को मिला। उसे कुल एक करोड़ 18 लाख 73 हजार 137 वोट मिले थे। 2024 के लोकसभा चुनाव में भी बसपा की स्थिति नहीं सुधरी। 2019 के लोकसभा में 10 सीटें जीतने वाली बसपा इस बार खाता भी नहीं खोल पाई। उसका वोट प्रतिशत 2019 में 19.43% से गिरकर 9.35% रह गया। ये विधानसभा चुनाव से भी लगभग 3 प्रतिशत कम था। महाराष्ट्र-झारखंड के बाद दिल्ली में मायूसी हाथ लगी महाराष्ट्र-झारखंड के बाद मायावती को दिल्ली विधानसभा चुनाव से भी मायूसी हाथ लगी। उन्होंने दिल्ली विधानसभा चुनाव में 70 में से 69 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे। पार्टी के नेशनल कॉआर्डिनेटर और मायावती के भतीजे आकाश आनंद ने इस चुनाव में काफी प्रचार किया था। इसके बावजूद पार्टी के प्रदर्शन पर कोई असर नहीं डाल पाए। आलम ये रहा कि पार्टी के अधिकतर प्रत्याशी हजार वोट का आंकड़ा भी नहीं पार कर पाए। बसपा को कुल 55,066 (0.58 प्रतिशत) ही वोट मिल पाए। यूपी में 2007 में बसपा का सबसे शानदार प्रदर्शन
यूपी की राजनीति में आज भले ही बसपा सुप्रीमो का दबदबा घटता दिख रहा है, लेकिन अब भी पार्टी के पास 10 प्रतिशत के लगभग वोटबैंक है। गठबंधन में ये किसी का भी पलड़ा भारी कर सकता है। बसपा का सबसे शानदार प्रदर्शन 2007 में रहा। तब बसपा अपने बलबूते सूबे की सत्ता में लौटी थी।विधानसभा में तब उसके 206 विधायक जीत कर पहुंचे थे। पार्टी को तब 30 प्रतिशत से अधिक वोट मिले थे। इस सफलता की वजह सोशल इंजीनियरिंग को माना गया था। बसपा एक बार फिर प्रदेश की राजनीति में अपने उन्हें सुनहरे दौर में लौटने का सपना बुन रही है।
बसपा सुप्रीमो मायावती ने एक बार फिर भतीजे आकाश आनंद को बड़ी जिम्मेदारी दी है। आकाश को चीफ नेशनल को-ऑर्डिनेटर बनाया है। यह नंबर-2 की पोजिशन है। यानी, मायावती के बाद अब पार्टी में आकाश होंगे। आकाश को अब तक का सबसे बड़ा पद दिया गया है। पार्टी ने पहली बार चीफ नेशनल को-ऑर्डिनेटर का पद बनाया है। इससे पहले आकाश नेशनल को-ऑडिनेटर थे। बसपा तीन हिस्सों में बंटी है। उत्तर भारत, पूर्वोत्तर और दक्षिण भारत। इसे तीन नेशनल को-ऑडिनेटर देखते हैं। तीन नेशनल को-ऑडिनेटर राजा राम, रामजी गौतम और रणधीर सिंह बेनीवाल हैं। अब ये तीनों आकाश को रिपोर्ट करेंगे। 16 महीने में मायावती ने आकाश को दो बार नेशनल को-ऑर्डिनेटर और उत्तराधिकारी बनाया था। लेकिन, दोनों ही बार हटा दिया गया। आकाश को 3 मार्च को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था। 40 दिन बाद, सार्वजनिक रूप से माफी मांगने के बाद मायावती ने उन्हें पार्टी में वापस लिया था। इसके बाद से ही उन्हें पार्टी में बड़ा पद मिलने की संभावना जताई जा रही थी। करीब एक साल बाद रविवार को दिल्ली में बसपा की ऑल इंडिया मीटिंग हुई। इसमें मायावती के साथ आकाश आनंद भी शामिल हुए। वह मायावती के पीछे-पीछे मीटिंग हॉल तक पहुंचे। मायावती के कुर्सी पर बैठने तक आकाश साइड में खड़े रहे। बसपा की बैठक में मौजूद सभी राज्यों के प्रदेश अध्यक्षों, मंडल को-ऑर्डिनेटरों और प्रभारी नेताओं की मौजूदगी में मायावती ने आकाश के नाम का ऐलान किया। उन्होंने कहा- आकाश को फिर से प्रमुख जिम्मेदारी सौंपी गई है। उन्हें पार्टी के भविष्य के कार्यक्रमों की अगुवाई का दायित्व दिया गया है। इस बार उम्मीद है कि आकाश, पार्टी और मूवमेंट के हित में पूरी सावधानी और मिशनरी भावना से योगदान देंगे। वह खरे उतरेंगे। आकाश आनंद बोले- बहनजी ने मेरी गलतियों को माफ किया, शुक्रिया
