
देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने बड़ौदा की तत्कालीन महारानी के लिए 1951 मॉडल की एंटीक हैंड-मेड क्लासिक रोल्स रॉयस कार ऑर्डर की थी। ये कार उस मॉडल का इकलौता पीस है। जिसकी मौजूदा कीमत 2.5 करोड़ रुपए से ज्यादा है, लेकिन इसी कार से उठा एक विवाद सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया। गुरुवार को शाही परिवार से ताल्लुक रखने वाले एक दंपती की याचिका पर सुनवाई हुई, जिसे जस्टिस सूर्यकांत और एन कोटिश्वर सिंह की बेंच में रखा गया। जहां मध्यस्थता करने के लिए नियुक्त एडवोकेट आर बसंत ने बताया कि दंपती का मामला सुलझाने की कोशिश काम नहीं कर सकी। इस पर बेंच ने दोनों को फटकार लगाते हुए कहा कि वे राजा-महाराजा की तरह व्यवहार न करें। देश में लोकतंत्र स्थापित हुए 75 साल से ज्यादा समय हो चुका है। कोर्ट ने कहा कि अगर मध्यस्थता के जरिए कोई समझौता नहीं हुआ, तो वह तीन में कठोर आदेश देने से नहीं हिचकिचाएगी। दरअसल, ग्वालियर में रहने वाली महिला का कहना है कि वह छत्रपति शिवाजी महाराज की नौसेना में एडमिरल रहे व्यक्ति के परिवार से है, जिन्हें कोंकण क्षेत्र का शासक घोषित किया गया था। उसका पति भी सेना में है, लेकिन पति और उसके परिवार ने शादी के बाद दहेज की मांग की थी। जिसके खिलाफ वह कोर्ट पहुंची। आरोप- ससुराल वालों ने मांगी रोल्स रॉयस कार और मुंबई में फ्लैट सुप्रीम कोर्ट पहुंचे दंपती की शादी 20 अप्रैल 2018 में उत्तराखंड के ऋषिकेश में हुई थी। याचिका लगाने वाली महिला का दावा है कि उसका पति मध्य प्रदेश में शैक्षणिक संस्थान चलाता है। पति और उसके परिवार ने रोल्स रॉयस कार और मुंबई में एक फ्लैट की दहेज मांग कर महिला को परेशान किया। हालांकि पति ने आरोप का खंडन किया है। उसका कहना है कि वे दोनों एक भी दिन पति-पत्नी की तरह साथ नहीं रहे। उनकी शादी केवल प्रतीकात्मक थी। पति ने पत्नी और उसके परिवार के खिलाफ धोखे से मैरिज सर्टिफिकेट बनवाने का मामला दर्ज करवाया था। लेकिन हाईकोर्ट ने इसे दिसंबर 2023 में खारिज कर दिया था। महिला ने याचिका में कहा कि “जब ससुराल वालों की मांगें पूरी नहीं हुईं, तो उन्होंने शादी से इनकार करना शुरू कर दिया। महिला के खिलाफ झूठे और तुच्छ आरोप लगाने लगे। उसका चरित्र हनन भी किया गया। 22 अप्रैल को दंपती में मध्यस्थता की कोशिश फेल होने की बात कोर्ट को बताई गई। समाधान की संभावना तलाशने के लिए बेंच से आखिरी मौका मांगा गया है। मामले की अगली सुनवाई अगले हफ्ते होगी। सुप्रीम कोर्ट से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… सुप्रीम कोर्ट बोला- केंद्र जल्द नए स्पेशल पॉक्सो कोर्ट बनाए: 300 पेंडिंग केस वाले जिलों को प्राथमिकता दें सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सरकार को निर्देश दिया कि वह बच्चों के विरुद्ध यौन अपराधों के मामलों से निपटने के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता के आधार पर POCSO कोर्ट बनाए। कोर्ट ने कहा कि कई राज्यों ने स्पेशल POCSO कोर्ट बनाए हैं, लेकिन तमिलनाडु, बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, महाराष्ट्र जैसे राज्यों में केस पेंडेंसी के चलते और ज्यादा कोर्ट बनाए जाने की जरूरत है। पढ़ें पूरी खबर…
देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने बड़ौदा की तत्कालीन महारानी के लिए 1951 मॉडल की एंटीक हैंड-मेड क्लासिक रोल्स रॉयस कार ऑर्डर की थी। ये कार उस मॉडल का इकलौता पीस है। जिसकी मौजूदा कीमत 2.5 करोड़ रुपए से ज्यादा है, लेकिन इसी कार से उठा एक विवाद सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया। गुरुवार को शाही परिवार से ताल्लुक रखने वाले एक दंपती की याचिका पर सुनवाई हुई, जिसे जस्टिस सूर्यकांत और एन कोटिश्वर सिंह की बेंच में रखा गया। जहां मध्यस्थता करने के लिए नियुक्त एडवोकेट आर बसंत ने बताया कि दंपती का मामला सुलझाने की कोशिश काम नहीं कर सकी। इस पर बेंच ने दोनों को फटकार लगाते हुए कहा कि वे राजा-महाराजा की तरह व्यवहार न करें। देश में लोकतंत्र स्थापित हुए 75 साल से ज्यादा समय हो चुका है। कोर्ट ने कहा कि अगर मध्यस्थता के जरिए कोई समझौता नहीं हुआ, तो वह तीन में कठोर आदेश देने से नहीं हिचकिचाएगी। दरअसल, ग्वालियर में रहने वाली महिला का कहना है कि वह छत्रपति शिवाजी महाराज की नौसेना में एडमिरल रहे व्यक्ति के परिवार से है, जिन्हें कोंकण क्षेत्र का शासक घोषित किया गया था। उसका पति भी सेना में है, लेकिन पति और उसके परिवार ने शादी के बाद दहेज की मांग की थी। जिसके खिलाफ वह कोर्ट पहुंची। आरोप- ससुराल वालों ने मांगी रोल्स रॉयस कार और मुंबई में फ्लैट सुप्रीम कोर्ट पहुंचे दंपती की शादी 20 अप्रैल 2018 में उत्तराखंड के ऋषिकेश में हुई थी। याचिका लगाने वाली महिला का दावा है कि उसका पति मध्य प्रदेश में शैक्षणिक संस्थान चलाता है। पति और उसके परिवार ने रोल्स रॉयस कार और मुंबई में एक फ्लैट की दहेज मांग कर महिला को परेशान किया। हालांकि पति ने आरोप का खंडन किया है। उसका कहना है कि वे दोनों एक भी दिन पति-पत्नी की तरह साथ नहीं रहे। उनकी शादी केवल प्रतीकात्मक थी। पति ने पत्नी और उसके परिवार के खिलाफ धोखे से मैरिज सर्टिफिकेट बनवाने का मामला दर्ज करवाया था। लेकिन हाईकोर्ट ने इसे दिसंबर 2023 में खारिज कर दिया था। महिला ने याचिका में कहा कि “जब ससुराल वालों की मांगें पूरी नहीं हुईं, तो उन्होंने शादी से इनकार करना शुरू कर दिया। महिला के खिलाफ झूठे और तुच्छ आरोप लगाने लगे। उसका चरित्र हनन भी किया गया। 22 अप्रैल को दंपती में मध्यस्थता की कोशिश फेल होने की बात कोर्ट को बताई गई। समाधान की संभावना तलाशने के लिए बेंच से आखिरी मौका मांगा गया है। मामले की अगली सुनवाई अगले हफ्ते होगी। सुप्रीम कोर्ट से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… सुप्रीम कोर्ट बोला- केंद्र जल्द नए स्पेशल पॉक्सो कोर्ट बनाए: 300 पेंडिंग केस वाले जिलों को प्राथमिकता दें सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सरकार को निर्देश दिया कि वह बच्चों के विरुद्ध यौन अपराधों के मामलों से निपटने के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता के आधार पर POCSO कोर्ट बनाए। कोर्ट ने कहा कि कई राज्यों ने स्पेशल POCSO कोर्ट बनाए हैं, लेकिन तमिलनाडु, बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, महाराष्ट्र जैसे राज्यों में केस पेंडेंसी के चलते और ज्यादा कोर्ट बनाए जाने की जरूरत है। पढ़ें पूरी खबर…