रविवार देर शाम आकाश आनंद ने X पर पोस्ट किया। इसमें लिखा- बसपा की आल-इंडिया बैठक में शामिल होने का मौका मिला। सभी पदाधिकारियों को पूरे देश में पार्टी को मजबूत करने के लिए मायावती जी का मार्गदर्शन और जरूरी दिशा-निर्देश मिला। बहनजी ने मुझे पार्टी के मुख्य नेशनल को-ऑर्डिनेटर पद की जिम्मेदारी दी है। मैं बहनजी का तहेदिल से आभार प्रकट करता हूं। उन्होंने मेरी गलतियों को माफ किया और एक अवसर दिया है। जिससे मैं बहुजन मिशन और मूवमेंट को मजबूत करने में अपना योगदान दूं। मैं बहनजी से वादा करता हूं कि पार्टी और मूवमेंट के हित में पूरी निष्ठा से काम करूंगा, कभी निराश नहीं करूंगा। बसपा की बैठक में 3 फैसले बिहार में अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान, यूपी-उत्तराखंड पर फोकस: बिहार में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव में BSP अपने बलबूते पर चुनाव लड़ेगी। सभी 240 सीटों पर उम्मीदवार उतारेगी। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में जनविरोधी सत्ता के विकल्प के रूप में BSP को स्थापित करने के लिए सभी कार्यकर्ताओं को “तन-मन-धन से जुटने” का निर्देश दिया गया। बहुजन वालंटियर फोर्स (BVF) दोबारा एक्टिव होगी: बहुजन वालंटियर फोर्स (BVF) को दोबारा से पार्टी में सक्रिय करने का फैसला लिया गया है। प्रदेशों में जिला और सेक्टर स्तर पर कमेटियां गठित की जाएगी। दलित उत्पीड़न और महापुरुषों की प्रतिमा के अपमान पर फील्ड विजिट और कानून-सम्मत विरोध किया जाएगा। ऑपरेशन सिंदूर की तारीफ की: पहलगाम में आतंकी हमले के जवाब में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की मायावती ने तारीफ की। कहा- भारत को पाकिस्तान की परमाणु धमकियों से डरने की जरूरत नहीं। कश्मीर पर किसी तीसरे पक्ष का दखल मंजूर नहीं होगा। वहीं, मध्य प्रदेश में मंत्री विजय शाह और सपा नेता रामगोपाल यादव के बयानों को “सेना का अपमान” बताते हुए कार्रवाई की मांग की। खबर में आगे बढ़ने से पहले इस पोल पर अपनी राय दे सकते हैं… आकाश के जरिए 3 लक्ष्य साधना चाहती हैं मायावती 1- आकाश को आगे बढ़ाने वजह क्या है?
सपा के राज्यसभा सांसद रामजी लाल सुमन की वजह से सपा पश्चिम में दलितों को गोलबंद करने में जुटी हुई है। अयोध्या सांसद अवधेश प्रसाद व जौनपुर की मछलीशहर से सांसद रागिनी सोनकर के माध्यम से भी दलितों को अपने पाले में लाना चाहती है। बसपा दलितों खासकर युवाओं में लोकप्रिय आकाश को चीफ नेशनल कोआर्डिनेटर बनाकर दलित वोटरों को सहेजना चाहती हैं। कांग्रेस ने अहमदाबाद अधिवेशन में जिस तरह से दलित-आदिवासी व पिछड़ों को लेकर संकल्प पारित किया है। इससे भी मायावती असहज महसूस कर रही थीं। इसे लेकर उन्होंने सोशल मीडिया पर कांग्रेस को आड़े हाथों भी लिया था। आकाश को नंबर दो की हैसियत देकर मायावती ने साफ कर दिया है कि वह उनकी आक्रामकता से कांग्रेस को जवाब दे सकेंगी। भाजपा के शासन में दलितों पर होने वाले अत्याचारों पर अब पार्टी मुखरता से विरोध करेगी और ऐसे पीड़ितों की मदद को आगे तत्पर रहेगी। आकाश सोशल मीडिया में काफी पॉपुलर हैं। इसके माध्यम से बसपा भाजपा के सोशल वार का जवाब दे सकेगी। 2- क्या मायावती संन्यास ले सकती हैं?
इसका जवाब ना है। खुद मायावती ने ही 13 अप्रैल को आकाश को पार्टी में वापस लेते हुए कहा था, जब तक पूरी तरह से स्वस्थ्य रहूंगी, काम करती रहूंगी। उत्तराधिकारी बनाने का कोई प्रश्न ही नहीं उठता है। प्रोफेसर विवेक कुमार कहते हैं कि कांशीराम ने भी अपने अंतिम समय में जब उनका स्वास्थ्य खराब हो गया था, तभी मायावती को उत्तराधिकारी घोषित किया था। इसी तरह मायावती भी जब तक उनकी सेहत ठीक रहेगी, वो किसी को भी अपना उत्तराधिकारी घोषित नहीं करेंगी। लेकिन धीरे–धीरे वह आकाश या उस व्यक्ति को आगे बढ़ाएंगी, जो पार्टी को आगे ले जा सके। फिलहाल जिस तरीके से आकाश का कद बार–बार बढ़ाया जा रहा है, इससे साफ है कि उन्हें मायावती बड़ी भूमिका के लिए तैयार कर रही हैं। 3- आकाश ही क्यों?
प्रोफेसर विवेक कुमार के मुताबिक, मायावती ने एकाएक फैसला नहीं लिया है। पिछली बार भी जब आकाश से दायित्व लिया था, तो थोड़े अंतराल के बाद ही फिर से जिम्मेदारी सौंप दी थी। उस बार तो मायावती ने आकाश को अपना उत्तराधिकारी तक बना दिया था। इस बार भी वापसी के साथ ही तय हो गया था कि देर–सवेर आकाश को कोई अहम जिम्मेदारी दी जाएगी। मायावती ने पहले से तीन नेशनल कोआर्डिनेटर बनाए थे। ऐसे में आकाश के रूप में चौथा नेशनल कोआर्डिनेटर बनाना उचित नहीं होता। वहीं, मायावती आकाश जैसे युवा चेहरे को भविष्य के लिए तैयार करना चाहती हैं। इसी कारण उनके लिए नया पद चीफ नेशनल कोआर्डिनेटर बनाया है। आकाश उन्हीं आनंद कुमार के बेटे हैं, जिसे मायावती अपने सभी भाईयों में सबसे अधिक स्नेह देती हैं। आनंद कुमार ने पार्टी और मायावती के लिए अपनी सरकारी नौकरी तक छोड़ दी थी। मायावती ने आकाश को कब-कब जिम्मेदारी दी और कब हटाया? जानिए आकाश ने 2017 में राजनीति में की थी एंट्री
आकाश आनंद पहली बार 2017 में सहारनपुर की एक जनसभा में मायावती के साथ दिखे थे। इसके बाद वह लगातार पार्टी का काम कर रहे थे। 2019 में उन्हें नेशनल कोऑर्डिनेटर बनाया गया। यह फैसला तब लिया गया जब सपा और बसपा का गठबंधन लोकसभा चुनाव के बाद टूटा। 2022 के हिमाचल विधानसभा चुनाव में पहली बार आकाश आनंद का नाम स्टार प्रचारकों की लिस्ट में आया था। आकाश ने लंदन से मास्टर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन (MBA) की पढ़ाई की है। आकाश की शादी बसपा के पूर्व राज्यसभा सदस्य अशोक सिद्धार्थ की बेटी डॉ. प्रज्ञा से हुई है। 206 से 1 विधानसभा सीट पर सिमटी बसपा
2007 में 206 विधानसभा सीटें जीतने वाली बसपा की अब हालत ये है कि विधानसभा में सिर्फ एक विधायक है। 2022 के विधानसभा चुनाव में प्रदेश के 15.2 करोड़ वोटर में से 12.9 फीसदी वोट बसपा को मिला। उसे कुल एक करोड़ 18 लाख 73 हजार 137 वोट मिले थे। 2024 के लोकसभा चुनाव में भी बसपा की स्थिति नहीं सुधरी। 2019 के लोकसभा में 10 सीटें जीतने वाली बसपा इस बार खाता भी नहीं खोल पाई। उसका वोट प्रतिशत 2019 में 19.43% से गिरकर 9.35% रह गया। ये विधानसभा चुनाव से भी लगभग 3 प्रतिशत कम था। महाराष्ट्र-झारखंड के बाद दिल्ली में मायूसी हाथ लगी महाराष्ट्र-झारखंड के बाद मायावती को दिल्ली विधानसभा चुनाव से भी मायूसी हाथ लगी। उन्होंने दिल्ली विधानसभा चुनाव में 70 में से 69 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे। पार्टी के नेशनल कॉआर्डिनेटर और मायावती के भतीजे आकाश आनंद ने इस चुनाव में काफी प्रचार किया था। इसके बावजूद पार्टी के प्रदर्शन पर कोई असर नहीं डाल पाए। आलम ये रहा कि पार्टी के अधिकतर प्रत्याशी हजार वोट का आंकड़ा भी नहीं पार कर पाए। बसपा को कुल 55,066 (0.58 प्रतिशत) ही वोट मिल पाए। यूपी में 2007 में बसपा का सबसे शानदार प्रदर्शन
यूपी की राजनीति में आज भले ही बसपा सुप्रीमो का दबदबा घटता दिख रहा है, लेकिन अब भी पार्टी के पास 10 प्रतिशत के लगभग वोटबैंक है। गठबंधन में ये किसी का भी पलड़ा भारी कर सकता है। बसपा का सबसे शानदार प्रदर्शन 2007 में रहा। तब बसपा अपने बलबूते सूबे की सत्ता में लौटी थी।विधानसभा में तब उसके 206 विधायक जीत कर पहुंचे थे। पार्टी को तब 30 प्रतिशत से अधिक वोट मिले थे। इस सफलता की वजह सोशल इंजीनियरिंग को माना गया था। बसपा एक बार फिर प्रदेश की राजनीति में अपने उन्हें सुनहरे दौर में लौटने का सपना बुन रही है।